लोकप्रिय मसाला ब्रांड कीटनाशकों से युक्त | राजस्थान | 11 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान में भारतीय मसालों के लेबल पर कैंसर उत्पन्न करने वाले रसायन एथिलीन ऑक्साइड (Ethylene Oxide- ETO) की संदिग्ध उपस्थिति के कारण उन्हें मानव उपभोग के लिये अनुपयुक्त माना गया है।
- सिंगापुर, हाॅन्गकाॅन्ग और नेपाल ने इन भारतीय मसाला लेबलों के वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मुख्य बिंदु:
- नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ राज्य के अभियान के तहत राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये गए गुणवत्ता परीक्षणों में मसाले ब्रांड विफल रहे।
- नमूना परीक्षण के दौरान पाया गया कि मसालों में थायोमेथाॅक्सैम, एसिटामिप्रिड, इथिओन और एज़ोक्सीस्ट्रोबिन मौजूद हैं।
- जाँच दल ने पाया कि इन मसालों में कीटनाशकों का स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है।
एथिलीन ऑक्साइड (Ethylene Oxide- ETO)
- ETO एक रसायन है जिसका उपयोग मसालों में कीटाणुरोधी पदार्थ के रूप में किया जाता है, परंतु एक निश्चित सीमा से अधिक उपयोग करने पर इसे कैंसरकारी माना जाता है।
- हालाँकि ETO संदूषण को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं, जबकि प्रमुख बाज़ारों में भारतीय मसाला निर्यात के तहत मसाला सैंपल विफलता दर 1% से कम है।
- मसाला बोर्ड ने ETO संदूषण को रोकने तथा सभी बाज़ारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये निर्यातकों को दिशा-निर्देश जारी किये।
- यह मसालों के लिये कीटाणुरोधी पदार्थ के रूप में ETO का उपयोग न करने की सलाह देता है तथा वाष्प कीटाणुरोधन एवं विकिरण जैसे विकल्पों का सुझाव देता है।
थायोमेथाॅक्सैम (Thiamethoxam)
- थायोमेथाॅक्सैम मनुष्यों के लिये मध्यमतः खतरनाक है क्योंकि इसका सेवन करने पर नुकसान होता है। यह किसी भी इन विट्रो और इन विवो टॉक्सिकोलॉजी परीक्षणों में त्वचा या आँखों को नुकसान करने वाला नहीं पाया गया तथा न ही उत्परिवर्तनीय पाया गया।
एसिटामिप्रिड (Acetamiprid)
- यह एक कार्बनिक यौगिक है। यह एक गंधहीन नियोनिकोटिनोइड (न्यूरो-एक्टिव कीटनाशक जो रासायनिक रूप से निकोटीन के तुल्य है) कीटनाशक है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)
- भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
- FSSAI भारत में खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता को विनियमित और पर्यवेक्षण करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा तथा संवर्धन के लिये उत्तरदायी है, जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है
- FSSAI का मुख्यालय नई दिल्ली में है और देश भर में इसके 8 क्षेत्रीय कार्यालय हैं
- FSSAI के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। अध्यक्ष भारत सरकार के सचिव के पद पर होता है।
दो बच्चों की नीति | उत्तर प्रदेश | 11 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार को हाल ही में उन दावों पर जाँच का सामना करना पड़ा, जिनमें कहा गया था कि उसने 7 जून, 2024 तक दो-बच्चों की नीति लागू कर दी है। हालाँकि, आधिकारिक बयानों के अनुसार ये रिपोर्टें झूठी हैं और ऐसी कोई नीति अभी तक लागू नहीं की गई है।
मुख्य बिंदु:
- हालाँकि इस तरह की नीति के लिये एक प्रारूप विधेयक राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया है, लेकिन इसे पारित नहीं किया गया है और विधि के रूप में तैयार नहीं किया गया है।
- उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने वर्ष 2021 में जनसंख्या नियंत्रण पर प्रस्तावित विधेयक का प्रारूप राज्य सरकार के साथ साझा किया था।
- उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021 नामक प्रारूप विधेयक के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले दंपतियों को सरकारी नौकरियों, पदोन्नति या सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिये आवेदन करने की अनुमति नहीं होगी।
- असम में भी ऐसी ही नीति लागू है, जो असम लोक सेवा (सीधी भर्ती में छोटे परिवार के मानदंड का अनुप्रयोग) नियम, 2019 के तहत दो से अधिक बच्चों वाले दंपती को सरकारी नौकरियों से वंचित करती है।
दो बच्चों की नीति
- आवश्यकता:
- भारत की जनसंख्या पहले ही 125 करोड़ को पार कर चुकी है और उम्मीद है कि अगले कुछ दशकों में भारत विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश चीन से आगे निकल जाएगा।
- राष्ट्रीय जनसंख्या नियंत्रण नीति (2000) होने के बावजूद भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है।
- इस प्रकार, भारत के प्राकृतिक संसाधन अत्यधिक बोझ से दबे हुए हैं तथा उनका अत्यधिक दोहन हो रहा है।
- आलोचना:
- प्रतिबंधित बाल नीति के कारण शिक्षित युवाओं की कमी के कारण भारत की तकनीकी क्रांति में बाधा आएगी।
- चीन (एक-बच्चा नीति के परिणामस्वरूप) के सामने आने वाली लैंगिक असंतुलन, अनिर्दिष्ट बच्चे (बिना दस्तावेज़ वाले माता-पिता के बच्चे) आदि जैसी समस्याएँ भारत को भी झेलनी पड़ सकती हैं।
महाकुंभ | उत्तर प्रदेश | 11 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
एक आधिकारिक बैठक के बाद जारी एक बयान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 में प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ का राज्य की अर्थव्यवस्था पर "बड़ा प्रभाव" पड़ेगा क्योंकि इस आयोजन में करोड़ों लोग शामिल होंगे।
- घरेलू और वैश्विक दोनों पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये अनुसंधान किया जाना चाहिये तथा एक व्यावहारिक कार्य योजना बनाई जानी चाहिये।
मुख्य बिंदु:
- आधिकारिक बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य को एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प को पूरा करने की दिशा में चल रहे प्रयासों, वर्तमान परिणामों और भविष्य की नीति पर चर्चा की।
- इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सभी मंत्रीगण और वरिष्ठ अधिकारी जीवन को आसान बनाने तथा अधिकतम रोज़गार सृजन की दिशा में विशेष प्रयास करें।
- राज्य का कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वर्ष 2021-22 में 16.45 लाख करोड़ था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 25.48 लाख करोड़ से अधिक हो जाएगा।
- उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय आय में 9.2% का योगदान दे रहा है तथा देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देश के विकास का इंजन बनकर उभर रहा है।
- राज्य की बेरोज़गारी दर जो वर्ष 2017-18 में 6.2% थी वर्ष 2024 में घटकर 2.4% हो गई है।
महाकुंभ
- कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान तीर्थयात्री पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं।
- यह नासिक में गोदावरी नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा व प्रयागराज में गंगा, यमुना एवं पौराणिक नदी सरस्वती के संगम पर आयोजित होता है
- चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविध त्योहार बन जाता है।
- एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस मेले में एक विशाल तंबूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
- इसका आयोजन सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों और पुलिस द्वारा अत्यंत कुशलतापूर्वक किया जाता है।
- यह मेला विशेष रूप से जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं के सुदूर स्थानों से आये धार्मिक तपस्वियों की असाधारण उपस्थिति के लिये प्रसिद्ध है।
नक्सल समस्या सीमित | झारखंड | 11 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
पुलिस महानिदेशक (DGP) के अनुसार, झारखंड में नक्सलियों पर संयुक्त हमलों से उनका अभियान कुल 24 ज़िलों में से केवल 5 ज़िलों तक सीमित हो गया है, जिसमें चाईबासा सबसे अधिक प्रभावित है।
मुख्य बिंदु:
- नक्सलवाद की उत्पत्ति स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद को लेकर किसानों की पिटाई की थी।
- यह विद्रोह वर्ष 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों के बीच भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
- पश्चिम बंगाल से शुरू हुआ यह आंदोलन पूर्वी भारत के कम विकसित क्षेत्रों जैसे छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश तक फैल चुका है।
- ऐसा माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
- माओवाद माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है।
- यह सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने का सिद्धांत है।
- वर्तमान में नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप नशीले पदार्थों के तस्करों को पकड़ा जा रहा है तथा स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम, 1985 के अंतर्गत अफीम की बड़ी मात्रा में ज़ब्ती की जा रही है।
नशीले पदार्थों की तस्करी
- नशीले पदार्थों की तस्करी से तात्पर्य अवैध दवाओं का निर्माण, वितरण और बिक्री से जुड़े अवैध व्यापार से है
- इसमें अवैध नशीली दवाओं के व्यापार से जुड़ी कई तरह की गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनमें कोकीन, हेरोइन, मेथैम्फेटामाइन और सिंथेटिक ड्रग्स जैसे पदार्थों का उत्पादन, साथ ही इन पदार्थों का परिवहन तथा वितरण शामिल है
- नशीली दवाओं की तस्करी आपराधिक संगठनों के एक जटिल नेटवर्क के भीतर संचालित होती है जो सीमाओं, क्षेत्रों और यहाँ तक कि महाद्वीपों तक फैली हुई है।
स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985
- यह किसी व्यक्ति को किसी भी मादक दवा या मन:प्रभावी पदार्थ का उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन करने, भंडारण करने और/या उपभोग करने से प्रतिबंधित करता है।
- NDPS अधिनियम, 1985 के एक प्रावधान के तहत मादक पदार्थ दुरुपयोग नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कोष भी बनाया गया, ताकि अधिनियम के कार्यान्वयन में होने वाले व्यय को पूरा किया जा सके।
छत्तीसगढ़ में विरोध प्रदर्शन | छत्तीसगढ़ | 11 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार ज़िले में अनुसूचित जाति सतनामी समाज के कई सदस्यों ने अपने धार्मिक स्थल जैतखाम पर अतिक्रमण के विरोध में हिंसक प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट भवन के एक हिस्से में आग लगा दी, वाहनों को क्षतिग्रस्त किया तथा पुलिस के साथ झड़प की।
मुख्य बिंदु:
- जैतखाम, जिसे विजय स्तंभ भी कहा जाता है, का छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- यह एक पूजनीय धार्मिक प्रतीक है जो बुराई पर अच्छाई की विजय और उक्त समाज की आध्यात्मिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है
- अमर गुफा में स्थित जैतखाम (धार्मिक स्तंभ) एक उपासना स्थल और साथ ही सांस्कृतिक तथा धार्मिक समारोहों का मुख्य स्थल है, जो सतनामी समाज के व्यक्तियों की पहचान तथा इतिहास को दर्शाता है।
- बलौदा बाज़ार ज़िले के गिरौधपुरी कस्बे में सतनामी समाज के जैतखाम धार्मिक स्थल पर तोड़-फोड़ की गई जिसके कारण यह विरोध प्रदर्शन किया गया।
- सतनामी समाज के सदस्य इस कृत्य को घोर अनादर तथा समाज की मान्यताओं एवं परंपराओं को क्षति पहुँचाने का प्रयास मानते हैं।
सतनामी समाज
- छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज के व्यक्ति ब्रिटिश काल के दौरान बंगाल में सामाजिक-धार्मिक आंदोलन का गठन करने वाले व्यक्तियों का एक समूह थे
- इस आंदोलन की स्थापना और नेतृत्व बिलासपुर ज़िले के घासी दास ने किया था तथा उन्हें एक अछूत चर्मकार माना जाता था।
समाधान प्रकोष्ठ | हरियाणा | 11 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने लोक शिकायतों के निपटान के लिये मुख्य सचिव कार्यालय में "समाधान प्रकोष्ठ" की स्थापना की है।
- इस पहल में प्रत्येक कार्य दिवस पर ज़िला एवं उपमंडल स्तर के मुख्यालयों पर 'समाधान शिविर' सत्र आयोजित किये जाएंगे, जिसका लक्ष्य जन समस्याओं का प्रभावी समाधान करना होगा।
मुख्य बिंदु:
- लोक शिकायतों को नीतिगत मुद्दों और कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं, दो वर्गों में विभाजित किया गया है।
- नीति-संबंधी मुद्दों का निपटान राज्य मुख्यालय स्तर पर प्रशासनिक सचिवों के समन्वय से ‘प्रकोष्ठ’ द्वारा किया जाएगा।
- कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं को ज़िला स्तर पर ‘समाधान शिविर’ के माध्यम से हल किया जाएगा।
- उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त उपायुक्त, ज़िला नगर आयुक्त, उपमंडल अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारियों सहित प्रमुख ज़िला अधिकारी लोक शिकायतों के समाधान के लिये उपायुक्त तथा SDO (नागरिक) कार्यालयों में प्रतिदिन मिलेंगे।
- लोक शिकायतों से संबंधित हरियाणा की योजना:
- CM विंडो-लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली।
- CM विंडो, एक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली हरियाणा के सभी ज़िलों तथा सभी विभागों में एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप 25 दिसंबर 2014 से लागू है
- ये शिकायतें CM विंडो काउंटर ऑनलाइन पर पंजीकृत हैं और नागरिक शिकायत पंजीकरण संख्या के साथ अपने मोबाइल फोन पर SMS प्राप्त करते हैं
- शिकायतकर्त्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत निवारण की निगरानी के लिये इस नंबर का उपयोग किया जाता है। सामान्य नागरिकों से शिकायतें प्राप्त करने के लिये सभी ज़िलों और उप-डिवीज़न कार्यालयों के ई-दिशा केंद्रों में CM विंडो लागू किया गया है।