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भारतीय मसाला बोर्ड

  • 20 May 2024
  • 6 min read

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों?

भारतीय मसाला बोर्ड ने अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक निकाय कोडेक्स (CODEX) के साथ मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (Ethylene Oxide- ETO) के उपयोग की सीमा तय करने की ज़रूरत के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।

  • भारतीय कंपनियों द्वारा हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर को निर्यात किये गए कुछ ब्रांडेड मसालों को ETO संदूषण से संबंधित चिंताओं के कारण वापस मँगाए जाने के पश्चात् यह कदम उठाया गया है, जिसके बाद नेपाल द्वारा इसी तरह की चिंताओं के कारण कुछ मसाला-मिश्रण उत्पादों की बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

भारतीय मसाला बोर्ड क्या है?

  • परिचय:
    • मसाला बोर्ड का गठन 26 फरवरी, 1987 को मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986 के तहत पूर्ववर्ती इलायची बोर्ड (1968) और मसाला निर्यात संवर्द्धन परिषद (1960) के विलय के साथ किया गया था।
    • वाणिज्य विभाग के अंतर्गत पाँच वैधानिक कमोडिटी बोर्ड हैं।
      • ये बोर्ड चाय, कॉफी, रबर, मसाले और तंबाकू के उत्पादन, विकास तथा निर्यात के लिये उत्तरदायी हैं। 
      • यह 52 अनुसूचित मसालों के निर्यात प्रोत्साहन और इलायची उत्पादन हेतु ज़िम्मेदार है।
    • मसाला बोर्ड भारतीय मसालों के विकास और विश्वव्यापी प्रचार के लिये प्रमुख संगठन है। 
    • यह बोर्ड भारतीय निर्यातकों एवं विदेशी आयातकों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में कार्य करता है।
  • एथिलीन ऑक्साइड का मुद्दा (ETO):
    • ETO एक रसायन है जिसका उपयोग मसालों में कीटाणुरोधी पदार्थ के रूप में किया जाता है, परंतु एक निश्चित सीमा से अधिक उपयोग करने पर इसे कैंसरकारी माना जाता है।
      • हालाँकि ETO संदूषण को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं, जबकि प्रमुख बाज़ारों में भारतीय मसाला निर्यात के तहत मसाला सैंपल विफलता दर 1% से कम है।
    • अभी तक CODEX ने कोई सीमा निर्धारित नहीं की है तथा कोई मानकीकृत ETO परीक्षण प्रोटोकॉल भी उपलब्ध नहीं है।
      • भारत ने ETO के उपयोग की सीमा निर्धारित करने की आवश्यकता का प्रश्न CODEX समिति के समक्ष उठाया है क्योंकि विभिन्न देशों की ETO उपयोग सीमाएँ अलग-अलग हैं।
    • मसाला बोर्ड ने ETO संदूषण को रोकने तथा सभी बाज़ारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये निर्यातकों को दिशा-निर्देश जारी किये।
      • यह मसालों के लिये कीटाणुरोधी पदार्थ के रूप में ETO का उपयोग न करने की सलाह देता है तथा भाप कीटाणुरोधन एवं विकिरण जैसे विकल्पों का सुझाव देता है।
    • अमेरिका, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों ने भी कुछ भारतीय मसालों की गुणवत्ता के विषय में चिंता जताई है तथा ये देश आगे की कार्रवाई की आवश्यकता का निर्धारण कर रहे हैं।

नोट: 

  • भारत विश्व का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक है। यह मसालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता और निर्यातक भी है।
  • वर्ष 2023-24 में भारत का मसाला निर्यात 4.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो वैश्विक मसाला निर्यात का 12% हिस्सा है।

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक

  • वर्ष 1963 के बाद से नई चुनौतियों का समाधान करने के लिये कोडेक्स प्रणाली खुले तौर पर और समावेशी रूप से विकसित हुई है।
  • कोडेक्स मानक निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन निकायों अथवा खाद्य और कृषि संगठन (FAO) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तदर्थ परामर्श के माध्यम से प्रदान किये गए विश्वसनीय वैज्ञानिक जानकारी पर आधारित हैं।

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  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. 18वीं शताब्दी के मध्य इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बंगाल से निर्यातित प्रमुख पण्य पदार्थ (स्टेपल कमोडिटीज़) क्या थे? (2018)

(a) अपरिष्कृत कपास, तिलहन और अफीम
(b) चीनी, नमक, जस्ता और सीसा
(c) ताँबा, चाँदी, सोना, मसाले और चाय
(d) कपास, रेशम, शोरा और अफीम

उत्तर: (d)


प्रश्न. केसर मसाला बनाने के लिये पौधे का निम्नलिखित में से कौन सा भाग उपयोग में लाया जाता किया जाता है? (2009)

(a) पत्ता
(b) पँखुड़ी
(c) बाह्यदल
(d) वर्तिकाग्र (स्टिग्मा)

उत्तर: (d)

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