वनाग्नि भारत के लिये चिंता का विषय | उत्तराखंड | 12 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
अप्रैल से बढ़ते तापमान के कारण उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के वन क्षेत्र जल गए, जिससे संपत्तियों को नुकसान पहुँचा, वन्यजीवों की हानि हुई तथा पर्यटन क्षेत्रों में लंबे समय तक धुआँ रहा।
मुख्य बिंदु:
- नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के एक्वा और टेरा उपग्रहों पर लगे मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर (MODIS) सेंसर द्वारा एकत्र आँकड़ों के अनुसार, इस सीज़न (नवंबर 2023 से जून 2024) में उत्तराखंड वनाग्नि से सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा।
- ओडिशा 1,866 आग की घटनाओं के साथ दूसरे स्थान पर रहा, आंध्र प्रदेश 1,788 आग की घटनाओं के साथ तीसरे स्थान पर रहा, महाराष्ट्र में 1,493 तथा छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्रों में 1,330 आग की घटनाएँ हुईं।
- उत्तराखंड में, दक्षिण-पश्चिमी भाग में नैनीताल, चंपावत एवं उधम सिंह नगर ज़िलों में सबसे अधिक और सबसे तीव्र आग की घटनाएँ देखी गईं।
- उत्तराखंड वन विभाग को आग के कारण 25 लाख रुपए से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है
- राज्य सरकार ने जंगलों में चरागाह क्षेत्र में आग लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की योजना की घोषणा की है।
- भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के 54.4% वन कभी-कभी आग की चपेट में आते हैं, 7.4% में मध्यम स्तर पर आग लगती है तथा 2.4% में आग लगने की घटनाएँ बहुत अधिक होती हैं।
मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर (MODIS)
- मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर, टेरा (मूल रूप से EOS AM-1 के रूप में जाना जाता है) और एक्वा (मूल रूप से EOS PM-1 के रूप में जाना जाता है) उपग्रहों पर लगा एक प्रमुख उपकरण है।
- पृथ्वी के चारों ओर टेरा की कक्षा का समय इस प्रकार निर्धारित है कि यह सुबह के समय भूमध्य रेखा के पार उत्तर से दक्षिण की ओर जाती है, जबकि दोपहर के समय एक्वा भूमध्य रेखा के पार दक्षिण से उत्तर की ओर जाती है।
- टेरा MODIS और एक्वा MODIS प्रत्येक 1 से 2 दिन में संपूर्ण पृथ्वी की सतह का निरीक्षण कर रहे हैं तथा 36 वर्णक्रमीय बैंडों या तरंगदैर्घ्य समूहों में डेटा एकत्र कर रहे हैं।
- ये आँकड़े भूमि, महासागरों और निचले वायुमंडल में होने वाली वैश्विक गतिशीलता तथा प्रक्रियाओं के बारे में हमारी समझ को बेहतर बनाएंगे।
- मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर का प्राथमिक लक्ष्य पृथ्वी पर जलवायु और पर्यावरण के बारे में जानकारी एकत्र करना है, जिसमें विभिन्न वायुमंडलीय, भू-पृष्ठीय तथा महासागरीय मापदंडों का मापन शामिल है।
भारत गौरव एक्सप्रेस | उत्तराखंड | 12 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) ने उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के सहयोग से तमिलनाडु से उत्तराखंड के छह आध्यात्मिक स्थलों तक चलने वाली भारत गौरव एक्सप्रेस ट्रेन के लिये ऑनलाइन टिकट आरक्षण शुरू किया है।
मुख्य बिंदु:
- छह आध्यात्मिक स्थल हैं: ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, गुप्तकाशी, केदारनाथ, जोशीमठ और बद्रीनाथ।
- यह यात्रा 13 दिनों की है और इसमें गुप्तकाशी से केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर से यात्रा भी शामिल है।
- केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित है और मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक है।
- रुद्रप्रयाग अलकनंदा नदी के पंच प्रयागों में से एक है, जो अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम स्थल है।
- इसका नाम भगवान शिव के एक रूप रुद्र के नाम पर रखा गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने नारद मुनि को आशीर्वाद देने के लिये यहाँ 'रुद्र' के रूप में दर्शन दिये थे।
- जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली ज़िले में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर स्थित एक पहाड़ी शहर है।
- यह शहर एक पर्यटक नगर के रूप में कार्य करता है, क्योंकि यह राज्य के अन्य महत्त्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थलों के अलावा बद्रीनाथ, औली, फूलों की घाटी तथा हेमकुंड साहिब की यात्रा करने वाले लोगों के लिये रात्रि विश्राम स्थल के रूप में कार्य करता है।
- गुप्तकाशी रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित अपने प्राचीन विश्वनाथ मंदिर के लिये जाना जाता है जो वाराणसी के मंदिर जैसा ही है।
- ऋषिकेश देहरादून ज़िले में स्थित है। इसे आमतौर पर 'विश्व की योग राजधानी' कहा जाता है।
- यह गंगा नदी के दाहिने तट पर स्थित है और हिंदुओं के लिये एक तीर्थस्थल है, जहाँ प्राचीन ऋषि-मुनि उच्च ज्ञान की खोज में ध्यान करते थे।
उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (Uttarakhand Tourism Development Board- UTDB)
- यह उत्तराखंड राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार एक सरकारी निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी और इसका मुख्यालय देहरादून में है।
- UTDB पर्यटन बुनियादी ढाँचे को विकसित करने और बढ़ावा देने, निवेश को आकर्षित करने एवं उत्तराखंड को एक पर्यटन स्थल के रूप में बाज़ार में लाने के लिये कार्य करता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) | हरियाणा | 12 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल में हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर को ऊर्जा मंत्रालय और आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA) दिया गया।
मुख्य बिंदु:
- वर्ष 2015 में शुरू की गई PMAY पात्र ग्रामीण और शहरी परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ आवास बनाने के लिये सहायता प्रदान करती है।
- सरकारी आँकड़ों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में आवास योजनाओं के अंतर्गत पात्र गरीब परिवारों के लिये कुल 42.1 मिलियन आवास पूरे किये गए हैं।
- विद्युत मंत्रालय के सामने विद्युत उत्पादन क्षमता को बनाए रखने की चुनौती भी है, जो मुख्य रूप से कोयले पर निर्भर है तथा जीवाश्म ईंधनों के उपयोग को कम करने की वैश्विक मांग के साथ इसे संतुलित करने की चुनौती भी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G)
- लॉन्च: इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिये आवास’ के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु शुरू किया गया था। ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती ‘इंदिरा आवास योजना’ (IAY) को 01 अप्रैल, 2016 से ‘प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण’ के रूप में पुनर्गठित किया गया था।
- संबंधित मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय।
- उद्देश्य: मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवार, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना।
- गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन व्यतीत कर रहे ग्रामीण परिवारों को आवासीय इकाइयों के निर्माण और मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना।
कर अंतरण की अतिरिक्त किस्त | उत्तर प्रदेश | 12 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश को नई सरकार के तहत केंद्रीय वित्त मंत्रालय से कर अंतरण के लिये अतिरिक्त भुगतान के रूप में 25,495 करोड़ रुपए प्राप्त हुए, जो देश में सबसे अधिक राशि थी।
- वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस धनराशि से राज्यों को विकास परियोजनाओं में तेज़ी लाने का अवसर मिलेगा।
मुख्य बिंदु:
- यह राशि जून 2024 माह के लिये हस्तांतरण राशि के अतिरिक्त राज्यों को करों के अंतरण की एक अतिरिक्त किस्त के रूप में दी गई है।
- कर अंतरण में अधिकतम आवंटन के साथ उत्तर प्रदेश शीर्ष पर रहा, उसके बाद बिहार (14,056.12 करोड़ रुपए), मध्य प्रदेश (10,970.44 करोड़ रुपए) तथा पश्चिम बंगाल (10,513.46 करोड़ रुपए) का स्थान रहा।
कर अंतरण
- कर अंतरण केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच कर राजस्व के वितरण को संदर्भित करता है। यह संघ तथा राज्यों के बीच उचित एवं न्यायसंगत तरीके से कुछ करों की आय को आवंटित करने के लिये स्थापित एक संवैधानिक तंत्र है।
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 280(3)(a) में कहा गया है कि वित्त आयोग (FC) की ज़िम्मेदारी संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के विभाजन के संबंध में सिफारिशें करना है।
राजस्थान में सौर ऊर्जा का केंद्र | राजस्थान | 12 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के व्यापार एवं उद्योग संगठनों ने सरकार से राज्य को सौर पैनल विनिर्माण का केंद्र बनाने का आग्रह किया है।
- राजस्थान सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत के शीर्ष राज्यों में से एक है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य की विद्युत ऊर्जा की मांग सालाना 8 से 10% बढ़ रही है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक कुल बिजली खपत का 43% सौर ऊर्जा से आए।
- वर्ष 2023 में राज्य में 15,195.12 मेगावाट (Mw) की संयुक्त क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये गए।
- राजस्थान व्यापार एवं उद्योग महासंघ (FORTI) के अनुसार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार को प्रदेश में सौर पैनल निर्माण को बढ़ावा देना चाहिये।
सौर पैनल
- सौर फोटोवोल्टिक (PV) प्रौद्योगिकी फोटोवोल्टिक प्रभाव के माध्यम से सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
- "फोटोवोल्टिक्स" शब्द प्रकाश (फोटॉन) को विद्युत (वोल्टेज) में रूपान्तरित करने से लिया गया है, जिसे फोटोवोल्टिक प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
- PV सेल सिलिकॉन जैसे अर्द्धचालक पदार्थों से बने होते हैं। जब सूर्य की रोशनी सेल पर पड़ती है तो इलेक्ट्रॉन परमाणुओं से अलग हो जाते हैं, जिससे विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है।
- ग्रिड से जुड़ी प्रणालियाँ अतिरिक्त विद्युत ऊर्जा को वापस ग्रिड में भेजती हैं।
- कई क्षेत्रों में विद्युत ग्रिड को शक्ति प्रदान करने के लिये बड़े पैमाने पर फोटोवोल्टिक प्रणालियाँ स्थापित की जा रही हैं।
- विधियाँ: PV प्रणालियों के तहत छोटी छतों पर सौर ऊर्जा स्थापित करने वाली इकाइयाँ, सौर पंप, ऑफ-ग्रिड प्रकाश प्रणालियाँ और बड़े उपयोगिता-स्तरीय सौर ऊर्जा संयंत्र होते हैं।
- लागत-प्रभावी: PV प्रणालियों की लागत में प्रभावी रूप से गिरावट आई है, जिससे सौर ऊर्जा लागत-प्रतिस्पर्द्धी हो गई है।
- मौसमरोधी पैनलों और स्थायी पार्ट-पूर्जों के कारण PV प्रणालियों को न्यूनतम रखरखाव की आवश्यकता होती है तथा इनका जीवनकाल लंबा होता है।
- त्रुटि: सौर PV उत्पादन धूप वाले मौसम पर निर्भर करता है और विद्युत ऊर्जा की वोल्टता पूरे दिन बदलती रहती है।
गांधी सागर अभयारण्य में चीतों का पुनर्वास | मध्य प्रदेश | 12 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार ने गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को चीतों के लिये नया आवास बनाने की तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।
मुख्य बिंदु:
- केन्या और दक्षिण अफ्रीका की टीमों ने चीतों के पुनर्वास के लिये स्थितियों का आकलन करने हेतु पहले ही गांधी सागर का दौरा किया था।
- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें बताया गया कि तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं।
- कान्हा, सतपुड़ा और संजय बाघ अभ्यारण्यों से शिकार जानवरों को गांधी सागर में स्थानांतरित किया गया।
- महत्त्वाकांक्षी चीता पुनर्वास परियोजना के तहत, 17 सितंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले में कुनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में आठ नामीबियाई चीता, पाँच मादा और तीन नर को बाड़ों में रखा गया।
- फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए।
- बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को मध्य प्रदेश के वनों में गैंडे और अन्य दुर्लभ एवं संकटग्रस्त वन्य जीवों को लाने की संभावनाओं पर अध्ययन करने के निर्देश दिये।
- मंदसौर ज़िले में गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य श्योपुर में कुनो राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 270 किमी. दूर है।
- चीतों का दूसरा निवास स्थल 64 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
कान्हा टाइगर रिज़र्व
- कान्हा टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश के दो ज़िलों- मंडला (Mandla) और बालाघाट (Balaghat) में 940 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- वर्तमान कान्हा टाइगर रिज़र्व क्षेत्र पूर्व में दो अभयारण्यों- हॉलन (Hallon) और बंजार (Banjar) में विभाजित था। वर्ष 1955 में इसे कान्हा नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया तथा वर्ष 1973 में कान्हा टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व
- सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में है। बाघ संरक्षण केंद्र के रूप में प्रसिद्ध यह क्षेत्र वन्यजीवों और वनस्पति विविधता से भी समृद्ध है।
- बाघ के अलावा यहाँ तेंदुआ, इंडियन बाइसन, इंडियन जायंट स्क्वीरल, सांभर, चीतल, हिरण, नीलगाय, लंगूर, भालू, जंगली सूअर सहित विभिन्न वन्यजीव पाए जाते हैं।
- इसमें ऐतिहासिक और पुरातात्त्विक महत्त्व की 300 से अधिक गुफाएँ हैं।
संजय टाइगर रिज़र्व
- संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व की स्थापना वर्ष 1975 में ज़िले के जैवविविधता से समृद्ध वन क्षेत्र के संरक्षण के लिये की गई थी। इसमें सदाबहार साल के वन शामिल हैं।
- यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ हैं बाघ, भालू, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, सांभर (पहाड़ी इलाकों तक सीमित और बहुत कम संख्या में), तेंदुआ, ढोल (जंगली कुत्ता), जंगली बिल्ली, लकड़बग्घा, साही, सियार, लोमड़ी, इंडियन वुल्फ, अजगर, चार सींग वाला मृग तथा बार्किंग डियर।