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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत के अनौपचारिक मज़दूर वर्ग को विश्व बैंक का समर्थन

  • 01 Jul 2021
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, विश्व बैंक, गिग वर्कर, गिग इकॉनमी, इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन, इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट

मेन्स के लिये:

भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के प्रभाव से उबारने में विश्व बैंक की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक (World Bank) ने वर्तमान महामारी संकट से उबरने के लिये भारत के अनौपचारिक श्रमिक वर्ग का समर्थन करने हेतु 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण कार्यक्रम को मंज़ूरी दी है।

  • यह ऋण राज्यों को वर्तमान महामारी, भविष्य की जलवायु और आपदा के झटकों से निपटने हेतु अधिक नम्यता प्रदान करेगा।

प्रमुख बिंदु

विश्व बैंक द्वारा वित्तीय सहायता:

  • विश्व बैंक की वित्तीय सहायता के विषय में:
    • 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता में से 112.50 मिलियन अमेरिकी डॉलर को इसकी रियायती ऋण देने वाली शाखा इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (International Development Association- IDA) द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा और शेष राशि इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (International Bank for Reconstruction and Development- IBRD) से वित्तपोषित होगी।
    • ऋण की परिपक्वता अवधि 18.5 वर्ष है जिसमें पाँच वर्ष की छूट अवधि शामिल है।
  • महामारी की शुरुआत के बाद से फंडिंग:
    • वर्ष 2020 में पहले से मौजूद राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से चिह्नित लगभग 320 मिलियन व्यक्तिगत बैंक खातों में तत्काल आपातकालीन राहत नकद हस्तांतरण प्रदान किया गया।
    • साथ ही लगभग 80 करोड़ लोगों के लिये अतिरिक्त राशन की व्यवस्था की गई है।

महत्त्व:

  • उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा प्रतिक्रियाओं को डिज़ाइन और कार्यान्वित करने के लिये राज्य अब आपदा प्रतिक्रिया निधि से लचीला वित्तपोषण (Flexible Funding) प्राप्त कर सकते हैं।
  • शहरी अनौपचारिक श्रमिकों, गिग वर्कर्स (Gig Worker) और प्रवासियों के लिये सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में धन का उपयोग किया जाएगा।
    • गिग वर्कर, गिग इकॉनमी से संबंधित होता है जो एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें सामान्यतः अस्थायी पद होते हैं और संगठन अल्पकालिक समय के लिये स्वतंत्र श्रमिकों के साथ अनुबंध करते हैं।
  • इसका उद्देश्य समुदायों की अर्थव्यवस्थाओं और आजीविका के लचीलेपन का निर्माण करना है।
  • नगरपालिका स्तर पर निवेश राष्ट्रीय डिजिटल शहरी मिशन (National Digital Urban Mission) को बढ़ावा देगा जो शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये एक साझा डिजिटल बुनियादी ढाँचा तैयार करेगा और अनौपचारिक श्रमिकों हेतु शहरी सुरक्षा जाल तथा सामाजिक बीमा को बढ़ाएगा।
    • इसमें महिला श्रमिकों और महिला प्रधान परिवारों पर लिंग-विभाजित जानकारी भी शामिल होगी।
    • यह नीति निर्माताओं को लिंग-आधारित सेवा वितरण अंतराल को दूर करने और विशेष रूप से विधवाओं, किशोर लड़कियों तथा आदिवासी महिलाओं तक प्रभावी ढंग से पहुँचने की अनुमति देगा।
  • स्ट्रीट वेंडर (Street Vendor) भारत की शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग हैं। यह कार्यक्रम स्ट्रीट वेंडरों को 10,000 रुपए तक के किफायती कार्यशील पूंजी ऋण तक पहुँच प्रदान करेगा।
    • नए क्रेडिट कार्यक्रम से करीब 50 लाख शहरी स्ट्रीट वेंडर लाभान्वित हो सकते हैं।

अनौपचारिक क्षेत्र के कार्यबल:

  • अनौपचारिक क्षेत्र किसी भी अर्थव्यवस्था का वह हिस्सा है जिस पर न तो सरकार द्वारा किसी प्रकार का कर लगाया जाता है और न ही उसकी निगरानी की जाती है।
    • अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक या अनौपचारिक श्रमिक हैं।
  • अनौपचारिक क्षेत्र गरीबों के लिये महत्त्वपूर्ण आर्थिक अवसर प्रदान करता है।
  • यह काफी हद तक औपचारिक शिक्षा, आसान प्रवेश, स्थिर नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों की कमी और संचालन के एक छोटे पैमाने के बाहर प्राप्त कौशल की विशेषता है।
  • औपचारिक अर्थव्यवस्था के विपरीत अनौपचारिक क्षेत्र के घटकों को सकल घरेलू उत्पाद की गणना में शामिल नहीं किया जाता है।

अनौपचारिक कार्यबल की रक्षा करने की आवश्यकता:

  • भारत के अनुमानित 450 मिलियन अनौपचारिक श्रमिकों में इसके कुल कार्यबल का 90% शामिल है, जिसमें 5-10 मिलियन कर्मचारी वार्षिक रूप से जोड़े जाते हैं।
  • इसके अतिरिक्त ऑक्सफैम (Oxfam’s) की नवीनतम वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में अपनी नौकरी गँवाने वाले कुल 122 मिलियन में से 75% अनौपचारिक क्षेत्र में चले गए थे।
  • कोविड -19 महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण नौकरी छूटने तथा अनौपचारीकरण में और वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप गरीबों में सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।
  • इसके अतिरिक्त वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.7% की गिरावट आई है। इसलिये रोज़गार सृजन के माध्यम से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि अनौपचारिक क्षेत्र अधिक श्रम प्रधान है।

सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ पहलें

विश्व बैंक समूह

  • विश्व बैंक समूह एक विशिष्ट वैश्विक साझेदारी है, जिसमें पाँच विकास संस्थान शामिल हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) ऋण, क्रेडिट और अनुदान प्रदान करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) कम आय वाले देशों को कम या बिना ब्याज वाले ऋण प्रदान करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) कंपनियों और सरकारों को निवेश, सलाह तथा परिसंपत्तियों के प्रबंधन संबंधी सहायता प्रदान करता है।
    • बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA) ऋणदाताओं और निवेशकों को युद्ध जैसे राजनीतिक जोखिम के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का काम करती है।
    • निवेश विवादों के निपटारे के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID) निवेशकों और देशों के मध्य उत्पन्न निवेश-विवादों के सुलह और मध्यस्थता के लिये सुविधाएँ प्रदान करता है। 
      • भारत ‘निवेश विवादों के निपटारे के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र’ का सदस्य नहीं है। 
  • वर्तमान में  189 देश IBRD के सदस्य हैं, जबकि IDA में 173 सदस्य देश हैं।

आगे की राह

  • MSME को सुदृढ़ बनाना: अनौपचारिक कार्यबल का लगभग 40% हिस्सा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) में कार्यरत है। इसलिये स्वाभाविक है कि MSMEs के मज़बूत होने से आर्थिक सुधार, रोज़गार सृजन और अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण होगा।
  • CSR व्यय के तहत कौशल विकास: बड़े कॉरपोरेट घरानों को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) व्यय के तहत असंगठित क्षेत्रों में लोगों को कुशल बनाने की ज़िम्मेदारी भी लेनी चाहिये।
  • अदृश्य श्रम को पहचानना: घरेलू कामगारों के अधिकारों को पहचानने और बेहतर काम करने की स्थिति को बढ़ावा देने के लिये जल्द-से-जल्द एक राष्ट्रीय नीति लाने की आवश्यकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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