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शासन व्यवस्था

राज्य पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति हेतु नियमों में सख्ती

  • 03 Nov 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संघ लोक सेवा आयोग, राज्य पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के लिये समिति, प्रकाश सिंह मामला, 2006, पुलिस स्थापना बोर्ड

मेन्स के लिये:

भारत में पुलिस सुधार, पुलिस महानिदेशक चयन के लिये यूपीएससी के दिशानिर्देशों में प्रमुख संशोधन

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा राज्य पुलिस महानिदेशकों (DGP) की नियुक्ति हेतु विशिष्ट मानदंडों पर ज़ोर देते हुए संशोधित दिशानिर्देश जारी किये गए हैं।

डी.जी.पी चयन हेतु यूपीएससी दिशानिर्देशों में किये गए प्रमुख संशोधन: 

  • चयन मानदंडों में स्पष्टता:
    • यूपीएससी द्वारा पेश किये गए संशोधनों का उद्देश्य राज्य पुलिस महानिदेशकों (DGP) की चयन प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले पहले से निहित मानदंडों में पारदर्शिता लाना है।
    • इन दिशानिर्देशों में अब पक्षपात और अनुचित नियुक्तियों को रोकने के लिये स्पष्ट रूप से मानदंड शामिल किये गए हैं।
  • सेवा कार्यकाल की आवश्यकता: 
    • दिशानिर्देशों में कहा गया है कि केवल सेवानिवृत्ति से पूर्व न्यूनतम छह महीने की शेष सेवा वाले अधिकारियों को राज्य के DGP का पद प्रदान करने के लिये विचार किया जाएगा।
      • इस कदम का उद्देश्य सेवानिवृत्ति के अंतिम पड़ाव में "पसंदीदा अधिकारियों" को नियुक्त करके कार्यकाल बढ़ाने की प्रथा को हतोत्साहित करना है, जिससे निष्पक्ष चयन को बढ़ावा दिया जा सके।
    • पूर्व में कई राज्यों ने ऐसे DGP नियुक्त किये थे जो सेवानिवृत्त होने वाले थे और कुछ ने यूपीएससी चयन प्रक्रिया से बचने के लिये कार्यवाहक DGP नियुक्त करने का सहारा लिया था।
  • संशोधित अनुभव मानदंड:
    • इनके लिये पहले न्यूनतम 30 वर्ष की सेवा निर्धारित की गई थी, लेकिन अब दिशानिर्देश 25 वर्ष के अनुभव वाले अधिकारियों को DGP पद के लिये अर्हता प्राप्त करने की अनुमति देते हैं। यह परिवर्तन योग्य उम्मीदवारों के दायरे को विस्तृत करता है।
  • शॉर्टलिस्ट किये गए अधिकारियों की सीमा:
    • दिशानिर्देशों में DGP पद के लिये तीन बार शॉर्टलिस्ट किये गए अधिकारियों की सीमा निर्धारित की गई है, केवल विशिष्ट परिस्थितियों में अपवादों की अनुमति दी गई है।
    • यह स्वैच्छिक भागीदारी पर ज़ोर देता है, जिससे अधिकारियों को इस पद के लिये विचार किये जाने की इच्छा व्यक्त करने की आवश्यकता होती है।
  • विशेषज्ञता के निर्दिष्ट क्षेत्र:
    • नए दिशानिर्देश राज्य पुलिस विभाग का नेतृत्व करने के इच्छुक आईपीएस अधिकारी के लिये आवश्यक अनुभव के क्षेत्रों को परिभाषित करते हैं।
    • इन क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था, अपराध शाखा, आर्थिक अपराध शाखा या खुफिया विंग जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में न्यूनतम दस वर्ष का अनुभव शामिल है।
    • विशिष्ट क्षेत्रों के साथ-साथ दिशानिर्देश इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो जैसे केंद्रीय निकायों में प्रतिनियुक्ति की आवश्यकता पर भी ज़ोर देते हैं।
      • इसका लक्ष्य DGP पद के लिये आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के बीच व्यापक और विविध अनुभव सुनिश्चित करना है।
  • मूल्यांकन पर पैनल समिति की सीमाएँ:
    • राज्य के DGP की नियुक्ति के लिये UPSC द्वारा गठित पैनल समिति राज्य के DGP पद के लिये केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर IPS अधिकारियों का आकलन करने से परहेज़ करेगी।

पुलिस सुधार पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश:

  • प्रकाश सिंह वाद, 2006 में सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिकरण, जवाबदेही की कमी और समग्र पुलिस प्रदर्शन को प्रभावित करने वाली प्रणालीगत कमज़ोरियों जैसे व्यापक मुद्दों को स्वीकार करते हुए भारत में पुलिस सुधारों को आगे बढ़ाने के लिये सात दिशानिर्देश जारी किये।
  • इन निर्देशों में शामिल हैं:
    • पुलिस पर अनुचित सरकारी प्रभाव को रोकने, नीति दिशानिर्देशों की रूपरेखा तैयार करने और राज्य पुलिस के प्रदर्शन का आकलन करने के उद्देश्यों के साथ एक राज्य सुरक्षा आयोग (SSC) की स्थापना करना।
    • न्यूनतम दो वर्ष का कार्यकाल सुनिश्चित करते हुए पारदर्शी, योग्यता-आधारित प्रक्रिया के माध्यम से DGP की नियुक्ति सुनिश्चित करना।
      • राज्य के DGP की नियुक्ति हेतु समिति:
        • राज्य के DGP की नियुक्ति करने वाली समिति की अध्यक्षता संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष करते हैं और इसमें केंद्रीय गृह सचिव, राज्य के मुख्य सचिव एवं DGP तथा गृह मंत्रालय द्वारा नामित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुखों में से एक शामिल होता है।
      • चयन की प्रक्रिया: 
        • संबंधित राज्य सरकारों को मौजूदा DGP के सेवानिवृत्त होने से तीन महीने पूर्व संभावितों के नाम यूपीएससी को भेजने होंगे।
        • यूपीएससी DGP बनने लायक तीन अधिकारियों का पैनल तैयार कर वापस भेजेगी।
        • राज्य बदले में यूपीएससी द्वारा शॉर्टलिस्ट किये गए अधिकारियों में से एक को नियुक्त करेगा।
    • ज़िला अधीक्षकों और स्टेशन हाउस अधिकारियों सहित अन्य परिचालन पुलिस अधिकारियों के लिये न्यूनतम दो वर्ष का कार्यकाल सुनिश्चित किया जाएगा।
    • पुलिस बल के भीतर जाँच और कानून प्रवर्तन कर्त्तव्यों का पृथक्करण लागू किया जाएगा।
    • पुलिस उपाधीक्षक स्तर से नीचे के अधिकारियों के स्थानांतरण, पोस्टिंग, पदोन्नति और अन्य सेवा-संबंधित मामलों को संभालने के लिये एक पुलिस स्थापना बोर्ड (PEB) का गठन किया जाएगा, साथ ही उच्च रैंकिंग वाले स्थानांतरणों के लिये सिफारिशें भी की जाएँगी।
    • गंभीर कदाचार के लिये वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सार्वजनिक शिकायतों की जाँच के लिये एक राज्य-स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण (PCA) की स्थापना की जाएगी और महत्त्वपूर्ण कदाचार में शामिल निचले-रैंकिंग के अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों के समाधान के लिये ज़िला-स्तरीय PCA की स्थापना भी की जाएगी।
    • केंद्रीय पुलिस संगठनों (CPO) प्रमुखों के चयन और नियुक्ति हेतु एक पैनल बनाने के लिये संघ स्तर पर एक राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग (NSC) का गठन किया जाएगा, जिसमें न्यूनतम दो वर्ष का कार्यकाल सुनिश्चित हो।

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