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भारतीय अर्थव्यवस्था

पर्यटन विकास: अतुल्य भारत 2.0 अभियान

  • 16 Jun 2020
  • 17 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में पर्यटन विकास व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण अर्थव्यवस्था का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा हो जो इससे प्रभावित न हुआ  हो। इन क्षेत्रों में यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इस महामारी के चलते घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के प्रतिबंधित होने से पर्यटन उद्योग को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) ने इसे सबसे बुरे संकटों में से एक करार दिया है। इसके अनुसार, यह संकट तेज़ी से विकास कर रहे भारतीय पर्यटन उद्योग को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा। इससे न केवल घरेलू पर्यटन उद्योग बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन उद्योग भी प्रभावित हुआ है। विदित है कि यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धी सूचकांक (Travel and Tourism Competitive Index), 2019 में भारत ने अपनी स्थिति में सुधार करते हुए 34वाँ स्थान प्राप्त किया है। 

ज्ञातव्य है कि भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक, अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्टता और संस्कृति है। ये क्षेत्र अपने ठंड / गर्म रेगिस्तान (लद्दाख / राजस्थान), नदियों (गंगा और ब्रह्मपुत्र), वन (निलिगिरि और उत्तर पूर्व), द्वीपों (अंडमान और निकोबार), पर्वत व पठारों आदि प्राकृतिक विशेषताओं से पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। साथ ही यहाँ के परिदृश्य में पाई   जाने वाली व्यापक विविधता और सांस्कृतिक विरासत विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिये कई विकल्प प्रदान करती है। 

ऐसे में इस क्षेत्र के पुनः संचालन के लिये मानक प्रचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedures-SOPs) को अपनाने की आवश्यकता है। जिससे किसी महामारी के बाद भी स्वच्छता और सुरक्षा संबंधी अनुपालन सुनिश्चित किये जा सके। 

महामारी से पूर्व भारत में पर्यटन की स्थिति

  • वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में वर्ष 2022 तक प्रत्येक नागरिक से देश के 15 पर्यटक स्थलों का भ्रमण करने का आह्वान किया था। इसका प्रमुख उद्देश्य वर्ष 2022 तक भारत को वैश्विक पर्यटन का केंद्र बनाना है।
  • वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज़्म काउंसिल (World Travel and Tourism Council-WTTC), 2018 की रिपोर्ट में भारत को पर्यटन के मामले में विश्व में तीसरा स्थान मिला है। इस रिपोर्ट में 185 देशों के पिछले सात वर्षों (2011-2017) के प्रदर्शन पर अवलोकन किया गया था। इस रिपोर्ट के चार मुख्य आधार थे-
    • सकल घरेलू उत्पाद में कुल योगदान
    • अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन व्यय 
    • घरेलू पर्यटन व्यय एवं
    • पूँजी निवेश 
  • वर्ष 2017 में, पर्यटन से भारत ने लगभग 23 अरब डॉलर का राजस्व अर्जित किया जिसे वर्ष 2023 तक 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। यह फ्रांस और स्पेन की तुलना में अधिक है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में भारत में 1.4 करोड़ विदेशी पर्यटक आए थे। हालाँकि  सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 7 प्रतिशत रहा। 
  • वर्ष 2019 में यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र ने सकल घरेलू उत्पाद में 9.3 प्रतिशत का योगदान दिया और 5.9 प्रतिशत का निवेश प्राप्त किया।

पर्यटन उद्योग की महत्ता 

  • वैश्विक स्तर पर पर्यटन एक बड़ा उद्योग है। यह कई क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर सृजित करता है साथ ही अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है। इसके महत्व का अनुमान केवल इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि विश्व भर में पर्यटकों की संख्या वर्ष 1950 में 2.5 करोड़ थी, जबकि वर्ष 2018 में बढ़कर यह 125 करोड़ हो गई है। 
  • आँकड़ों की बात करें तो पर्यटन क्षेत्र में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 4.27 करोड़ लोगों को रोज़गार मिला हुआ है। फिक्की की तरफ से जारी एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में  भारत को ट्रैवल और टूरिज़्म क्षेत्र में 10 लाख नौकरियाँ प्राप्त हुई हैं।  
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2029 तक प्रति वर्ष इस सेक्टर में 10 लाख नौकरियाँ सृजित होने का अनुमान था। वर्ष 2019 के अंत तक भारत में इस क्षेत्र का कारोबार बढ़कर 35.40 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया, जो वर्ष 2018 में 17 लाख करोड़ रुपये के आसपास था।
  • पिछले कुछ वर्षों में ट्रैवल और टूरिज़्म इंडस्ट्री में हुई प्रगति के बाद से कुछ वर्षों के भीतर ही आतिथ्य क्षेत्र (Hospitality Sector) ने भी काफी प्रगति की है। 
  • पर्यटन से भारत में महिलाओं के लिये भी रोज़गार के तमाम अवसर सृजित हुए हैं।
  • विदित है कि वैश्विक स्तर पर अन्य क्षेत्रों के मुकाबले पर्यटन क्षेत्र में लगभग दोगुनी संख्या में महिलाएँ कार्यरत हैं। इस दृष्टि से पर्यटन क्षेत्र समाज में समानता तथा सामाजिक न्याय को समर्थन देने का भी माध्यम रहा है।
  • आज भारत का पर्यटन उद्योग अपने पारंपरिक दायरों से निकल कर चिकित्सा और योग जैसे क्षेत्रों में फैल रहा है। नतीजतन भारत के लिये नई संभावनाओं व अवसरों का द्वारा खुला है। 

अतुल्य भारत 2.0 अभियान की भूमिका

  • पर्यटन मंत्रालय ने देश के विभिन्न गंतव्यों और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिये वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान अतुल्य भारत 2.0 अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य विशिष्ट प्रचार योजनाओं के माध्यम से विरासत स्थलों की प्रसिद्धि का प्रचार-प्रसार करना है। इसमें पर्यटन की  आध्यात्मिक, चिकित्सा और योग विधा शामिल है। 
  • अतुल्य भारत 2.0 अभियान डिजिटल और सोशल मीडिया पर अधिक ध्यान केंद्रित कर बाज़ार आधारित प्रचार योजनाओं और उत्पादन विशिष्टता के आधार पर रचनात्मकता में हो रहे सामयिक परिवर्तनों को दर्शाता है। 
  • इस अभियान के द्वारा पर्यटक सुविधाएँ विकसित करने के लिये सार्वजनिक और निज़ी कंपनियों को उत्तरदायित्व दिया जाएगा।

अतुल्य भारत अभियान

  • अतुल्य भारत, भारतीय पर्यटन विभाग का एक अभियान है, जो देश-विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • इस अभियान का उद्देश्य भारतीय पर्यटन को वैश्विक मंच पर उभारना है।
  • भारतीय पर्यटन विभाग ने सितंबर 2002 में 'अतुल्य भारत' नाम से इस नए अभियान को शुरू किया था।
  • इस अभियान के तहत हिमालय, वन्य जीव, योग और आयुर्वेद की ओर अंतर्राष्ट्रीय समूह का ध्यान आकर्षित किया गया। वास्तव में इस अभियान से देश के पर्यटन क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खुले हैं।
  • देश की पर्यटन क्षमता को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने वाला यह इस प्रकार का पहला प्रयास था।

पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियाँ 

  • भारत सरकार द्वारा पर्यटकों को प्रदान किये जाने वाले विभिन्न सुविधाओं के बावजूद अच्छी तरह से विकसित पर्यटन प्रणाली के समक्ष कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं। इन्हें हम दो स्थितियों (अ) वैश्विक महामारी से पूर्व और (ब) वैश्विक महामारी के बाद के आधार पर समझ सकते हैं-
  • वैश्विक महामारी से पूर्व
    • बुनियादी ढाँचे का अभाव भारतीय पर्यटन क्षेत्र के लिये एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। पर्यटन से जुड़ी आर्थिक और सामाजिक अवसंरचना, होटल, कनेक्टिविटी, मानव संसाधन स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि काफी हद तक भारत में विकसित होने की अवस्था में हैं। इस उदासीनता का मुख्य कारण वित्तीय संसाधनों का अपर्याप्त आवंटन है। 
    • देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में फैली गंदगी एक अन्य समस्या है। बड़ी संख्या में पश्चिमी देशों के पर्यटक सिर्फ इसलिये भारत आना पसंद नहीं करते क्योंकि यहाँ पर्याप्त स्वच्छता का अभाव रहता है।
    • पर्यटकों की सुरक्षा विशेष रूप से विदेशी पर्यटकों की, पर्यटन विकास के मार्ग में एक प्रमुख बाधा रही है। विदेशी नागरिकों पर विशेष रूप से महिलाओं पर हमले, दूरदराज के देशों के पर्यटकों के स्वागत के लिये भारत की क्षमता पर कुछ सवाल उठाते हैं।
    • देश के अधिकांश पर्यटन स्थलों तक आज भी गरीब, महिला और बुजुर्गों की पहुँच नहीं है। ऐसा यात्रा की उच्च लागत, खराब कनेक्टिविटी और विभिन्न स्तरों पर आवश्यक अनुमतियों की एक शृंखला के कारण होता है।
  • वैश्विक महामारी के बाद
    • वैश्विक महामारी के बाद पर्यटन के रूप में भारत को प्राप्त होने वाले विदेशी मुद्रा में कमी आएगी।
    • एक उद्योग के रूप में यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र को अब स्थापित होने में काफी समय लगेगा।
    • यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य आधारित राज्य की आर्थिक स्थिति ख़राब हो सकती है। इनमें गोवा, तमिलनाडु, केरल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर शामिल हैं।      
    • चूँकि COVID-19 एक संचारी रोग है। जो मानव से मानव में संपर्क के द्वारा एक-दूसरे में फैलता है। अतः पर्यटन में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। 
    • घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक पर्यटन के दौरान विभिन्न होटलों, धर्मशालाओं जैसे स्थानों पर विश्राम करते हैं, वैश्विक महामारी के बाद इन विश्राम स्थलों में ठहरना सुरक्षित नहीं है।
    • पर्यटन के दौरान सार्वजनिक परिवहन के साधनों का प्रयोग हानिकारक साबित हो सकता है। 
    • इस महामारी से जूझ रहे राज्य पर्यटन को लेकर नकारात्मक रुख प्रदर्शित कर सकते हैं।

महामारी से पूर्व पर्यटन के विकास हेतु प्रयास

  • देश में पर्यटन सर्किट के विकास हेतु ‘स्वदेश दर्शन’ योजना, विरासत स्थलों के विकास हेतु ‘हृदय’ योजना तथा धार्मिक पर्यटन स्थलों के विकास हेतु ‘प्रसाद’ योजना लाई गई है। इसके अलावा पर्यटन स्थलों पर रोप-वे के निर्माण तथा रेलवे स्टेशनों और लॉजिस्टिक पार्कों के आसपास की वाणिज्यिक भूमि के विकास पर बल दिया गया है।
  • विदेशी पर्यटकों के आगमन को सरल बनाने पर बल देते हुए सरकार ने 166 देशों के लिये ई-वीजा व्यवस्था की शुरूआत की है। विदित है कि इसकी अगली कड़ी के रूप में पर्यटन मंत्रालय द्वारा ई-वीजा (इलेक्ट्रॉनिक वीजा) शुल्क में कमी का प्रस्ताव किया गया है। 
  • सरकार ने कुछ समय पूर्व अंडमान निकोबार द्वीप समूह में विदेशियों को पहुँचने के 24 घंटे के अंदर, विदेशी पंजीकरण कार्यालय में पंजीकरण कराने की बाध्यता को समाप्त कर दिया है। 
  • सरकार ने मुख्य पर्यटन स्थलों के बुनियादी ढाँचे के विकास और रख-रखाव पर भी बहुत ध्यान दिया है। ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद योजना’ दो नई ऐसी योजनाओं की शुरूआत की गई है, जो देश में पर्यटन से जुड़ी आधारभूत अवसंरचना विकसित करेंगी। 
  • ‘धरोहर गोद लो’ योजना के द्वारा किसी एक विरासत स्थल को कॉर्पोरेट जगत द्वारा गोद लिया गया है। इसका उद्देश्य लोगों में अपनी विरासत के प्रति उत्तरदायित्व की भावना को विकसित करके उन्हें इनसे जोड़ना है। 
  • इसके अतिरिक्त अतुल्य भारत 2.0 अभियान यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र को गति देने में सहायक होगा।

महामारी के बाद पर्यटन के विकास में संभावित प्रयास

  • इस महामारी के बाद सरकार को स्वच्छता के विषय पर विशेष ध्यान देना होगा ताकि भारतीय विरासत स्थलों की ओर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके।
  • सरकार को पर्यटन उद्योग को पुनर्स्थापित करने के लिये घरेलू पर्यटकों को प्रोत्साहित करना होगा।
  • इस असाधारण परिस्थिति में असाधारण उपायों की आवश्यकता है। यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में व्यापक नवाचार लाने की ज़रूरत है।
  • पर्यटन स्थलों पर किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने हेतु बेहतर स्वास्थ्य अवसंरचना को विकसित करना चाहिये।
  • पर्यटन स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिये मानक प्रचालन प्रक्रिया का कड़ाई से पालन करवाना होगा।

प्रश्न- अतुल्य भारत 2.0 अभियान क्या है? पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए इनके समाधान में किये जाने वाली उपायों पर चर्चा कीजिये

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