उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश विभाजन विभीषिका का स्मरण करेगा
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार 14 अगस्त, 2024 को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने की तैयारी कर रही है।
मुख्य बिंदु
- भारत के विभाजन के दौरान मृत्यु को प्राप्त होने वालों को श्रद्धांजलि देने के लिये, 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाने का निर्णय लिया गया है।
- यह भेदभाव, दुश्मनी और दुर्भावना को समाप्त करने के लिये एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है, साथ ही एकता, सामाजिक सद्भाव एवं मानवता के सशक्तीकरण को भी प्रेरित करता है।
- इस अवसर पर, राज्य सरकार राज्य के 75 ज़िलों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगी।
- स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ-साथ प्रदर्शनी स्थल पर भी ‘विभाजन’ से संबंधित फिल्में एवं वृत्तचित्र दिखाए जाएंगे।
- विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों को इन प्रदर्शनियों का भ्रमण कराया जाएगा और उन्हें इस ऐतिहासिक घटना से अवगत कराया जाएगा।
भारत का विभाजन
- यह विभाजन धार्मिक भेदभाव पर आधारित था, जिसमें भारत मुख्यतः हिंदू राष्ट्र के रूप में उभरा तथा पाकिस्तान मुसलमानों के लिये एक पृथक देश के रूप में स्थापित हुआ।
- वर्ष 1947 में भारत का विभाजन दक्षिण एशियाई इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण क्षण था, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश भारत दो स्वतंत्र देशों: भारत और पाकिस्तान में विभाजित हो गया।
- विभाजन बढ़ते धार्मिक तनाव और अलग राष्ट्र की मांग का परिणाम था।
- इस प्रक्रिया में व्यापक हिंसा और बड़े पैमाने पर पलायन हुआ, क्योंकि लाखों लोग दो नवगठित राष्ट्रों के बीच आवागमन करते रहे।
- विभाजन के कारण इतिहास में सबसे बड़ा और सबसे दुखद मानव पलायन शुरू हुआ, जिसके साथ सांप्रदायिक दंगे एवं अंतर-धार्मिक संघर्ष भी हुए।
- विभाजन की विरासत इस क्षेत्र को प्रभावित कर रही है तथा भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी है, विशेष रूप से कश्मीर के विवादित क्षेत्र को लेकर।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में 2028 तक पर्यटन में पाँच गुना वृद्धि का लक्ष्य
चर्चा में क्यों
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार पर्यटन स्थलों और बुनियादी ढाँचे का पुनरुद्धार कर रही है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2028 तक पर्यटन को पाँच गुना बढ़ाना है।
इसका लक्ष्य 70,000 करोड़ रुपए का सकल मूल्यवर्द्धन (GVA) प्राप्त करना और 80 करोड़ पर्यटकों को आकर्षित करना है।
मुख्य बिंदु
- राज्य सरकार राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु पिछले साढ़े सात वर्षों से पर्यटन स्थलों के पुनरोद्धार और परिवहन बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- इस पहल के परिणामस्वरूप पर्यटकों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई है तथा वर्ष 2023 में 48 करोड़ से अधिक पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश की मनोरम सुंदरता का आनंद उठाया।
- काशी, अयोध्या, मथुरा, चित्रकूट, प्रयागराज, नैमिषारण्य और गोरखपुर जैसे आध्यात्मिक महत्त्व के शहरों में पर्यटन बढ़ा है।
- सरकार इन शहरों में उच्चस्तरीय बुनियादी ढाँचे में सुधार कर रही है और पर्यटकों को विभिन्न स्थलों की खोज करने हेतु प्रेरित कर रही है।
- एक ज़िला, एक उत्पाद ( One District, One Product- ODOP) पहल यात्रियों को स्थानीय उत्पादों को दिखाने में महत्त्वपूर्ण है।
- सरकार होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे की पहुँच बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
- इसके साथ ही, वे पर्यटकों की बढ़ती संख्या की आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु सरकारी पर्यटक और राही बंगलों को पुनर्जीवित करने की योजना बना रहे हैं।
एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) पहल
- ODOP देश के प्रत्येक ज़िले के एक उत्पाद को बढ़ावा देने और ब्रांडिंग करके ज़िला स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की एक पहल है।
- इसका उद्देश्य प्रत्येक ज़िले की स्थानीय क्षमता, संसाधनों, कौशल और संस्कृति का लाभ उठाना तथा घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उनके लिये एक विशिष्ट पहचान बनाना है।
- ODOP की अवधारणा पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनवरी 2018 में शुरू की गई थी।
- देश के सभी 761 ज़िलों से 1000 से ज़्यादा उत्पादों का चयन किया गया है। इस पहल में कपड़ा, कृषि, प्रसंस्कृत सामान, फार्मास्यूटिकल्स और औद्योगिक वस्तुओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
- इसके अलावा, जनवरी 2023 में स्विट्ज़रलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में भारतीय मंडप में कई ODOP उत्पाद प्रदर्शित किये गए।
हरियाणा Switch to English
भारी वर्षा का पूर्वानुमान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब के लिये ऑरेंज अलर्ट जारी किया है और अलग-अलग क्षेत्रों में तेज़ बारिश की भविष्यवाणी की है।
मुख्य बिंदु
- कलर कोडेड मौसम चेतावनी IMD द्वारा जारी की जाती है जिसका उद्देश्य गंभीर या खतरनाक मौसम से पहले लोगों को सचेत करना है जिससे हानि, व्यापक व्यवधान या जीवन को खतरा होने की संभावना होती है।
- चेतावनियाँ प्रतिदिन अपडेट की जाती हैं।
- IMD 4 रंग कोड (Colour Codes) का उपयोग करता है:
- हरा (सब ठीक है): कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है
- पीला (सावधान रहें): पीला रंग कई दिनों तक चलने वाले गंभीर रूप से खराब मौसम को दर्शाता है। यह यह भी बताता है कि मौसम और भी खराब हो सकता है, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में व्यवधान आ सकता है
- नारंगी/अंबर (तैयार रहें): नारंगी (Orange) अलर्ट अत्यधिक खराब मौसम की चेतावनी के रूप में जारी किया जाता है, जिसमें सड़क और रेल बंद होने तथा विद्युत आपूर्ति में रुकावट के साथ आवागमन में व्यवधान की संभावना होती है
- लाल (कदम उठाये): जब अत्यधिक खराब मौसम की स्थिति निश्चित रूप से यात्रा और विद्युत को बाधित करने वाली होती है तथा जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण जोखिम होता है, तो लाल अलर्ट जारी किया जाता है।
- ये चेतावनियाँ सार्वभौमिक प्रकृति की होती हैं तथा बाढ़ के दौरान भी जारी की जाती हैं, जो मूसलाधार वर्षा के परिणामस्वरूप भूमि/नदी में पानी की मात्रा पर निर्भर करती हैं।
- उदाहरण के लिये, जब किसी नदी का पानी ‘सामान्य’ स्तर से ऊपर या ‘चेतावनी’ और ‘खतरे’ के स्तर के बीच होता है, तो पीला अलर्ट जारी किया जाता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD)
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में काम करती है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में भूमि अवतलन
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड मानसून की वर्षा के कारण बुरी तरह प्रभावित है, जिससे सड़कों और आवासीय भवनों को अत्यधिक नुकसान पहुँचा है।
- मानसून के आगमन के बाद से राज्य में लगातार वर्षा हो रही है, जिसके कारण मौसम संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
मुख्य बिंदु:
- कुंड-ऊखीमठ-चोपता-गोपेश्वर राजमार्ग पर कई भूस्खलन हुए हैं, जबकि कुंड में मंदाकिनी नदी पर बना लोहे का पुल, जो रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग को केदारघाटी और केदारनाथ से जोड़ता है, नदी की तेज़ धाराओं के कारण खतरे में है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण प्रभाग ने पुल निर्माण स्थल का निरीक्षण किया और तत्काल पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया।
- उत्तराखंड सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है तथा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये आपातकालीन सेवाएँ तैयार रखी हैं।
- स्थिति पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है तथा निवासियों को अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
मंदाकिनी नदी
- यह उत्तराखंड में अलकनंदा नदी की एक सहायक नदी है।
- यह नदी रुद्रप्रयाग और सोनप्रयाग क्षेत्रों के बीच लगभग 81 किलोमीटर तक बहती है तथा चोराबाड़ी ग्लेशियर से निकलती है।
- मंदाकिनी नदी सोनप्रयाग में सोनगंगा नदी से मिल जाती है और उखीमठ में मध्यमहेश्वर मंदिर के पास से प्रवाहित होती है।
- अपने मार्ग के अंत में यह अलकनंदा में मिल जाती है, जो गंगा में मिल जाती है।
उत्तराखंड Switch to English
निराश्रित गोवंशीय पशुओं को गोद लेने के लिये मानदेय
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड सरकार निराश्रित गोवंशीय पशुओं को गोद लेने वाले राज्यवासियों को एक निश्चित मानदेय देने की योजना बना रही है।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के अनुसार, लोगों को प्रति पशु 80 रुपए दिये जाएंगे तथा विशेष मामलों में यह राशि 100 रुपए तक हो सकती है, यदि पशु अत्यधिक बीमार हो तथा उसे अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता हो।
- उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड (Uttarakhand Animal Welfare Board- UAWB) द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों के अनुसार, राज्य में कुल 60 पंजीकृत गोवंश आश्रय स्थल हैं, जिनमें वर्तमान में 14,000 गोवंश हैं
नोट: गोवंशीय पशु बोस वंश का एक पालतू, फटे खुर वाला जुगाली करने वाला पशु है, जैसे- बकरी, गाय, भैंस, बाइसन, हिरण या भेड़
राजस्थान Switch to English
राजस्थान में किसानों के लिये विद्युत
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, राजस्थान सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये नए समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, जिससे किसानों को दिन में अपने खेतों की सिंचाई के लिये विद्युत प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
मुख्य बिंदु:
- विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार की पहल से वर्ष 2027 तक कृषि उपयोगकर्त्ताओं को दिन में निर्बाध विद्युत आपूर्ति की गारंटी मिल सकेगी।
- प्रधानमंत्री कुसुम-सी योजना के अंतर्गत 4,386 मेगावाट की परियोजनाओं के लिये आशय-पत्र जारी किया गया तथा जयपुर में दो गैस आधारित विद्युत संयंत्रों के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- वर्ष 2020 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ( Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने पीएम-कुसुम योजना के घटक-सी के तहत फीडर स्तर पर सौरीकरण के कार्यान्वयन की शुरुआत की।
- इस योजना के तहत, पहले से ही अलग किये गए कृषि फीडर या, कृषि के लिये प्रमुख भार वाले फीडर को ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना का उपयोग करके सौर ऊर्जा से जोड़ा जा सकता है ताकि फीडर की वार्षिक विद्युत की आवश्यकता को पूरा किया जा सके। इससे पूंजीगत लागत और विद्युत की लागत दोनों के मामले में लागत कम होगी।
PM कुसुम
- परिचय:
- PM-कुसुम भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है जिसका प्राथमिक उद्देश्य सौर ऊर्जा समाधानों को अपनाने को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है।
- यह मांग-आधारित दृष्टिकोण पर काम करता है। विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (Union Territories- UT) से प्राप्त मांगों के आधार पर क्षमताओं का आवंटन किया जाता है।
- विभिन्न घटकों और वित्तीय सहायता के माध्यम से, PM-कुसुम का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक 30.8 गीगावाट की महत्त्वपूर्ण सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि हासिल करना है।
- PM-कुसुम के उद्देश्य:
- कृषि क्षेत्र का डीज़लीकरण समाप्त करना: इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा चालित पंपों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करके सिंचाई के लिये डीजल पर निर्भरता को कम करना है।
- इसका उद्देश्य सौर पंपों के उपयोग के माध्यम से सिंचाई लागत को कम करके किसानों की आय में वृद्धि करना तथा उन्हें अधिशेष सौर ऊर्जा को ग्रिड को बेचने में सक्षम बनाना है।
- किसानों के लिये जल एवं ऊर्जा सुरक्षा: सौर पंपों तक पहुँच प्रदान करके और सौर-आधारित सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा देकर, इस योजना का उद्देश्य किसानों के लिये जल एवं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
- पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाना: स्वच्छ एवं नवीकरणीय सौर ऊर्जा को अपनाकर, इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है।
- कृषि क्षेत्र का डीज़लीकरण समाप्त करना: इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा चालित पंपों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करके सिंचाई के लिये डीजल पर निर्भरता को कम करना है।
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