आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड, 2024 | 16 Dec 2024

स्रोत: डाउन टू अर्थ

राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) द्वारा वर्ष 2024 के आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड शीर्षक से हाल ही में जारी रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि आर्कटिक, जो कभी एक प्रमुख कार्बन सिंक था, अब जलवायु-प्रेरित ऊष्मा के कारण कार्बन का स्रोत बन रहा है।

नोट: NOAA, अमेरिका की एक संघीय एजेंसी है, जिसका उद्देश्य पर्यावरणीय परिवर्तनों को समझना और पूर्वानुमान लगाना, तटीय एवं सागरीय संसाधनों का प्रबंधन करना तथा सूचित निर्णय लेने में सहायता करना है।

  • आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड, जो वर्ष 2006 से प्रतिवर्ष जारी किया जाता है, ऐतिहासिक अभिलेखों की तुलना में आर्कटिक की वर्तमान स्थिति पर विश्वसनीय और संक्षिप्त पर्यावरणीय जानकारी प्रदान करता है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • आर्कटिक तापन में तेज़ी: आर्कटिक तेज़ी से गर्म हो रहा है। वर्ष 1900 में रिकॉर्ड शुरूआत से वर्ष 2024 दूसरा सबसे गर्म वर्ष होगा
    • वर्ष 2024 की आर्कटिक की ग्रीष्म ऋतु रिकॉर्ड स्तर पर तीसरी सबसे गर्म ग्रीष्म ऋतु होंगी, जिसमें अलास्का और कनाडा जैसे क्षेत्र अत्यधिक गर्म लहरों का सामना करेंगे।
  • आर्कटिक टुंड्रा एक कार्बन स्रोत: पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से आर्कटिक टुंड्रा कार्बन सिंक से कार्बन स्रोत में परिवर्तित हो रहा है
    • पर्माफ्रॉस्ट के विघटन से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है, जिससे वैश्विक तापन में तीव्रता आती है।
    • वनाग्नि की आवृत्ति एवं तीव्रता बढ़ रही है, जिससे अधिक कार्बन उत्सर्जित हो रहा है तथा वनाग्नि का समय बढ़ रहा है। 
  • समुद्री हिम में कमी: पिछले दशकों में समुद्री हिम के विस्तार और सघनता में अत्यधिक कमी आई है। समुद्री हिम के मौसम की अवधि कम होने से समुद्र की सतह अधिक उद्भासित रहती है, जो अधिक ऊष्मा का अवशोषण करती है और ताप में वृद्धि होती है।
  • आर्कटिक ग्लेशियर और ग्रीनलैंड हिम आवरण केपिघलने से इनका जल महासागरों में पहुँच रहा है, जिससे विश्व के समुद्र-स्तर में वृद्धि हो रही है।
  • निहितार्थ: आर्कटिक में परिवर्तन होने से वैश्विक चुनौतियों जैसे तटीय बाढ़, चरम मौसम की घटनाओं और वनाग्नि का जोखिम बढ़ता है।
    • आर्कटिक की कार्बन भंडारण की घटती क्षमता, आगामी खतरों को कम करने हेतु ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को तत्काल कम करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
    • जलवायु परिवर्तन के कारण रेनडियर या कारिबू की संख्या में कमी आ रही है, जिससे भोजन और सांस्कृतिक प्रथाओं के लिये उन पर निर्भर रहने वाले स्वदेशी समुदाय प्रभावित हो रहे हैं।

आर्कटिक क्या है?

  • परिचय: आर्कटिक पृथ्वी का सबसे उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र है। इसमें आर्कटिक महासागर, निकटवर्ती समुद्र एवं अलास्का (अमेरिका), कनाडा, फिनलैंड, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस व स्वीडन के कुछ भाग शामिल हैं।
    • आर्कटिक की विशेषता इसकी शीतल जलवायु है, जहाँ तापमान प्रायः अत्यधिक निम्न हो जाता है।
  • भू-राजनीतिक महत्त्व: आर्कटिक क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें तेल, प्राकृतिक गैस और खनिज शामिल हैं, जो इन संसाधनों पर नियंत्रण के लिये महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय रुचि एवं प्रतिस्पर्द्धा को आकर्षित करता है।
  • आर्कटिक क्षेत्र में भारत की रुचि: भारत ने वर्ष 1920 में स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर करके आर्कटिक क्षेत्र में सहभागिता की शुरुआत की। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. 'मीथेन हाइड्रेट' के निक्षेपों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है/हैं? (2019)

  1. भू-मंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मीथेन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है।
  2. ‘मीथेन हाइड्रेट' के विशाल निक्षेप उत्तरध्रुवीय टुंड्रा में समुद्र अधस्तल के नीचे 'पाए जाते हैं।
  3. वायुमंडल के अंदर मीथेन एक या दो दशक बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • ‘मीथेन हाइड्रेट’ बर्फ की एक जालीनुमा पिंजड़े जैसी संरचना है, जिसमें मीथेन अणु बंद होते हैं। यह एक प्रकार की "बर्फ" है जो केवल स्वाभाविक रूप से उपसतह में जमा होती है जहाँ तापमान और दबाव की स्थिति इसके गठन के लिये अनुकूल होती है। 
  • आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट के नीचे मीथेन हाइड्रेट और अवसादी चट्टानी इकाइयों के निर्माण तथा स्थिरता के लिये उपयुक्त तापमान एवं दबाव की स्थिति वाले क्षेत्रों में महाद्वीपीय सीमांत के साथ अवसादी निक्षेपण; अंतर्देशीय झीलों और समुद्रों के गहरे जल के अवसाद एवं अंटार्कटिक बर्फ आदि शामिल है। अत: कथन 2 सही है। 
  • मीथेन हाइड्रेट्स जो एक संवेदनशील अवसाद है, तापमान में वृद्धि या दबाव में कमी के साथ तेज़ी से पृथक हो सकते हैं। इस पृथक्करण से मुक्त मीथेन और जल को प्राप्त किया जाता है जिसे ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा रोका जा सकता है। अत: कथन 1 सही है। 
  • मीथेन वायुमंडल से लगभग 9 से 12 वर्ष की अवधि में ऑक्सीकृत हो जाती है, जहाँ यह कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होती है। अत: कथन 3 सही है। 

अतः विकल्प (d) सही है।