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भारतीय अर्थव्यवस्था

अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा उपाय

  • 04 Aug 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सामाजिक सुरक्षा

मेन्स के लिये:

अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा उपाय और संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने बढ़ती बेरोज़गारी और नौकरी छूटने पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की है।

सामाजिक सुरक्षा

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा एक व्यापक दृष्टिकोण है जिसे वंचितों को रोकने, व्यक्ति को एक न्यूनतम न्यूनतम आय का आश्वासन देने और किसी भी अनिश्चितता से व्यक्ति की रक्षा करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • इसमें दो तत्व भी शामिल हैं, अर्थात्:
    • भोजन, कपड़े, आवास और चिकित्सा देखभाल तथा आवश्यक सामाजिक सेवाओं सहित स्वास्थ्य व कल्याण के लिये पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार।
    • आय का अधिकार किसी भी व्यक्ति के नियंत्रण से परे परिस्थितियों में बेरोज़गारी, बीमारी, दिव्यांगता, विधवापन, वृद्धावस्था या आजीविका की अन्य की स्थिति में सुरक्षा।

प्रमुख बिंदु:

सामाजिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता:

  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 90% श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में थे, जो कि 465 मिलियन श्रमिकों में से 419 मिलियन हैं।
    • रोज़गार की मौसमी और औपचारिक कर्मचारी-नियोक्ता संबंधों की कमी के कारण महामारी के दौरान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अनौपचारिक श्रमिकों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
  • दूसरी लहर के प्रभाव पर अभी तक कोई सर्वेक्षण आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं जो निर्विवाद रूप से पहली की तुलना में अधिक गंभीर रहा है।
    • हालाँकि उपाख्यानात्मक साक्ष्य बताते हैं कि विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण आय की हानि हुई है, जिसने कमज़ोर वर्ग को संकट में डाल दिया है।
    • इसके अलावा भारत में कोविड -19 संकट, पहले से मौजूद उच्च और बढ़ती बेरोज़गारी की पृष्ठभूमि में आया है।
  • असंगठित श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की नौकरियों के नुकसान, बढ़ती बेरोज़गारी, ऋणग्रस्तता, पोषण, स्वास्थ्य व शिक्षा पर परिणामी प्रभाव एक लंबी अवधि तक अपूर्णीय क्षति डालने की क्षमता रखते हैं।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ :

  •  श्रम मंत्रालय ने कोविड -19 के प्रभाव की वजह से प्रवासी संकट का प्रतिउत्तर देने में देरी की।
  • महामारी ने श्रम बाज़ार को नष्ट कर दिया है, जिसने रोज़गार परिदृश्य को प्रभावित किया है और लाखों श्रमिकों व उनके परिवारों के अस्तित्व को खतरा है।
  • इस परिदृश्य में समिति ने सिफारिश की:
    • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: कोविड-19 जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान अनौपचारिक श्रमिकों के बैंक खातों में पैसा भेजना।
      • यह पीएम-स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को दिये गए ऋण को सीधे नकद अनुदान में परिवर्तित करने का भी सुझाव देता है।
    • यूनिवर्सल हेल्थकेयर: यूनिवर्सल हेल्थकेयर को सरकार का कानूनी दायित्व बनाया जाना चाहिये। यह अनौपचारिक श्रमिकों को अनिवार्य स्वास्थ्य बीमा द्वारा प्रदान किया जा सकता है।
    • मनरेगा सुधार: मनरेगा के लिये बजटीय आवंटन बढ़ाया जाना चाहिये तथा मनरेगा की तर्ज पर एक शहरी रोज़गार गारंटी योजना लागू की जानी चाहिये।
      • यह मनरेगा के तहत गारंटीकृत काम के अधिकतम दिनों को 100 दिनों से बढ़ाकर 200 करने का सुझाव देता है।
    • रोज़गार के अवसरों में वृद्धि: पारंपरिक क्षेत्रों में निवेश का लाभ उठाना, 'मेक इन इंडिया' मिशन को मज़बूत करना तथा  विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के प्रसार को तेज़ करने से आगे बढ़कर यह स्थानीय एवं अखिल भारतीय रोज़गार के अवसर प्रदान करेगा।

अनौपचारिक क्षेत्र का समर्थन करने के लिये पूर्व में की गई पहलें:

अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण हेतु सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:

अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:

  • प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण: सर्वोच्च न्यायालय  ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को असंगठित श्रमिकों की पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया है ताकि वे विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत दिये जाने वाले कल्याणकारी लाभों का उपयोग कर सकें।
  • ONORC प्रणाली के आधार पर कार्य करना: SC ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) को 31 जुलाई, 2021 तक एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड (ONORC) प्रणाली को लागू करने का निर्देश दिया।
    • यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत आने वाले प्रवासी मज़दूरों को देश के किसी भी हिस्से में अपने राशन कार्ड के साथ किसी भी उचित मूल्य की दुकान पर राशन प्राप्त करने की अनुमति देती है।

आगे की राह

  • श्रम मंत्रालय को PLFS को समय पर पूरा करने का मुद्दा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के समक्ष उठाना चाहिये।
  • एक व्यापक योजना और रोडमैप की आवश्यकता है ताकि महामारी से बहुत अधिक बिगड़ती रोज़गार की स्थिति और संगठित क्षेत्र में नौकरी बाज़ार में बढ़ती असमानताओं को दूर किया जा सके।
  • असंगठित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने की आवश्यकता है।
  • इसके अलावा इस क्षेत्र को औपचारिक बनाना, इसकी उत्पादकता में वृद्धि करना, मौजूदा आजीविका को मज़बूत करना, नए अवसर पैदा करना और सामाजिक सुरक्षा उपायों को मज़बूत करना, कोविड -19 के प्रभाव को कम करने हेतु प्रमुख कार्य हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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