अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-ब्रिटेन संबंधों के बीच अंतराल को कम करना
- 20 Jan 2024
- 23 min read
यह एडिटोरियल 19/01/2024 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Crafting a new phase in India-UK defence ties” लेख पर आधारित है। इसमें भारतीय रक्षा मंत्री की यूके यात्रा के बारे में चर्चा की गई है जो दोनों देशों को ‘भारत-यूके इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन क्षमता साझेदारी’ के रूप में एक संयुक्त नौसैनिक दृष्टिकोण के लिये नई योजनाएँ बनाने हेतु वृहत अवसर प्रदान करता है। इसमें भारत-यूके संबंधों के अन्य समकालीन पहलुओं पर भी विचार किया गया है।
प्रिलिम्स के लिये:भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता वार्ता, भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA), यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA), बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), संचार के समुद्री मार्ग (SLOCs), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN), रॉयल नेवी (RN), भारत-यूके इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन क्षमता साझेदारी, हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) । मेन्स के लिये:यूके के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध, भारत-यूके FTAs और इसका महत्त्व। |
भारत के रक्षा मंत्री ने हाल ही में 22 वर्ष के अंतराल के बाद यूनाइटेड किंगडम (UK) का दौरा किया, जो राजनयिक संलाग्न्ताओं में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। पिछले दो दशकों में अवसरों में वृद्धि देखी गई है, जो मुख्य रूप से चीनी सैन्य शक्ति की वृद्धि और हिंद महासागर में इसके विस्तार से प्रेरित है, जिससे भारत के लिये और यूके के लिये महत्त्वपूर्ण समुद्री संचार मार्गों (Sea Lines of Communications- SLOCs) को खतरा पैदा हो गया है।
यूके के साथ भारत के संबंधों में हालिया घटनाक्रम क्या रहे हैं?
- यूक्रेन संकट से उत्पन्न चुनौती के बावजूद, भारत-ब्रिटेन संबंध में वृद्धि हुई है, जिसकी पुष्टि वर्ष 2021 में संपन्न व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) से होती है।
- इस समझौते ने भारत-ब्रिटेन संबंधों के लिये रोडमैप 2030 भी स्थापित किया, जो मुख्य रूप से द्विपक्षीय संबंधों के लिये साझेदारी योजनाओं की रूपरेखा तैयार करता है।
- दोनों देशों ने रक्षा-संबंधी व्यापार और साइबर सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को गहन करने की दिशा में वार्ता की है।
- भारत और यूके में ऑनलाइन अवसंरचना की सुरक्षा के लिये एक नए संयुक्त साइबर सुरक्षा कार्यक्रम की घोषणा की जाने वाली है।
- भारत और यूके पहले रणनीतिक तकनीकी संवाद (Strategic Tech Dialogue) की भी योजना रखते हैं जो उभरती प्रौद्योगिकियों पर एक मंत्रीस्तरीय शिखर सम्मेलन होगा।
- इसके अतिरिक्त, यूके और भारत समुद्री क्षेत्र में अपने सहयोग को मज़बूत करने पर सहमत हुए हैं क्योंकि यूके भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल में शामिल हो रहा है और दक्षिण पूर्व एशिया में समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर एक प्रमुख भागीदार बनेगा।
भारत-यूके भागीदारी क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- यूके के लिये:
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बाज़ार हिस्सेदारी और रक्षा, दोनों मामले में भारत यूके के लिये एक प्रमुख रणनीतिक भागीदार है, जैसा कि वर्ष 2015 में भारत और यूके के बीच रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा भागीदारी पर हस्ताक्षर द्वारा रेखांकित किया गया था।
- भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संपन्न होने से यूके की ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ावा मिलेगा, जहाँ यूके ‘ब्रेग्जिट’ (Brexit) के बाद से यूरोप से परे भी अपने बाज़ारों के विस्तार की इच्छा रखता है।
- ब्रिटेन एक गंभीर वैश्विक खिलाड़ी के रूप में वैश्विक मंच पर अपनी जगह पक्की करने के लिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र की विकास करती अर्थव्यवस्थाओं में अवसरों का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।
- भारत के साथ अच्छे द्विपक्षीय संबंधों से ब्रिटेन इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु बेहतर स्थिति में होगा।
- भारत के लिये:
- यूके हिंद-प्रशांत में एक क्षेत्रीय शक्ति है, जहाँ पर ओमान, सिंगापुर, बहरीन, केन्या और हिंद महासागर के ब्रिटिश क्षेत्रों में इसका नौसैनिक प्रभाव है।
- यूके ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग का समर्थन करने के लिये 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ब्रिटिश अंतर्राष्ट्रीय निवेश वित्तपोषण की भी पुष्टि की है।
- इस वित्तपोषण से क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना के निर्माण और सौर ऊर्जा के विकास में मदद मिलेगी।
- भारत ने श्रम-गहन निर्यातों के लिये शुल्क रियायत के अलावा भारतीय मात्यिसिकी, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि उत्पादों के लिये सुगम बाज़ार पहुँच की मांग की है।
भारत-यूके संबंधों को बढ़ावा देने में अन्य देशों की क्या भूमिका है?
- यूएसए: भारत और यूके के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बदलने में संयुक्त राज्य अमेरिका केंद्रीय भूमिका रखता है। अमेरिका द्वारा भारत को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति और हिंद-प्रशांत में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में मान्यता देने से यूके भी भारत की ओर आकर्षित हुआ।
- यह अमेरिका ही था जिसने सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में भारत के तेज़ी से बढ़ते सापेक्षिक महत्त्व को पहचाना।
- 20वीं सदी के अंत में अमेरिका ने इस दृष्टिकोण के साथ भारत के उत्थान में सहायता करने की एक नीति का अनावरण किया कि एक मज़बूत भारत एशिया और विश्व में अमेरिकी हितों की पूर्ति करेगा।
- चीन: अमेरिका के लिये, भारत के उत्थान में सहायता करने की रणनीतिक प्रतिबद्धता चीन के प्रभुत्व वाले एशिया में निहित खतरों की पहचान करने से संलग्न थी।
- पिछले दो दशकों में यूके और चीन ने उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध साझा किये जहाँ पिछले दशक को वर्ष 2015 में चीन के साथ संबंधों का ‘स्वर्णिम दशक’ घोषित किया गया।
- हालाँकि, चीन की विस्तारवादी नीतियों (Chinese expansionist policies) और चीनी शक्ति के साथ अमेरिका के टकराव के कारण यूके ने भारत के साथ एक बार फिर एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में अपना ‘हिंद-प्रशांत झुकाव’ (Indo-Pacific tilt) प्रदर्शित किया है।
यूके के साथ रक्षा संबंधों से भारतीय नौसेना को किस प्रकार लाभ प्राप्त हो सकता है?
- भारतीय नौसेना की क्षमता आवश्यकताएँ और रणनीतिक प्राथमिकताएँ:
- चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) की तुलना में भारतीय नौसेना को क्षमता-संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- भारतीय रक्षा मंत्री की यूके यात्रा इन कमियों को दूर करने पर केंद्रित थी, विशेष रूप से चीनी सैन्य शक्ति की तुलना में तकनीकी अंतराल को दूर करने के लिये यूके से प्रमुख प्रौद्योगिकियाँ प्राप्त करने के लिये।
- हिंद महासागर में उभरते रणनीतिक परिदृश्य ने दोनों देशों को अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने के लिये प्रेरित किया है।
- विद्युत प्रणोदन प्रौद्योगिकी:
- भारत-यूके विद्युत प्रणोदन क्षमता साझेदारी की स्थापना:
- फ़रवरी 2023 में ‘भारत-यूके विद्युत प्रणोदन क्षमता साझेदारी’ (India-UK Electric Propulsion Capability Partnership) नामक एक संयुक्त कार्यसमूह की स्थापना की गई।
- इसके बाद की चर्चाएँ तकनीकी जानकारी को स्थानांतरित करने और समुद्री विद्युत प्रणोदन में रॉयल नेवी के अनुभव को साझा करने पर केंद्रित रहीं।
- विमान वाहकों के लिये EPT में सहयोग:
- भारत-ब्रिटेन सहयोग के एक प्रमुख पहलू में विमान वाहक के लिये विद्युत प्रणोदन प्रौद्योगिकी शामिल है।
- भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में इस प्रौद्योगिकी का अभाव है, जबकि रॉयल नेवी के क्वीन एलिजाबेथ क्लास वाहक विद्युत प्रणोदन का उपयोग करते हैं।
- इस साझेदारी का उद्देश्य इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिये ब्रिटिश विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।
- जबकि PLAN को इस प्रौद्योगिकी को अपनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, चीनी युद्धपोतों में इसे शामिल करने के संकेत प्राप्त हुए हैं।
- भारत-ब्रिटेन सहयोग के एक प्रमुख पहलू में विमान वाहक के लिये विद्युत प्रणोदन प्रौद्योगिकी शामिल है।
- विद्युत प्रणोदन का रणनीतिक महत्त्व:
- भारतीय नौसेना EPT के लाभों को देखते हुए इसे प्राप्त करने में पीछे नहीं रहने के महत्त्व को समझती है।
- इस क्षमता से लैस युद्धपोत निम्न एकॉस्टिक सिग्नेचर और उन्नत विद्युत ऊर्जा उत्पादन प्रदान करते हैं, जो समुद्री परिचालन में रणनीतिक बढ़त प्रदान करते हैं।
- साझेदारी की प्रगति और भविष्य की योजनाएँ:
- नवंबर 2023 में इस साझेदारी में प्रगति हुई जहाँ भारतीय नौसेना के भविष्य के युद्धपोतों में EPT के एकीकरण पर चर्चा की जा रही है।
- यूके प्रशिक्षण देने, उपकरण प्रदान करने और आवश्यक अवसंरचना की स्थापना में सहायता देने के लिये प्रतिबद्ध है।
- आरंभिक परीक्षण प्लेटफॉर्म डॉक की लैंडिंग पर किये जाने की उम्मीद है, जिसके बाद 6000 टन से अधिक के विस्थापन वाले सतही जहाज़ों पर इसका परीक्षण किया जाएगा।
- नवंबर 2023 में इस साझेदारी में प्रगति हुई जहाँ भारतीय नौसेना के भविष्य के युद्धपोतों में EPT के एकीकरण पर चर्चा की जा रही है।
- भारत-यूके विद्युत प्रणोदन क्षमता साझेदारी की स्थापना:
भारत-यूके संबंधों में विद्यमान चुनौतियाँ कौन-सी हैं?
- भारत-ब्रिटेन संबंधों में ऐतिहासिक विरोधाभास:
- ब्रिटेन के साथ भारत के उत्तर-औपनिवेशिक संबंधों को विरोधाभासों और दीर्घकालिक असंतोष से चिह्नित किया जाता है।
- भारतीय उपमहाद्वीप में विशेष भूमिका के ब्रिटेन के अनुचित दावे ने लगातार टकराव को बढ़ावा दिया है।
- भारत विभाजन और शीत युद्ध के परिणामों ने दोनों देशों के बीच स्थायी साझेदारी स्थापित करने के प्रयासों को और जटिल बना दिया।
- भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों पर पाकिस्तान का प्रभाव:
- ब्रिटेन के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में पाकिस्तान एक महत्त्वपूर्ण बाधा बनकर उभरा है।
- पाकिस्तान के लिये ब्रिटेन की ऐतिहासिक पक्ष-समर्थन भारत के लिये चिंताएँ बढ़ाती है, विशेष रूप से जबकि वह भारत के प्रति नए उत्साह और पाकिस्तान के साथ ऐतिहासिक संबंधों के बीच फँसा हुआ है।
- अमेरिका और फ्राँस के विपरीत, ब्रिटेन दक्षिण एशिया में स्पष्ट ‘इंडिया फर्स्ट’ की रणनीति अपनाने में संघर्षरत रहा है।
- ब्रिटेन के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में पाकिस्तान एक महत्त्वपूर्ण बाधा बनकर उभरा है।
- भारत-ब्रिटेन संबंधों में बदलती गतिशीलता:
- हाल की क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उथल-पुथल ने भारत और यूके के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी संलग्नता के लिये एक नई नींव प्रदान की है।
- ब्रिटेन की आंतरिक गतिशीलता, जिसमें राजनीतिक निष्ठाएँ और ऐतिहासिक पूर्वाग्रह शामिल हैं, ने कई बार भारत के साथ उसके संबंधों में तनाव पैदा किया है।
- भारत द्वारा ब्रिटेन से कोहिनूर की मांग और जलियाँवाला बाग नरसंहार के लिये ब्रिटिश प्रधानमंत्री द्वारा माफी मांगने से इनकार करने जैसी बातों ने इन तनावों में योगदान दिया है।
- भारतीय आर्थिक अपराधियों का प्रत्यर्पण:
- यह मुद्दा उन भारतीय आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण से संबंधित है जो वर्तमान में ब्रिटेन में शरण ले रहे हैं और कानूनी प्रणाली का उपयोग अपने लाभ के लिये कर रहे हैं।
- कुछ आर्थिक अपराधियों ने लंबे समय से ब्रिटिश प्रणाली के तहत शरण ले रखी है, जबकि उनके विरुद्ध स्पष्ट भारतीय केस मौजूद हैं जहाँ उनके प्रत्यर्पण की आवश्यकता है।
- यह मुद्दा उन भारतीय आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण से संबंधित है जो वर्तमान में ब्रिटेन में शरण ले रहे हैं और कानूनी प्रणाली का उपयोग अपने लाभ के लिये कर रहे हैं।
- राजनीतिक संबद्धताएँ और आंतरिक मामले:
- भारत के प्रति लेबर पार्टी की समानुभूति और कंजर्वेटिव पार्टी के विरोध-भाव के संबंध में दिल्ली की धारणाएँ गलत साबित हुई हैं।
- लेबर पार्टी, जिसे पारंपरिक रूप से भारत के प्रति सहानुभूतिपूर्ण माना जाता है, ने कश्मीर जैसे आंतरिक मामलों पर भारत के प्रति शत्रुता प्रदर्शित की है।
- राजनीतिक गतिशीलता में यह अप्रत्याशित बदलाव समग्र भारत-ब्रिटेन संबंधों में जटिलता का योग करता है।
भारत-यूके संबंधों को बेहतर बनाने के लिये कौन-से कदम उठाये जा सकते हैं?
- प्रवासन और परिवहन संबंधी साझेदारी:
- प्रवासन और परिवहन संबंधी साझेदारी (migration and mobility partnership) का कार्यान्वयन, जो यूके की नई कौशल आधारित आप्रवासन नीति को ध्यान में रखते हुए छात्रों और पेशेवरों के आवागमन के साथ-साथ अनियमित प्रवासन को कवर करता है, समय की मांग है।
- इसमें प्रति वर्ष 3,000 युवा भारतीय पेशेवरों को यूके आने की अनुमति देने के लिये एक युवा पेशेवर योजना शामिल होनी चाहिये।
- प्रवासन और परिवहन संबंधी साझेदारी (migration and mobility partnership) का कार्यान्वयन, जो यूके की नई कौशल आधारित आप्रवासन नीति को ध्यान में रखते हुए छात्रों और पेशेवरों के आवागमन के साथ-साथ अनियमित प्रवासन को कवर करता है, समय की मांग है।
- जलवायु परिवर्तन पर सहयोग:
- जलवायु परिवर्तन पर द्विपक्षीय संवाद और साझेदारी को सशक्त करने की आवश्यकता है। इसमें मंत्रीस्तरीय ऊर्जा वार्ता और जलवायु, बिजली एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर संयुक्त कार्यसमूह स्थापित करना शामिल है।
- भारत-यूके स्वास्थ्य साझेदारी:
- वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के संवर्द्धन और महामारी प्रत्यास्थता के साथ ही रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) पर नेतृत्व के प्रदर्शन के लिये दोनों देशों को भारत-यूके स्वास्थ्य साझेदारी के व्यापक विस्तार करने की आवश्यकता है।
- उन्हें स्वस्थ समाजों को भी बढ़ावा देना चाहिये और नैदानिक शिक्षा, स्वास्थ्य कार्यकर्ता गत्यात्मकता और डिजिटल स्वास्थ्य पर सहयोग बढ़ाकर दोनों देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करना चाहिये।
- वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के संवर्द्धन और महामारी प्रत्यास्थता के साथ ही रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) पर नेतृत्व के प्रदर्शन के लिये दोनों देशों को भारत-यूके स्वास्थ्य साझेदारी के व्यापक विस्तार करने की आवश्यकता है।
- यूके-भारत विज्ञान और नवाचार परिषद:
- दोनों देशों के विज्ञान, अनुसंधान एवं नवाचार सहयोग के लिये एजेंडा निर्धारित करने के लिये एक द्विवार्षिक मंत्रिस्तरीय यूके-भारत विज्ञान और नवाचार परिषद की स्थापना से संबंधों में सुधार होगा।
- व्यापक-साझा प्राथमिकताओं के साथ संरेखित होने और भागीदारी में योगदान करने के लिये भारत में यूके विज्ञान एवं नवाचार नेटवर्क का होना अत्यंत आवश्यक है।
- दोनों देशों के विज्ञान, अनुसंधान एवं नवाचार सहयोग के लिये एजेंडा निर्धारित करने के लिये एक द्विवार्षिक मंत्रिस्तरीय यूके-भारत विज्ञान और नवाचार परिषद की स्थापना से संबंधों में सुधार होगा।
- विश्व व्यापार संगठन में सहयोग:
- दोनों देशों को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में ‘बहुपक्षीय प्रणाली में आत्म-विश्वास और भरोसे की बहाली सहित साझा लक्ष्यों’ पर सहयोग को गहरा करना चाहिये।
- भारत-ब्रिटेन असैन्य परमाणु सहयोग:
- भारत-यूके असैन्य परमाणु सहयोग को सशक्त करने की इच्छा की पुष्टि करना, जिसमें भारत के ‘ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप’ के साथ यूके का ‘नवीनीकृत सहयोग’ भी शामिल है, संबंधों को बढ़ावा दे सकता है।
निष्कर्ष:
भारतीय रक्षा मंत्री की हालिया यूके यात्रा भारत-यूके संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है, जो उभरते रणनीतिक परिदृश्य को उजागर करता है। चीन के सैन्य विस्तार, विशेषकर हिंद महासागर में, से उत्पन्न खतरे ने दोनों देशों को भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी संबंधी कमियों को दूर करने के लिये सहयोग हेतु प्रेरित किया है। विद्युत प्रणोदन प्रौद्योगिकी सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र हैं जो भारत के लिये चीन के साथ समुद्री प्रौद्योगिकी समानता बनाए रखने हेतु महत्त्वपूर्ण है। विरासत संबंधी मुद्दों और भू-राजनीतिक जटिलताओं सहित विभिन ऐतिहासिक चुनौतियों के बावजूद, दोनों देश साझा सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए घनिष्ठ संबंध निर्माण की अनिवार्यता को समझते हैं।
अभ्यास प्रश्न: विशेष रूप से रक्षा और समुद्री प्रौद्योगिकी में हाल की प्रगतियों, रणनीतिक अनिवार्यताओं और सहयोगात्मक पहलों पर बल देते हुए भारत-यूके संबंधों की उभरती गतिशीलता की चर्चा कीजिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2014)
उपरोक्त में से कौन 'आर्कटिक परिषद' के सदस्य हैं? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (d) प्रश्न. हमने ब्रिटिश मॉडल के आधार पर संसदीय लोकतंत्र को अपनाया, लेकिन हमारा मॉडल उस मॉडल से कैसे अलग है?(2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: c मेन्स:प्रश्न: भारत और ब्रिटेन की न्यायिक व्यवस्था हाल के दिनों में अभिसरण के साथ-साथ अलग-अलग होती दिख रही है। न्यायिक प्रथाओं के संदर्भ में दोनों देशों के बीच अभिसरण एवं विचलन के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालिये। ( 2020) |