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SC/ST अधिनियम में बौद्धिक संपदा को शामिल करना

  • 04 Feb 2025
  • 2 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

प्रमुख सचिव महाराष्ट्र सरकार बनाम क्षिप्रा कमलेश उके मामला, 2024 में, सर्वोच्च न्यायालय ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में "संपत्ति" की परिभाषा का विस्तार करते हुए बौद्धिक संपदा को भी शामिल किया गया।

  • पीड़ितों ने SC/ST अधिनियम, 1989 के प्रावधानों के तहत अपने शोध डेटा, लैपटॉप और बौद्धिक संपदा की चोरी के लिये मुआवज़े की मांग की।
  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि "संपत्ति" शब्द की व्याख्या व्यापक रूप से की जानी चाहिये, जिसमें बौद्धिक संपदा जैसे डेटा, इलेक्ट्रॉनिक सामग्री और बौद्धिक अधिकार, चाहे वे मूर्त हों या अमूर्त, शामिल हों।
  • पेटेंट, कॉपीराइट और डिज़ाइन, संपत्ति हैं, भले ही उनका भौतिक अस्तित्व न हो, और SC/ST अधिनियम, 1989 के तहत मुआवज़े के लिये उनका मूल्यांकन किया जा सकता है।
  • SC/ST अधिनियम, 1989 SC/ST सदस्यों के खिलाफ विशिष्ट अपराधों को परिभाषित करता है, जिसमें शारीरिक हिंसा, उत्पीड़न और सामाजिक भेदभाव शामिल हैं। 
    • SC/ST अधिनियम, 1989, अग्रिम जमानत की अनुमति नहीं देता, जब तक कि आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला न बन जाए।
    • इसमें त्वरित सुनवाई के लिये विशेष न्यायालयों और इसके कार्यान्वयन की निगरानी के लिये वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में राज्य स्तर पर SC/ST संरक्षण प्रकोष्ठों की स्थापना का प्रावधान है।

IPR

और पढ़ें: SC और ST अधिनियम 1989 पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

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