भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश समझौते
प्रिलिम्स के लिये:मुक्त व्यापार समझौता, डेटा सुरक्ष, गैर-टैरिफ बाधाएँ, भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन, यूरोपीय संघ, मोस्ट फेवर्ड नेशन मेन्स के लिये:भारत-ईयू व्यापार और निवेश समझौते, गतिरोध की ओर ले जाने वाले मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और यूरोपीय संघ ने नई दिल्ली में भारत-यूरोपीय संघ व्यापार एवं निवेश समझौतों के लिये पहले दौर की वार्ता की।
- वार्ता के दौरान मुक्त व्यापार समझौते की 18 नीतियों पर 52 सत्र आयोजित किये गये। निवेश सुरक्षा और अन्य विषयों पर सात सत्र आयोजित किये गये।
- दूसरे दौर की वार्ता सितंबर 2022 में ब्रुसेल्स में आयोजित की जाएगी।
भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश समझौता क्या है?
- पृष्ठभूमि:
- भारत और यूरोपीय संघ ने एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करने के लिये वर्ष 2007 में बातचीत शुरू की थी, जिसे आधिकारिक तौर पर BTIA कहा जाता है।
- BTIA को वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों में व्यापार को शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था।
- हालाँकि बाज़ार पहुँच और पेशेवरों की आवाजाही पर मतभेदों को लेकर वर्ष 2013 में बातचीत ठप हो गई।
- क्षेत्र:
- यूरोपीय संघ के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-22 में 116 बिलियन डॉलर से अधिक का था।
- वैश्विक व्यवधानों के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार ने वर्ष 2021-22 में 43% से अधिक की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि हासिल की।
- वर्तमान में यूरोपीय संघ अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, साथ ही भारतीय निर्यात के लिये दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य है।
- भारत में विदेशी निवेश प्रवाह में यूरोपीय संघ (EU) की हिस्सेदारी पिछले दशक में 8% से बढ़कर 18% हो गई है, जिससे यूरोपीय संघ भारत में पहला विदेशी निवेशक बन गया है।
संबंधित चुनौतियांँ:
- सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most-Favoured Nation):
- EU निवेश संधि अभ्यास अपनी निवेश संधियों में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) प्रावधान को शामिल करने की अपनी उत्सुकता को दर्शाता है।
- भारत निवेश संधियों में MFN प्रावधान को शामिल करने के खिलाफ है।
- EU निवेश संधि अभ्यास अपनी निवेश संधियों में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) प्रावधान को शामिल करने की अपनी उत्सुकता को दर्शाता है।
- निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यवहार:
- यूरोपीय संघ अपनी निवेश संधियों में उचित और न्यायसंगत उपचार (FET) प्रावधान शामिल करता है।
- FET एक महत्त्वपूर्ण वास्तविक सुरक्षा सुविधा है जो विदेशी निवेशकों को मनमाने व्यवहार के लिये राज्यों को जवाबदेह ठहराने में सक्षम बनाती है।
- भारत की मॉडल द्विपक्षीय निवेश संधि और हाल ही में भारत द्वारा हस्ताक्षरित निवेश संधियों में FET प्रावधान अनुपस्थित है।
- यूरोपीय संघ अपनी निवेश संधियों में उचित और न्यायसंगत उपचार (FET) प्रावधान शामिल करता है।
- बहुपक्षीय निवेश न्यायालय:
- यूरोपीय संघ मौजूदा मध्यस्थता-आधारित निवेशक-राज्य विवाद निपटान (ISDS) प्रणाली में सुधार हेतु बहुपक्षीय निवेश न्यायालय (MIC) को बढ़ावा दे रहा है।
- फिर भी MIC पर भारत की आधिकारिक स्थिति स्पष्ट नहीं है। भारत ने MIC स्थापित करने की दिशा में चल रही बातचीत में योगदान नहीं दिया है, जो एक ऐसे देश के लिये हैरान करने वाला है जो नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था का समर्थन करता है।
- यूरोपीय संघ मौजूदा मध्यस्थता-आधारित निवेशक-राज्य विवाद निपटान (ISDS) प्रणाली में सुधार हेतु बहुपक्षीय निवेश न्यायालय (MIC) को बढ़ावा दे रहा है।
- गैर टैरिफ बाधाएंँ:
- सैनिटरी और फाइटो-सेनेटरी (SPS) उपायों के रूप में भारतीय कृषि उत्पादों पर बहुत कठोर गैर-टैरिफ बाधाओं की उपस्थिति है और ये यूरोपीय संघ को कई भारतीय कृषि उत्पादों को अपने बाज़ारों में प्रवेश करने से रोकने में सक्षम बनाते हैं।
- यूरोपीय संघ ने फार्मास्यूटिकल्स में गैर-टैरिफ बाधाओं को विश्व व्यापार संगठन गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस प्रमाणन, आयात प्रतिबंध, एंटी-डंपिंग उपायों और पूर्व-शिपमेंट निरीक्षण की आवश्यकताओं में शामिल किया है।
यूरोपीय संघ:
- परिचय:
- यूरोपियन यूनियन 27 देशों का एक समूह है जो एक संसक्त आर्थिक और राजनीतिक ब्लॉक के रूप में कार्य करता है।
- इसके 19 सदस्य देश अपनी आधिकारिक मुद्रा के तौर पर 'यूरो' का उपयोग करते हैं।
- जबकि 8 सदस्य देश (बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया एवं स्वीडन) यूरो का उपयोग नहीं करते हैं।
- यूरोपीय देशों के मध्य सदियों से चली आ रही लड़ाई को समाप्त करने के लिये यूरोपीय संघ के रूप में एक एकल यूरोपीय राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा विकसित हुई जिसका द्वितीय विश्व युद्ध के साथ समापन हुआ और इस महाद्वीप का अधिकांश भाग समाप्त हो गया।
- EU ने कानूनों की मानकीकृत प्रणाली के माध्यम से एक आंतरिक एकल बाज़ार (Internal Single Market) विकसित किया है जो सभी सदस्य राज्यों के मामलों में लागू होता है और सभी सदस्य देशों की इस पर एक राय होती है।
- भारत के लिये यूरोपीय संघ का महत्त्व:
- यूरोपीय संघ शांति को बढ़ावा देने, रोज़गार सृजित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और देश भर में सतत् विकास को बढ़ाने के लिये भारत के साथ मिलकर काम करता है।
- वर्ष 2017 में EU-भारत शिखर सम्मेलन में नेताओं ने सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030 के क्रियान्वयन पर सहयोग को मज़बूती प्रदान करने के लिये अपने इरादे को दोहराया और भारत-EU विकास संवाद के विस्तार हेतु सहमत हुए।
आगे की राह
- भू-आर्थिक सहयोग: भारत सुरक्षा दृष्टिकोण से नहीं तो भू-आर्थिक रूप से इंडो-पैसिफिक मामलों में यूरोपीय संघ के देशों के साथ संलग्न हो सकता है।
- यह क्षेत्रीय बुनियादी ढांँचे के सतत् विकास के लिये बड़े पैमाने पर आर्थिक संसाधन जुटा सकता है, राजनीतिक प्रभाव को नियंत्रित कर सकता है तथा इंडो-पैसिफिक संवाद को आकार देने के लिये अपने महत्त्वपूर्ण सॉफ्ट पावर का लाभ उठा सकता है।
- भारत-यूरोपीय संघ BTIA संधि को अंतिम रूप देना: भारत और यूरोपीय संघ एक मुक्त-व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन यह 2007 से लंबित है।
- इसलिये भारत और यूरोपीय संघ के बीच घनिष्ठ अभिसरण के लिये दोनों को व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने में संलग्न होना चाहिये।
- महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ताओं के साथ सहयोग:
- फ्रांँस के साथ भारत की साझेदारी अब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक मज़बूत क्षेत्रीय सहयोग है।
- भारत ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते के लिये भी बातचीत में लगा हुआ है।