सतत् पर्यटन की ओर मार्ग | 17 Dec 2024

यह एडिटोरियल 15/12/2024 को द हिंदू बिज़नेस लाइन में प्रकाशित “India’s path to sustainable tourism” पर आधारित है। इस लेख में भारत के पर्यटन क्षेत्र की अपार आर्थिक संभावनाओं का उल्लेख किया गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद में 6.8% और रोज़गार में 9.2% का योगदान देता है, साथ ही सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय संरक्षण के साथ विकास को संतुलित करने वाली संधारणीय प्रथाओं की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया है।

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का पर्यटन क्षेत्र, सतत् पर्यटन, विदेशी मुद्रा आय, स्वदेश दर्शन, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, होयसल के पवित्र समूह, उड़ान योजना, LiFE कार्यक्रम, आयुष वीज़ा, वर्ष 2023 में G20 शिखर सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन, राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022, अतुल्य भारत  

मेन्स के लिये:

भारत में पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, भारत के पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे। 

भारत का पर्यटन क्षेत्र एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसमें अपार आर्थिक क्षमता है, जो सकल घरेलू उत्पाद में 6.8% का योगदान देता है और 9.2% कार्यबल को रोज़गार देता है, फिर भी महत्त्वपूर्ण स्थिरता चुनौतियों का सामना कर रहा है। आगे की राह एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण की मांग करती है जो सामुदायिक स्वामित्व, पर्यावरण संरक्षण और प्रामाणिक अनुभवों को प्राथमिकता देती है। जैसे-जैसे वैश्विक पर्यटन परिदृश्य विकसित हो रहा है, भारत की सफलता सांस्कृतिक अखंडता, पर्यावरण संरक्षण और सतत् पर्यटन के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करने में निहित है। 

भारत में पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • स्थिति: महामारी के बाद पर्यटन क्षेत्र में प्रबल सुधार और वृद्धि की संभावना देखी जा रही है, जिसमें घरेलू पर्यटन अग्रणी है। 
    • यात्रा और पर्यटन GDP योगदान में भारत विश्व स्तर पर 10वें स्थान पर है और वर्ष 2028 तक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का आगमन 30.5 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है, जो इस क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाता है।
  • योगदान: भारत में पर्यटन क्षेत्र का आर्थिक योगदान महत्त्वपूर्ण है, वर्ष 2022 में सकल घरेलू उत्पाद में इसका कुल योगदान 199.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया है, जिसके वर्ष 2028 तक 512 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। 
    • यह क्षेत्र प्रतिवर्ष 7.1% की दर से बढ़ रहा है और वर्ष 2029 तक 53 मिलियन नौकरियों का सृजन होने की उम्मीद है, जो एक प्रमुख रोज़गार प्रदाता के रूप में इसकी भूमिका को दर्शाता है।
  • विदेशी पर्यटकों का आगमन (FTA): FTA में तीव्र वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2022 में 6.43 मिलियन से बढ़कर 2023 में 9.24 मिलियन हो गई है। 
    • सबसे अधिक FTA बांग्लादेश (24.5%), अमेरिका (20.4%) और यूके (6.9%) से आए। 

भारत के लिये पर्यटन क्षेत्र का क्या महत्त्व है? 

  • आर्थिक उत्प्रेरक और रोज़गार चालक: पर्यटन, आय को बढ़ाकर और आतिथ्य, परिवहन एवं खुदरा जैसे क्षेत्रों में रोज़गार सृजित करके आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष योगदान देता है। 
    • इससे वर्ष 2024 के अंत तक लगभग 39.5 मिलियन नौकरियाँ सृजित होने का अनुमान है। 
    • वर्ष 2023 में पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय (FEE) 28.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही, जो विदेशी मुद्रा को बढ़ाने में इस क्षेत्र की भूमिका को उजागर करती है।
  • सांस्कृतिक संरक्षण और वैश्विक सॉफ्ट पावर: पर्यटन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सॉफ्ट पावर को प्रदर्शित करते हुए सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को सुनिश्चित करता है। 
  • बुनियादी अवसंरचना और क्षेत्रीय विकास: पर्यटन अविकसित क्षेत्रों में सड़कों, हवाई अड्डों और कनेक्टिविटी सहित बुनियादी अवसंरचना के विकास को गति देता है। 
    • उड़ान योजना ने वर्ष 2023 तक क्षेत्रीय हवाई अड्डों की संख्या बढ़ाकर 148 कर दी है, जिससे दूरस्थ गंतव्यों तक पहुँच आसान हो गई है। 
    • जम्मू और कश्मीर में वर्ष 2023 में 2 करोड़ से अधिक पर्यटक आए, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला एवं भौगोलिक असमानताएँ कम हुईं।
  • इकोटूरिज़्म के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता: इकोटूरिज़्म पर्यटन विकास को पर्यावरण संरक्षण, जैवविविधता की सुरक्षा और स्थायी आजीविका सृजन के साथ जोड़ता है। 
    • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 2024 में 8.8 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ, जो कि बढ़ी हुई इकोटूरिज़्म गतिविधि से प्रेरित है।
    • ट्रैवल फॉर लाइफ जैसे कार्यक्रम कम प्रभाव वाले पर्यटन को प्रोत्साहित करते हैं तथा विकास एवं पारिस्थितिकी के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देते हैं।  
  • स्वास्थ्य सेवा और कल्याण केंद्र: भारत की किफायती और उन्नत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली वैश्विक चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित करती है, जिससे कल्याण पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है। 
    • चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र वर्ष 2022 में 9 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय रोगियों को 6,50,000 से अधिक चिकित्सा वीज़ा जारी किये गए। 
    • ई-वीज़ा और आयुष वीज़ा जैसी पहल तथा आयुर्वेद-आधारित सम्मेलन, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर्यटन केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत करते हैं।

Ayush Visa

  • कूटनीति और बहुपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना: पर्यटन अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के दौरान अपनी संस्कृति और बुनियादी अवसंरचना का प्रदर्शन करके भारत की वैश्विक छवि को सुदृढ़ करता है।
    • वर्ष 2023 में 50 से अधिक शहरों द्वारा आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में गुवाहाटी, इंदौर, जोधपुर और खजुराहो जैसे स्थलों पर प्रकाश डाला गया, जिससे भारत की वैश्विक मान्यता बढ़ी। 
    • प्रवासी भारतीय दिवस जैसे आयोजन कूटनीति और सहभागिता के लिये पर्यटन को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता पर ज़ोर देते हैं।
  • ग्रामीण विकास और सामाजिक समानता: पर्यटन दूर-दराज़ के क्षेत्रों में आय के अवसरों को बढ़ावा देकर और स्थानीय परंपराओं को संरक्षित करके ग्रामीण-शहरी असमानताओं को कम करता है।  
    • कोचई के निकट कुंबलंगी को भारत का पहला आदर्श पर्यटन गाँव घोषित किया गया। मध्य प्रदेश राज्य के लाडपुरखास गाँव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव के रूप में चुना गया।
    • ऐसे प्रयास सांस्कृतिक धरोहर स्थलों की सुरक्षा करते हुए ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाते हैं।
  • महामारी के बाद की रिकवरी और समुत्थानशीलता: घरेलू यात्रा और अंतर्राष्ट्रीय आगमन को पुनर्जीवित करके पर्यटन भारत की महामारी के बाद की रिकवरी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
    • भारत भर में घरेलू पर्यटकों की संख्या बढ़कर 1,731 मिलियन हो गई, जो वर्ष 2021 में 677 मिलियन से तीव्र वृद्धि है, जो समुत्थानशक्ति और अनुकूलनशीलता को दर्शाती है। 
    • इसके अलावा, वर्ष 2023 में भारत में 92 लाख विदेशी पर्यटकों का आगमन हुआ (आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24), जिसे ‘देखो अपना देश’ और G20 पहल जैसे अभियानों से बढ़ावा मिला।
  • स्टार्टअप और उद्यमिता को बढ़ावा: पर्यटन स्थानीय सेवाओं की मांग करके उद्यमिता को बढ़ावा देता है, जिसमें होमस्टे से लेकर निर्देशित पर्यटन तक शामिल हैं, विशेष रूप से एडवेंचर तथा इकोटूरिज़्म जैसे उभरते क्षेत्रों में। 
    • राष्ट्रीय पर्यटन नीति- 2022 सूक्ष्म उद्यमों को प्रोत्साहित करती है, ग्रामीण उद्यमियों को वित्त पोषण और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है।
    • भारत में 1,500 से अधिक पर्यटन स्टार्टअप हैं जो यात्रा योजना, बुकिंग और सुविधा प्रबंधन के लिये प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं। 
      • क्लाउड समाधानों और SaaS प्रौद्योगिकियों  के अंगीकरण में वृद्धि से नवाचार एवं विकास को बढ़ावा मिल रहा है।
  • भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि: आतिथ्य और लॉजिस्टिक्स जैसे सहायक उद्योगों को बढ़ावा देकर पर्यटन, इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस मामले में भारत की वैश्विक रैंकिंग को बढ़ाता है।
    • विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी ट्रेवल एंड टूरिज़्म डेवलपमेंट इंडेक्स-2024 विकास सूचकांक में भारत 119 देशों में 39वें स्थान पर पहुँच गया है, जो वर्ष 2021 में 54वें स्थान पर था।
  • शहरी पुनरोद्धार को सुदृढ़ करना: शहरी पर्यटन विरासत शहरों के पुनरोद्धार को बढ़ावा देता है, रोज़गार सृजन करता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है। 
    • जयपुर का हेरिटेज पर्यटन मॉडल, जिसमें प्रतिवर्ष 1.5 मिलियन से अधिक पर्यटक आते हैं, पर्यटन द्वारा संचालित शहरी नवीनीकरण के आर्थिक लाभों को दर्शाता है।
  • महिला सशक्तीकरण में योगदान: पर्यटन महिलाओं को रोज़गार और उद्यमिता के अवसर प्रदान करता है, विशेष रूप से ग्रामीण एवं सांस्कृतिक पर्यटन में। 
    • उदाहरण के लिये, पारंपरिक रेशम बुनाई के केंद्र, असम के सुआलकुची में हथकरघा उद्योग को पर्यटन पहलों में एकीकृत किया गया।
    • राजस्थान के "पधारो म्हारे देश" अभियान से पर्यटन-संचालित हस्तशिल्प बिक्री में महिला कारीगरों की भागीदारी बढ़ गई है।
  • खेल और आयोजन पर्यटन को बढ़ावा देना: खेल और आयोजनों के लिये एक वैश्विक मेज़बान के रूप में भारत का उदय इसकी छवि एवं पर्यटन राजस्व को बढ़ाता है। 
    • ICC क्रिकेट वर्ल्ड कप- 2023 में 1 लाख से अधिक अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों ने भाग लिया, जिससे 11,637 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ।
    • गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) जैसे बड़े आयोजन भारत की अपनी विकास रणनीति में इवेंट पर्यटन को एकीकृत करने की क्षमता को उजागर करते हैं।

भारत के पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • असंगत पर्यटन अवसंरचना विकास: भारत का पर्यटन अपर्याप्त एवं असमान अवसंरचना से ग्रस्त है, जो वैश्विक मानकों को पूरा करने में विफल रहता है। 
    • निम्नस्तरीय गुणवत्ता वाली सड़कें, उच्च स्तरीय आवासों का अभाव तथा विरासत एवं पारिस्थितिकी पर्यटन स्थलों में अपर्याप्त सुविधाएँ इस क्षेत्र की संभावनाओं को सीमित करती हैं। 
      • उदाहरण के लिये, समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व वाले बिहार एवं झारखंड जैसे राज्यों में राजस्थान की तुलना में पर्यटकों की संख्या काफी कम है।
    • तीव्र अवसंरचना विकास के परिणामस्वरूप प्रायः भयावह परिणाम सामने आते हैं, जैसा कि जोशीमठ के मामले में देखा गया। 
    • इसी प्रकार, पूर्वोत्तर में परिवहन संबंधी बाधाएँ और उग्रवाद संबंधी समस्याएँ क्षेत्र की पर्यटन क्षमता के बावजूद अनसुलझी हुई हैं।
  • पर्यावरणीय चुनौतियाँ और अति-पर्यटन: भारत में लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को अनियमित विकास और अति-पर्यटन के कारण गंभीर पर्यावरणीय क्षरण का सामना करना पड़ रहा है। 
    • उदाहरण के लिये, शिमला में वर्ष 2018 में गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ा, जिसका मुख्य कारण इस शहर की वहन क्षमता से अधिक पर्यटकों का आगमन था। 
    • इसी प्रकार, सफाई अभियान के बावजूद गोवा में वर्तमान में प्रति माह लगभग 2700 टन गैर-पुनर्चक्रणीय अपशिष्ट उत्पन्न होता है (प्लास्टिक अपशिष्ट इसका एक बड़ा हिस्सा है), जो सतत् पर्यटन प्रथाओं की कमी को उजागर करता है।
  • घरेलू पर्यटन पर उच्च निर्भरता: घरेलू पर्यटन पर भारत की निर्भरता विदेशी मुद्रा अर्जन और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को सीमित करती है। 
    • भारत में घरेलू आगंतुकों का खर्च वर्ष 2019 की तुलना में 15% बढ़कर ₹14.64 ट्रिलियन तक पहुँच गया। 
      • हालाँकि पिछले वर्ष विदेशी पर्यटकों द्वारा 0.4 ट्रिलियन रुपए कम खर्च किये जाने के कारण, विदेशी आगंतुकों द्वारा किया गया व्यय वर्ष 2019 के स्तर से कम (14% से अधिक) रहा।
    • इससे घरेलू पर्यटन पर भारत की भारी निर्भरता उजागर होती है, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित करने की उसकी क्षमता कम हो जाती है और उसकी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्रभावित होती है।
  • सुरक्षा और संरक्षा संबंधी चिंताएँ: पर्यटन-अनुकूल गंतव्य के रूप में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ती सुरक्षा समस्याओं के कारण धूमिल हो रही है, विशेष रूप से महिलाओं और अकेले यात्रियों के लिये। 
    • NCRB के आँकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022 में विदेशियों (पर्यटकों और निवासियों) के साथ हुए अपराध के 192 मामले दर्ज किये गए, जिनमें राजस्थान और गोवा की घटनाओं ने व्यापक वैश्विक ध्यान आकर्षित किया। 
    • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ (फ्लैश फ्लड) जैसी आपदाओं ने पर्यटकों के लिये आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों की कमज़ोरियों को उजागर किया।
  • पर्यटन क्षेत्र में कुशल कार्यबल की कमी: पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र कुशल पेशेवरों की कमी से ग्रस्त है, जिससे सेवा की गुणवत्ता और भारत की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने की क्षमता प्रभावित हो रही है। 
    • भारत के पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र को 3.5 मिलियन से अधिक कुशल श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ेगा, विशेष रूप से होटल प्रबंधन, पाक कला और यात्रा संचालन जैसे क्षेत्रों में।
  • अपर्याप्त वित्तपोषण और नीति विखंडन: भारत में पर्यटन को अपर्याप्त वित्तपोषण मिलता है और यह असंगत नीति कार्यान्वयन से ग्रस्त है। 
    • भारत सरकार ने हाल ही में पर्यटन बजट में वृद्धि की है, लेकिन वैश्विक संवर्द्धन आवंटन में 97% की कटौती कर दी है।
    • इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय पर्यटन नीति को अंतिम रूप देने में विलंब के कारण राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास विफल हो गए हैं।
  • सांस्कृतिक क्षरण और प्रामाणिकता की हानि: अनियमित पर्यटन प्रायः सांस्कृतिक अनुभवों का व्यवसायीकरण कर देता है, जिससे उनकी प्रामाणिकता नष्ट हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिये, जयपुर की पारंपरिक कला और शिल्प, बड़े पैमाने पर उत्पादित स्मृति चिह्नों के कारण लुप्त हो गए हैं तथा कारीगरों को पर्यटन राजस्व का केवल एक अंश ही प्राप्त हो पाता है। 
    • भारत के विरासत शहरों के ‘अति-व्यावसायीकरण’ के बारे में यूनेस्को की चेतावनियाँ सांस्कृतिक संरक्षण रणनीतियों की आवश्यकता को और अधिक उजागर करती हैं।
  • डिजिटल और स्मार्ट पर्यटन पर ध्यान का अभाव: भारत पर्यटन प्रबंधन और संवर्द्धन में प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करने में पिछड़ रहा है। 
    • जबकि अतुल्य भारतजैसे अभियान डिजिटल मार्केटिंग को शामिल करते हैं, नगालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों में पर्यटकों को आकर्षित करने एवं प्रबंधित करने के लिये सुदृढ़ डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का अभाव है। 
    • वैश्विक स्तर पर, सिंगापुर जैसे देश पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये AI और बड़े डेटा का लाभ उठा रहे हैं, जिससे उन्हें भारत पर प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त मिल रही है।

भारत में सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं? 

  • सतत् पर्यटन अवसंरचना का विकास: भारत को पर्यावरण अनुकूल और सतत् अवसंरचना विकास को प्राथमिकता देनी चाहिये, विशेष रूप से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में।
    • हरित भवन निर्माण पद्धतियाँ, सौर ऊर्जा चालित आवास और कुशल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियाँ पर्यटन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकती हैं।
    • ‘स्वदेश दर्शन 2.0’ योजना स्थिरता को मुख्य सिद्धांत के रूप में रखते हुए गंतव्य विकास पर केंद्रित है, जो सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। 
    • पर्यटन प्रतिष्ठानों के लिये हरित प्रमाणन का विस्तार पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार प्रथाओं को प्रोत्साहित करेगा।

Sustainable_Tourism

  • समुदाय-आधारित और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना: स्थानीय समुदायों को पर्यटन अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने से सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए स्थिरता सुनिश्चित होती है। 
    • राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना जैसे कार्यक्रमों को देश भर में विस्तारित किया जा सकता है ताकि ग्राम-आधारित पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके, जिससे कारीगरों और स्थानीय उद्यमियों को सहायता मिलेगी।
    • उदाहरण के लिये, गुजरात का होदका गाँव, जो प्रतिवर्ष हज़ारों पर्यटकों को आकर्षित करता है, समुदाय-प्रबंधित पर्यटन का एक सफल मॉडल है। 
    • स्थानीय शिल्पकला को पर्यटन सर्किटों से जोड़ने से अतिरिक्त राजस्व स्रोत सृजित हो सकते हैं तथा शहरी प्रवासन में कमी आ सकती है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहन: सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग से सतत् पर्यटन परियोजनाओं के लिये निवेश को बढ़ावा दिया जा सकता है। 
    • सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) से इको-पार्कों के विकास, विरासत स्थलों के जीर्णोद्धार तथा पर्यटन अवसंरचना के आधुनिकीकरण में मदद मिल सकती है। 
    • उदाहरण के लिये, गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परियोजना के लिये साझेदारी से स्थानीय पर्यावरण को संरक्षित करते हुए रोज़गार के अवसर सृजित हुए। 
      • इसी प्रकार के मॉडल को कम प्रसिद्ध स्थलों तक विस्तारित करने से विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन वृद्धि में संतुलन स्थापित होगा।
  • अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण को सुदृढ़ करना: पर्यटन केंद्रों को सुदृढ़ अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली अपनानी चाहिये और प्रभावी नीतियों के माध्यम से प्रदूषण को कम करना चाहिये। 
    • प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र जैसी पहल को सभी गंतव्यों पर दोहराया जाना चाहिये। 
    • गोवा और केरल जैसे समुद्र तटीय पर्यटन स्थल जापान के समुद्र तटीय सफाई अभियानों के समान समुद्री प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों को लागू कर सकते हैं।
    • मिशन LiFE (पर्यावरण के लिये जीवनशैली) के तहत सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान पर्यटकों को संधारणीय यात्रा व्यवहार के बारे में शिक्षित कर सकते हैं।

LiFE_Mission

  • स्मार्ट पर्यटन के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: भारत को स्मार्ट टिकटिंग सिस्टम, AI-संचालित भीड़ प्रबंधन और आभासी पर्यटन अनुभवों के माध्यम से सतत् पर्यटन के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिये।
    • उदाहरण के लिये, ताजमहल जैसे विरासत स्थलों पर QR कोड कागज़ की बर्बादी को कम करते हैं और आगंतुकों के अनुभव को बेहतर बनाते हैं। 
    • अतुल्य भारत जैसे प्लेटफॉर्म, AR/VR प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके, भारत में अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये आभासी पर्यटन को बढ़ावा दे सकते हैं। 
  • नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों को एकीकृत करना: पर्यटन प्रतिष्ठानों, विशेष रूप से दूरदराज़ और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में, अपने कार्बन फूटप्रिंट्स को न्यूनतम करने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण करना चाहिये। 
    • लद्दाख में सौर ऊर्जा आधारित लॉज सतत् पर्यटन के सफल उदाहरण हैं। 
    • सौर चरखा मिशन के अंतर्गत सब्सिडी का विस्तार कर पर्यटन से जुड़े व्यवसायों को भी इसमें शामिल करने से इस परिवर्तन को गति मिल सकती है। 
    • कर छूट के माध्यम से कार्बन-शून्य परिचालन को प्रोत्साहित करने से नवीकरणीय ऊर्जा के अंगीकरण को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है।
  • लोकप्रिय स्थलों पर क्षमता प्रबंधन लागू करना: वहन क्षमता अध्ययनों को सुभेद्य पारिस्थितिकी तंत्रों और भीड़भाड़ वाले स्थलों में पर्यटकों की संख्या के विनियमन का मार्गदर्शन करना चाहिये। 
    • उदाहरण के लिये, शिमला और मनाली, जो अति-पर्यटन की समस्या से जूझ रहे हैं, ऑनलाइन परमिट का उपयोग करके दैनिक पर्यटक प्रवाह को सीमित कर सकते हैं, जैसा कि भूटान के सतत् पर्यटन मॉडल में देखा गया है।
    • ऐसे तंत्रों की स्थापना से यह सुनिश्चित होता है कि प्राकृतिक संसाधन और बुनियादी अवसंरचना पर अधिक बोझ न पड़े तथा इन स्थलों को भावी पीढ़ियों के लिये संरक्षित रखा जा सके।
  • कम प्रभाव वाले परिवहन नेटवर्क का विकास: इलेक्ट्रिक बसों और साइकिलों जैसे संधारणीय परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देने से पर्यटन के कार्बन उत्सर्जन में कमी आ सकती है।
    • केरल के "ई-मोबिलिटी" कार्यक्रम जैसी पहल, जिसके तहत बैकवाटर्स में इलेक्ट्रिक नौकाएँ शुरू की गईं, को अन्य पर्यटक स्थलों तक विस्तारित किया जा सकता है। 
    • पर्यावरण अनुकूल विमानन प्रथाओं के साथ क्षेत्रीय संपर्क योजना (उड़ान) की पहुँच का विस्तार करने से भी कम प्रभाव वाले पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
      • इन उपायों को एकीकृत करके भारत के शुद्ध-शून्य कार्बन लक्ष्य- 2070 को पूरा किया जा सकता है।
  • हरित पर्यटन क्षेत्र स्थापित करना: विशिष्ट क्षेत्रों को हरित पर्यटन क्षेत्र के रूप में अभिनिर्धारित करना और नामित करना संधारणीय प्रथाओं और संसाधन संरक्षण को सुनिश्चित कर सकता है। 
    • उत्तराखंड जैसे राज्यों ने ऐसी पहलों में अग्रणी भूमिका निभाई है, जो संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करते हुए ईको-टूरिज़्म को बढ़ावा दे रहे हैं।
    • इन क्षेत्रों को स्वदेश दर्शन और तीर्थयात्रा पुनरुद्धार एवं आध्यात्मिक संवर्द्धन अभियान योजना से जोड़ने से पर्यावरण के प्रति जागरूक यात्री आकर्षित हो सकते हैं।
  • सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक प्रथाओं का संरक्षण: सतत् पर्यटन में भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण शामिल होना चाहिये। 
    • स्थानीय सांस्कृतिक उत्सवों को प्रामाणिकता पर ज़ोर देते हुए पर्यटन सर्किट में एकीकृत किया जा सकता है।
    • इसके अलावा, सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये रामायण सर्किट जैसे और अधिक पर्यटन सर्किट विकसित किये जा सकते हैं।
  • सर्वोत्तम प्रथाओं के लिये वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देना: भारत को स्थायी पर्यटन में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले देशों, जैसे भूटान और कोस्टा रिका के साथ सहयोग करना चाहिये ताकि सिद्ध मॉडलों को अपनाया जा सके। 
    • भूटान का उच्च-मूल्य, कम-प्रभाव वाला पर्यटन मॉडल, जो सतत् विकास शुल्क वसूलता है, कुछ भारतीय गंतव्यों के लिये अनुकूलित किया जा सकता है। 
    • इसके अतिरिक्त, भारत तकनीकी सहायता के लिये संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ जुड़ सकता है।
    • पर्यटन विकास क्षेत्रों में संयुक्त उद्यम ज्ञान के आदान-प्रदान और नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • साहसिक और कल्याण पर्यटन को ज़िम्मेदारी से बढ़ावा देना: एडवेंचर एंड वेलनेस टूरिज़्म को स्थिरता को केंद्र में रखकर विकसित किया जाना चाहिये। 
    • मालदीव से सीख लेकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे साहसिक पर्यटन सर्किट विकसित किये जा सकते हैं।
    • हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रों में परमिट तथा अपशिष्ट प्रबंधन मानदंडों के माध्यम से ट्रैकिंग व कैम्पिंग को विनियमित करना महत्त्वपूर्ण है। 
    • स्वास्थ्य पर्यटन के लिये, आयुर्वेदिक रिज़ॉर्ट्स को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष- 2023 जैसी पहलों से जोड़ने से जैविक एवं संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा मिल सकता है। 
    • चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन के लिये कड़े गुणवत्ता मानक स्थापित करने से अधिक वैश्विक पर्यटक आकर्षित होंगे।

निष्कर्ष:

भारत का पर्यटन क्षेत्र मुख्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) जैसे कि सभ्य कार्य (SDG 8), पर्यावरणीय स्थिरता (SDG 13 और SDG 12) तथा सांस्कृतिक संरक्षण (SDG 11 और SDG 16) के साथ जुड़कर सतत् विकास को आगे बढ़ा सकता है। समावेशी और ज़िम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देकर, भारत रोज़गार का सृजन कर सकता है, अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकता है तथा सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दे सकता है। यह दृष्टिकोण भारत को विश्व भर में सतत् पर्यटन में अग्रणी बना सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. भारत में पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति का परीक्षण कीजिये। इस क्षेत्र के सामने क्या चुनौतियाँ हैं और सरकार व निजी अभिकर्त्ता उनका समाधान करने के लिये किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न 1. पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र को विकास पहलों और पर्यटन के ऋणात्मक प्रभाव से किस प्रकार पुनःस्थापित किया जा सकता है?  (2019)

प्रश्न 2. पर्यटन की प्रोन्नति के कारण जम्मू और काश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य अपनी पारिस्थितिक वाहन क्षमता की सीमाओं तक पहुँच रहे हैं? समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (2015)