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भारतीय अर्थव्यवस्था

मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों के लिये मरम्मत योग्यता सूचकांक

  • 02 Sep 2024
  • 17 min read

मेन्स के लिये:

ई-अपशिष्ट, नियोजित अप्रचलन, ग्रे मार्केट, राइट-टू-रिपेयर, यूरोपियन यूनियन, सर्कुलर इकोनॉमी, मरम्मत योग्यता सूचकांक, राइट-टू-रिपेयर पोर्टल इंडिया, बौद्धिक संपदा

मेन्स के लिये:

राइट-टू-रिपेयर से जुड़े महत्त्व और चुनौतियाँ, सर्कुलर इकोनॉमी की आवश्यकता।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत उपभोक्ता मामले विभाग (Department of Consumer Affairs- DoCA) ने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों के लिये मरम्मत के अधिकार की रूपरेखा पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।

  • इसमें मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिये "मरम्मत सूचकांक" शुरू करने पर चर्चा की गई ताकि उपभोक्ताओं को उन्हें खरीदने से पहले उचित निर्णय लेने में मदद मिल सके।
  • इस पहल का उद्देश्य बढ़ती ई-अपशिष्ट की समस्या का समाधान करना तथा निर्माताओं को आसानी से मरम्मत योग्य वस्तुओं का उत्पादन करने के लिये प्रोत्साहित करना है।

कार्यशाला की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • कार्यशाला का उद्देश्य: कार्यशाला का उद्देश्य मरम्मत योग्यता सूचकांक स्थापित करने, उत्पाद की दीर्घायु को बढ़ावा देने तथा मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के पुनः उपयोग में उपभोक्ता अनुभव को बढ़ाने के लिये मरम्मत संबंधी जानकारी का लोकतंत्रीकरण करने पर उद्योग हितधारकों के बीच आम सहमति बनाना था।
    • यह मरम्मत विकल्पों की कमी या उच्च मरम्मत लागत के कारण उपभोक्ताओं को नए उत्पाद खरीदने की आवश्यकता को रोकने में मदद करता है।
  • नियोजित अप्रचलन से निपटना: यह चर्चा "नियोजित अप्रचलन" की प्रथा से निपटने पर केंद्रित थी, जहाँ निर्माता आवश्यक मरम्मत जानकारी, मरम्मत मैनुअल/वीडियो और स्पेयर पार्ट्स तक पहुँच को प्रतिबंधित करते हैं।
    • इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि मरम्मत संबंधी जानकारी और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता की कमी के कारण उपभोक्ता अपने उपकरणों को छोड़कर नए खरीदने को मजबूर होते हैं या फिर ग्रे मार्केट (अनौपचारिक बाज़ार) से जोखिम भरे नकली पार्ट्स खरीदने को मज़बूर होते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम पद्धतियाँ : चर्चा में फ्राँस, यूरोपियन यूनियन, यूनाइटेड किंगडम की अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम पद्धतियों को एकीकृत करने और मरम्मत क्षमता बढ़ाने के लिये दीर्घावधिक उत्पादों के डिज़ाइन पर ज़ोर  दिया गया।
    • चर्चाओं में टिकाऊ उत्पाद डिज़ाइन के महत्त्व, पारिस्थितिकीय चिंताओं तथा "उपयोग और निपटान" की अर्थव्यवस्था से "सर्कुलर इकोनॉमी" की ओर स्थानांतरित होने की आवश्यकता तथा "विचारहीन उपभोग" के स्थान पर "विचारपूर्ण उपयोग" को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर चर्चा की गई।

मरम्मत योग्यता सूचकांक के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिभाषा: मरम्मत योग्यता सूचकांक एक अनिवार्य लेबल है, जिसे निर्माता उत्पाद की मरम्मत योग्यता के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिये विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर प्रदर्शित करते हैं।
  • उत्पादों की रेटिंग के लिये मानदंड: मरम्मत योग्यता सूचकांक निम्नलिखित के आधार पर उत्पादों का मूल्यांकन करेगा:
    • तकनीकी दस्तावेज़ों की उपलब्धता: उत्पाद की मरम्मत में सहायता करने वाले मैनुअल और गाइड तक पहुँच।
    • वियोजन में आसानी: किसी उत्पाद को कितनी आसानी से अलग किया जा सकता है ताकि उसके घटकों तक पहुँचा जा सके और उनकी मरम्मत की जा सके।
    • स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता और मूल्य निर्धारण: स्पेयर पार्ट्स कितनी आसानी से उपलब्ध हैं और उपभोक्ताओं के लिये उनकी लागत कितनी है।
  • मरम्मत योग्यता सूचकांक की स्कोरिंग प्रणाली: उत्पादों को 1 से 5 के पैमाने पर स्कोर किया जाएगा।
    • 1 का स्कोर: ऐसे उत्पाद जिनमें क्षति का उच्च जोखिम होता है तथा जिनके एक भाग तक पहुँचने के लिये कई घटकों को तोड़ना पड़ता है।
    • 5 का स्कोर: ऐसे उत्पाद जिनकी मरम्मत आसान है तथा बैटरी या डिस्प्ले जैसे प्रमुख भागों तक सीधी पहुँच है एवं उन्हें अनावश्यक रूप से अलग नहीं किया जा सकता।

राईट टू रिपेयर क्या है?

  • परिचय: उपभोक्ता वस्तुओं के लिये ‘राईट टू रिपेयर’ अंतिम उपभोक्ताओं, उपभोक्ताओं तथा सभी व्यवसायों को बिना किसी निर्माता या तकनीकी प्रतिबंध के अपने स्वामित्व वाले या सेवा वाले उपकरणों की मरम्मत करने की अनुमति देता है।
    • यह निर्माताओं को उपकरण, पार्ट्स और दस्तावेज़ों तक पहुँच को सीमित करके रिपेयर को उनकी अधिकृत सेवाओं तक सीमित करने से प्रतिबंधित करता है।
  • राईट टू रिपेयर की विशेषताएँ:
    • सूचना तक पहुँच: उपभोक्ताओं को रिपेयर मैनुअल, व्यवस्था (स्कीमैटिक्स) और सॉफ्टवेयर अपडेट तक पहुँच होनी चाहिये।
    • पुर्ज़ों और उपकरणों की उपलब्धता: थर्ड पार्टी और व्यक्तियों को रिपेयर के लिये आवश्यक भागों एवं उपकरणों तक पहुँच में सक्षम होना चाहिये।
    • लीगल अनलॉकिंग: उपभोक्ताओं को डिवाइस को अनलॉक या संशोधित करने की अनुमति दी जानी चाहिये जैसे कि कस्टम सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना।
    • मरम्मत के अनुकूल डिज़ाइन: डिवाइस को आसान रिपेयर के लिये डिज़ाइन किया जाना चाहिये।
  • राईट टू रिपेयर की आवश्यकता:
    • बढ़ता ई-अपशिष्ट: उपकरणों की मरम्मत में कठिनाई से इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट में वृद्धि होती है।
      • भारत ई-अपशिष्ट में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता है, जहाँ प्रत्येक वर्ष लगभग 3.2 मिलियन मीट्रिक टन ई-अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जो केवल चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका से पीछे है।
    • रिपेयर का एकाधिकार: निर्माता प्रायः थर्ड पार्टी रिपेयर में बाधाएँ उत्पन्न करते हैं, जो उपभोक्ता की पसंद को सीमित करता है और लागत बढ़ाता है।
    • नियोजित अप्रचलन: कंपनियाँ बार-बार प्रतिस्थापन को प्रोत्साहित करने के लिये सीमित जीवनकाल वाले उत्पाद डिज़ाइन करती हैं।
    • स्थायित्व: यह उपकरणों के जीवन को बढ़ाकर और उनके रखरखाव, पुन: उपयोग, उन्नयन, पुनर्चक्रण तथा अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करके परिपत्र अर्थव्यवस्था लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।

मरम्मत के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिये क्या पहल की गई है?

  • भारत में राईट टू रिपेयर:
    • उपभोक्ता कार्य विभाग ने निधि खरे की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है, जिसके कारण भारत में राईट टू रिपेयर पोर्टल का निर्माण हुआ।
      • यह उपभोक्ताओं को उत्पादों की मरम्मत और रखरखाव पर आवश्यक जानकारी तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिये एकल मंच के रूप में कार्य करता है।
      • इस पोर्टल पर कृषि उपकरण, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स, उपभोक्ता धारणीय वस्तुएँ और ऑटोमोबाइल उपकरण जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
      • अब तक 63 कंपनियाँ पोर्टल पर शामिल हो चुकी हैं, जिनमें मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की 23 कंपनियाँ शामिल हैं, जो मरम्मत के विकल्पों, अधिकृत मरम्मत करने वालों एवं स्पेयर पार्ट्स के स्रोतों के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।
  • अन्य देशों में राईट टू रिपेयर:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका: वर्ष 2022 के फेयर रिपेयर एक्ट के तहत कंपनियों को पेटेंट किये गए उपकरण उपलब्ध कराने और ऐसे सॉफ्टवेयर प्रतिबंध हटाने की आवश्यकता होती है, जो उपयोगकर्त्ताओं को अपने उत्पादों की मरम्मत करने से प्रतिबंधित करते हैं।
    • यूरोपीय संघ: राईट टू रिपेयर नियम, 2019 का उद्देश्य डिजिटल उत्पादों की एक परिपत्र अर्थव्यवस्था स्थापित करना है, जिससे उपयोगकर्त्ताओं को उपभोक्ता उपकरणों की मरम्मत के लिये रिपेयर टूल्स तक पहुँच मिलती है।
    • यूनाइटेड किंगडम: राईट टू रिपेयर विनियम, 2021 सुनिश्चित करते हैं कि उत्पाद रिलीज़ होने के दस वर्ष बाद तक स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध रहें।
    • ऑस्ट्रेलिया: स्वयंसेवी मरम्मत करने वाले लोग (Volunteer Repairmen) अपने कौशल को उन लोगों के साथ साझा करने के लिये ‘रिपेयर कैफे’ में इकट्ठा होते हैं जो अपना सामान लेकर आते हैं।

राईट टू रिपेयर को लागू करने में क्या चुनौतियाँ शामिल हैं?

  • टेक कंपनियों का विरोध: Apple, Microsoft और Tesla जैसी कंपनियों का तर्क है कि राईट टू रिपेयर के कारण सुरक्षा, बौद्धिक संपदा और उत्पाद की गुणवत्ता से समझौता हो सकता है।
    • उपयोगकर्त्ता सुरक्षा, तकनीक का संकुचित होता आकार और नवाचार में कम प्रोत्साहन चिंता के बिंदु हैं।
  • संकुचित होती हुई तकनीक: प्रत्येक वर्ष तकनीक क्षेत्र संकुचित होती जा रही है और जटिल हार्डवेयर की मरम्मत औसत व्यक्ति के लिये कठिन होती जा रही है।
    • जबकि पुरानी तकनीक को किसी भी हार्डवेयर स्टोर पर उपलब्ध सामान्य उपकरणों से ठीक किया जा सकता है, आधुनिक तकनीक इसकी तुलना में छोटी और अधिक सूक्ष्म है।
    • उन्हें प्रायः विशेष टूल्स के प्रयोग की आवश्यकता होती है, जो व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं और यहाँ तक ​​कि लाइसेंसिंग की भी आवश्यकता हो सकती है।
  • नवाचार के लिये शून्य प्रोत्साहन: मूल उपकरण निर्माता (OEM) लगातार नई तकनीक पर बल देते हैं क्योंकि इससे उन्हें लाभ होता है।
    • OEM ने तर्क दिया कि यदि लोग गैजेट को अपग्रेड करने के बजाय उन्हें रिपेयर कराना पसंद करेंगे तो नवाचार पीछे छूट जाएगा। 
  • दक्षता: आधुनिक तकनीकी उत्पादों को उनके दिये गए फॉर्म फैक्टर के भीतर यथासंभव कुशल बनाने हेतु डिज़ाइन किया गया है। रिपेयर को आसान बनाने के लिये इसकी दक्षता को कम करना होगा।
  • सुरक्षा और गोपनीयता: तीसरे पक्ष को पहुँच की अनुमति देने से उपयोगकर्त्ताओं के डेटा की सुरक्षा भंग हो सकती है।

आगे की राह:

  • रिपेयर उपकरणों और सूचना तक उचित पहुँच: निर्माताओं को प्रमाणित स्वतंत्र मरम्मत दुकानों के लिये मरम्मत मैनुअल, नैदानिक ​​उपकरण और स्पेयर पार्ट्स को आसानी से उपलब्ध कराने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है या उनसे यह अपेक्षा की जा सकती है।
    • इससे उपभोक्ताओं को रिपेयर के लिये आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने में भी सहायता मिलेगी।
  • उत्पाद डिज़ाइन में दक्षता और रिपेयर योग्यता के बीच संतुलन: निर्माताओं को उत्पाद दक्षता और रिपेयर योग्यता के बीच संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का लक्ष्य रखना चाहिये।
    • यह कार्य ऐसे मॉड्यूलर घटकों को डिज़ाइन करके प्राप्त किया जा सकता है, जिन्हें रिपेयर या प्रतिस्थापन आसान हो और जो डिवाइस के समग्र प्रदर्शन को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित न करें।
  • नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करना: नवाचार की गति को बनाए रखने के लिये, सरकारें उन कंपनियों को कर छूट, अनुदान या सब्सिडी जैसे प्रोत्साहन प्रदान कर सकती हैं जो अनुसंधान और विकास में निवेश करती हैं तथा साथ ही रिपेयर योग्य उत्पाद डिज़ाइनों का भी समर्थन करती हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. 'राइट टू रिपेयर' की अवधारणा और उपभोक्ता अधिकारों, पर्यावरणीय स्थिरता तथा नवाचार के लिये इसके निहितार्थ पर चर्चा कीजिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसमें एक महत्त्वपूर्ण विशेषता के रूप में 'विस्तारित उत्पादक दायित्व' आरंभ किया गया था? (2019)

(a) जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 1998
(b) पुनर्चक्रित प्लास्टिक (निर्माण और उपयोग) नियम, 1999
(c) ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2011
(d) खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011

उत्तर: (c)


प्रश्न. पुराने और प्रयुक्त कम्प्यूटरों या उनके पुर्जों के असंगत/अव्यवस्थित निपटान के कारण, निम्नलिखित में से कौन-से ई-अपशिष्ट के रूप में पर्यावरण में निर्मुक्त होते हैं? (2013)

  1. बेरिलियम 
  2. कैडमियम
  3. क्रोमियम
  4. हेप्टाक्लोर
  5. पारद 
  6. सीसा
  7. प्लूटोनियम

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

(a) केवल 1, 3, 4, 6 और 7
(b) केवल 1, 2, 3, 5 और 6
(c) केवल 2, 4, 5 और 7
(d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे जहरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018)

प्रश्न. "सूचना प्रौद्योगिकी केंद्रों के रूप में नगरों की संवृद्धि ने रोज़गार के नए मार्ग खोल दिये हैं, परंतु साथ में नई समस्याएँ भी पैदा कर दी हैं।" उदाहरणों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।  (2017)

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