प्रारंभिक परीक्षा
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस
- 06 Feb 2025
- 8 min read
स्रोत: पी.आई.बी.
इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA) आधिकारिक रूप से 23 जनवरी 2025 को भारत में मुख्यालय के साथ एक संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन और अंतर्राष्ट्रीय विधिक इकाई बन गया।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस ( IBCA) क्या है?
- परिचय: IBCA का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2023 में प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ पर किया गया था और फरवरी 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इसका औपचारिक अनुमोदन किया गया था।
- कार्यान्वयन: IBCA की स्थापना पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के माध्यम से की गई थी।
- यह संरक्षण विशेषज्ञता का साझाकरण करने, संरक्षण पहलों को वित्तपोषित करने तथा प्राविधिक ज्ञान का संग्रह बनाने के लिये एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है।
- उद्देश्य: इस पहल का मुख्य उद्देश्य बिग कैट की सात प्रमुख प्रजातियों का संरक्षण करना है जिनमें बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा शामिल हैं।
- सदस्यता: निकारागुआ गणराज्य, एस्वातिनी साम्राज्य, भारत गणराज्य, सोमालिया संघीय गणराज्य और लाइबेरिया गणराज्य ने IBCA रूपरेखा करार का अनुसमर्थन किया है।
- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसकी सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं, जिनमें वे रेंज देश भी शामिल हैं जहाँ ये प्रजातियाँ मूल रूप से पाई जाती हैं तथा वे नॉन-रेंज देश भी शामिल हैं जो बिग कैट के संरक्षण में सहयोग करने में रुचि रखते हैं।
- IBCA की आवश्यकता: आवास की क्षति, अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन और मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण बिग कैट खतरे में हैं।
- जनसंख्या में गिरावट को रोकने और नकारात्मक प्रवृत्तियों को उलटने के लिये वैश्विक स्तर पर संरक्षण की आवश्यकता है।
- वित्तपोषण: भारत ने IBCA को 150 करोड़ रुपए (2023-2028) की सहायता देने का संकल्प लिया है तथा वह द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और दाता संगठनों के माध्यम से अतिरिक्त वित्तपोषण की संभावना तलाश रहा है।
संरक्षण प्रयासों में भूमिका:
- सहयोगात्मक संरक्षण मंच: IBCA संरक्षणवादियों, नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं और सरकारों का एक वैश्विक नेटवर्क बनाता है।
- आवास प्रबंधन, अवैध शिकार विरोधी रणनीतियों और पारिस्थितिकी बहाली में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
- वित्तीय एवं तकनीकी सहायता: विश्व भर में संरक्षण परियोजनाओं के लिये एक साझा वित्त पोषण पूल के रूप में कार्य करता है।
- कम संसाधन वाले देशों को तकनीकी जानकारी और वैज्ञानिक अनुसंधान प्रदान करता है।
- मौजूदा समझौतों एवं पहलों को सुदृढ़ बनाना: CITES (लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय), CMS (प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय) और अन्य वन्यजीव संरक्षण संधियों के साथ काम करना।
- इसका उद्देश्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय बिग कैट संरक्षण कार्यक्रमों का समर्थन करना है।
- जलवायु परिवर्तन शमन और पारिस्थितिकी सुरक्षा: बिग कैट जैसे शीर्ष शिकारियों का संरक्षण स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र, जैवविविधता संरक्षण और जलवायु लचीलापन सुनिश्चित करता है।
- IBCA पहल के माध्यम से वनों और घास के मैदानों की बहाली से कार्बन पृथक्करण और जलवायु अनुकूलन में सहायता मिलेगी।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
- NTCA, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गई थी और इसे वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2006 की धारा 38L के तहत कानूनी दर्जा प्राप्त हुआ।
- उद्देश्य: प्रोजेक्ट टाइगर को वैधानिक प्राधिकार प्रदान करना, बाघ रिज़र्व प्रबंधन में संघीय जवाबदेही सुनिश्चित करना तथा बाघ रिज़र्वों के आसपास स्थानीय आजीविका संबंधी चिंताओं का समाधान करना।
भारत में बिग कैट के संरक्षण के प्रयास
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर : (a) प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त में से कौन-से स्वाभाविक रूप से भारत में पाए जातें हैं? (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) |