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भारतीय राजव्यवस्था

असम-मेघालय सीमा विवाद

  • 24 Nov 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

असम-मेघालय सीमा विवाद, संविधान का अनुच्छेद 263

मेन्स के लिये:

अंतर-राज्यीय-सीमा विवाद और संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग ज़िले और मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स के मुकरोह गाँव की सीमा से लगे इलाके में असम पुलिस एवं भीड़ के बीच कथित झड़प के दौरान छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

  • ये मौतें दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिये दूसरे चरण की बातचीत से पहले हुई हैं।

Meghalaya

असम-मेघालय सीमा विवाद:

  • परिचय:
    • असम और मेघालय दोनों राज्य 885 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। फिलहाल उनकी सीमाओं पर 12 बिंदुओं पर विवाद है।
    • असम-मेघालय सीमा विवाद ऊपरी ताराबारी, गज़ांग आरक्षित वन, हाहिम, लंगपीह, बोरदुआर, बोकलापारा, नोंगवाह, मातमुर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोराह ब्लॉक I एवं ब्लॉक II, खंडुली और रेटचेरा के क्षेत्रों पर है।
  • पृष्ठभूमि:
    • ब्रिटिश शासन के दौरान अविभाजित असम में वर्तमान नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिज़ोरम शामिल थे।
      • मेघालय को वर्ष 1972 में बनाया गया था, इसकी सीमाओं को वर्ष 1969 के असम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम के अनुसार सीमांकित किया गया था, तब से सीमा की एक अलग व्याख्या की गई है।
      • वर्ष 2011 में मेघालय सरकार ने असम के साथ विवादित 12 क्षेत्रों की पहचान की थी, जो लगभग 2,700 वर्ग किमी में फैला हुआ था।
  • चिंता के प्रमुख बिंदु:
    • असम और मेघालय के बीच विवाद का एक प्रमुख बिंदु असम के कामरूप ज़िले की सीमा से लगे पश्चिम गारो हिल्स में लंगपीह ज़िला है।
    • लंगपीह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान कामरूप ज़िले का हिस्सा था, लेकिन आज़ादी के बाद यह गारो हिल्स और मेघालय का हिस्सा बन गया।
      • असम इसे मिकिर पहाड़ियों (असम में स्थित) का हिस्सा मानता है।
      • मेघालय ने मिकिर हिल्स के ब्लॉक I और II पर सवाल उठाया है, जो अब कार्बी आंगलोंग क्षेत्र असम का हिस्सा है। मेघालय का कहना है कि ये तत्कालीन यूनाइटेड खासी एवं जयंतिया हिल्स ज़िलों के हिस्से थे।
  • विवाद को हल करने का प्रयास:
    • वर्ष 1985 में असम और मेघालय दोनों के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक आधिकारिक समिति का गठन किया गया था।
    • 1985 में, असम के मुख्यमंत्री और मेघालय के मुख्यमंत्री के तहत, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ के तहत एक आधिकारिक समिति का गठन किया गया था।
      • हालाँकि इससे कोई समाधान नहीं निकला।
    • दोनों राज्य सरकारों ने पहले चरण में समाधान के लिये 12 में से छह विवादित क्षेत्रों की पहचान की:
      • इसके अंतर्गत मेघालय में पश्चिम खासी हिल्स ज़िले और असम में कामरूप के बीच तीन क्षेत्र, मेघालय में रिभोई तथा कामरूप-मेट्रो के बीच दो एवं मेघालय में पूर्वी जयंतिया हिल्स और असम में काछार थे।
    • विवादित क्षेत्रों में टीमों द्वारा कई बैठकों और दौरे के बाद दोनों पक्षों ने पाँच पारस्परिक रूप से सहमत सिद्धांतों के आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत की:
      • ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, स्थानीय आबादी की जातीयता, सीमा से निकटता, लोगों की इच्छा और प्रशासनिक सुविधा।
    • सिफारिशों का एक अंतिम प्रारूप संयुक्त रूप से बनाया गया था:
      • पहले चरण में निपटारे के लिये 79 वर्ग किमी. विवादित क्षेत्र में से असम को 18.46 वर्ग किमी. तथा मेघालय को 18.33 वर्ग किमी. का पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होगा।
      • शेष छह चरणों के लिये चर्चा का दूसरा दौर नवंबर 2022 के अंत तक शुरू होना है।
      • मार्च 2022 में, इन सिफारिशों के आधार पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
    • शेष छह चरणों के लिये चर्चा का दूसरा दौर नवंबर 2022 के अंत तक शुरू होगा ।

विवाद को हल करने के लिये सुझाव:

  • राज्यों के बीच सीमा विवादों को वास्तविक सीमा स्थानों के उपग्रह मानचित्रण का उपयोग करके सुलझाया जा सकता है।
  • अंतर-राज्यीय परिषद को पुनर्जीवित करना अंतर-राज्यीय विवाद के समाधान के लिये एक विकल्प हो सकता है।
    • संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत अंतर-राज्य परिषद से अपेक्षा की जाती है कि वह सामान्य विषयों पर पूछताछ करने तथा सलाह देने वाले सभी राज्यों के बीच बेहतर नीति समन्वय के लिये सिफारिशें करे।
  • इसी तरह क्षेत्रीय परिषदों को भी प्रत्येक क्षेत्र में राज्यों के लिये सामान्य चिंता के सामाजिक और आर्थिक योजनाओं, सीमा विवाद, अंतर-राज्य परिवहन आदि से संबंधित पर मामलों पर चर्चा करने की आवश्यकता है।
  • भारत अनेकता में एकता वाला देश है। हालाँकि इस एकता को और मज़बूत करने के लिये केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारों को सहकारी संघवाद के लोकाचार को आत्मसात करने की आवश्यकता है।

सीमा विवादों में शामिल भारत के अन्य राज्य:

  • बेलागवी सीमा विवाद:
    • बेलागवी सीमा विवाद महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच है।
      • बेलगाम या बेलागवी वर्तमान में कर्नाटक राज्य का हिस्सा है लेकिन महाराष्ट्र द्वारा इस पर अपना दावा किया जाता है।
    • वर्ष 1957 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के कार्यान्वयन से आहत महाराष्ट्र ने कर्नाटक के साथ अपनी सीमा के पुन: समायोजन की मांग की।
  • ओडिशा का सीमा विवाद:
    • ओडिशा सीमा विवाद ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों के बीच है।
    • ओडिशा व आंध्र प्रदेश के बीच कोटिया ग्राम पंचायत को लेकर वर्ष 1960 से विवाद बना हुआ है। इसमें कोटिया ग्राम पंचायत के 21 गाँवों को लेकर विवाद चल रहा है।
    • वर्ष 2006 में ओडिशा ने अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद (ISRWD) अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत केंद्र सरकार को अंतर्राज्यीय नदी वंसधारा (Inter-State River Vamsadhara) से संबंधित आंध्र प्रदेश के साथ चल रहे अपने जल विवादों के बारे में एक शिकायत दर्ज कराई।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. अंतर-राज्य जल विवादों का समाधान करने में सांविधानिक प्रक्रियाएँ समस्याओं को संबोधित करने हल करने में असफल रही हैं। क्या यह असफलता संरचनात्मक अथवा प्रक्रियात्मक अपर्याप्तता अथवा दोनों के कारण हुई है? विवेचना कीजिये। (मेन्स- 2013)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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