सामाजिक न्याय
वैश्विक असमानता में वृद्धि
- 21 Jan 2025
- 16 min read
प्रिलिम्स के लिये:असमानता, क्रय शक्ति समता, ग्लोबल साउथ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, गिनी गुणांक, विश्व बैंक, मनरेगा, मिशन आयुष्मान, मौलिक अधिकार मेन्स के लिये:भारत में असमानता और संबंधित मुद्दे, वैश्विक असमानता, समावेशी विकास |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
ऑक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है "टेकर्स नॉट मेकर्स: द अनजस्ट पॉवर्टी एंड अनअर्न्ड वेल्थ ऑफ कोलोनियलिज्म " बढ़ती वैश्विक असमानता पर प्रकाश डालती है, जहाँ अरबपतियों की संपत्ति बढ़ती जा रही है, जबकि गरीबों को निरंतर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, ऐतिहासिक उपनिवेशवाद इस विभाजन को बढ़ावा दे रहा है।
नोट: वर्ष 1995 में गठित ऑक्सफैम इंटरनेशनल, वैश्विक गरीबी और अन्याय को कम करने के लिये काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (NGO) का एक संघ है।
- यह भारत सहित 79 देशों में कार्यरत है, तथा आपातकालीन राहत, आजीविका पुनर्निर्माण, तथा महिलाओं के अधिकारों को केंद्र में रखते हुए स्थायी परिवर्तन की वकालत पर ध्यान केंद्रित करता है।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?
- अरबपतियों की संपत्ति में वृद्धि: वर्ष 2024 में कुल अरबपतियों की संपत्ति में 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई, साथ ही 204 नए अरबपति बने।
- वर्ष 2023 की तुलना में वर्ष 2024 में अरबपतियों की संपत्ति तीन गुना तेज़ी से बढ़ी, प्रत्येक अरबपति की संपत्ति में प्रतिदिन 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई।
- बढ़ती असमानता: अरबपतियों और शेष विश्व के बीच का अंतर नाटकीय रूप से बढ़ गया है, क्योंकि संकटों के कारण वर्ष 1990 से गरीबी स्थिर बनी हुई है।
- विश्व की 45% संपत्ति सर्वाधिक धनी 1% लोगों के पास है, जबकि 3.6 बिलियन लोग अभी भी 6.85 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन [क्रय शक्ति समता (PPP)] से कम पर जीवन यापन कर रहे हैं तथा विश्व में 10 में से 1 महिला अत्यधिक गरीबी में रहती है।
- वर्ष 1820 में, सबसे धनी 10% की संपत्ति सबसे गरीब 50% की तुलना में 18 गुना अधिक थी और वर्ष 2020 तक यह अंतर बढ़कर 38 गुना हो गया है।
- प्रगति के विभिन्न मापदंडों में असमानता स्पष्ट है, जैसे कि अफ्रीकियों की औसत जीवन प्रत्याशा यूरोपीय लोगों की तुलना में 15 वर्ष कम है।
- औपनिवेशिक विरासत और शक्ति असंतुलन: ऐतिहासिक उपनिवेशवाद वैश्विक असमानता को आकार दे रहा है, जिसमें सबसे संपन्न राष्ट्र और व्यक्ति औपनिवेशिक शोषण से लाभान्वित हो रहे हैं, और ग्लोबल साउथ को शक्तिहीन राज्यों (weak states), स्वेच्छाचारी सीमाओं (Arbitrary Borders) और संघर्ष जैसे परिणामों का सामना करना पड़ रहा है।
- वित्तीय प्रणालियों के माध्यम से प्रति घंटे 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर ग्लोबल साउथ से ग्लोबल नॉर्थ में स्थानांतरित किया जाता है।
- वर्ष 1765 और वर्ष 1900 के बीच, औपनिवेशिक शासन के दौरान ब्रिटेन ने भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर निकाले, जिसमें से 33.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर सबसे संपन्न 10% लोगों के पास गए।
- ग्लोबल नॉर्थ के देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसी वैश्विक संस्थाओं पर हावी हैं, जिससे असमानता कायम है।
- आज की शिक्षा प्रणाली असमानता को प्रतिबिंबित करती है, वर्ष 2017 में 39% वैश्विक राष्ट्राध्यक्ष ब्रिटेन, अमेरिका या फ्राँस में शिक्षित थे।
- विरासत में मिली संपत्ति: पहली बार, वर्ष 2023 में विरासत में मिली संपत्ति से उद्यमिता की तुलना में अधिक अरबपति देखने को मिले।
- अरबपतियों की लगभग 60% संपत्ति विरासत, भाई-भतीजावाद या एकाधिकार शक्ति से आती है।
- सिफारिशें: चूँकि वर्ष 2025 में बांडुंग सम्मेलन (गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM)) के 70 वर्ष पूरे हो जाएंगे, इसलिये सरकारों को दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना चाहिये और एक नई अंतर्राष्ट्रीय निष्पक्ष आर्थिक व्यवस्था स्थापित करने के लिये औपनिवेशिक युग की प्रणालियों को खत्म करना चाहिये।
- अत्यधिक धन असमानता को दूर करने के लिये प्रगतिशील कराधान को लागू करना।
- असमानता को कम करने और वैश्विक गरीबों के कल्याण में सुधार लाने के लिये स्पष्ट वैश्विक और राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित करना।
वैश्विक असमानता क्या है?
- परिचय: यह वैश्विक स्तर पर 8 बिलियन लोगों के बीच संसाधनों, अवसरों और शक्ति का असमान वितरण है। यह एक प्रमुख कारक है जो गरीबी में वृद्धि तथा खुशहाली में बाधा उत्पन्न करती है।
- वर्ष 1800 के दशक के आरंभ में वैश्विक धन असमानताएँ कम थीं, लेकिन औद्योगिक क्रांति के साथ, पश्चिमी देशों में आय में असमान रूप से वृद्धि हुई, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक असमानता में वृद्धि हुई।
- देशों के बीच आय असमानता: वर्ष 1990 के दशक से, देशों के बीच आय असमानता में कमी आई है, जिसका मुख्य कारण चीन और एशिया में अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में तीव्र आर्थिक विकास है।
- इस प्रगति के बावजूद, अभी भी बहुत सारे अंतर हैं। उदाहरण के लिये, उत्तरी अमेरिका में औसत आय उप-सहारा अफ्रीका की तुलना में 16 गुना अधिक है।
- देशों के भीतर आय असमानता: देशों के भीतर आय असमानता बदतर हो गई है, वैश्विक जनसंख्या का 71% हिस्सा ऐसे देशों में रह रहा है जहाँ असमानता में वृद्धि हुई है।
असमानता के कारक:
- सामाजिक कारक: लिंग, नस्ल, जातीयता और भौगोलिक असमानता के महत्त्वपूर्ण कारक हैं। महिलाओं, जातीय अल्पसंख्यकों और हाशिये पर पड़े समूहों के खिलाफ भेदभाव विश्व में असमानता को बनाए रखता है।
- महिलाओं और लड़कियों को आय में असमानता का सामना करना पड़ रहा है, हालाँकि कुछ क्षेत्रों में लैंगिक आय असमानता में कमी आई है। प्रगति के बावजूद, वे प्रतिदिन 12.5 बिलियन घंटे अवैतनिक देखभाल कार्य करती हैं।
- आर्थिक विकास: हालाँकि कुछ देशों में आर्थिक विकास ने वैश्विक असमानता को कम करने में मदद की है, लेकिन यह अक्सर असमान रहा है, तथा सबसे विकसित देशों को विकास से सबसे अधिक लाभ हुआ है।
- धन का संकेंद्रण और क्रोनी पूंजीवाद असमानता को बढ़ाता है, क्योंकि धनी लोग अपने उत्तराधिकारियों को लाभ पहुँचाते हैं, कई लोग भूमिहीन रह जाते हैं, तथा भ्रष्टाचार से कुछ चुनिंदा लोग प्रभावित रहते है।
- प्रतिगामी कर नीतियाँ और कमज़ोर सामाजिक सुरक्षा तंत्र आय असमानता को बढ़ाते हैं, जिससे कमज़ोर आबादी को सहायता नहीं मिलती तथा धनी लोगों को लाभ प्राप्त होता है।
- उभरते कारक: जलवायु परिवर्तन पर्यावरणीय क्षरण को बढ़ाता है तथा सबसे गरीब समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करता है।
- प्रौद्योगिकी में समानता लाने की क्षमता है, लेकिन जिनके पास डिजिटल बुनियादी ढाँचे तक पहुँच नहीं है, उन्हें अधिक हाशिये पर रहने का सामना करना पड़ सकता है।
- प्रभाव: असमानताएँ आय से आगे बढ़कर जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और बुनियादी सेवाओं को भी प्रभावित करती हैं।
- उच्च असमानता मानव अधिकारों, न्याय और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच को सीमित करती है, जिससे वर्ष वर्ष 2018 में 71 देशों में वैश्विक स्वतंत्रता में गिरावट आई है।
- असमानता का उच्च स्तर सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक विकास को हतोत्साहित करता है, जिससे सामाजिक संकट, हिंसा और संघर्ष को बढ़ावा मिलता है। अत्यधिक असमानता भी देशभक्ती और राष्ट्रवाद के उदय को बढ़ावा दे रही है।
भारत में असमानता की क्या स्थिति है?
- भारत का गिनी गुणांक: वर्ष 2023 में भारत का गिनी गुणांक 0.410 था। यह वर्ष 1955 के गिनी गुणांक 0.371 से अधिक है।
- गिनी इंडेक्स 0 (पूर्ण समानता) से लेकर 1 (पूर्ण असमानता) तक होता है। इसकी अधिक संख्या देश के अंदर अधिक आय असमानता को दर्शाती है।
- आय वितरण: भारत में आय वितरण अत्यधिक असमान है (शीर्ष 10% लोगों के पास 77% संपत्ति है और सबसे धनी 1% लोगों के पास 53% संपत्ति है)।
- राष्ट्रीय आय में शीर्ष 10% और 1% लोगों की क्रमशः 57% एवं 22% हिस्सेदारी है जबकि निचले 50% लोगों के पास केवल 13% संपत्ति है, इससे आय असमानता पर प्रकाश पड़ता है।
- भारत में असमानता को बढ़ाने वाले कारक: कोविड-महामारी से धन असमानताओं को और बढ़ावा मिला है।
- भारत की प्रतिगामी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली से निचले 50% लोगों पर अधिक बोझ पड़ता है, जो कुल वस्तु एवं सेवा कर (GST) का 64% भुगतान करते हैं जबकि शीर्ष 10% केवल 4% का योगदान करते हैं। कॉर्पोरेट कर में कटौती से इस असमानता को और बढ़ावा मिलता है।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच के अभाव से आर्थिक गतिशीलता सीमित होती है, जिससे लोग कम आय वाली नौकरियों में फँस जाते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी बनी रहती है।
- उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) सुधारों के लाभ असमान रहे हैं और यह दूरसंचार और विमानन जैसे क्षेत्रों के पक्ष में रहे हैं।
- कृषि और लघु उद्योग (जिनसे आबादी के एक प्रमुख हिस्से को रोज़गार मिलता है) उपेक्षित रहे हैं तथा उन्हें अक्सर कम मजदूरी मिलने के साथ सामाजिक सुरक्षा की कमी का सामना करना पड़ता है।
- असमानता कम करने के लिये भारत की पहल:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम योजना (MGNREGA)
- प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
- दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM)
- समग्र शिक्षा योजना 2.0
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
- आयुष्मान मिशन
- प्रधानमंत्री जनधन योजना
- मिशन इंद्रधनुष
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
- लखपति दीदी पहल
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)
आगे की राह
- समावेशी रूपरेखा: इस दिशा में संविधान में शामिल समानता के प्रावधानों को लागू करना, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहल को बढ़ावा देना तथा समावेशी विकास नीति उपायों के लिये सतत् विकास लक्ष्य 10 संख्या को बढ़ावा देना और मूल अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना निर्णायक है।
- प्रगतिशील कराधान: अरबपतियों और बड़ी कंपनियों को लक्षित करके संपत्ति कर लागू करना चाहिये। गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये इस धन का उपयोग करना चाहिये।
- कर चोरी से निपटने के लिये कॉर्पोरेट एवं व्यक्तिगत संपत्ति की सार्वजनिक रिपोर्टिंग को अनिवार्य बनाया जाना चाहिये।
- वित्तीय क्षतिपूर्ति: औपनिवेशिक शोषण, गुलामी और संसाधन निष्कर्षण से प्रभावित राष्ट्रों एवं समुदायों को वित्तीय क्षतिपूर्ति या सहायता प्रदान करना चाहिये।
- लैंगिक असमानता: महिलाओं के अवैतनिक श्रम को महत्त्व देने के लिये आर्थिक और नीतिगत उपाय प्रदान करने चाहिये। अवसरों में लैंगिक अंतराल को कम करने के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, भूमि और ऋण तक महिलाओं की पहुँच में सुधार करना चाहिये।
- पर्यावरणीय न्याय: ऐतिहासिक रूप से अधिकांश उत्सर्जनों के लिये ज़िम्मेदार धनी राष्ट्रों द्वारा जलवायु प्रयासों को वित्तपोषित करना चाहिये तथा ग्लोबल साउथ में हरित निवेश का समर्थन करना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: वैश्विक असमानता के प्रभाव पर चर्चा कीजिये और बताइये कि इस मुद्दे के समाधान के लिये कौन से सुधार आवश्यक हैं? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सQ.ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में उल्लिखित समावेशी विकास में निम्नलिखित में से कौन सा एक शामिल नहीं है: (2010) (a) गरीबी में कमी लाना उत्तर: C मेन्स:प्र. कोविड-19 महामारी से भारत में वर्ग असमानताओं और गरीबी को बढ़ावा मिला है। टिप्पणी कीजिये। (2020) |