भारत के डिजिटल विकास की उन्नति | 08 Jan 2025

यह एडिटोरियल 05/01/2025 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशितMaking Digital India safe, secure and inclusiveपर आधारित है। यह लेख डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमावली, 2025 के मसौदे पर केंद्रित है, जिसमें सूचित सहमति तथा डेटा मिटाने जैसे प्रमुख अधिकारों पर प्रकाश डाला गया है, साथ ही सार्थक समावेशन और सुरक्षा के लिये डिजिटल अभिगम एवं जागरूकता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमावली, 2025 का मसौदा, डिजिटल इंडिया, भारतनेट, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, 5G रोलआउट, स्किल इंडिया डिजिटल हब, भारत का आत्मनिर्भर भारत विज़न, स्टार्ट-अप इंडिया, जन धन खाते, PM-किसान सम्मान निधि, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, साइबर सुरक्षित भारत, PMGDISHA, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन  

मेन्स के लिये:

भारत के डिजिटल विकास के प्रमुख चालक, भारत के डिजिटल विकास से जुड़े प्रमुख मुद्दे।

भारत के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमावली, 2025 का मसौदा, देश के डिजिटल शासन में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। यह कार्यढाँचा सूचित सहमति, डेटा मिटाने और डिजिटल नामांकित व्यक्ति जैसे महत्त्वपूर्ण अधिकारों का परिचय देता है, जिससे भाषा समावेशिता के माध्यम से प्रत्येक भारतीय के लिये डेटा सुरक्षा सुलभ हो जाती है। डेटा सुरक्षा बोर्ड द्वारा अनुकरणीय डिजिटल-प्रथम दर्शन, कुशल शिकायत समाधान और अनुपालन निगरानी का वादा करता है। नया कार्यढाँचा, हालाँकि आशाजनक है, लेकिन ज़मीनी हकीकत से जूझना चाहिये जहाँ लाखों लोगों के पास अभी भी बुनियादी डिजिटल अभिगम और समझ की कमी है। चूँकि भारत स्वयं को एक डिजिटल अग्रणी के रूप में स्थापित करता है, इसलिये नीतिगत वादों को सभी नागरिकों के लिये सार्थक डिजिटल समावेशन और सुरक्षा में संक्रमण के लिये इन बुनियादी चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक हो जाता है।

डिजिटल इंडिया पहल क्या है? 

  • डिजिटल इंडिया के संदर्भ में: 1 जुलाई, 2015 को भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया, डिजिटल इंडिया 1990 के दशक के मध्य से पिछले ई-गवर्नेंस प्रयासों पर आधारित है। पूर्व प्रयासों के विपरीत, इससे डिजिटल पहलों में अधिक सामंजस्य और अंतर-क्रियाशीलता संभव हुए हैं।
  • उद्देश्य:
    • डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना: इस पहल का उद्देश्य डिजिटल रूप से साक्षर व्यक्तियों और प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच वाले लोगों के बीच के अंतराल को कम करना है।
    • डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना: यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि सभी नागरिक, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सरकारी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में डिजिटल प्रगति से लाभान्वित हो सकें।
    • आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: तकनीकी नवाचारों का उपयोग करके, डिजिटल इंडिया का लाक्ष्य पूरे देश में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
    • जीवन की गुणवत्ता में सुधार: इस कार्यक्रम का उद्देश्य दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी को लागू करके जीवन स्तर में सुधार करना है।
  • स्तंभ: 

भारत के डिजिटल विकास के प्रमुख चालक क्या हैं? 

  • डिजिटल अवसंरचना का विस्तार: भारत का बढ़ता डिजिटल अवसंरचना शहरी-ग्रामीण संपर्क को बढ़ा रहा है और एक मज़बूत डिजिटल अर्थव्यवस्था को समर्थन दे रहा है। 
    • भारतनेट जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराना है, जबकि 5G रोलआउट डिजिटल अंगीकरण में तीव्रता ला रहा है।  
    • ये विकास वंचित क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस, ई-कॉमर्स और डिजिटल शिक्षा को सक्षम बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • IAMAI और कांतार की ओर से जारी इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट- 2023 के अनुसार, भारत में इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं की संख्या 800 मिलियन से अधिक है, जिनमें से 86% ओवर-द-टॉप (OTT) ऑडियो और वीडियो सेवाओं का उपयोग करते हैं, जिससे यह देश में प्रौद्योगिकी का प्राथमिक उपयोग बन गया है।
  • तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था: भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था तीव्रता से विस्तार कर रही है, जो ई-कॉमर्स, फिनटेक और  IT सेवाओं द्वारा संचालित है। 
    • ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स जैसे प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायों के लिये डिजिटल कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण कर रहे हैं, जबकि स्टार्टअप नवाचार के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहे हैं। 
    • यह वृद्धि उपभोक्ता की आदतों में बदलाव ला रही है और महत्त्वपूर्ण रोज़गार अवसरों का सृजन कर रही है।
    • आस्क कैपिटल की एक हालिया रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2028 तक भारत 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के लिये तैयार है।
  • डिजिटल कौशल और कार्यबल सक्षमता: डिजिटल कौशल पर भारत का ध्यान उभरती प्रौद्योगिकियों के लिये तैयार कार्यबल तैयार करना है। 
    • स्किल इंडिया डिजिटल हब ने 1 करोड़ से अधिक पंजीकरण के साथ एक उपलब्धि हासिल की।
    •  IT उद्योग में 2.9 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ है, जिससे उद्योग के कार्यबल की संख्या वित्त वर्ष 2023 में 5.4 मिलियन हो गई। 
  • स्मार्टफोन का बढ़ता उपयोग: किफायती स्मार्टफोन और कम लागत वाले डेटा ने भारत को मोबाइल-प्रथम डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदल दिया है। 
    • स्मार्टफोन की बढ़ती सुलभता से ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल भुगतान और मनोरंजन तक बेहतर पहुँच संभव हो गई है। 
    • घरेलू विनिर्माण प्रोत्साहन उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा दे रहे हैं, जो भारत के आत्मनिर्भर भारत विज़न का समर्थन कर रहे हैं।
    • भारतीय स्मार्टफोन बाज़ार ने वर्ष 2024 की पहली छमाही में 69 मिलियन स्मार्टफोन का कारोबार किया, जिसमें साल-दर-साल 7.2% की वृद्धि हुई। 
  • स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र और नवाचार: भारत का स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र डिजिटल नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है। 
    • स्टार्ट-अप इंडिया जैसी सरकारी पहलों और मज़बूत वित्त पोषण परिदृश्य से प्राप्त समर्थन के साथ, तकनीकी स्टार्टअप विशिष्ट बाज़ार चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं। 
    • वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय स्टार्टअप्स ने वर्ष 2024 तक कुल 30.4 बिलियन डॉलर का वित्त पोषण जुटाया।
  • डिजिटल वित्तीय समावेशन: UPI और जन धन खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन पर भारत का ध्यान बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं तक अभिगम में बदलाव ला रहा है। 
    • इससे लाखों लोगों को, विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में, डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़ने का अधिकार मिला है। डिजिटल रुपया पायलट जैसी पहल अगली पीढ़ी की वित्तीय प्रणालियों के लिये भारत की तत्परता को दर्शाती है।
    • अगस्त 2023 तक जन धन खातों की कुल संख्या 50 करोड़ को पार कर गई। इन खातों में से 56% खाते महिलाओं के हैं
    • UPI ने अक्तूबर 2024 में 16.58 बिलियन वित्तीय लेनदेन के माध्यम से 23.49 लाख करोड़ रुपए का प्रभावशाली लेन-देन किया।
  • तकनीक-संचालित सार्वजनिक सेवा वितरण: आधार और DBT जैसे तकनीक-सक्षम शासन सुधारों ने कल्याणकारी वितरण को अधिक कुशल एवं पारदर्शी बना दिया है। 
    • कोविड-19 के दौरान CoWIN जैसे प्लेटफॉर्मों ने राष्ट्रीय चुनौतियों के लिये डिजिटल साधनों की मापनीयता को प्रदर्शित किया। 
      • इससे यह सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक सेवाएँ देश के सुदूरतम भागों तक भी पहुँच सकें।
    • PM-किसान सम्मान निधि विश्व स्तर पर सबसे बड़ी DBT योजनाओं में से एक है, जो सीधे किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में धनराशि अंतरित करती है
  • डिजिटल सामग्री और मनोरंजन विकास: OTT प्लेटफॉर्मों, ऑनलाइन गेमिंग और क्षेत्रीय कंटेंट के उदय ने भारत के मनोरंजन क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
    • किफायती डेटा और स्मार्टफोन ने शहरी एवं ग्रामीण बाज़ारों में सामग्री तक पहुँच को सक्षम बना दिया है। 
    • यह क्षेत्र डिजिटल विकास में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता बन रहा है।
    • भारत में सोशल मीडिया के उपयोग में मिलेनियल्स (1980 के दशक के मध्य से लेकर 2000 के दशक के मध्य तक की पीढ़ी) और Gen Z (1997 से लेकर 2012 तक के बीच की पीढ़ी) का मुख्य योगदान है। सोशल मीडिया पर 52.3% परिणाम मिलेनियल्स से आते हैं। 
    • भारतीय गेमिंग उद्योग ने वित्त वर्ष 23 में 3.1 बिलियन डॉलर का कारोबार किया और वित्त वर्ष 2028 तक 7.5 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • नीति समर्थन और नियामक कार्यढाँचा: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 जैसी प्रगतिशील नीतियाँ डेटा गोपनीयता और डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास सुनिश्चित करती हैं। 
    • ये नीतियाँ नागरिक सुरक्षा को व्यवसाय वृद्धि के साथ संतुलित करती हैं तथा नवाचार को बढ़ावा देती हैं।
      • DPDP अधिनियम, 2023 डेटा मिटाने और सूचित सहमति जैसे अधिकारों को अनिवार्य बनाता है।

भारत के डिजिटल विकास से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • डिजिटल डिवाइड: भारत का डिजिटल विकास असमान है, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों तथा विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के बीच काफी अंतर है। 
    • एक ओर शहरी क्षेत्रों में बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल सेवाएँ उपलब्ध हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्र इंटरनेट की कम सुलभता, डिजिटल साक्षरता एवं सामर्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
    • वर्ष 2023 तक, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सुलभता केवल 37% थी। इसके अलावा, नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एँड सर्विस कंपनीज़ (NASSCOM) के अनुसार भारत की डिजिटल साक्षरता दर लगभग 37% है। 
  • साइबर सुरक्षा खतरे: डिजिटल तकनीक अंगीकरण के कारण भारत को साइबर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें डेटा उल्लंघन, फिशिंग अटैक और रैनसमवेयर घटनाएँ शामिल हैं।
    • साइबर अपराधों से निपटने के लिये मज़बूत बुनियादी अवसंरचना की कमी से लोगों और व्यवसायों की सुरक्षा को खतरा है।
    • भारत में वर्ष 2022 में 13.91 लाख साइबर सुरक्षा घटनाएँ हुईं। भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद (DSCI) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि देश में लगभग 7,90,000 साइबर सुरक्षा पेशेवरों की कमी है। 
  • डेटा गोपनीयता और संरक्षण: हाल तक मज़बूत डेटा संरक्षण कार्यढाँचे की अनुपस्थिति ने नागरिकों को अनधिकृत डेटा संग्रह और दुरुपयोग जैसे जोखिमों के प्रति संवेदनशील किया था। 
    • यहाँ तक ​​कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के साथ भी, प्रावधानों के प्रवर्तन और संभावित दुरुपयोग को लेकर चिंताएँ बनी हुई हैं।
    • CII और प्रोटिविटी द्वारा हाल ही में किये गए सर्वेक्षण से पता चला है कि 61% उत्तरदाताओं का मानना ​​था कि भारतीय कंपनियाँ बिना सहमति के अत्यधिक डेटा संग्रह और द्वितीयक प्रसंस्करण जैसी गतिविधियों में संलग्न हैं, जो DPDP अधिनियम का उल्लंघन करता है तथा उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता को लेकर चिंता उत्पन्न करता है।
  • बुनियादी अवसंरचना की अड़चनें: यद्यपि भारत ने डिजिटल बुनियादी अवसंरचना में प्रगति की है, फिर भी कम ब्रॉडबैंड स्पीड, 5G रोलआउट में अनियमितता और अपर्याप्त फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क जैसी चुनौतियाँ प्रगति में बाधा डालती हैं। दूरदराज़ के क्षेत्रों में बुनियादी अवसंरचना की कमी डिजिटल सेवाओं तक पहुँच को सीमित करती है।  
    • नवंबर 2024 तक मोबाइल इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत विश्व स्तर पर 25वें स्थान पर था, जो दक्षिण कोरिया जैसे देशों से भी पीछे है।
  • विनियामक और नीतिगत चुनौतियाँ: बार-बार होने वाले विनियामक परिवर्तन और अतिव्यापी अधिकार क्षेत्र व्यवसायों के लिये भ्रम एवं अनुपालन भार उत्पन्न करते हैं।
    • उदाहरण के लिये, स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया को जटिल नियामक प्रक्रियाओं, दूरसंचार विभाग (DoT) और अन्य एजेंसियों के बीच क्षेत्राधिकार के अतिव्यापन तथा स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण के संबंध में लंबी वार्ता के कारण कई बार विलंब का सामना करना पड़ा है। 
      • इससे देश में 5G सेवाओं को समय पर शुरू करने में बाधा उत्पन्न हुई है, जिससे डिजिटल विकास और तकनीकी प्रगति प्रभावित हुई है।
    • जटिल डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताएँ भारत में परिचालन करने वाले वैश्विक व्यवसायों के लिये लागत बढ़ा देती हैं।
  • सार्वजनिक डिजिटल प्रणालियों में अकुशलता: सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्मों को कम उपयोगकर्त्ता स्वीकृति, डेटा सटीकता के मुद्दों और कभी-कभी तकनीकी गड़बड़ियों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • CoWIN जैसी प्रणालियाँ सफल होते हुए भी, गैर-शहरी आबादी के लिये मापनीयता और उपयोगिता में अंतराल को उजागर करती हैं।
    • आधार में पहचान धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए, जिससे इसकी सुदृढ़ता को लेकर चिंताएँ बढ़ गईं।
  • डिजिटल विस्तार का पर्यावरणीय प्रभाव: भारत के तीव्र डिजिटल विस्तार के कारण डेटा केंद्रों में ई-अपशिष्ट और ऊर्जा खपत में वृद्धि हुई है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता संबंधी चिंताएँ बढ़ गई हैं। 
    • सुदृढ़ ई-अपशिष्ट प्रबंधन नीतियों का अभाव समस्या को और भी बढ़ा देता है।
    • भारत में पिछले पाँच वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट (ई-अपशिष्ट) के उत्पादन में वृद्धि देखी गई है, जो सत्र 2019-20 में 1.01 मिलियन मीट्रिक टन (MT) से बढ़कर सत्र 2023-24 में 1.751 मिलियन मीट्रिक टन हो गई है।

भारत में डिजिटल परिदृश्य को बेहतर और सुरक्षित करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  • डिजिटल विभाजन कोसमाप्त करना: भारत को सामर्थ्य और अभिगम सुनिश्चित करते हुए ग्रामीण व दूरदराज़ के क्षेत्रों तक अपने डिजिटल बुनियादी अवसंरचना का विस्तार करना चाहिये। 
    • भारतनेट जैसे कार्यक्रमों को PM-WANI के साथ जोड़कर, विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में सुदृढ़ सार्वजनिक वाई-फाई पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सकता है। 
    • इंटरनेट-सक्षम उपकरणों पर सब्सिडी देने और क्षेत्रीय भाषा में कंटेंट को बढ़ावा देने से डिजिटल भागीदारी को और अधिक बढ़ाया जा सकता है।
  • साइबर सुरक्षा तंत्र को बढ़ाना: भारत को एक व्यापक साइबर सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है जिसमें क्षमता निर्माण, खतरे को रियल टाइम ट्रैक करने वाली प्रणालियाँ और कड़े नियम शामिल हों। 
    • साइबर सुरक्षित भारत पहल को SME और स्टार्टअप तक विस्तारित करने से सुरक्षा की सर्वोत्तम प्रथाओं को व्यापक रूप से अपनाया जाना सुनिश्चित हो सकता है। 
    • कौशल भारत मिशन के अंतर्गत लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रम 3.5 मिलियन साइबर सुरक्षा पेशेवरों की कमी को पूरा कर सकते हैं।
    • PLI योजनाओं के माध्यम से स्वदेशी साइबर सुरक्षा समाधानों में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने से डिजिटल समुत्थानशक्ति को बढ़ावा मिल सकता है।
  • डेटा गोपनीयता और संरक्षण को सुदृढ़ करना: नागरिक डेटा की सुरक्षा के लिये डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 का प्रभावी कार्यान्वयन महत्त्वपूर्ण है। 
    • क्षेत्रीय डेटा संरक्षण कार्यालय डिजिटल-प्रथम संस्थाओं के रूप में कार्य कर सकते हैं, जैसा कि CoWIN प्लेटफॉर्म के विकेंद्रीकृत प्रबंधन के साथ देखा गया है।
    • भारत को गोपनीयता, सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी विचारों में संतुलन बनाए रखने के लिये डेटा स्थानीयकरण पर स्पष्ट दिशानिर्देश भी बनाने चाहिये।
    • क्षेत्रीय डेटा संरक्षण कार्यालय स्थापित करने से स्थानीय स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी तथा शिकायतों पर प्रतिक्रिया देने में लगने वाला समय भी कम हो सकेगा। 
  • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को बुनियादी उपयोग से आगे बढ़ाकर इसमें साइबर सुरक्षा जागरूकता, ऑनलाइन शिष्टाचार और कौशल संवर्द्धन को भी शामिल किया जाना चाहिये।
    • PMGDISHA को कौशल भारत मिशन के साथ जोड़ने से ग्रामीण आबादी एवं युवाओं के लिये समग्र प्रशिक्षण तैयार किया जा सकता है। 
    • डिजिटल एम्बेसडर या लोकल चैंपियन जैसे समुदाय-संचालित पहल, निरंतर भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • ई-अपशिष्ट प्रबंधन और स्थिरता: भारत को संग्रहण, पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने वाले राष्ट्रीय ई-अपशिष्ट प्रबंधन कार्यढाँचे की आवश्यकता है। 
    • स्वच्छ भारत मिशन को ई-अपशिष्ट संग्रहण पहलों से जोड़ने से जागरूकता उत्पन्न हो सकती है और प्रक्रियाएँ सुचारू हो सकती हैं। 
    • हरित प्रौद्योगिकी और पुनर्चक्रण में विशेषज्ञता रखने वाले स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने से पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।
    • PLI योजना को हरित तकनीक उद्योगों तक विस्तारित करने से पर्यावरण अनुकूल विनिर्माण को बढ़ावा मिल सकता है।
  • डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं का एकीकरण: भारत को सिस्टम की अक्षमताओं को दूर करते हुए सेवा वितरण को बढ़ाने के लिये आधार, UPI और डिजीलॉकर जैसी डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं का लाभ उठाना चाहिये।
    • इस एकीकरण से शासन दक्षता में सुधार होता है और नौकरशाही संबंधी विलंब कम होता है।
    • डिजिलॉकर को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जोड़ने से स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रबंधन को सुव्यवस्थित किया जा सकता है।
  • स्टार्टअप और नवाचार को बढ़ावा: सरलीकृत विनियामक कार्यढाँचे और लक्षित वित्तपोषण से स्टार्टअप को बढ़ावा मिल सकता है, विशेष रूप से टियर II और टियर III शहरों में।
    • स्टार्ट-अप इंडिया पहल को ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के साथ जोड़कर इसे बढ़ावा देने से MSME के लिये डिजिटल पहुँच का लोकतंत्रीकरण हो सकता है और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिल सकता है। 
    • AI, ब्लॉकचेन और IoT पर ध्यान केंद्रित करने वाले समर्पित इन्क्यूबेशन केंद्र next जनरेशन के नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • समावेशी डिजिटल अभिगम सुनिश्चित करना: नीतियों को दिव्यांग जनों और सीमांत समुदायों के लिये डिजिटल सेवाओं को सुलभ बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • सार्वजनिक प्लेटफॉर्मों के लिये स्क्रीन रीडर जैसी सहायक प्रौद्योगिकियों को अनिवार्य करना तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये किफायती इंटरनेट योजनाओं को बढ़ावा देना, इस अंतर को समाप्त कर सकता है। 
    • सुगम्य भारत अभियान को डिजिटल इंडिया पहल के साथ एकीकृत करने से समावेशिता सुनिश्चित होती है।
    • क्षेत्रीय भाषाओं में AI सक्षम वॉइस् बेस्ड इंटरफेस को बढ़ावा देने से डिजिटल अभिगम में सुधार हो सकता है।
  • वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाना: भारत को अपने विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक संदर्भ को बनाए रखते हुए अपने डिजिटल विनियमों को यूरोपीय संघ के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) जैसे वैश्विक कार्यढाँचों के साथ सामंजस्य बिठाना चाहिये। 
    • सीमापार डेटा फ्लो और बौद्धिक संपदा साझाकरण के लिये द्विपक्षीय समझौते बनाने से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है।
    • भारत वैश्विक डिजिटल गवर्नेंस में अग्रणी बनने के लिये हिंद-प्रशांत डिजिटल गठबंधन जैसे कार्यक्रम शुरू कर सकता है।

निष्कर्ष

भारत का डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमावली, 2025 का मसौदा सुरक्षित और समावेशी डिजिटल भविष्य की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। जबकि देश का डिजिटल परिदृश्य तेज़ी से बढ़ रहा है, डिजिटल डिवाइड, साइबर सुरक्षा चुनौतियों और डेटा गोपनीयता चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता अभी भी बनी हुई है। डिजिटल बुनियादी अवसंरचना को बढ़ाने, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित प्रयास डिजिटल इंडिया की पूरी क्षमता को साकार करने में महत्त्वपूर्ण होंगे। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. भारत में शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण को परिवर्तित करने में डिजिटलीकरण की भूमिका पर चर्चा कीजिये। इसके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उनसे निपटने के उपाय सुझाइये

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2022)

  1. आरोग्य सेतु
  2. कोविन
  3. डिजीलॉकर
  4. दीक्षा

उपर्युक्त में से कौन-से ओपन-सोर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बनाए गए हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(
c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d) 


मेन्स

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है।" विवेचन कीजिये। (2020)