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उत्तर प्रदेश

बासमती का स्वाद एवं गुणवत्ता बचाने के लिये 10 कीटनाशक प्रतिबंधित

  • 12 Oct 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

10 अक्तूबर, 2023 को बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ), मोदीपुरम के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती की फसल में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से बिगड़ रहे स्वाद और इसकी गुणवत्ता को बचाने के लिये 10 कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • अपर निदेशक (कृषि रक्षा) त्रिपुरारी प्रसाद चौधरी ने प्रदेश के 30 ज़िलों में 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनके प्रतिबंधित होने से बासमती की गुणवत्ता और इसके असली स्वाद को बचाया जा सकेगा। इससे बासमती का निर्यात भी बढ़ाया जा सकेगा।
  • ये कीटनाशक किये गए प्रतिबंधित: ट्राइसाक्लाजोल, बुप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरपाइरीफोंस, हेक्साकलोनोजॉल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड और कार्बेनडाजिम।
  • डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती की खेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 30 ज़िलों में होती है। इनमें आगरा, अलीगढ़, औरैया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूँ, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रूखाबाद, फिरोज़ाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाज़ियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुज़फ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहाँपुर, संभल शामिल हैं।
  • विदित है कि बासमती चावल उत्तर प्रदेश की भौगोलिक संकेत (जीआई) श्रेणी की फसल है। इसमें लगने वाले कीटों व रोगों की रोकथाम के लिये कृषि रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों के अवशेष बासमती चावल में पाए जा रहे हैं।
  • एपीडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) की ओर से बताया गया है कि यूरोपियन यूनियन द्वारा बामसती चावल में ट्राइसाइक्लाजोल का अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर एमआरएल 0.01 पीपीएम निर्धारित किया गया है, लेकिन निर्धारित पीपीएम की मात्रा से अधिक होने के कारण यूरोप, अमेरिका एवं खाड़ी देशों के निर्यात में वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-2022 में 15 प्रतिशत की कमी आई है।

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