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सामाजिक न्याय

प्रवासी कामगारों के लिये ONORC प्रणाली पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

  • 30 Jun 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये 

वन नेशन-वन राशन कार्ड, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, ग्लोबल हंगर इंडेक्स

मेन्स के लिये 

वन नेशन-वन राशन कार्ड (ONORC) प्रणाली की भूमिका एवं संबंधित मुद्दे ( उद्देश्य, लाभ, प्रौद्योगिकी उपयोग, पहुँच आदि)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) को 31 जुलाई, 2021 तक वन नेशन-वन राशन कार्ड (ONORC) प्रणाली को लागू करने का निर्देश दिया।

  • यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत आने वाले प्रवासी मज़दूरों को देश के किसी भी हिस्से में अपने राशन कार्ड से किसी भी उचित मूल्य की दुकान से राशन  प्राप्त करने की अनुमति देती है।

प्रमुख बिंदु 

  • भोजन का अधिकार :
    • संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार की व्याख्या मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार, भोजन का अधिकार और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं को शामिल करने के लिये की जा सकती है।
  • प्रवासियों का महत्त्व :
    • असंगठित क्षेत्रों (राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) 2017-2018 के आँकड़े के अनुसार) में लगभग 38 करोड़ कर्मचारी कार्यरत हैं।
    • इन असंगठित श्रमिकों के पास रोज़गार का कोई स्थायी स्रोत नहीं था और वे अपने घर से दूर विभिन्न स्थानों पर छोटी अवधि के व्यवसायों में लगे हुए थे।
    • विभिन्न परियोजनाओं, उद्योगों में लगे इन मज़दूरों का योगदान देश के आर्थिक विकास में काफी वृद्धि करता है।
  • डेटाबेस:
    • प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण और पहचान हेतु 45.39 करोड़ रुपए के लागत वाले असंगठित श्रमिकों के राष्ट्रीय डेटाबेस (NDUW) पोर्टल का काम पूरा नहीं  होने पर श्रम मंत्रालय की आलोचना की गई।
      • कोर्ट ने मंत्रालय को 2018 में NDUW मॉड्यूल को अंतिम रूप देने का आदेश दिया था।
    • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोज़गार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979 के तहत सभी प्रतिष्ठानों और लाइसेंस ठेकेदारों को पंजीकृत करने तथा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वे अधिकारियों को उनके साथ कार्यरत श्रमिकों का पूरा विवरण प्रदान करें।
  • NFSA के तहत लाभार्थियों का पुनर्निर्धारण:
    • केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की धारा 9 के तहत राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के तहत कवर किये जाने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या को फिर से निर्धारित करने के लिये प्रयास कर सकती है।

‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ प्रणाली

पृष्ठभूमि

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत लगभग 81 करोड़ लाभार्थी किसी भी उचित मूल्य की दुकान (FPS) से सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के हकदार हैं, जिसमें 3 रुपए किलो चावल, 2 रुपए किलो गेहूँ और 1 रुपए किलो मोटा अनाज शामिल है।
  • हालाँकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी अपने PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के लाभों को कसी विशिष्ट उचित मूल्य की दुकान के अधिकार क्षेत्र से बाहर ले जाने में सक्षम नहीं थे।
  • ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ प्रणाली की शुरुआत करने का उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार करना है, जो ऐतिहासिक रूप से किसी विशिष्ट अधिकार क्षेत्र से बाहर लाभ प्रदान करने में सक्षम रही है।

लॉन्च

  • ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ प्रणाली को अगस्त 2019 में लॉन्च किया गया था।

उद्देश्य

  • ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ योजना का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को NFSA के तहत देश में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से रियायती राशन खरीदने में सक्षम बनाना है।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में इस सुधार को बढ़ावा देने के लिये केंद्र सरकार ने राज्यों को प्रोत्साहन प्रदान किया है और इसे बीते वर्ष कोविड-19 महामारी के दौरान राज्यों द्वारा अतिरिक्त उधार लेने के लिये एक पूर्व शर्त के रूप में भी प्रस्तुत किया गया था।

प्रौद्योगिकी का उपयोग:

  • ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ योजना ऐसी तकनीक पर आधारित है जिसमें लाभार्थियों के राशन कार्ड, आधार संख्या और इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ePoS) का विवरण शामिल है। यह प्रणाली उचित मूल्य की दुकानों पर ePoS उपकरणों पर बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से लाभार्थी की पहचान करती है।
  • यह प्रणाली दो पोर्टलों के समर्थन से चलती है- ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन’ (IM-PDS) पोर्टल और ‘अन्न वितरण’ पोर्टल।
    • यद्यपि ‘अन्न वितरण’ पोर्टल राज्य के भीतर यानी इंटर-डिस्ट्रिक्ट और इंट्रा-डिस्ट्रिक्ट लेनदेन का रिकॉर्ड रखता है, जबकि ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन’ पोर्टल अंतर-राज्यीय लेनदेन को रिकॉर्ड करता है।

ONORC कवरेज:

  • अब तक 32 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ONORC में शामिल हो चुके हैं, जिसमें लगभग 69 करोड़ NFSA लाभार्थियों को शामिल किया गया है।
  • चार राज्यों- असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली और पश्चिम बंगाल को अभी इस योजना में शामिल करना शेष हैं।
  • जबकि 32 राज्यों में अंतर-राज्यीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी (Inter-State Ration Card Portability) की सुविधा उपलब्ध है, ऐसे लेनदेन की संख्या अंतर-ज़िला (Intra-District ) और इंट्रा-डिस्ट्रिक्ट (Inter-District) लेनदेन की तुलना में बहुत कम है।

लाभ:

  • ONORC के तहत एक राज्य के लाभार्थी अपने हिस्से का राशन दूसरे राज्यों में प्राप्त कर सकते हैं जहांँ मूल रूप से राशन कार्ड जारी किया गया था।
  • ONORC लाभार्थियों को अपनी पसंद के डीलर को चुनने का अवसर भी देगा।
  • यह महिलाओं और अन्य वंचित समूहों के लिये विशेष रूप से फायदेमंद साबित होगा, यह देखते हुए कि कैसे सामाजिक पहचान (जाति, वर्ग और लिंग) तथा अन्य प्रासंगिक कारक (शक्ति संबंधों सहित) PDS तक पहुंँचने में एक मज़बूत पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं।
  • इससे सतत् विकास लक्ष्य-2 (वर्ष 2030 तक भूख खत्म करना) के तहत निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा यह भारत में भूख की खराब स्थिति को भी चिह्नित करेगा जैसा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) में दिखाया गया है, जिसमें  भारत को 107 देशों में 94वाँ स्थान दिया गया है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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