अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चौथी वर्षगाँठ | 12 Aug 2023
यह एडिटोरियल 08/08/2023 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित ‘‘After abrogation of Article 370, there is no normalcy in Kashmir’’ लेख पर आधारित है। इसमें अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने और जम्मू-कश्मीर में ज़मीनी परिदृश्य पर तथा लोगों के जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में चर्चा की गई है।
प्रिलिम्स के लिये:अनुच्छेद 370, जम्मू और कश्मीर, विशेष दर्जा, केंद्रशासित प्रदेश, केंद्र-राज्य संबंध, संघवाद, विकास हेतु पहल, सुरक्षा उपाय, अनुच्छेद 35A, राजनीतिक सुधार, लद्दाख, सीमा विवाद, सांस्कृतिक विविधता, आर्थिक विकास, संवैधानिक संशोधन, बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी, छठी अनुसूची। मेन्स के लिये:अनुच्छेद 370 के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता, लद्दाख में 6वीं अनुसूची की मांग, हिमालयी केंद्रशासित प्रदेश में जैवविविधता के विकास व संरक्षण से संबंधित मुद्दे। |
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370—जिसने पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य (अब केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर तथा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में विभाजित) को अस्थायी रूप से विशेष दर्जा प्रदान किया था, को निरस्त किये जाने की चौथी वर्षगाँठ पर केंद्रीय गृह मंत्री ने एक बार फिर ज़ोर देकर कहा कि अनुच्छेद 370 ने केवल भ्रष्टाचार और अलगाववाद को बढ़ावा दिया था तथा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समाप्त करने के लिये इसे निरस्त करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण था।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 क्या है?
- परिचय: 17 अक्तूबर 1949 को अनुच्छेद 370 को एक ‘अस्थायी उपबंध’ (temporary provision) के रूप में भारतीय संविधान में जोड़ा गया था, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष छूट प्रदान की थी, इसे अपने स्वयं के संविधान का मसौदा तैयार करने की अनुमति प्राप्त हुई थी और राज्य में भारतीय संसद की विधायी शक्तियों को नियंत्रित रखा गया था।
- इसे एन. गोपालस्वामी अयंगर द्वारा संविधान के मसौदे में अनुच्छेद 306A के रूप में पेश किया गया था।
- अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य की संविधान सभा को यह अनुशंसा करने का अधिकार दिया गया था कि भारतीय संविधान के कौन-से अनुच्छेद राज्य पर लागू होंगे।
- राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को भंग कर दिया गया था। अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा भारत के राष्ट्रपति को इसके उपबंधों और दायरे में संशोधन कर सकने की शक्ति प्रदान की गई थी।
- अनुच्छेद 35A अनुच्छेद 370 से व्युत्पन्न हुआ था जिसे इसे जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की अनुशंसा पर वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश (Presidential Order) के माध्यम से पेश किया गया था।
- अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेष अधिकारों और विशेषाधिकारों (special rights and privileges) को परिभाषित करने का अधिकार देता था।
- 5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ‘संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019’ जारी किया। इसके माध्यम से भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 में संशोधन किया (उल्लेखनीय है कि इसे रद्द नहीं किया)।
अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और सुरक्षा की वर्तमान स्थिति
- पथराव की घटनाओं और उग्रवाद में कमी:
- सुरक्षा बलों की उपस्थिति में वृद्धि और NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से पथराव की घटनाओं (stone pelting) में कमी आई।
- पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी: जनवरी-जुलाई 2021 में पथराव की 76 घटनाएँ दर्ज हुईं, जबकि इसी अवधि में वर्ष 2020 में 222 और 2019 में 618 घटनाएँ दर्ज हुई थीं।
- सुरक्षा बलों को लगी चोटों में गिरावट आई और यह 64 (2019) से घटकर 10 (2021) रह गया।
- पेलेट गन और लाठीचार्ज से नागरिकों को लगी चोटों की घटना 339 (2019) से घटकर 25 (2021) रह गई।
- जम्मू-कश्मीर में बेहतर कानून-व्यवस्था स्थपित हुई जहाँ वर्ष 2022 में विधि-व्यवस्था भंग होने की केवल 20 घटनाएँ दर्ज हुईं।
- उग्रवादियों और ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की गिरफ़्तारियाँ:
- उग्रवादी समूहों के OGWs की गिरफ्तारियाँ 82 (2019) से बढ़कर 178 (2021) हो गईं।
- आतंकवादी कृत्यों में गिरावट: अगस्त 2019 से जून 2022 के बीच इसके पिछले 10 माह की तुलना में आतंकवादी कृत्यों में 32% की गिरावट दर्ज की गई।
इन चार वर्षों में कौन-सी विकास पहलें की गई?
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विकास:
- विकास परियोजनाएँ:
- भारत सरकार ने सड़क एवं रेल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा अवसंरचना, पर्यटन एवं विरासत को प्रोत्साहन, खेल एवं युवा सशक्तीकरण आदि से संबंधित विभिन्न विकास परियोजनाओं की शुरुआत की है।
- सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिये प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) के तहत 54 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।
- सरकार ने जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं—जैसे आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि को भी लागू किया है।
- आयुष्मान भारत योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 21 लाख से अधिक लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया है और 1.5 लाख से अधिक लाभार्थियों ने निशुल्क चिकित्सा का लाभ उठाया है।
- पर्यटन और निवेश के लिये एक गंतव्य के रूप में जम्मू-कश्मीर की क्षमता को प्रदर्शित करने के लिये सरकार ने श्रीनगर में G20 पर्यटन कार्यसमूह की बैठक आयोजित की।
- यह जम्मू-कश्मीर में इस क्षेत्र को देश और दुनिया के शेष भागों के साथ एकीकृत करने वाला पहला महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय आयोजन था।
- सरकार ने निवेश आकर्षित करने और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिये जम्मू-कश्मीर में अन्य व्यावसायिक बैठकों की भी मेजबानी की है।
- जून 2022 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर में एक वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन (Global Investors Summit) का भी आयोजन किया, जिसमें 200 से अधिक घरेलू और विदेशी कंपनियों की भागीदारी देखी गई।
- इस शिखर सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर में निवेश के लिये कृषि, बागवानी, हस्तशिल्प, पर्यटन, आईटी, नवीकरणीय ऊर्जा आदि विभिन्न क्षेत्रों एवं अवसरों को चिह्नित किया गया।
- इन घटनाक्रमों ने जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था और आजीविका को बढ़ावा देने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। इन्होंने जम्मू-कश्मीर के एक संघर्षग्रस्त क्षेत्र होने की वैश्विक धारणा को बदलने और एक शांतिपूर्ण एवं समृद्ध गंतव्य के रूप में इसकी क्षमता को उजागर करने में भी मदद की है।
- भारत सरकार ने सड़क एवं रेल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा अवसंरचना, पर्यटन एवं विरासत को प्रोत्साहन, खेल एवं युवा सशक्तीकरण आदि से संबंधित विभिन्न विकास परियोजनाओं की शुरुआत की है।
- राजनीतिक सुधार:
- ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र की बहाली: सरकार ने दिसंबर 2020 में जम्मू-कश्मीर में पहली बार ज़िला विकास परिषद (DDC) के चुनाव कराए, जिसमें 51.42% का उच्च मतदान स्तर दर्ज किया गया।
- सरकार ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 में भी संशोधन किया है जहाँ पंचायतों में महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के लिये सीटों को आरक्षित किया गया।
- सरकार ने नवीनतम जनगणना आँकड़ों के आधार पर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने के लिये परिसीमन की प्रक्रिया भी शुरू की है।
- सुरक्षा उपाय:
- सुरक्षा बलों ने पिछले चार वर्षों में 800 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है और आतंकवादी संगठनों के 5,000 से अधिक ओवरग्राउंड वर्कर्स को गिरफ़्तार किया है।
केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में विकास:
- अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में भी आधारभूत संरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और शासन में सुधार के लिये विभिन्न विकास पहलों की शुरुआत की गई है। इनमें से कुछ प्रमुख पहलें हैं:
- अवसंरचना
- सरकार ने निम्नलिखित आधारभूत संरचना परियोजनाओं पर कार्य की गति तेज़ कर दी है:
- ज़ोजिला सुरंग, श्रीनगर और लेह के बीच हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करती है, जिससे यात्री क्षमता में वृद्धि होगी और लद्दाख से आने-जाने के लिये अधिक उड़ानों की सुविधा प्राप्त होगी।
- सरकार ने दूरदराज के गाँवों तक इंटरनेट और मोबाइल सेवाएँ प्रदान करने के लिये फाइबर-ऑप्टिक केबल बिछाकर और सौर ऊर्जा संचालित टावर स्थापित कर लद्दाख के दूरसंचार नेटवर्क में सुधार का प्रयास किया है।
- सरकार ने निम्नलिखित आधारभूत संरचना परियोजनाओं पर कार्य की गति तेज़ कर दी है:
- शिक्षा
- लद्दाख के 75,000 से अधिक युवाओं को रोज़गारोन्मुखी कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
- लद्दाख में एक नया मेडिकल कॉलेज, एक इंजीनियरिंग कॉलेज और एक राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई है।
- स्वास्थ्य
- लेह और कारगिल में दो नए एम्स (AIIMS) जैसे संस्थान स्थापित किये जा रहे हैं।
- आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत लद्दाख के सभी निवासियों के लिये एक स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की गई है।
- रोज़गार
- यात्रा प्रतिबंधों में ढील देकर और पर्यटकों एवं ऑपरेटरों को प्रोत्साहन प्रदान कर पर्यटन एवं एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- किसानों और सहकारी समितियों को सब्सिडी और बाज़ार संपर्क प्रदान कर जैविक खेती एवं बागवानी क्षेत्र का विकास किया जा रहा है।
- शासन
- स्थानीय प्रतिनिधित्व और स्वायत्तता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कारगिल ज़िले के लिये एक ‘हिल काउंसिल’ का गठन किया गया है।
- ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के लिये पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव आयोजित कराये गए हैं।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश अभी भी किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं?
जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ:
- चुनौतियाँ और चिंताएँ:
- लक्षित हत्याओं, विशेष रूप से कश्मीरी हिंदुओं और गैर-कश्मीरियों (प्रवासी मज़दूरों) की हत्याओं में वृद्धि देखी गई।
- 5 अगस्त, 2019 के बाद से हुई नागरिक हत्याओं के आधे से अधिक पिछले आठ माह में दर्ज किये गए।
- सीमा पार से सस्ते किस्म के ड्रोन द्वारा गिराये गए छोटे हथियारों का इस्तेमाल इन हत्याओं में किया गया।
- महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि देखी गई है।
- लक्षित हत्याओं, विशेष रूप से कश्मीरी हिंदुओं और गैर-कश्मीरियों (प्रवासी मज़दूरों) की हत्याओं में वृद्धि देखी गई।
- नज़रबंदी और अभिव्यक्ति का दमन:
- 5 अगस्त और 9 अगस्त, 2019 की निरस्तीकरण की कार्रवाई के विरुद्ध उभरे विरोध प्रदर्शन के दमन के लिये 5,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था।
- असहमत राय व्यक्त करने के लिये पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया।
- उग्रवाद का पुनरुत्थान:
- पीर पंजाल क्षेत्र में उग्रवाद का फिर से उभार हुआ जहाँ पिछले 15 वर्षों में इसमें गिरावट देखी गई थी।
- CRPF जवानों के हताहत होने की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
- राजनीतिक अभिव्यक्तियों का दमन:
- शांति और सुरक्षा के नाम पर कई वर्षों से जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नज़रबंदी की कार्रवाई जारी रही है।
- राजनीतिक नेताओं को शांतिपूर्वक विरोध करने की अनुमति नहीं दी गई और उनके कार्यालय सील कर दिये गए।
- भूमि हस्तांतरण, सीमा-पार व्यापार की समाप्ति और स्थानीय व्यवसायों में गिरावट निरंतर बनी रही समस्याएँ हैं।
- विधानसभा चुनाव पाँच वर्ष के लिये स्थगित कर दिये गए (अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से)।
- शांति और सुरक्षा के नाम पर कई वर्षों से जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नज़रबंदी की कार्रवाई जारी रही है।
- बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार:
- बेरोज़गारी चिंताजनक रूप से 23.1% के स्तर पर है, जो राष्ट्रीय औसत से काफ़ी ऊपर है। हालाँकि सरकारी नौकरियों में नियुक्तियाँ हुई हैं, फिर भी बड़ी संख्या में रिक्तियाँ बनी हुई हैं।
लद्दाख के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ:
- सीमा विवाद: लद्दाख पाकिस्तान और चीन के साथ विवादित सीमाएँ रखता है। वर्ष 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प अस्थिरताकारी और अप्रत्याशित रही थी, जिससे लद्दाख की शांति और सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न हो गया था।
- लद्दाख में भारतीय पशुपालकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीनी सेना द्वारा अवरोधों का सामना करना पड़ता है।
- विकास अंतराल: अवसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और शासन के मामले में लद्दाख भारत के अन्य भागों से पिछड़ा हुआ है। यह क्षेत्र कमज़ोर कनेक्टिविटी, निम्न साक्षरता, उच्च मृत्यु दर, सीमित अवसरों और कमज़ोर संस्थानों जैसी समस्याओं से ग्रस्त है।
- केंद्रशासित प्रदेश के रूप में गठन के बाद उत्पन्न हुई चिंताएँ:
- चार सूत्री एजेंडा: प्रमुख संगठन (कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस और लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन) केंद्र सरकार से समिति के लिये चार सूत्री अधिदेश की मांग रखते हैं:
- लद्दाख को राज्य का दर्जा (केंद्रशासित प्रदेश में एक निर्वाचित विधानसभा की आवश्यकता)
- लद्दाख के पर्यावरण और स्वदेशी अधिकारों की रक्षा के लिये संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपाय
- लद्दाख के युवाओं के लिये नौकरी में आरक्षण
- लेह और कारगिल के लिये अलग संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण।
- चार सूत्री एजेंडा: प्रमुख संगठन (कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस और लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन) केंद्र सरकार से समिति के लिये चार सूत्री अधिदेश की मांग रखते हैं:
छठी अनुसूची
- अनुच्छेद 244 विधायी और प्रशासनिक स्वायत्तता के साथ स्वायत्त ज़िला परिषदों (ADCs) के गठन का प्रावधान करता है।
- ADCs: 30 व्यक्तियों तक की सदस्यता के साथ ADCs भूमि, जल, कृषि, पुलिस व्यवस्था आदि का प्रबंधन करते हैं।
- वर्तमान अनुप्रयोग: यह व्यवस्था वर्तमान में असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में लागू है।
- राज्य के दर्जे की मांग: लद्दाख के लोग पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं और उनका मानना है कि केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा उन्हें पर्याप्त स्वायत्तता और प्रतिनिधित्व प्रदान नहीं करता है। वे जनसांख्यिकीय परिवर्तन, भूमि हस्तांतरण और सांस्कृतिक क्षरण का भी भय रखते हैं।
- क्षेत्रीय विभाजन: लेह (मुख्य रूप से बौद्ध) और कारगिल (मुख्य रूप से मुस्लिम) दो ऐसे ज़िले हैं जो भिन्न धार्मिक, जातीय, भाषाई संरचना रखते हैं, साथ ही भिन्न-भिन्न राजनीतिक संबद्धताएँ और आकांक्षाएं भी रखते हैं।
- सांस्कृतिक पहचान: लद्दाख के लोगों की एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है जो तिब्बती, बाल्टी, दार्दी, मंगोलॉयड और इंडो-आर्यन तत्वों से प्रभावित है। उनकी अपनी भाषाएँ, लिपियाँ, रीति-रिवाज, त्यौहार, कलाएँ और शिल्प हैं। वे आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण के सामने अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और उन्हें संवर्द्धित करने की इच्छा रखते हैं।
- स्थानीय विरोध: लद्दाख से संबंधित प्रसिद्ध इंजीनियर और शिक्षाविद सोनम वांगचुक वृहत स्वायत्तता और क्षेत्रीय मांगों के लिये मुखर रहे हैं। उन्होंने लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर पर जम्मू-कश्मीर के दर्जे को तरजीह देने का आरोप लगाया है।
सोनम वांगचुक:
- SECMOL के संस्थापक: वह स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) के सह-संस्थापक हैं।
- हिम स्तूप के आविष्कारक: उन्हें हिम स्तूप (Ice Stupa) के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है जो जल को हिम स्तूप के रूप में भंडारित करने का एक अभिनव दृष्टिकोण है।
- रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता: उन्हें शिक्षण प्रणालियों और सामुदायिक सहभागिता में सुधार के लिये वर्ष 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आगे की राह
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में धारा 370 की समाप्ति के बाद के परिदृश्य में कुशलता से आगे बढ़ना आवश्यक है। इसलिये लिये निम्नलिखित उपाय करने होंगे-
- सामान्य स्थिति और विश्वास बहाल करना:
- विश्वास-निर्माण के लिये सामान्य स्थिति बहाल की जाए।
- राजनीतिक बंदियों को रिहा करें, बातचीत को बढ़ावा दें, स्थानीय नेताओं को संलग्न करें।
- समावेशी शासन और भागीदारी:
- विविध आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये समावेशी शासन को बढ़ावा दिया जाए।
- स्थानीय चुनावों का शीघ्र आयोजन हो, राजनीतिक मंचों के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाया जाए।
- आर्थिक विकास और निवेश:
- अवसंरचना, पर्यटन, प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक विकास पर ध्यान दिया जाए।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs), प्रोत्साहन (incentives), SME का समर्थन।
- सुरक्षा और शांति को सुदृढ़ करना:
- विकास के लिये सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जाए।
- उग्रवाद का मुक़ाबला करें, स्थानीय कानून प्रवर्तन को सशक्त करें।
- सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करना:
- सांस्कृतिक भिन्नताओं को स्वीकार करें और उनका सम्मान करें।
- संस्कृति का संरक्षण करें, क्षेत्रीय हितों को संतुलित करें।
- अवसंरचना और कनेक्टिविटी:
- व्यापार, पर्यटन आदि के विकास लिये कनेक्टिविटी बढ़ाएँ।
- डिजिटल अवसंरचना, शिक्षा, व्यवसाय को बढ़ावा दें।
- अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति:
- स्पष्ट रुख के साथ बाह्य धारणाओं का प्रबंधन किया जाए।
- सीमा विवादों को सुलझाएँ, पड़ोसी देशों के साथ संलग्नता बढ़ाई जाए।
सफलतापूर्वक आगे बढ़ने के लिये एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें आर्थिक विकास, समावेशी शासन, सुरक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण और प्रभावी कूटनीति का संयोजन हो, ताकि क्षेत्र की अखंडता को बनाए रखते हुए इसके नागरिकों के लिये एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
अभ्यास प्रश्न: धारा 370 को हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के संवैधानिक एवं विधिक निहितार्थों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। यह संघीय ढाँचे तथा राज्य की पूर्ववर्ती विशेष स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करता है?
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. सियाचिन ग्लेशियर स्थित है: (2020) (a) अक्साई चिन के पूर्व में उत्तर: (d) व्याख्या:
मेन्सप्रश्न. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जिसके साथ हाशिया नोट ‘’ जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध’’ लगा हुआ है, किस सीमा तक अस्थाई है? भारतीय राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में इस उपबंध की भावी संभावनाओं पर चर्चा कीजिये? प्रश्न. आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा नियंत्रण रेखा सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा-पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा निभाई गई भूमिका की विवेचना भी कीजिये। (2020) प्रश्न. जम्मू और कश्मीर में ‘ज़मात ए इस्लामी’ पर पाबंदी लगाने से आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि-उपरि कार्यकर्त्ताओं (ओ-जी-डब्ल्यू) की भूमिका ध्यान का केंद्र बन गई है। उपप्लव (बगावत) प्रभावित क्षेत्रें में आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि-उपरि कार्यकर्त्ताओं द्वारा निभाई जा रही भूमिका का परीक्षण कीजिये। भूमि उपरि कार्यकर्त्ताओं के प्रभाव को निष्प्रभावित करने के उपायों की चर्चा कीजिये। (2019) प्रश्न. पर्यटन की प्रोन्नति के कारण जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य अपनी पारिस्थितिक वहन क्षमता की सीमाओं तक पहुँच रहे हैं? समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (2015) |