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शासन व्यवस्था

अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में संशोधन हेतु विधेयक

  • 10 Dec 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, अनुसूचित जनजाति, संविधान की पाँचवीं अनुसूची, संविधान की छठी अनुसूची।

मेन्स के लिये:

अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया, भारत में जनजातियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान और पहल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 4 राज्यों - तमिलनाडु, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति (ST) सूची को संशोधित करने की मांग करने वाले चार विधेयकों को संविधान (ST) आदेश, 1950 में प्रस्तावित संशोधनों के माध्यम से लोकसभा में पेश किया गया था।

प्रस्तावित परिवर्तन:

  • विधेयक का उद्देश्य:
    • तमिलनाडु की ST सूची में नारीकोरवन और कुरुविक्करन पहाड़ी जनजातियों को शामिल करना।
      • लोकुर समिति (1965) ने भी अपनी रिपोर्ट में उन्हें सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी।
    • कर्नाटक की ST सूची में पहले से ही वर्गीकृत काडू कुरुबा के पर्याय के रूप में बेट्टा-कुरुबा को शामिल करना।
    • छत्तीसगढ़ की ST सूची में पहले से वर्गीकृत भारिया भूमिया जनजाति के लिये देवनागरी लिपि में अन्य समानार्थक शब्द जोड़ना।
      • जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अनुसार, वे सभी एक ही जनजाति का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें सूची से बाहर रखा गया था क्योंकि उनके नाम अलग-अलग हैं।
    • सिरमौर ज़िले में ट्रांस-गिरि क्षेत्र केे हट्टी समुदाय को हिमाचल प्रदेश की ST सूची में शामिल करना (लगभग पाँच दशकों के बाद)।

ST सूची में शामिल करने की प्रक्रिया:

  • राज्य द्वारा सिफारिश:
    • जनजातियों को ST की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया संबंधित राज्य सरकारों की सिफारिश से शुरू होती है, जिसे बाद में जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा जाता है, जो समीक्षा करता है और अनुमोदन के लिये भारत के महापंजीयक को इसे प्रेषित करता है।
  • NCST से मंज़ूरी: इसके बाद सूची को अंतिम निर्णय के लिये कैबिनेट को भेजे जाने से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes- NCST) द्वारा मंज़ूरी दी जाती है।
  • राष्ट्रपति की सहमति: अंतिम निर्णय करने की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है (अनुच्छेद 342 के तहत)।
    • अनुसूचित जनजाति में किसी भी समुदाय को शामिल करने की प्रक्रिया संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करने वाले विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही प्रभावी होती है।

भारत में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित प्रावधान

  • परिभाषा:
    • भारत का संविधान अनुसूचित जनजातियों की मान्यता के मानदंडों को परिभाषित नहीं करता है। वर्ष 1931 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों को "बहिष्कृत" और "आंशिक रूप से बहिष्कृत" क्षेत्रों में रहने वाली "पिछड़ी जनजातियों" के रूप में मान्यता जाना जाता है।
    • भारत सरकार अधिनियम 1935 ने पहली बार प्रांतीय विधानसभाओं में "पिछड़ी जनजातियों" के प्रतिनिधियों को शामिल किये जाने की मांग की।
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • अनुच्छेद 366 (25): इसमें अनुसूचित जनजातियों को “ऐसी आदिवासी जाति या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासी जातियों और आदिवासी समुदायों के भाग या उनके समूह के रूप में, जिन्हें इस संविधान के उद्देश्यों के लिये अनुच्छेद 342 में अनुसूचित जनजातियाँ माना गया है” परिभाषित किया है।
    • अनुच्छेद 342(1): राष्ट्रपति किसी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में (राज्य के मामले में राज्यपाल के परामर्श के बाद) उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में जनजातियों/जनजातीय समुदायों/जनजातियों/जनजातीय समुदायों के कुछ भागों या समूहों को अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकता है।
    • पाँचवीं अनुसूची: यह 6वीं अनुसूची में शामिल राज्यों के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन एवं नियंत्रण हेतु प्रावधान निर्धारित करती है।
    • छठी अनुसूची: असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
  • वैधानिक प्रावधान:

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्र. यदि किसी विशिष्ट क्षेत्र को भारत के संविधान की पाँचवी अनुसूची के अधीन लाया जाए, तो निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक कथन इसके परिणाम को सर्वोत्तम रूप से दर्शाता है? (2022)

(a) इससे जनजातीय लोगों की ज़मीनें गैर-जनजातीय लोगों के अंतरित करने पर रोक लगेगी।
(b) इससे उस क्षेत्र में एक स्थानीय स्वशासी निकाय का सृजन होगा।
(c) इससे वह क्षेत्र संघ राज्य क्षेत्र में बदल जाएगा।
(d) जिस राज्य के पास ऐसे क्षेत्र होंगे, उसे विशेष कोटि का राज्य घोषित किया जाएगा क्षेत्रों वाले राज्य को विशेष श्रेणी का राज्य घोषित किया जाएगा।

उत्तर: (a)


प्र. भारत के संविधान की किस अनुसूची के तहत खनन के लिये निजी पार्टियों को आदिवासी भूमि के हस्तांतरण को शून्य और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019)

(A) तीसरी अनुसूची
(B) पाँचवी अनुसूची
(C) नौवीं अनुसूची
(D) बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (B)


मेन्स:

प्र. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये, राज्य द्वारा की गई दो प्रमुख विधिक पहलें क्या हैं? (2017)

स्रोत: द हिंदू

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