NCST द्वारा जनजातीय विस्थापन पर सर्वेक्षण | 10 Feb 2025

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की सरकारों को निर्देशित किया है कि वे माओवादी हिंसा के कारण छत्तीसगढ़ से विस्थापित होकर पड़ोसी राज्यों में कठिनाइयों का सामना कर रहे आदिवासी लोगों की वास्तविक संख्या का पता लगाने के लिये एक सर्वेक्षण करें।

मुख्य बिंदु

  • विस्थापित जनजातीय लोगों की पहचान:
    • पैनल ने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र में विस्थापित जनजातीय लोगों की सही संख्या और स्थान निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि अगली कार्रवाई की योजना प्रभावी ढंग से बनाई जा सके।
  • सर्वेक्षण और डेटा संकलन के लिये समन्वय:
    • NCST ने छत्तीसगढ़ सरकार को सर्वेक्षण कराने के लिये तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र सरकारों के साथ समन्वय करने हेतु एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया।
    • इन राज्यों से आँकड़े एकत्र करने के बाद, छत्तीसगढ़ सरकार को एक समेकित रिपोर्ट तैयार करनी होगी और उसे आगे की कार्रवाई के लिये NCST को प्रस्तुत करना होगा।
  • इस मुद्दे को उजागर करने वाली याचिका:
    • आयोग को मार्च 2022 में एक याचिका प्राप्त हुई, जिसमें उल्लेख किया गया था कि गोट्टी कोया समुदाय के सदस्य, जो वर्ष 2005 में माओवादी छापामारों और भारतीय सुरक्षा बलों के बीच हिंसा के कारण छत्तीसगढ़ से भाग गए थे, अपने नए स्थानों पर गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
  • विस्थापित आदिवासियों की अनुमानित संख्या:
    • जनजातीय अधिकार कार्यकर्त्ताओं का अनुमान है कि वामपंथी उग्रवाद के कारण लगभग 50,000 आदिवासी छत्तीसगढ़ से विस्थापित हुए हैं। 
    • वे वर्तमान में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के वनों में 248 बस्तियों में रह रहे हैं।
  • भूमि पुनर्ग्रहण एवं विस्थापन संबंधी चिंताएँ:
    • रिपोर्टों से पता चलता है कि तेलंगाना सरकार ने कम से कम 75 बस्तियों में  आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDP) से भूमि वापस ले ली है, जिससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है और वे अधिक असुरक्षित हो गए हैं।
    • आयोग ने याचिका का उल्लेख करते हुए यह आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारियों ने आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के आवासों को नष्ट कर दिया और उनकी कृषि फसलों को भी नष्ट कर दिया।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)

  • परिचय: 
    • NCST की स्थापना वर्ष 2004 में अनुच्छेद 338 में संशोधन करके और 89वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के माध्यम से संविधान में एक नया अनुच्छेद 338A जोड़कर की गई थी। इसलिये, यह एक संवैधानिक निकाय है।
    • इस संशोधन द्वारा पूर्ववर्ती राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग को दो पृथक आयोगों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया:
  • उद्देश्य: 
    • अनुच्छेद 338A, अन्य बातों के साथ-साथ, NCST को संविधान के तहत या किसी अन्य कानून के तहत या सरकार के किसी अन्य आदेश के तहत अनुसूचित जनजातियों (ST) को प्रदान किये गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की देखरेख करने और ऐसे सुरक्षा उपायों के कामकाज का मूल्यांकन करने की शक्तियां प्रदान करता है।
  • संघटन: 
    • इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुहर सहित वारंट द्वारा नियुक्त करते हैं।
    • कम से कम एक सदस्य महिला होनी चाहिये।
    • अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य 3 वर्ष की अवधि के लिये पद धारण करते हैं।
      • अध्यक्ष को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है, उपाध्यक्ष को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है तथा अन्य सदस्यों को भारत सरकार के सचिव का दर्जा दिया गया है।
    • सदस्य दो कार्यकाल से अधिक के लिये नियुक्ति के पात्र नहीं हैं।

गोट्टी कोया जनजाति

  • परिचय:
    • गोट्टी कोया भारत के कुछ बहु-नस्लीय और बहुभाषी जनजातीय समुदायों में से एक है।
    • वे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों में गोदावरी नदी के दोनों किनारों पर वनों, मैदानों और घाटियों में रहते हैं।
    • ऐसा कहा जाता है कि वे उत्तर भारत के बस्तर स्थित अपने मूल निवास से मध्य भारत में प्रवास कर आये थे।
  • भाषा:
    • कोया भाषा, जिसे कोयी भी कहा जाता है, एक द्रविड़ भाषा है। यह गोंडी से बहुत मिलती-जुलती है और इस पर तेलुगु का बहुत प्रभाव है।
    • अधिकांश कोया लोग कोयी के अतिरिक्त गोंडी या तेलुगु भी बोलते हैं।
  • पेशा:
    • परंपरागत रूप से वे पशुपालक और झूम खेती करने वाले किसान थे, लेकिन आजकल उन्होंने स्थायी खेती के साथ-साथ पशुपालन और मौसमी वन संग्रह को भी अपना लिया है।
    • वे ज्वार, रागी, बाजरा और अन्य मोटे अनाज उगाते हैं।
  • समाज एवं संस्कृति:
    • सभी गोटी कोया पाँच उपविभागों में से एक से संबंधित हैं जिन्हें गोत्रम कहा जाता है। हर गोटी कोया एक कबीले में जन्म लेता है और उसे उस कबीले को छोड़ने की अनुमति नहीं होती है।
    • उनका परिवार पितृवंशीय और पितृस्थानीय होता है। इस परिवार को "कुटुम" कहा जाता है। एकल परिवार ही इसका प्रमुख प्रकार है।
    • कोया लोगों में एकपत्नीत्व प्रथा प्रचलित है।
    • वे अपने स्वयं के जातीय धर्म का पालन करते हैं, लेकिन कई हिंदू देवी-देवताओं की भी पूजा करते हैं।
    • कई गोट्टी कोया देवी हैं, जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण "धरती माता" है।
    • वे ज़रूरतमंद परिवारों की सहायता करने और उन्हें खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिये गाँव स्तर पर सामुदायिक निधि और अनाज बैंक चलाते हैं।
    • वे मृतकों को या तो दफना देते हैं या उनका दाह संस्कार कर देते हैं। वे मृतकों की याद में मेनहिर बनवाते हैं।
    • उनके मुख्य त्योहार विज्जी पांडुम (बीज आकर्षण त्यौहार) और कोंडाला कोलुपु (पहाड़ी देवताओं को प्रसन्न करने का त्यौहार) हैं।
    • वे त्योहारों और विवाह समारोहों के अवसर पर पर्माकोक (बाइसन सींग नृत्य) नामक एक उत्साही और रंग-बिरंगे नृत्य का प्रदर्शन करते हैं।