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शासन व्यवस्था

संसद टीवी विशेष- आयुष्मान भारत: स्वास्थ्य और आशा की किरण

  • 13 Nov 2024
  • 23 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY), सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC), स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWC), गैर-संचारी रोग (NCD), वृद्धजन, स्वास्थ्य लाभ पैकेज (HBP), घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG), क्षेत्रीय असमानताएँ, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन। 

मेन्स के लिये:

भारत के लोगों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने हेतु आयुष्मान भारत योजना का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat- Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana- PM-JAY) के तहत स्वास्थ्य कवरेज देने का फैसला किया और इससे पूरे भारत में 6 करोड़ से अधिक वृद्धजनों को लाभ मिलने की उम्मीद है।

  • 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को अब आयुष्मान वय वंदना कार्ड जारी करने के साथ-साथ निःशुल्क अस्पताल उपचार भी मिलेगा।

वरिष्ठ नागरिकों के लिये AB-PMJAY योजना

  • पात्रता:
    • आयु: 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिक, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, पात्र हैं
    • आधार आवश्यकता: नामांकन के लिये आधार-आधारित ई-KYC अनिवार्य है।
  • लाभ:
    • स्वास्थ्य कवरेज: प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपए तक का मुफ्त चिकित्सा उपचार (PM-JAY के 5 लाख रुपए के कवरेज के अतिरिक्त)।
    • कोई आय प्रतिबंध नहीं: वरिष्ठ नागरिक अपनी आय की परवाह किये बिना पात्र हैं।
    • तत्काल पहुँच: नामांकन के तुरंत बाद कवरेज शुरू हो जाती है, कोई प्रतीक्षा अवधि नहीं होती।
    • दोहरी कवरेज: वरिष्ठ नागरिक निजी स्वास्थ्य बीमा होने पर भी PM-JAY लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
    • विशेष विकल्प: सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अपनी मौजूदा योजना (जैसे, CGHS) और PM-JAY के बीच चयन करना होगा, क्योंकि दोहरे लाभ की अनुमति नहीं है।

PM-JAY योजना क्या है?

  • आयुष्मान भारत के बारे में: सितंबर 2018 में लॉन्च किया गया, आयुष्मान भारत भारत की प्रमुख स्वास्थ्य पहल है जिसका उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage- UHC) प्राप्त करना है। 
    • इसका उद्देश्य कमज़ोर आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं के लिये वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
  • आयुष्मान भारत के घटक: इसमें दो प्राथमिक घटक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (Health and Wellness Centres- HWC) और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) शामिल हैं
    • स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWC): इसका का उद्देश्य समुदायों को व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (Comprehensive Primary Health Care- CPHC) सेवाएँ प्रदान करना है। 
      • आयुष्मान आरोग्य मंदिर (Ayushman Arogya Mandirs- AAM), जिन्हें पहले आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (Ayushman Bharat Health and Wellness Centres- AB-HWC) कहा जाता था, का उद्देश्य निवारक, प्रोत्साहन, उपचारात्मक, पुनर्वास और उपशामक देखभाल सहित व्यापक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना है।
      • 1,50,000 AAM सार्वभौमिक, निःशुल्क प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करेंगे।
      • ये केंद्र मातृ एवं बाल स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases- NCD) और अन्य स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के लिये मुफ्त परामर्श, दवाएँ तथा नैदानिक ​​सेवाएँ प्रदान करके निवारक, प्रोत्साहक एवं उपचारात्मक देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु डिज़ाइन किये गए हैं।
      • इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा को लोगों के करीब लाना तथा सभी के लिये समानता और पहुँच सुनिश्चित करना है।
    • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY): यह द्वितीयक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती  के लिये प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपए प्रदान करती है।
      • इसका लक्ष्य 12 करोड़ कमज़ोर परिवारों (लगभग 55 करोड़ लाभार्थी) को कवर करना है, जो आबादी के सबसे गरीब 40% हैं।
      • यह योजना स्वास्थ्य पर होने वाले अत्यधिक व्यय को कम करने तथा उच्च चिकित्सा लागत के कारण परिवारों को और गरीब होने से बचाने के लिये तैयार की गई है।
      • PM-JAY पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित है, जिसका खर्च केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा किया जाता है। यह लाभार्थियों को पूरे भारत में सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के पैनलबद्ध अस्पतालों में देखभाल की सुविधा देता है।

PM-JAY से व्यक्तियों और परिवारों को क्या लाभ मिलता है?

  • वित्तीय भेद्यता में कमी: पिछले 6 वर्षों में लगभग 7.8 करोड़ लाभार्थियों ने PM-JAY का लाभ उठाया है, जिससे लाखों लोगों को स्वास्थ्य पर होने वाले भारी व्यय के कारण गरीबी में धकेले जाने से बचाया जा सका है। 
    • PM-JAY प्रत्येक परिवार को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए का कवरेज प्रदान करता है, जिससे आर्थिक रूप से वंचित लोगों को आसानी से स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में मदद मिलती है।
    • कुल स्वास्थ्य व्यय में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (Out-of-Pocket Expenditure- OOPE) की हिस्सेदारी वर्ष 2019-20 में 62.6% से घटकर 47.1% हो गई, जो नागरिकों के लिये वित्तीय सुरक्षा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में प्रगति का संकेत है।
  • वृद्धजनों को सशक्त बनाना: वर्ष 2024 में PM-JAY का एक बड़ा विस्तार 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों के लिये कवरेज को बढ़ाएगा, जिससे वृद्धजनों की विशिष्ट स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा, जो अक्सर पुरानी बीमारियों और दिव्यांगताओं का सामना करते हैं।
    • निजी बीमा कंपनियों के विपरीत, PM-JAY पहले से मौजूद बीमारियों के लिये प्रतीक्षा अवधि या बहिष्करण नहीं लगाता है।
  • गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच बढ़ाना: PM-JAY टियर 2 और टियर 3 शहरों में 29,000 से अधिक सूचीबद्ध अस्पतालों (13,000 निजी अस्पतालों सहित) को जोड़ता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि दूरदराज के क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच हो। 
    • 57% से अधिक अस्पताल में भर्ती मरीज निजी अस्पतालों में होते हैं, जो इस योजना में निजी क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  • लैंगिक समानता: इस योजना ने लैंगिक समानता पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, 49% आयुष्मान कार्ड महिलाओं को जारी किये गए हैं, और 3.61 करोड़ से अधिक अस्पताल में भर्ती होने पर महिलाओं ने इसका लाभ उठाया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि महिलाओं को जीवन रक्षक स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुँच प्राप्त हो।
  • स्वास्थ्य सेवा वितरण को मज़बूत करना: स्वास्थ्य लाभ पैकेज (Health Benefit Package (HBP) का विस्तार और युक्तिसंगतीकरण किया गया है, जो वर्ष 2018 में 1,393 प्रक्रियाओं से बढ़कर 2022 में 1,949 प्रक्रियाएँ हो गई है। 
    • विभेदक मूल्य निर्धारण राज्यों को स्वास्थ्य देखभाल लागत में क्षेत्रीय भिन्नताओं के लिये समायोजन करने की अनुमति देता है।
  • PM-JAY के प्रभाव का समर्थन करने वाले वैज्ञानिक अध्ययन: घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 के आँकड़ों पर आधारित एक अध्ययन से पता चलता है कि PM-JAY ने भारत की 50% आबादी के लिये चिकित्सा व्यय से संबंधित वित्तीय झटकों को काफी हद तक कम कर दिया है, जिससे आर्थिक लचीलापन में सुधार हुआ है।

PM आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM)

  • प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना (Prime Minister Atmanirbhar Swasth Bharat Yojana- PMASBY), जिसका नाम बदलकर अब PM आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission- PM-ABHIM) कर दिया गया है, की घोषणा वित्त वर्ष 21-22 के बजट में छह वर्षों (वित्त वर्ष 25-26 तक) के लिये 64,180 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ की गई थी। इस योजना को वर्ष 2021 में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था और यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का पूरक है।
    • मिशन का उद्देश्य प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर पर स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करना है।
    • यह विभिन्न स्तरों पर प्रयोगशालाओं के साथ IT-सक्षम रोग निगरानी प्रणाली के निर्माण पर केंद्रित है।
    • इस मिशन का लक्ष्य महामारी की तैयारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिये प्रभावी प्रतिक्रिया है।
    • इसमें संक्रामक रोगों पर अनुसंधान बढ़ाना, मनुष्यों और पशुओं में होने वाले प्रकोप से निपटने के लिये वन हेल्थ अप्रोच को बढ़ावा देना शामिल है।

PM-JAY की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • धोखाधड़ी के दावे और डेटा प्रबंधन के मुद्दे: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General- CAG) ने 2023 में अनियमितताओं की रिपोर्ट दी थी, जैसे कि मृत घोषित किये जाने के बाद भी मरीजों को उपचार मिलना, एक ही मोबाइल नंबर से कई लाभार्थियों का जुड़े होना (उदाहरणतः एक ही फोन नंबर 9999999999 से 7.5 लाख लाभार्थी जुड़े होना) और आधार का दोहराव होना।
    • CAG ने बताया कि नौ राज्यों के 100 अस्पतालों पर 12.32 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना बकाया है। 
    • छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में, अपात्र परिवारों को PM-JAY लाभार्थियों के रूप में पंजीकृत किया गया, जिन पर चंडीगढ़ में 12,000 रुपए से लेकर तमिलनाडु में 22.44 करोड़ रुपए तक का खर्च आया। इसके अलावा नौ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अस्वीकृति मामलों के प्रसंस्करण में 1 से 404 दिनों तक का विलंब हुआ।
    • ये आँकड़े PM-JAY में धोखाधड़ी और दुरुपयोग की तरफ संकेत करते हैं ।
  • स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे की कमी: कई सार्वजनिक अस्पतालों में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, उचित बुनियादी ढाँचे, उपकरण और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी है। 
    • कई राज्यों में सूचीबद्ध अस्पतालों में उपकरण काम नहीं कर रहे थे और चिकित्सा पेशेवर अपर्याप्त थे, जिससे स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी।
  • राज्य की गैर-भागीदारी और क्षेत्रीय असमानताएँ: पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों ने अपने स्वयं के स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रमों का हवाला देते हुए इस योजना से बाहर निकलने का विकल्प चुना है। 
    • इससे क्षेत्रीय असमानताएँ उत्पन्न होती हैं, जहाँ इन राज्यों के नागरिकों को आयुष्मान भारत का लाभ नहीं मिलता, जिससे योजना का देशव्यापी प्रभाव सीमित हो जाता है।
  • निर्धनों हेतु अप्रत्यक्ष लागतों का समाधान नहीं किया जाना: आयुष्मान भारत योजना में प्रत्यक्ष स्वास्थ्य देखभाल लागतों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, लेकिन परिवहन, आय की हानि और अस्पताल में भर्ती होने के बाद के खर्च जैसी अप्रत्यक्ष लागतों को इसमें शामिल नहीं किया गया है, जिससे गरीब लाभार्थी अभी भी आर्थिक रूप से कमज़ोर बने हुए हैं।
  • अपर्याप्त प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सहायता: यह योजना माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल अविकसित बनी हुई है। 
    • प्राथमिक देखभाल के लिये बनाए गए स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (HWC) में अक्सर संसाधनों की कमी रहती है तथा निवारक एवं बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के लिये अधिक निवेश की आवश्यकता होती है।
  • सीमित पहुँच और जागरूकता: कई पात्र लाभार्थियों को योजना के बारे में अच्छी जानकारी नहीं है या सीमित प्रशासनिक बुनियादी ढाँचे के कारण नामांकन के दौरान उन्हें बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
    • इसके परिणामस्वरूप लाखों पात्र नागरिक, विशेषकर दूरदराज के क्षेत्रों में, लाभ से वंचित रह जाते हैं।
  • कमज़ोर निगरानी और नियंत्रण तंत्र: निजी अस्पतालों की निगरानी अपर्याप्त है, जिनमें से कुछ अग्रिम भुगतान की मांग करते हैं, जिससे योजना की नकदी रहित प्रकृति विफल हो जाती है। 
    • इसके अतिरिक्त दवाओं के अत्यधिक उपयोग और धोखाधड़ी के दावों के दुरुपयोग को रोकने के लिये बेहतर निगरानी और जाँच की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • IT प्रणालियों को मज़बूत करना और धोखाधड़ी की रोकथाम: डुप्लिकेट आधार प्रविष्टियों और अमान्य मोबाइल नंबर जैसी विसंगतियों का पता लगाने के लिए उन्नत डेटा सत्यापन उपकरण लागू करना।
    • धोखाधड़ी वाले दावों के लिये दंड लागू करना और लाभार्थी सत्यापन के लिये बहु-कारक प्रमाणीकरण (जैसे, आधार, बायोमेट्रिक्स) को बढ़ाना।
    • अनियमितताओं की निगरानी करने तथा त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के भीतर एक धोखाधड़ी पहचान इकाई की स्थापना करना।
    • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, जिसका उद्देश्य डिजिटल स्वास्थ्य ID प्रदान करना, अस्पतालों और बीमा फर्मों के लिये स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक निर्बाध पहुँच को सक्षम करना, स्वास्थ्य सेवा वितरण और दावा प्रसंस्करण को सुव्यवस्थित करना है, PM-JAY योजना के लाभों को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना और क्षमता में वृद्धि: उपकरण, सेवाओं और कुशल पेशेवरों की भर्ती सहित ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना उन्नयन को प्राथमिकता देना।
    • जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में अंतराल को दूर करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnerships- PPP) को बढ़ावा देना।
  • राज्य की गैर-भागीदारी और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना: गैर-भागीदारी वाले राज्यों (जैसे, पश्चिम बंगाल, ओडिशा) को बातचीत के माध्यम से शामिल करना तथा उनके स्वास्थ्य कार्यक्रमों को PM-JAY के साथ एकीकृत करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना
    • राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये नीतियों को समायोजित करना, जिससे योजना अधिक लचीली और आकर्षक बन सके।
  • गरीबों के लिये अप्रत्यक्ष लागतों का समाधान: परिवहन, आय हानि और अस्पताल में भर्ती होने के बाद के खर्च जैसी अप्रत्यक्ष लागतों को कवर करने हेतु प्रावधान प्रस्तुत करना।
    • इन लागतों के प्रबंधन में गरीब लाभार्थियों की सहायता के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य निधि या सूक्ष्म बीमा योजनाएँ बनाना।
    • धोखाधड़ी का पता लगाने और दावा निपटान को सुचारू बनाने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज (National Health Claims Exchange- NHCX) को मज़बूत किया जाना चाहिये।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सहायता को मज़बूत करना: बुनियादी ढाँचे में सुधार, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति तथा निवारक देखभाल और शीघ्र निदान सेवाओं को मज़बूत करने हेतु स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (HWC) के लिये वित्त पोषण को बढ़ावा देना।
  • पहुँच और जागरूकता का विस्तार: पात्र लाभार्थियों को सूचित करने के लिये प्रौद्योगिकी, मोबाइल ऐप और घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाकर वंचित क्षेत्रों में जागरूकता अभियान शुरू करना।
    • नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाना तथा योजना तक बेहतर पहुँच के लिये प्रशासनिक क्षमता बढ़ाना।
  • निगरानी और नियंत्रण तंत्र में सुधार: धोखाधड़ी को रोकने और योजना के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये पैनलबद्ध अस्पतालों का नियमित ऑडिट आयोजित करना।
    • लाभार्थियों की समस्याओं का कुशलतापूर्वक समाधान करने के लिये वास्तविक समय धोखाधड़ी का पता लगाने वाली प्रणालियों को मज़बूत करना तथा शिकायत निवारण में सुधार करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संदर्भ में, प्रशिक्षित सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता 'आशा (ASHA)' के कार्य निम्नलिखित में से कौन-से हैं? (2012)

  1. स्त्रियों को प्रसव-पूर्व देखभाल जाँच के लिये स्वास्थ्य सुविधा केंद्र साथ ले जाना 
  2. गर्भावस्था के प्रारंभिक संसूचन के लिये गर्भावस्था परीक्षण किट प्रयोग करना 
  3. पोषण एवं प्रतिरक्षण के विषय में सूचना देना 
  4. बच्चे का प्रसव कराना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3 
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न: सार्वजनिक स्वास्थ्य संरक्षण प्रदान करने में स्वास्थ्य प्रणाली की अपनी परिसीमाएँ हैं। क्या आपके विचार में खाई को पाटने में निजी क्षेत्रक सहायक हो सकता है? आप अन्य कौन-से व्यवहार्य विकल्प सुझायेंगे? (2015)

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