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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में मसालों का इतिहास

  • 27 Feb 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लियें:

भारत में मसालों का इतिहास, सिंधु घाटी सभ्यता, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO)

मेन्स के लियें:

भारत में मसालों का इतिहास, भारत में मसाला उत्पादन, मसाला क्षेत्र में की गई पहल।

स्रोत: द डेली गार्जियन

चर्चा में क्यों?

भारत में मसालों का इतिहास सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ वैश्विक पाककला परिदृश्य में भारतीय स्वादों के एकीकरण की एक आकर्षक यात्रा को दर्शाता है।

भारतीय मसालों का इतिहास क्या है?

  • प्राचीन उत्पत्ति: 
    • भारत में मसालों के उपयोग के साक्ष्य प्राचीन काल से प्राप्त किये जा सकते हैं, जिसके प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता से भी मिलते हैं।
    • इन प्रारंभिक सभ्यताओं में भी मसालों का उपयोग पाककला एवं औषधीय प्रयोजनों के लिये किया जाता था।
  • व्यापारिक मार्ग: 
    • सिल्क रोड सहित प्राचीन व्यापार मार्गों पर भारत की रणनीतिक स्थिति ने अन्य सभ्यताओं के साथ मसालों के आदान-प्रदान को भी सुविधाजनक बनाया।
    • भारत की आर्थिक समृद्धि में योगदान देने वाले काली मिर्च, इलायची तथा दालचीनी जैसे मसालों की अत्यधिक मांग थी।
  • आयुर्वेदिक प्रभाव: 
    • मसाले सदियों से पारंपरिक भारतीय चिकित्सा, आयुर्वेद का अभिन्न अंग रहे हैं। ऐसा माना जाता था कि कई मसालों में औषधीय गुण होते हैं और साथ ही उनका उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिये किया जाता था।
  • अरब एवं फारस के प्रभाव: 
    • मध्य काल के दौरान अरब एवं फारस व्यापारियों ने पश्चिम में भारतीय मसालों के प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • मसाले का व्यापार में वृद्धि हुई साथ ही मसाले यूरोप में विलासिता की वस्तु बन गए।
  • यूरोपीय मसाला व्यापार: 
    • 15वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों, विशेष रूप से पुर्तगाली, डच तथा बाद में ब्रिटिश लोगों ने भारत के मसाला उत्पादक क्षेत्रों तक प्रत्यक्ष पहुँच की मांग की।
    • परिणामस्वरूप, अन्वेषण के युग को आगे बढ़ाते हुए समुद्री व्यापार मार्गों की खोज की गई और साथ ही उन्हें स्थापित भी किया गया।
  • औपनिवेशिक नियंत्रण: 
    •   यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों का उद्देश्य मसाला व्यापार को नियंत्रित करना था, जिससे भारत में व्यापारिक चौकियों और उपनिवेशों की स्थापना हुई। मसाला उत्पादक क्षेत्रों, विशेषकर केरल में प्रभुत्व के लिये पुर्तगाली, डच और ब्रिटिशों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्द्धा थी।
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का एकाधिकार:
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने औपनिवेशिक काल के दौरान मसाला व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • उन्होंने मसाला उत्पादन, वितरण और व्यापार मार्गों को नियंत्रित किया, जिससे स्थानीय मसाला किसानों की आजीविका प्रभावित हुई।
  • मसाला बागान:
    • अंग्रेज़ों ने भारत में, विशेष रूप से केरल और कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में, निर्यात के लिये काली मिर्च, इलायची व दालचीनी जैसे मसालों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, बड़े पैमाने पर मसाला बागान शुरू किये।
  • स्वतंत्रता के बाद पुनरुत्थान:
    • वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, भारत वैश्विक मसाला बाज़ार में एक अग्रणी बना रहा। सरकारी नीतियों ने मसालों की खेती को समर्थन दिया और भारत विभिन्न मसालों का एक महत्त्वपूर्ण निर्यातक बना रहा।
  • विविध मसाला उत्पादन:
    • आज, भारत अपनी विविध जलवायु और भूगोल के कारण विभिन्न प्रकार के मसालों के उत्पादन के लिये जाना जाता है। काली मिर्च, इलायची, दालचीनी, लौंग, हल्दी, जीरा और धनिया जैसे मसालों की कृषि देश के विभिन्न क्षेत्रों में की जाती है।
  • वैश्विक प्रभाव:
    • भारतीय मसालों ने न केवल देश की पाक परंपराओं को आयाम दिया है बल्कि वैश्विक व्यंजनों पर भी महत्त्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा है। भारतीय मसालों का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय पाक पद्धति में भी व्यापक है, जो पाक प्रथाओं के वैश्वीकरण में योगदान देता है।

भारतीय मसाला बाज़ार का परिदृश्य क्या है?

  • उत्पादन:
    • भारत विश्व का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक है। यह मसालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता और निर्यातक भी है।
    • पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न मसालों का उत्पादन तेज़ी से बढ़ा है।
    • वर्ष 2021-22 में उत्पादन 10.87 मिलियन टन रहा। वर्ष 2022-23 के दौरान, भारत से मसालों का निर्यात वर्ष 2021-22 में 3.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 3.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
      • वर्ष 2021-22 के दौरान भारत से निर्यात किया जाने वाला एकमात्र सबसे बड़ा मसाला मिर्च था, इसके बाद मसाला तेल और ओलेरोसिन, पुदीना उत्पाद, जीरा तथा हल्दी थे।
  • निर्यात:
    • भारत मसालों और मसाला वस्तुओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्ष 2022-23 के दौरान देश ने 3.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात किया।
    • भारत ने 1.53 मिलियन टन मसालों का निर्यात किया। वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक भारत से कुल निर्यात मात्रा 10.47% की CAGR से बढ़ी।
  • किस्में:
    • भारत अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (International Organization for Standardization- ISO) द्वारा सूचीबद्ध 109 मसाले की किस्मों में से लगभग 75 का उत्पादन करता है।
    • सबसे अधिक उत्पादन और निर्यात किये जाने वाले मसालों में काली मिर्च, इलायची, मिर्च, अदरक, हल्दी, धनिया, जीरा, अजवाइन, सौंफ, मेथी, लहसुन, जायफल तथा जावित्री, करी पाउडर, मसाला तेल एवं ओलियोरेसिन शामिल हैं। उक्त मसालों में से मिर्च, जीरा, हल्दी, अदरक और धनिया का कुल उत्पादन में लगभग 76% का योगदान है।
      • भारत में शीर्ष मसाला उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल हैं।

मसालों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने हेतु सरकार की क्या पहल है?

  • मसालों का निर्यात विकास और संवर्धन:
    • भारतीय मसाला बोर्ड की इस पहल का उद्देश्य मसाला निर्यातक को उच्च तकनीक प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों को अपनाने और उद्योग के विकास के लिये मौजूदा प्रौद्योगिकी को उन्नत करने तथा आयातक देशों के बदलते खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने में सहायता प्रदान करना है।
    • भारतीय मसाला बोर्ड की स्थापना भारतीय मसालों के विकास और वैश्विक प्रचार के लिये की गई है।
      • यह भारत के मसाला निर्यातकों और विदेशों में आयातकों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। बोर्ड के प्रमुख कार्यों में मसालों की गुणवत्ता का प्रचार, रखरखाव और निगरानी, उत्पादकों को वित्तीय तथा सामग्री सहायता, बुनियादी ढाँचे की सुविधा एवं संबद्ध क्षेत्र में अनुसंधान करना शामिल है।
  • स्पाइस पार्क:
    • मसाला बोर्ड ने प्रमुख उत्पादन/बाज़ार केंद्रों में आठ फसल-विशिष्ट स्पाइस पार्क का शुभारंभ किया है जिनका उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिये बेहतर मूल्य प्राप्ति और व्यापक पहुँच की सुविधा प्रदान करना है।
    • इन पार्क का उद्देश्य मसालों और मसाला उत्पादों की कृषि, कटाई के बाद, प्रसंस्करण, मूल्यवर्द्धन, पैकेजिंग तथा भंडारण के लिये एक एकीकृत संचालन करना है।
  • स्पाइस कॉम्प्लेक्स सिक्किम:
    • मसाला बोर्ड ने सिक्किम में स्पाइस कॉम्प्लेक्स स्थापित करने के लिये राज्य के सेल को एक परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें राज्य में किसानों और अन्य हितधारकों की मदद के लिये मसालों में सामान्य प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्द्धन की सुविधा एवं प्रदर्शन हेतु वित्तीय सहायता मांगी गई।
  • मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति (CCSCH):
    • CCSCH कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन की एक सहायक संस्था है, जो खाद्य और कृषि संगठन (FAO) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक संयुक्त पहल है।
      • कोडेक्स एलिमेंटेरियस आयोग खाद्य व्यापार की सुरक्षा, गुणवत्ता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय  खाद्य मानक स्थापित करने के लिये ज़िम्मेदार है। भारत वर्ष 1964 से इसका सदस्य है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न.1 18वीं शताब्दी के मध्य में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा बंगाल से निर्यातित प्रमुख पण्यपदार्थ (स्टेपल कमोडिटीज़) क्या थे: (2018)

(a) अपरिष्कृत कपास, तिलहन और अफीम
(b) चीनी, नमक, जस्ता और सीसा
(c) ताँबा, चाँदी, सोना, मसाले और चाय
(d) कपास, रेशम, शोरा और अफीम

उत्तर: (d)


प्रश्न. 2 केसर मसाला बनाने में पौधे के निम्नलिखित में से किस भाग का उपयोग किया जाता है? (2009)

(a) पत्ता
(b) पंखुड़ी
(c) फूल की पँखड़ी का भाग
(d) वर्तिकाग्र 

उत्तर: (d)

  • केसर विश्व के सबसे महँगे मसालों में से एक है। यह केसर क्रोकस फूल के वर्तिकाग्र (फूल के धागे जैसे भाग) से बनाया जाता है।
  • यह स्वास्थ्य, सौंदर्य प्रसाधन और औषधीय प्रयोजनों के लिये उपयोग किया जाता है। यह पारंपरिक कश्मीरी व्यंजनों के साथ जुड़ा हुआ है और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
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