भारतीय अर्थव्यवस्था
स्विटज़रलैंड द्वारा भारत का MFN दर्जा रद्द किया जाना
- 18 Dec 2024
- 16 min read
प्रिलिम्स के लिये:मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज़, दोहरा कराधान बचाव समझौता, कर छूट, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन, आयकर अधिनियम, 1961, व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता, यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, कर चोरी, विश्व व्यापार संगठन, मुक्त व्यापार समझौता। मेन्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय कराधान में मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज़ और दोहरे कराधान से बचाव समझौतों का महत्त्व। |
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
स्विट्ज़रलैंड ने दोहरे कराधान बचाव समझौते (DTAA) के अंतर्गत शामिल मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज़ के तहत भारत का दर्जा रद्द करने का निर्णय लिया है।
- स्विट्ज़रलैंड द्वारा 1 जनवरी 2025 से भारतीय संस्थाओं पर 10% की पूर्व कर दर लागू की जाएगी।
DTAA के MFN क्लॉज़ के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच DTAA: भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच आय पर दोहरे कराधान से बचाव हेतु 2 नवंबर 1994 को DTC IN-CH (भारत-स्विट्ज़रलैंड प्रत्यक्ष कर संधि) पर हस्ताक्षर किये गए थे। इसे वर्ष 2000 और वर्ष 2010 में संशोधित किया गया था।
- वर्ष 2010 के प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 11 में MFN क्लॉज़ शामिल है, जो DTAA के तहत स्विट्ज़रलैंड द्वारा MFN का दर्जा वापस लेने का आधार है।
- प्रोटोकॉल में MFN क्लॉज़: MFN क्लॉज़ से यह सुनिश्चित होता है कि भारत द्वारा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) के किसी तीसरे सदस्य देश को दी जाने वाली कम कर दरों की सुविधा वर्ष 2010 के प्रोटोकॉल के बाद हुई सहमति के अनुसार, स्विट्ज़रलैंड पर भी स्वचालित रूप से लागू होगी।
- MFN क्लॉज़ का उद्देश्य कराधान दरों में समानता बनाए रखना था।
- स्विट्ज़रलैंड द्वारा MFN का दर्जा वापस लेने का कारण: वर्ष 2010 के प्रोटोकॉल के बाद भारत ने दो OECD सदस्यों अर्थात लिथुआनिया (लाभांश पर 5% कर दर) और कोलंबिया (लाभांश पर 5% सामान्य कर दर) के साथ DTAA पर हस्ताक्षर किये।
- हालाँकि भारत ने यही रियायती कर दर स्विट्ज़रलैंड को प्रदान नहीं की।
- वर्ष 2023 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के नियमों के बाद स्विट्ज़रलैंड ने अपने MFN क्लॉज़ की व्याख्या में पारस्परिकता की कमी का हवाला देते हुए 1 जनवरी 2025 से पूर्व लागू 10% कर कटौती दर को वापस लेने का फैसला किया।
- भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने दावा किया कि MFN क्लॉज़ तब तक स्वतः लागू नहीं होता जब तक कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 90 के तहत आधिकारिक रूप से अधिसूचित न कर दिया जाए।
- इसने आगे तर्क दिया कि यह क्लॉज़ केवल उन देशों पर लागू होता है जो 2010 प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करते समय OECD के सदस्य थे।
- अक्तूबर 2023 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि लिथुआनिया और कोलंबिया के वर्ष 2010 के बाद OECD में शामिल होने से MFN क्लॉज़ लागू नहीं होगा, इसलिये भारत को अपने लाभांश कर की दर को घटाकर 5% करने की आवश्यकता नहीं है।
- लिथुआनिया और कोलंबिया क्रमशः वर्ष 2018 और 2020 में OECD में शामिल हुए।
- DTAA के तहत भविष्य का कराधान: 1 जनवरी 2025 से कर की दर 10% होगी क्योंकि MFN क्लॉज़ अब लागू नहीं होगा। वर्ष 2018-2024 की अवधि की कर दर 5% है।
- निवेश और व्यापार पर प्रभाव: स्विट्ज़रलैंड ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय से भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते या भारत में स्विस निवेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- भारत और EFTA ने वर्ष 2024 में व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके तहत भारत को 15 वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में 100 बिलियन अमरीकी डॉलर प्राप्त होंगे।
- EFTA (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) में आइसलैंड, स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं।
- भारत और EFTA ने वर्ष 2024 में व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके तहत भारत को 15 वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में 100 बिलियन अमरीकी डॉलर प्राप्त होंगे।
भारत-स्विट्ज़रलैंड निवेश परिदृश्य
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2000 से वर्ष 2023 के बीच भारत में स्विट्ज़रलैंड का निवेश प्रवाह 9.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिससे वह भारत में 12 वाँ सबसे बड़ा निवेशक बन गया।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, वर्ष 2021 में भारत में स्विस निवेश 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- IMF के अनुसार, स्विट्ज़रलैंड भारतीय FDI शेयरों का 8 वाँ सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता है, जिसकी राशि 3.7 बिलियन अमरीकी डॉलर है।
- नेस्ले, ABB, नोवार्टिस, रोश, UBS और क्रेडिट सुइस सहित 330 से अधिक स्विस कंपनियों ने मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, वित्त, निर्माण, सतत् प्रौद्योगिकियों और ICT सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भारत में निवेश किया है।
- TCS, इंफोसिस, HCL टेक और विप्रो सहित लगभग 140 भारतीय कंपनियों ने स्विट्ज़रलैंड में लगभग 180 संस्थाओं में निवेश किया है, जो मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी (32%) और लाइफ साइंस (21%) के क्षेत्र में हैं।
स्विट्ज़रलैंड
- स्विट्ज़रलैंड, आधिकारिक तौर पर स्विस परिसंघ, मध्य यूरोप में एक छोटा पर्वतीय देश है, जो आल्प्स पर्वतों, झीलों और घाटियों के लिये जाना जाता है।
- यह एक स्थलरुद्ध देश है जिसकी सीमा फ्राँस, इटली, ऑस्ट्रिया, जर्मनी और लिकटेंस्टीन से लगती है।
- यह सदियों से अपनी तटस्थता के लिये प्रसिद्ध है।
- परिणामस्वरूप, स्विट्ज़रलैंड, विशेष रूप से जिनेवा, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, जैसे कि रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति और संयुक्त राष्ट्र के लिये एक लोकप्रिय मुख्यालय स्थान है।
- यह यूरोपीय संघ और नाटो का सदस्य नहीं है।
- यह अपने गोपनीय बैंकिंग क्षेत्र (Secretive Banking Sector) के लिये भी जाना जाता है।
भारत के साथ MFN दर्जे के निलंबन का क्या प्रभाव हो सकता है?
- बढ़ी हुई कर देयताएँ: स्विट्ज़रलैंड में परिचालन करने वाले भारतीय व्यवसायों को उच्च कर देयताओं का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि स्विट्ज़रलैंड से प्राप्त लाभांश पर रोक कर 5% से बढ़कर 10% हो जाएगा।
- कर कटौती (प्रतिधारण कर) किसी व्यक्ति (निवासी या अनिवासी) पर लाभांश, ब्याज और रॉयल्टी के रूप में भुगतान करते समय कर रोकने या कटौती करने का दायित्व है।
- सीमा पार कर विवाद: इस निलंबन से संधि के प्रावधानों की व्याख्या के संबंध में भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच विवाद उत्पन्न हो सकता है।
- कराधान में संरक्षणवाद: स्विट्ज़रलैंड का कदम भारत सहित देशों की व्यापक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जो घरेलू राजस्व की रक्षा के लिये सख्त कर संधि व्याख्याओं को अपना रहे हैं।
- इस निर्णय को वैश्विक बदलाव के एक भाग के रूप में देखा जा सकता है, जहाँ देश अपने कर आधार की सुरक्षा के लिये अधिक संरक्षणवादी नीतियाँ अपना रहे हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय कर मानदंडों का विकास: यह निर्णय अन्य देशों को कर संधि वार्ता में एकरूपता अपनाने के लिये प्रेरित कर सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सभी पक्ष MFN जैसे आवश्यक खंडों पर एकमत हों।
दोहरा कर बचाव समझौता (DTAA) क्या है?
- परिचय: DTAA दो या दो से अधिक देशों के बीच एक द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौता है जिसका उद्देश्य समान आय पर दोहरे कराधान से बचना है।
- यह सुनिश्चित करता है कि आय घरेलू और विदेशी दोनों करों के अधीन नहीं होगी।
- DTAA के उद्देश्य:
- दोहरे कराधान से बचाव: एक ही आय पर दो बार कर का भुगतान करने से रोकता है।
- वित्तीय अपवंचन की रोकथाम: कर अपवंचन से निपटने के लिये सूचना साझा करने में सक्षम बनाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन: स्पष्ट कर नियमों और कम देयताओं के साथ सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देता है।
- DTAA की कार्यप्रणाली:
- निवास और स्रोत-आधारित कराधान: DTAA निवास और स्रोत दोनों देशों के लिये कर अधिकारों को परिभाषित करता है।
- क्रेडिट विधि: निवास देश को स्रोत देश में भुगतान किये गये करों पर क्रेडिट प्राप्त होता है।
- छूट पद्धति: एक देश में आय पर कर लगाया जा सकता तथा दूसरे देश में छूट प्रदान की जा सकती है।
- भारत का DATT: 94 से अधिक व्यापक DTAA और आठ प्रतिबंधित DTAA के साथ, भारत सबसे बड़े DTAA नेटवर्कों में से एक है।
MFN की स्थिति क्या है?
- परिचय: वह व्यापारिक दर्जा जो दो देशों के बीच गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार की गारंटी देता है, MFN के रूप में जाना जाता है।
- इसका अर्थ अधिमान्य व्यवहार नहीं है, बल्कि यह गारंटी है कि प्राप्तकर्त्ता देश को अनुदान देने वाले देश के अन्य व्यापार साझेदारों की तुलना में नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- MFN और WTO: MFN विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का एक प्रमुख सिद्धांत है।
- विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत, यदि कोई देश किसी एक व्यापार साझेदार को विशेष दर्जा देता है, तो यह दर्जा सभी विश्व व्यापार संगठन सदस्यों को दिया जाना चाहिये।
- गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार: समान व्यापार शर्तें प्रदान करके, MFN यह गारंटी देता है कि राष्ट्र एक दूसरे के साथ निष्पक्ष व्यवहार करें। इन शर्तों में शामिल हैं:
- न्यूनतम सम्भव व्यापार शुल्क और व्यापार बाधाएँ।
- उच्च आयात कोटा
- बाजार तक पहुँच में वृद्धि
- वस्तु के प्रवाह के लिये बेहतर स्थितियाँ
- MFN के अपवाद:
- मुक्त व्यापार समझौते (FTA): FTA में शामिल देश गैर-सदस्यों को छोड़कर एक-दूसरे को विशेष रियायतें प्रदान करते हैं।
- क्षेत्रीय व्यापार समझौते (RTA): सदस्य देश आपस में बेहतर शर्तों पर संवाद करते हैं, जिसमे अक्सर गैर-सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता है।
निष्कर्ष:
भारत के साथ अपने DTAA में MFN खंड को निलंबित करने का स्विट्ज़रलैंड का निर्णय अंतर्राष्ट्रीय कराधान में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जो कर संधियों में विकसित हो रहे वैश्विक मानदंडों को उजागर करता है। यह परिवर्तन स्विट्ज़रलैंड में परिचालन करने वाली भारतीय संस्थाओं के लिये कर देनदारियों को बढ़ा सकता है और सीमा पार निवेश प्रवाह को प्रभावित कर सकता है, जबकि स्पष्ट संधि व्याख्याओं की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: दोहरे कराधान और राजकोषीय अपवंचन को रोकने में दोहरा कराधान अपवंचन समझौता (DTAA) की भूमिका पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. अप्रवासी सत्त्वों द्वारा दी जा रही ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर भारत द्वारा 6% समकरण कर लगाए जाने के निर्णय के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) Q. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटेन और फ्राँस जैसी कई प्रमुख और परिपक्व अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मॉरीशस से आता है। क्यों? (2010) (a) FDI प्राप्त करने के संबंध में कुछ देशों के लिये भारत की प्राथमिकता है उत्तर: (B) मेन्स:प्रश्न: केंद्रीय बजट, 2018-2019 में दीर्घकालिक पूँजी अभिलाभ कर (एल० सी० जी० टी०) तथा लाभांश वितरण कर (डी० डी० टी०) के संबंध में प्रारंभ किये गए महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों पर टिप्पणी कीजिये। (2018) |