उत्तर प्रदेश Switch to English
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व से भटककर आया तेंदुआ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वन अधिकारियों ने एक तेंदुए को पकड़ लिया जो उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले के पास के पीलीभीत टाइगर रिज़र्व से भटककर अलीगंज गाँव में आ गया था।
मुख्य बिंदु:
- पीलीभीत टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश के तीन ज़िलों-पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और बहराईच में फैला हुआ है।
- इसका क्षेत्रफल 700 वर्ग किमी. से अधिक है और यह तेंदुओं व बाघों सहित विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का निवास स्थल है।
- यह ऊपरी गंगा के मैदान में तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है।
- रिज़र्व का उत्तरी किनारा भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है जबकि दक्षिणी सीमा शारदा और खकरा नदी द्वारा चिह्नित है।
तेंदुए
- वैज्ञानिक नाम: पेंथेरा पार्डस
- परिचय:
- पैंथेरा जीनस के सबसे छोटे सदस्य के रूप में बाघ, शेर (पैंथेरा लियो), जगुआर, तेंदुए तथा हिम तेंदुए आदि शामिल हैं, तेंदुए विभिन्न प्रकार के वातावरणों के लिये अपनी अनुकूलन क्षमता के लिये प्रसिद्ध है।
- यह एक रात्रिचर जानवर है जो जंगली सूअर, हॉग हिरण एवं चीतल सहित अपने क्षेत्र में छोटे शाकाहारी जानवरों को खाता है।
- तेंदुओं में मेलेनिज़्म एक आम घटना है, जिसमें जानवर की पूरी त्वचा काले रंग की होती है, जिसमें उसके धब्बे भी शामिल हैं।
- मेलेनिस्टिक तेंदुए को प्राय: ब्लैक पैंथर कहा जाता है और गलती से इसे एक अलग प्रजाति मान लिया जाता है।
- प्राकृतिक आवास:
- यह उप-सहारा अफ्रीका में पश्चिमी और मध्य एशिया के छोटे हिस्सों एवं भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर दक्षिण-पूर्व तथा पूर्वी एशिया तक विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है।
- भारतीय तेंदुआ (पेंथेरा पार्डस फुस्का) भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से पाया जाने वाला तेंदुआ है।
- खतरा:
- खाल एवं शरीर के अंगों के अवैध व्यापार के लिये अवैध शिकार।
- पर्यावास हानि एवं विखंडन
- मानव-तेंदुआ संघर्ष
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: सुभेध
- CITES: परिशिष्ट-I
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
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उत्तर प्रदेश में साइबर पुलिस स्टेशन
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार संसदीय चुनाव के बाद 57 ज़िलों में साइबर पुलिस स्टेशन स्थापित करेगी, जिसमें प्रत्येक साइबर पुलिस स्टेशन में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिये 25 पद होंगे।
मुख्य बिंदु:
- राज्य सरकार ने राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के जवाब में राज्य के सभी 75 ज़िलों में साइबर पुलिस स्टेशन स्थापित करने का निर्णय लिया है।
- जबकि 18 मंडलों में साइबर स्टेशन पहले से ही चालू हैं, शेष 57 ज़िलों को भी लोकसभा चुनाव के बाद ऐसे स्टेशन मिलेंगे।
- इन स्टेशनों को अंतिम रूप आदर्श आचार संहिता (MCC) हटने और आम चुनाव के समापन के बाद दिया जाएगा।
आदर्श आचार संहिता (MCC)
- MCC एक सर्वसम्मत दस्तावेज़ है। राजनीतिक दल स्वयं चुनाव के दौरान अपने आचरण को नियंत्रित रखने और संहिता के भीतर काम करने पर सहमत हुए हैं।
- यह चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दिये गए जनादेश को ध्यान में रखते हुए मदद करता है, जो उसे संसद और राज्य विधानमंडलों के लिये स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों की निगरानी एवं संचालन करने की शक्ति देता है।
- MCC चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की तारीख से परिणाम की घोषणा की तारीख तक चालू रहता है।
- संहिता लागू रहने के दौरान सरकार किसी वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकती, सड़कों या अन्य सुविधाओं के निर्माण का वादा नहीं कर सकती और न ही सरकारी या सार्वजनिक उपक्रम में कोई तदर्थ नियुक्ति कर सकती है।
- MCC की प्रवर्तनीयता:
- हालाँकि MCC के पास कोई वैधानिक समर्थन नहीं है, लेकिन चुनाव आयोग द्वारा इसके सख्त कार्यान्वयन के कारण पिछले दशक में इसे ताकत मिली है।
- MCC के कुछ प्रावधानों को भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 जैसे अन्य कानूनों में संबंधित प्रावधानों को लागू करके लागू किया जा सकता है।
साइबर अपराध
- साइबर अपराध को ऐसे अपराध के रूप में परिभाषित किया जाता है जहाँ कंप्यूटर अपराध का माध्यम होता है या अपराध करने के लिये एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार साइबर अपराध राज्य सूची के अंतर्गत आता है।
- इसमें अवैध या अनधिकृत गतिविधियाँ शामिल हैं जो विभिन्न प्रकार के अपराध करने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाती हैं।
- साइबर अपराध में अपराधों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है, यह व्यक्तियों, संगठनों के साथ-साथ सरकारों को भी प्रभावित कर सकता है।
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IMS-BHU को अल्ट्रासाउंड, इकोकार्डियोग्राम मशीनें मिलीं
चर्चा में क्यों?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में जराचिकित्सा विभाग ने आधिकारिक तौर पर दो नई पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड और इकोकार्डियोग्राम मशीनों का अनावरण किया।
मुख्य बिंदु:
- विभाग नि:शुल्क इन-हाउस बेडसाइड इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और स्पिरोमेट्री सेवाओं के साथ-साथ बॉडी कंपोज़िशन एनालाइज़र और कमज़ोरी के मूल्यांकन के लिये हैंड ग्रिप डायनेमोमीटर प्रदान करता है, यह सभी सेवाएँ बिना किसी शुल्क के प्रदान की जाती हैं।
- IMS-BHU ने हड्डी पर प्रभाव डालने वाले एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस की सीमा पर एक प्रस्तुति दी।
- इस कार्यक्रम का आयोजन एम्स, जम्मू द्वारा एशिया पैसिफिक ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन यंग सर्जन फोरम के हिस्से के रूप में किया गया था।
एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS)
- यह एक प्रकार का गठिया रोग है जो रीढ़ की हड्डी में सूजन उत्पन्न करके मुख्य रूप से पीठ को प्रभावित करता है। इससे पीठ, पसली और गर्दन में अकड़ तथा पीड़ा हो सकती है।
- यह प्रायः उन लोगों में शुरू होता है जो किशोरावस्था या 20 वर्ष के आयुवर्गीय युवाओं में होता है।
- सूजन के अनुक्रिया में, शरीर रीढ़ की हड्डियों के आस-पास अतिरिक्त कैल्शियम का उत्पादन करने लगता है। इससे हड्डी के अतिरिक्त खंड बढ़ सकते हैं जिससे पीठ व गर्दन अधिक कठोर हो सकती है।
एशिया पैसिफिक ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (The Asia Pacific Orthopaedic Association- APOA)
- यह एशिया प्रशांत क्षेत्र के आर्थोपेडिक सर्जनों का एक क्षेत्रीय संगठन है।
- इसकी शुरुआत वर्ष 1962 में वेस्टर्न पैसिफिक ऑर्थोपेडिक न के रूप में हुई। वर्ष 2000 में भारतीय उपमहाद्वीप के देशों को शामिल करने के साथ, एसोसिएशन का नाम बदलकर एशिया पैसिफिक ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन कर दिया गया।
- इसके 24 सदस्य प्रकरण हैं और 40 से अधिक देशों से 65,000 से अधिक सदस्य हैं।
- इसका मुख्य मिशन इस क्षेत्र में आर्थोपेडिक सर्जनों के बीच शिक्षा, अनुसंधान और फेलोशिप को बढ़ावा देना है।
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