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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एप्पल आदि कंपनियों की भारत में बढ़ती दिलचस्पी से चिढ़ा चीन

  • 05 Jan 2017
  • 3 min read

सन्दर्भ

चीन के एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ने भारत को विश्व का अगला विनिर्माण हब बताते हुए उससे सचेत रहने को कहा है| गौरतलब है कि यह दैनिक सीपीसी (Communist Party of China) से संबंधित है और इसने इस आवश्यकता पर बल दिया है कि चीन को उच्च विनिर्माण के लिये वांछनीय बदलाव करने चाहियें, और कम लागत वाले श्रम का लाभ लेना चाहिये जो कि अभी भी चीन के अल्प-विकसित क्षेत्रों में उपलब्ध है| 

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि ग्लोबल टाइम्स नामक इस दैनिक ने यह भी कहा है कि यदि एप्पल की विनिर्माण संबंधी गतिविधियाँ भारत में और बढ़ती हैं तो विश्व में तकनीकी क्षेत्र की अन्य दिग्गज कम्पनियाँ भी चीन को छोड़कर भारत में अपना उपक्रम शुरू कर सकती हैं क्योंकि भारत में कामकाजी श्रम और कम लागत वाला श्रम दोनों प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं|
  • ग्लोबल टाइम्स ने यह भी कहा है कि चीन विनिर्माण क्षेत्र के रोज़गार खत्म होने का दबाव झेलने की स्थिति में नहीं है क्योंकि उसने अपने उद्योग क्षेत्र में पर्याप्त सुधार नहीं किये हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रम्प पहले ही विनिर्माण को पुनः अपने देश में लाने को प्रतिबद्ध दिख रहे हैं|
  • गौरतलब है कि ग्लोबल टाइम्स ने इस बात की आशंका जताई है कि भारत में श्रम की कम लागत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकती है, साथ ही यह भी कहा है कि चीन अपने मध्य और पश्चिमी क्षेत्र में मौजूद कम लागत वाले श्रम पर ध्यान केन्द्रित करे| 

निष्कर्ष

  • ध्यातव्य है कि पिछले साल एप्पल के सीईओ टिम कुक ने अपने भारत दौरे के समय भारत में बहुत दिलचस्पी दिखाई थी, तब भी चीन की मीडिया ने टीम कुक की भारत में योजनाओं के विस्तार को लेकर चिंता जताते हुए कहा था कि इससे एप्पल का उत्पादन उपक्रम चीन से बाहर जा सकता है जिससे देश में हज़ारों नौकरियाँ खतरे में पड़ सकती हैं|
  • अपने दौरे के समय टिम कुक ने भारत के लिये एप्पल इंक (Apple Inc.) की भावी योजनाओं का खुलासा किया था और कहा था कि भारत के युवाओं में उल्लेखनीय कौशल है जिसका एप्पल दोहन करना चाहेगी। जाहिर सी बात है कि भारत के लिये परिस्थितियाँ अभी लाभदायक हैं, ऐसे में उसे इन परिस्थितियों का अधिकतम लाभ उठाना चाहिये|
  • भारत को चाहिये कि वह अपने यहाँ निवेश के वातावरण को और बेहतर बनाए, श्रम सुधारों की दिशा में कार्य करे और भूमि अधिग्रहण से संबंधित कानूनों को व्यावहारिक बनाए|
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