बिहार Switch to English
बुनियादी संकेतकों में बिहार की प्रगति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ने बिहार के शिक्षा, स्वास्थ्य और शासन के महत्त्वपूर्ण विकास क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया।
मुख्य बिंदु
- शिक्षा और स्वास्थ्य में प्रदर्शन: बिहार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी संकेतकों में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है और आशा है कि कुछ वर्षों में यह राष्ट्रीय मानकों के बराबर पहुँच जाएगा।
- आकांक्षी/ एस्पिरेशनल ब्लॉक: बेहतर प्रशासन (गवर्नेंस) और सेवा वितरण आकांक्षी ब्लॉकों को आकांक्षी ब्लॉकों में बदल रहे हैं।
- प्रशासन में AI: बिहार नीति निर्माताओं और मध्य-कैरियर अधिकारियों के लिये AI-संचालित निर्णय समर्थन प्रणाली लागू करने वाला पहला भारतीय राज्य है ।
- BIPARD की भूमिका: बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (BIPARD) ने डेटा-संचालित शासन, सिमुलेशन-आधारित प्रशिक्षण और सहयोगात्मक नीति निर्माण पर केंद्रित तीन उन्नत प्रयोगशालाएँ शुरू की हैं।
- BIPARD में नई प्रयोगशालाओं का परिचय :
- जेननेक्स्ट (GenNext Lab) लैब: यह लैब प्रशासकों को डेटा-संचालित निर्णय लेने, पूर्वानुमान विश्लेषण और शासन अनुकूलन में प्रशिक्षित करने के लिये सुरक्षित कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाएगी।
- नीति शाला लैब: उन्नत सिमुलेशन तकनीकों का उपयोग करके एक इमर्सिव लर्निंग वातावरण। प्रशिक्षु अपने शासन कौशल को बढ़ाने के लिये वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों से जुड़ेंगे।
- विकसित चिंतन कक्ष: राज्य अधिकारियों के लिये महत्त्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों पर रणनीति बनाने और विचार-विमर्श करने हेतु एक सहयोगात्मक स्थान। नीति सर्वसम्मति और प्रशासनिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिये संचार और डेटा-साझाकरण उपकरणों से सुसज्जित।
नीति आयोग
- पृष्ठभूमि:
- 1 जनवरी, 2015 को योजना आयोग के स्थान पर एक नई संस्था नीति आयोग की स्थापना की गई, जिसमें 'सहकारी संघवाद' की भावना को प्रतिध्वनित करते हुए अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार के दृष्टिकोण की परिकल्पना करने के लिये 'नीचे से ऊपर' दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया गया।
- इसमें दो हब हैं:
- टीम इंडिया हब राज्यों और केंद्र के बीच इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।
- ज्ञान और नवाचार हब नीति आयोग के थिंक-टैंक कौशल का निर्माण करता है।
- संघटन:
- अध्यक्ष: प्रधानमंत्री
- उपाध्यक्ष: प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा
- गवर्निंग काउंसिल: सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल।
- क्षेत्रीय परिषद: विशिष्ट क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार करने के लिये, जिसमें मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल शामिल होते हैं, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री या उनके द्वारा नामित व्यक्ति करते हैं।
- तदर्थ सदस्यता: अग्रणी अनुसंधान संस्थानों से पदेन क्षमता में दो सदस्य, चक्रानुक्रम पर।
- पदेन सदस्यता: केंद्रीय मंत्रिपरिषद से अधिकतम चार सदस्य, जिन्हें प्रधानमंत्री द्वारा नामित किया जाएगा।
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी: भारत सरकार के सचिव के पद पर, एक निश्चित कार्यकाल के लिये प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- विशेष आमंत्रित: प्रधानमंत्री द्वारा नामित विशेषज्ञ, डोमेन ज्ञान वाले विशेषज्ञ।
- उद्देश्य:
- राज्यों के साथ सतत् आधार पर संरचित समर्थन पहलों और तंत्रों के माध्यम द्वारा सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, यह स्वीकार करते हुए कि दृढ़ राज्य ही दृढ़ राष्ट्र का निर्माण करते हैं।
- ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजनाएँ तैयार करने के लिये तंत्र विकसित करना तथा इन्हें सरकार के उच्चतर स्तरों पर उत्तरोत्तर एकीकृत करना।
- यह सुनिश्चित करना कि जिन क्षेत्रों को विशेष रूप से इसके अधीन भेजा गया है, उनमें राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को आर्थिक रणनीति और नीति में शामिल किया गया है।
- हमारे समाज के उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जो आर्थिक प्रगति से पर्याप्त लाभ न उठा पाने के जोखिम में हैं।
- प्रमुख हितधारकों और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समान विचारधारा वाले थिंक टैंकों के साथ-साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करना और सलाह प्रदान करना।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, व्यवसायियों और अन्य भागीदारों के सहयोगी समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता सहायता प्रणाली का निर्माण करना।
- विकास एजेंडे के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिये अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय मुद्दों के समाधान हेतु एक मंच प्रदान करना।
- एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र बनाए रखना, सुशासन और सतत एवं समतामूलक विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं पर अनुसंधान का भंडार बनना तथा हितधारकों तक उनके प्रसार में सहायता करना।
उत्तराखंड Switch to English
चौखंबा III पर पर्वतारोहियों का बचाव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दो विदेशी पर्वतारोहियों, मिशेल थेरेसा ड्वोरक (अमेरिका) और फे जेन मैनर्स (ब्रिटेन) को उत्तराखंड के चमोली ज़िले में चौखंबा III चोटी के निकट 6,015 मीटर की ऊँचाई से बचाया गया ।
मुख्य बिंदु
- चौखंबा:
- यह भारत के उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय के गंगोत्री समूह में बद्रीनाथ के पश्चिम में स्थित एक पर्वत शृंखला है। इसमें उत्तर-पूर्व-दक्षिण-पश्चिम रिज के साथ चार शिखर हैं:
- चौखंबा I: 7,138 मीटर (23,419 फीट)
- चौखंबा II: 7,070 मीटर (23,196 फीट)
- चौखंबा III: 6,995 मीटर (22,949 फीट)
- चौखंबा IV: 6,854 मीटर (22,487 फीट)
- यह भारत के उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय के गंगोत्री समूह में बद्रीनाथ के पश्चिम में स्थित एक पर्वत शृंखला है। इसमें उत्तर-पूर्व-दक्षिण-पश्चिम रिज के साथ चार शिखर हैं:
- यह पर्वत गंगोत्री ग्लेशियर के शीर्ष पर स्थित है, जो समूह का पूर्वी आधार है तथा इसकी सबसे ऊँची चोटी चौखंबा I, गंगोत्री शृंखला की सबसे ऊँची चोटी है ।
चमोली ज़िला
- चमोली भारत के उत्तराखंड राज्य का एक जिला है, जिसका प्रशासनिक मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित है।
- यह उत्तर में तिब्बत और उत्तराखंड के कई ज़िलों से घिरा है, जिनमें पिथौरागढ, बागेश्वर, अल्मोडा, पौडी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी शामिल हैं।
- चमोली कई धार्मिक और पर्यटन स्थलों जैसे बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी के लिये प्रसिद्ध है।
- ऐतिहासिक दृष्टि से, चमोली चिपको आंदोलन के जन्मस्थान के रूप में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, जो एक अग्रणी पर्यावरण अभियान था।
गंगोत्री ग्लेशियर
- गंगोत्री ग्लेशियर उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित है।
- गंगोत्री ग्लेशियर गढ़वाल हिमालय में चौखंबा पर्वतमाला की उत्तरी ढलान से निकलता है। यह लगभग 30 किमी. लंबा और 0.5 से 2.5 किमी. चौड़ा है।
- गंगोत्री एक घाटी ग्लेशियर नहीं है, बल्कि कई अन्य हिमनदों का एक संयोजन है। इस ग्लेशियर में तीन मुख्य सहायक नदियाँ शामिल हैं, जिनके नाम हैं रक्तवरन (15.90 किमी.), चतुरंगी (22.45 किमी.) और कीर्ति (11.05 किमी.) और 18 से अधिक अन्य सहायक ग्लेशियर।
- गंगा की मुख्य सहायक नदियों में से एक भागीरथी गंगोत्री ग्लेशियर से प्रवाहित होती है। गंगा की पाँच मुख्य धाराएँ हैं - भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, धौलीगंगा और पिंडर, ये सभी उत्तरी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र से निकलती हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में 6,500 फीट की ऊँचाई पर देखा गया मोर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के बागेश्वर ज़िले में 6,500 फीट की असामान्य ऊँचाई पर मोर देखे गए, जो बढ़ती मानवीय गतिविधियों के कारण पारिस्थितिक परिवर्तन का संकेत है।
मुख्य बिंदु
- आमतौर पर 1,600 फीट की ऊँचाई पर दिखने वाला मोर, काफलीगैर (अप्रैल) और कठायतबारा (अक्तूबर) वन शृंखलाओं में देखा गया।
- विशेषज्ञों का मानना है कि मानवीय विस्तार के कारण अधिक ऊँचाई पर गर्म परिस्थितियाँ इस पक्षी के ऊँचाई की ओर प्रवास का कारण हो सकती हैं।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) के विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह मौसमी बदलाव हो सकता है, क्योंकि सर्दियों का निम्न तापमान पक्षी को पीछे हटने के लिये प्रेरित कर सकता है।
मोर
- ‘पीफाउल’, मोर की विभिन्न प्रजातियों का सामूहिक नाम है। नर मोर को ‘पीकॉक’ (Peacock) कहा जाता है, जबकि मादा मोर को ‘पीहेन’ (Peahen) कहा जाता है।
- मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी है।
- मोर (पावो क्रिस्टेटस) फासियानिडे परिवार से संबंधित है। ये उड़ने वाले सभी पक्षियों में सबसे बड़े हैं।
- ‘फासियानिडे’ एक ‘तीतर’ परिवार है, जिसके सदस्यों में जंगली अथवा घरेलू मुर्गी, मोर, तीतर और बटेर शामिल हैं।
- मोर की दो सबसे अधिक पहचानी जाने वाली प्रजातियाँ हैं:
- नीला मोर/भारतीय मोर भारत और श्रीलंका में पाया जाता है।
- हरा या जावाई मोर (पावो म्यूटिकस) म्याँमार (बर्मा) और जावा में पाया जाता है।
- पर्यावास:
- भारतीय मोर, मूलतः भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
- यह प्रजाति वर्तमान में सबसे अधिक मध्य केरल में पाई जाती है, इसके बाद राज्य के दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम हिस्सों का स्थान है।
- वर्तमान में केरल में तकरीबन 19% क्षेत्र इस प्रजाति का आवासीय क्षेत्र है और यह वर्ष 2050 तक 40-50% तक बढ़ सकता है।
- वे वनों के किनारों और कृषियोग्य क्षेत्रों में रहने के लिये अच्छी तरह से अनुकूलित हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजना को हरित मंजूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड में फाटा ब्युंग जलविद्युत परियोजना के लिये नई मंजूरी पर्यावरण, वन और वन्यजीव मंजूरी पर निर्भर है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना:
- यह रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी नदी पर 76 मेगावाट की रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है।
- वर्ष 2013 में बादल प्रस्फोटन से आई बाढ़ के दौरान इस परियोजना को अत्यधिक नुकसान हुआ था।
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन एवं राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife- NBWL) की मंजूरी पर ज़ोर दिया।
- चिंताएँ:
- हिमनद झील के प्रस्फोटन से आने वाली बाढ़ एक बड़ी चिंता का विषय है।
- इस स्थल के निकट 24 झीलें हैं, जिनमें से 6 को गंभीर माना गया है।
मंदाकिनी नदी
- यह उत्तराखंड में अलकनंदा नदी की एक सहायक नदी है ।
- यह नदी रुद्रप्रयाग और सोनप्रयाग क्षेत्रों के बीच लगभग 81 किलोमीटर तक बहती है और चोराबाड़ी ग्लेशियर से निकलती है।
- मंदाकिनी नदी सोनप्रयाग में सोनगंगा नदी से मिल जाती है और उखीमठ में मध्यमहेश्वर मंदिर के पास से बहती है।
- अपने मार्ग के अंत में यह अलकनंदा में गिरती है, जो गंगा में मिल जाती है।
हिमनद झील के प्रस्फोटन से बाढ़ (Glacial Lake Outburst Flood- GLOF)
- परिचय:
- हिमनद झील के प्रस्फोटन से आने वाली बाढ़ विनाशकारी होती है, यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हिमनद झील का बाँध कमज़ोर हो जाता है और जल तेज़ प्रवाह के साथ बहने लगता है।
- इस प्रकार की बाढ़ आमतौर पर हिमनदों के तेज़ी से पिघलने, अत्यधिक वर्षा, झील में जल के बढ़ने के कारण आती है।
- फरवरी 2021 में उत्तराखंड के चमोली ज़िले में अचानक बाढ़ आई, जिसके बारे में संदेह है कि यह GLOF के कारण आई थी।
- कारण:
- ये बाढ़ अनेक कारकों से उत्पन्न हो सकती है, जिनमें हिमनद के आयतन में परिवर्तन, झील के जल स्तर में परिवर्तन और भूकंप शामिल हैं।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) के अनुसार, हिंदू कुश हिमालय के अधिकांश भागों में जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों के पीछे हटने से अनेक नई हिमानी झीलों का निर्माण हुआ है, जो GLOF का प्रमुख कारण हैं।
छत्तीसगढ़ Switch to English
मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना, 2024 छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई एक नई योजना है जिसका उद्देश्य तकनीकी पाठ्यक्रमों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को ऋण प्रदान करना है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों, विशेष रूप से माओवाद प्रभावित ज़िलों के छात्रों को 1% की ब्याज दर पर 4 लाख रुपए तक का शिक्षा ऋण उपलब्ध कराकर सहायता प्रदान करना।
- लक्षित लाभार्थी: छत्तीसगढ़ के 2 लाख से अधिक छात्र, विशेषकर वे जो वित्तीय अस्थिरता से प्रभावित हैं और नक्सल गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं ।
- पात्रता मापदंड:
- निवास: आवेदक छत्तीसगढ़ का स्थायी निवासी होना चाहिये।
- आय सीमा: परिवार की वार्षिक आय 2 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिये।
- पाठ्यक्रम आवश्यकताएँ: छात्रों को AICTE अथवा UGC जैसे प्रासंगिक प्राधिकरणों द्वारा मान्यता प्राप्त तकनीकी क्षेत्रों में डिप्लोमा, स्नातक या स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में नामांकित होना चाहिये।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education- AICTE)
- अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) एक सांविधिक निकाय है, और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन तकनीकी शिक्षा के लिये एक राष्ट्रीय स्तर की परिषद है।
- इसकी स्थापना नवंबर 1945 में एक राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च सलाहकार संस्था के रूप में की गई थी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC)
- यह 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय शिक्षा में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों के समन्वय, निर्धारण और रखरखाव के लिये वर्ष 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा एक वैधानिक निकाय बन गया।
- यह फर्जी विश्वविद्यालयों, स्वायत्त कॉलेजों, मानद विश्वविद्यालयों और दूरस्थ शिक्षा संस्थानों की मान्यता को भी नियंत्रित करता है।
- UGC का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
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