भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था स्थिति (SIDE) रिपोर्ट 2024 | 06 Feb 2025
प्रिलिम्स के लिये:भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिति (SIDE) रिपोर्ट 2024, डिजिटल इंडिया, भारतनेट, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, 5G रोलआउट, स्किल इंडिया डिजिटल हब, भारत का आत्मनिर्भर भारत विजन, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन। मेन्स के लिये:भारत के डिजिटल विकास के प्रमुख चालक, भारत के डिजिटल विकास से जुड़े प्रमुख मुद्दे। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा तैयार भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिति (SIDE) रिपोर्ट 2024, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का व्यापक विश्लेषण प्रदान करती है।
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था रिपोर्ट 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिति: अर्थव्यवस्था-व्यापी डिजिटलीकरण के संदर्भ में भारत विश्व में तीसरी सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था (अमेरिका और चीन के बाद) है।
- व्यक्तिगत उपयोगकर्त्ताओं के डिजिटलीकरण के मामले में यह G-20 देशों में 12 वें स्थान पर है, जो औसत उपयोगकर्त्ता डिजिटलीकरण में कमी को दर्शाता है।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान: वर्ष 2022-23 में, डिजिटल अर्थव्यवस्था ने सकल घरेलू उत्पाद में 11.74% का योगदान दिया, जिसके वर्ष 2024-25 तक बढ़कर 13.42% होने का अनुमान है।
- इसमें 2.55% कार्यबल कार्यरत है तथा उत्पादकता समग्र अर्थव्यवस्था से 5 गुना अधिक है।
- पूर्वानुमान: वर्ष 2029-30 तक, डिजिटल अर्थव्यवस्था कृषि और विनिर्माण को पीछे छोड़ते हुए सकल घरेलू उत्पाद में एक-पाँचवें (20%) का योगदान करने की उम्मीद है।
- क्षेत्रवार विभेदन: पारंपरिक ICT क्षेत्र डिजिटल अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता है, जबकि बिग टेक और प्लेटफॉर्म सहित नए डिजिटल उद्योग, GVA का लगभग 2% हिस्सा हैं।
- राज्य-स्तरीय असमानताएँ: कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात और हरियाणा जैसे अमीर राज्य गरीब राज्यों की तुलना में उच्च डिजिटलीकरण स्तर प्रदर्शित करते हैं।
CHIPS (कनेक्ट-हार्नेस-इनोवेट-प्रोटेक्ट-सस्टेन):
- SIDE 2024 में प्रस्तुत CHIPS (कनेक्ट-हार्नेस-इनोवेट-प्रोटेक्ट-सस्टेन) ढाँचा, परिणामों और जोखिमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, डिजिटलीकरण को मापने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- इंटरनेट पहुँच पर ज़ोर देने वाले पारंपरिक सूचकांकों के विपरीत, CHIPS ढाँचे में 5 स्तंभ (कनेक्ट, हार्नेस, इनोवेट, प्रोटेक्ट, सस्टेन) और 50 संकेतक शामिल हैं, जो राष्ट्रीय एवं उप-राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर तुलना को सक्षम बनाते हैं।
भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास के प्रमुख चालक कौन-से हैं?
- डिजिटल अवसंरचना का विस्तार: भारत की डिजिटल अवसंरचना शहरी-ग्रामीण विभाजन के अंतर को कम कर रही है तथा एक जीवंत डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है।
- भारतनेट जैसी पहल ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान कर रही है, जबकि 5जी रोलआउट द्वारा विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में डिजिटल अपनाने, ई-गवर्नेंस, ई-कॉमर्स , फिनटेक और आईटी सेवाओं को बढ़ा दिया जा रहा है।
- ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) जैसे कार्यक्रम छोटे व्यवसायों को डिजिटल बाज़ार में प्रवेश करने में सक्षम बना रहे हैं ।
- स्मार्टफोन की बढ़ती पहुँच: किफायती स्मार्टफोन और कम लागत वाले डेटा ने भारत को मोबाइल-प्रथम अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित कर दिया है, जिससे ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल भुगतान और मनोरंजन तक पहुँच बढ़ गई है।
- घरेलू विनिर्माण प्रोत्साहन द्वारा भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल को समर्थन दिया जा रहा हैं।
- वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC): भारत में विश्व के 55% GCC स्थित हैं, जो सूचना प्रद्योगिकी सहायता, अनुसंधान एवं विकास तथा व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन जैसी आवश्यक सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और इनोवेशन: भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम डिजिटल इनोवेशन का एक प्रमुख चालक है। स्टार्ट-अप इंडिया जैसी पहल और महत्त्वपूर्ण फंडिंग से टेक स्टार्टअप्स को बाज़ार की विशेष आवश्यकताओंकी पूर्ति करने में सहायता मिली है।
- वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, वर्ष 2024 में भारतीय स्टार्टअप्स को 30.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का वित्त पोषण प्राप्त हुआ।
- डिजिटल वित्तीय समावेशन: UPI और जन धन खाते जैसे कार्यक्रमों से भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, वित्तीय समावेशन में सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं।
- अक्तूबर 2024 में UPI के माध्यम से 16.58 बिलियन लेनदेन के साथ कुल 23.49 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ।
निष्कर्ष
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास और रोज़गार की दृष्टि से एक प्रमुख चालक है। डिजिटल प्लेटफॉर्म के उदय के साथ-साथ पारंपरिक क्षेत्रों में आए डिजिटल परिवर्तनों से उद्योगों का रूपांतरण हो रहा है और रोज़गार के नए अवसर सर्जित हो रहे हैं। डिजिटल साक्षरता में वृद्धि, उभरती प्रौद्योगिकियों के स्वीकरण और रोज़गार की संभावनाओं के विस्तार के साथ, भारत डिजिटल परिवर्तन में अग्रणी देश की भूमिका निभाने हेतु उपयुक्त स्थिति में है, जिससे संधारणीय और समावेशी विकास सुनिश्चित होता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त में से कौन-से ओपन-सोर्स डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर बनाए गए हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020) |