सरकारी स्कूलों का निम्नस्तरीय बुनियादी ढाँचा | मध्य प्रदेश | 07 May 2024
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 लागू की है। हालाँकि यहाँ निम्नस्तरीय बुनियादी ढाँचा और कक्षाओं में शिक्षकों की अनुपस्थिति है।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 भारत की उभरती विकास आवश्यकताओं से निपटने का प्रयास करती है।
- यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों का सम्मान करते हुए, सतत् विकास लक्ष्य 4 (SDG4) सहित 21 वीं सदी के शैक्षिक लक्ष्यों के साथ संरेखित एक आधुनिक प्रणाली स्थापित करने के लिये इसके नियमों एवं प्रबंधन के साथ शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव का आह्वान करता है।
- यह वर्ष 1992 में संशोधित (NPE 1986/92) 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986, का स्थान लेती है।
- मध्य प्रदेश में हाई स्कूल के नतीजे छह वर्ष से लगातार खराब रहे हैं और वर्ष 2023 में गणित व अंग्रेज़ी में बड़ी संख्या में छात्र फेल हुए हैं।
- जबकि सर्व शिक्षा अभियान और उसके बाद के प्रयासों के साथ आपूर्ति पक्ष पर स्कूलों में सुधार हेतु बहुत कुछ किया गया है, स्कूलों में अधिगम के कायाकल्प तथा पुन: कल्पना की आवश्यकता है।
- समग्र शिक्षा में सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) की तीन योजनाएँ शामिल हैं।
स्विस मिलिट्री का हरियाणा में निवेश | हरियाणा | 07 May 2024
चर्चा में क्यों?
ग्लोबल लाइफस्टाइल ब्रांड स्विस मिलिट्री ने घोषणा की है कि वह 56.5 करोड़ रुपए के शुरुआती निवेश के साथ हरियाणा में अपनी पहली पूर्ण स्वामित्व वाली विनिर्माण इकाई स्थापित करेगी।
मुख्य बिंदु:
- कंपनी की योजना हरियाणा के फरीदाबाद में लगेज एंड ट्रेवल गियर के लिये अपनी पहली पूर्ण स्वामित्व वाली विनिर्माण इकाई स्थापित करने की है।
- 1.21 एकड़ में फैले और लगभग 85,000 वर्ग फुट के निर्मित क्षेत्र में प्रस्तावित संयंत्र की उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 10 लाख होगी।
- विनिर्माण इकाई को 8 महीने के भीतर 31 दिसंबर, 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
- घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय अवकाश तथा व्यावसायिक यात्रा में प्रभावशाली रूप से वापसी के साथ कंपनी को लगेज एंड ट्रेवल गियर हिस्से में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
- स्विस मिलिट्री का यह नया उद्यम 'मेक इन इंडिया' पहल का हिस्सा होने के साथ-साथ भारत और विदेशों में विस्तार के भविष्य के दृष्टिकोण से जुड़ा है।
मेक इन इंडिया पहल
- वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है।
- इसका नेतृत्त्व उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है।
- यह पहल पूरे विश्व के संभावित निवेशकों और भागीदारों को 'न्यू इंडिया' की विकास गाथा में भाग लेने हेतु एक खुला निमंत्रण है।
- मेक इन इंडिया 2.0 के तहत 27 क्षेत्रों में मेक इन इंडिया ने पर्याप्त उपलब्धियांँ हासिल की हैं। इनमें विनिर्माण और सेवाओं के रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल हैं
जकार्ता फ्यूचर्स फोरम में बिहार पर्यावरण सचिव का संबोधन | बिहार | 07 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव ने ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने के लिये भारत व बिहार दोनों में की गई पहलों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने हेतु इंडोनेशिया में जकार्ता फ्यूचर्स फोरम को संबोधित किया।
मुख्य बिंदु:
- 'न्यायसंगत और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन की सुविधा के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग' शीर्षक वाली पैनल चर्चा में बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग हेतु बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) के महासचिव इंद्र मणि पांडे तथा इंडोनेशिया के ऊर्जा व खनिज संसाधन मंत्रालय के तहत नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा संरक्षण महानिदेशक प्रोफेसर एनिया लिस्टियानी डेवी शामिल थे
- अपने संबोधन में सचिव ने नवंबर 2021 तक भारत द्वारा अपनी विद्युत ऊर्जा उत्पादन के लिये गैर-जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर 40% का लक्ष्य हासिल करना और 'जलवायु सहनीय एवं निम्न कार्बन विकास पथ' के विकास में अग्रणी बिहार राज्य जैसी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों पर भी ज़ोर दिया है।
- विद्युत उत्पादन के लिये भारत ने निर्धारित समय से कई वर्ष पूर्व (मूल रूप से वर्ष 2023 तक लक्षित) ही गैर-जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता 40% तक कम कर लेने की क्षमता हासिल करके संयुक्त राष्ट्र की पार्टियों का सम्मेलन (COP) 21- पेरिस शिखर सम्मेलन में की गई अपनी प्रतिबद्धता को पार कर लिया है।
- देश नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता (बड़ी जलविद्युत उत्पादन संयंत्र सहित) में विश्व स्तर पर चौथे स्थान, पवन ऊर्जा क्षमता में भी चौथे स्थान और सौर ऊर्जा क्षमता में पाँचवें स्थान पर है (REN21 नवीकरणीय ऊर्जा वैश्विक स्थिति- 2023 रिपोर्ट के अनुसार)।
- मंच के दौरान स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में भारत के सक्रिय कदमों पर ज़ोर दिया गया, जिसमें वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% संचयी विद्युत स्थापित क्षमता, वर्ष 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रतिबद्धता शामिल है।
- बिहार ने राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप जलवायु परिवर्तन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है।
- जल जीवन हरियाली मिशन जैसे प्रमुख कार्यक्रम राज्य में लागू किये जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य जल निकायों को पुनर्जीवित करना, जैवविविधता संरक्षण को बढ़ावा देना और हरित आवरण को बढ़ाना है।
- बिहार नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (BREDA) एक अद्यतन नवीकरणीय ऊर्जा नीति-2024 विकसित कर रही है।
- बिहार देश का पहला राज्य है जिसने राज्य के लिये जलवायु सहनीय और निम्न कार्बन विकास पथ विकसित किया है।
- राज्य जलवायु परिवर्तन पर बिहार राज्य कार्य योजना को अंतिम रूप देने के कगार पर है। ये नीतियाँ राज्य में ऊर्जा परिवर्तन का भी समर्थन करती हैं।
- सचिव ने देशों से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ढाँचे को सुदृढ़ करने, विकासशील देशों के लिये समर्थन बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ऊर्जा परिवर्तन प्रभावित श्रमिकों एवं समुदायों की ज़रूरतों को पूरा करता है।
जकार्ता फ्यूचर्स फोरम: ब्लू होराइज़न्स, ग्रीन ग्रोथ 2024
- जकार्ता में भारतीय दूतावास ने ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) एवं इंडोनेशिया के विदेश नीति समुदाय के साथ साझेदारी में 2 और 3 मई 2024 को जकार्ता फ्यूचर्स फोरम (JFF) की मेज़बानी की।
- JFF एक सार्थक और समावेशी भविष्य के निर्माण के लिये दोनों देशों की दीर्घकालिक दृष्टि एवं प्रतिबद्धता की प्राप्ति है।इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता इस बात का प्रमाण है कि सामूहिक प्रयास और अभिनव समाधान वास्तव में विश्व को न केवल एक साथ संगठित करते हैं, बल्कि करीब भी ला सकते हैं।
- भारत और इंडोनेशिया के पास विभिन्न क्षेत्रों एवं मुद्दों में समावेशन के अर्थ को पुनः परिभाषित करने की क्षमता तथा साख है, जिससे एक निष्पक्ष व अधिक न्यायसंगत विश्व साकार हो सके।
- समावेशन को एजेंडे में सबसे ज़्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिये, जैसा कि इंडोनेशियाई और भारतीय G20 विज्ञप्तियों में परिलक्षित होता है।
विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति के लिये सौर ऊर्जा | राजस्थान | 07 May 2024
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार सौर ऊर्जा पर निर्भरता को मौजूदा 12-14 % से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 40 % से अधिक करने पर विचार कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- शहरीकरण और औद्योगिक विकास के साथ राज्य में विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति प्रत्येक वर्ष 8 से 10% बढ़ सकती है।
- अगले पाँच वर्षों में सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच सौर उत्पादन केंद्रों को बढ़ावा देने की योजना तथा रूफटॉप सोलर योजना को बढ़ावा दिया जाएगा।
- इन प्रयासों से कोयला आधारित संयंत्रों पर निर्भरता भी कम होगी।
- योजना के मुताबिक राज्य में पीएम सूर्य घर योजना के पहले चरण में 500,000 घरों में सब्सिडीयुक्त रूफटॉप सिस्टम लगाए जाने हैं।
- राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा वेबसाइट के अनुसार वर्ष 2023-24 में राजस्थान की कमीशन की गई सौर ऊर्जा क्षमता 1,296 मेगावाट (Mw) से अधिक थी, जबकि सबसे अच्छा वर्ष 2021-2022 था जब कमीशन की गई सौर ऊर्जा 5,398 मेगावाट से अधिक थी। दिसंबर 2023 तक राज्य में कुल सौर क्षमता 15,195 मेगावाट से अधिक थी।
- राजस्थान की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 142 गीगावॉट आंकी गई है।
- राज्य में तीव्र सौर विकिरण के मामले में विशाल अप्रयुक्त क्षमता है, जिसमें एक वर्ष में धूप वाले दिनों की संख्या सबसे अधिक है और विशाल अप्रयुक्त सरकारी व निजी भूमि की उपलब्धता है।
- इसमें राजस्थान को सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये अत्यधिक पसंदीदा स्थान बनाने की क्षमता है।
पीएम सूर्य घर योजना
- यह एक अग्रणी सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य पूरे देश में एक करोड़ घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करना है।
- रूफटॉप सौर पैनल एक इमारत की छत पर स्थापित फोटोवोल्टिक पैनल हैं जो मुख्य विद्युत आपूर्ति इकाई से जुड़े होते हैं।
- यह ग्रिड से जुड़ी विद्युत की खपत को कम करता है और उपभोक्ता के लिये विद्युत की लागत में कमी लाता है।
- छत पर सौर संयंत्र से उत्पन्न अधिशेष सौर ऊर्जा इकाइयों को मीटरिंग प्रावधानों के अनुसार ग्रिड में निर्यात किया जा सकता है।
- उपभोक्ता प्रचलित नियमों के अनुसार अधिशेष निर्यातित विद्युत के लिये मौद्रिक लाभ प्राप्त कर सकता है।
केंद्रीय सिविल सेवा में चयनित उम्मीदवारों को सम्मान | राजस्थान | 07 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023 संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद केंद्रीय सिविल सेवा में चयनित राज्य के उम्मीदवारों को सम्मानित किया।
- उन्होंने जयपुर में एक समारोह में युवा अधिकारियों को पगड़ी और शॉल पहनाकर तथा स्मृति चिह्न देकर उनका स्वागत किया।
मुख्य बिंदु:
- मुख्यमंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे जिस भी पद पर नियुक्त हों, वहाँ ईमानदारी और समर्पण के साथ कार्य करें।
- मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर समारोह में शामिल हुए युवा अधिकारियों ने महिला सशक्तीकरण, शिक्षा प्रणाली में सुधार, राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने और केंद्र के स्वच्छ सर्वेक्षण में राज्य की रैंकिंग में सुधार जैसे मुद्दों पर अपने विचार साझा किये।
स्वच्छ सर्वेक्षण (SS) 2023
- इसे वर्ष 2016 में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) द्वारा बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए शहरी स्वच्छता की स्थिति में सुधार करने की दिशा में शहरों को प्रोत्साहित करने हेतु एक प्रतिस्पर्द्धी ढाँचे के रूप में पेश किया गया था।
- पिछले कुछ वर्षों में, स्वच्छ सर्वेक्षण विश्व में सबसे बड़े शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण के रूप में उभरा है।
- SS- 2023 में, अपशिष्ट के स्रोत पृथक्करण, अपशिष्ट उत्पादन के अनुरूप शहरों की अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि और डंपसाइटों पर जाने वाले अपशिष्ट में कमी को अतिरिक्त महत्त्व दिया गया है।
- प्लास्टिक की चरणबद्ध कटौती, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करण, अपशिष्ट को वंडर पार्कों में तब्दील करने को प्रोत्साहित करने और शून्य अपशिष्ट घटनाओं की आवश्यकता पर ज़ोर देने के लिये अतिरिक्त महत्त्व के साथ संकेतक पेश किये गए हैं।
- SS- 2023 के माध्यम से शहरों के भीतर वार्डों की रैंकिंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
- शहरों द्वारा सामना किये जा रहे 'खुले में पेशाब' (पीले धब्बे) और 'खुले में थूकना' (लाल धब्बे) के मुद्दों पर समर्पित संकेतकों के आधार पर भी शहरों का मूल्यांकन किया जाएगा।
- MoHUA द्वारा आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों की पिछली/पार्श्व गलियों की सफाई को बढ़ावा दिया जाएगा
नेपाल भारतीय क्षेत्रों को दर्शाने वाला नया करेंसी नोट जारी करेगा | उत्तराखंड | 07 May 2024
चर्चा में क्यों?
नेपाल ने हाल ही में एक मानचित्र के साथ 100 रुपए के नए नोट छापने की घोषणा की है जिसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी के भारतीय क्षेत्र शामिल हैं।
- नेपाल सरकार ने मुद्रा नोट पर वर्तमान मानचित्र को अद्यतन संस्करण के साथ बदलने के लिये नेपाल राष्ट्र बैंक को अधिकृत किया है।
मुख्य बिंदु:
- लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को भारत ने पूर्व में नवंबर 2019 के अपने नक्शे में शामिल किया था।
- मई 2020 में नेपाल द्वारा एक राजनीतिक मानचित्र जारी करने के बाद नई दिल्ली और काठमांडू के बीच तनाव उत्पन्न हो गया, जिसमें समान क्षेत्र शामिल थे।
- राजनयिक संबंध तब और तनाव में आ गए जब नेपाल ने वर्ष 2020 में लिपुलेख के माध्यम से कैलाश मानसरोवर को जोड़ने वाली सड़क के उद्घाटन पर आपत्ति जताते हुए भारत को एक राजनयिक नोट सौंपा।
- भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल की आपत्ति का जवाब देते हुए कहा था कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले से गुज़रने वाली सड़क पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में आती है।
- नेपाल ने सुगौली संधि- 1816 के आधार पर अपना दावा जताया है। संधि के अनुसार लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख सहित काली (महाकाली) नदी के पूर्व के सभी क्षेत्र नेपाल के हैं।
- ईस्ट इंडिया कंपनी और गुरु गजराज मिश्रा के बीच 4 मार्च 1816 को हस्ताक्षरित सुगौली संधि ने वर्ष 1814-16 के एंग्लो-नेपाली युद्ध के बाद नेपाल की सीमा रेखा को रेखांकित किया।
- हालाँकि भारत ने कहा है कि भारत और नेपाल के बीच वर्ष 1950 की शांति एवं मित्रता की संधि ने सुगौली संधि को रद्द कर दिया।
- नेपाल का तर्क है कि 1923 की नेपाल-ब्रिटेन मैत्री संधि जैसी संधियों ने ब्रिटिश शासन के युग के दौरान उसकी संप्रभुता की पुष्टि की।
भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद
- भारत और नेपाल के बीच कालापानी - लिंपियाधुरा - लिपुलेख ट्राइजंक्शन तथा सुस्ता क्षेत्र (पश्चिम चंपारण ज़िला, बिहार) पर सीमा विवाद है।
- कालापानी क्षेत्र:
- कालापानी एक घाटी है जिसे भारत द्वारा उत्तराखंड के पिथोरागढ़ ज़िले के एक हिस्से के रूप में प्रशासित किया जाता है। यह कैलाश मानसरोवर मार्ग पर स्थित है।
- कालापानी 20,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित है और उस क्षेत्र के लिये एक अवलोकन चौकी के रूप में कार्य करता है।
- कालापानी क्षेत्र में काली नदी भारत और नेपाल के बीच सीमा का निर्धारण करती है।
- वर्ष 1816 में नेपाल साम्राज्य और ब्रिटिश भारत (एंग्लो-नेपाली युद्ध के बाद) द्वारा हस्ताक्षरित सुगौली की संधि में काली नदी को भारत के साथ नेपाल की पश्चिमी सीमा के रूप में स्थित किया गया था।
- काली नदी के स्रोत का पता लगाने में विसंगति के कारण भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद उत्पन्न हो गया तथा प्रत्येक देश ने अपने-अपने दावों का समर्थन करते हुए मानचित्र तैयार किये।