पुनर्योजी नीली अर्थव्यवस्था | 02 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ, पुनर्योजी नीली अर्थव्यवस्था, नीली अर्थव्यवस्था, चक्रीय अर्थव्यवस्था, ब्लू कार्बन महान नीली दीवार पहल, मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030

मेन्स के लिये:

नीली अर्थव्यवस्था का महत्त्व, पुनर्योजी नीली अर्थव्यवस्था से संबंधित चुनौतियाँ, नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदम।

स्रोत: आई.यू.सी.एन.

चर्चा में क्यों? 

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature - IUCN) ने पुनर्योजी नीली अर्थव्यवस्था (Regenerative Blue Economy- RBE) के लिये रोडमैप की रूपरेखा बताते हुए एक रिपोर्ट जारी की है।

  • यह दृष्टिकोण केवल स्थिरता से आगे जाता है, जिसका लक्ष्य हमारे महासागरों को सक्रिय रूप से बहाल करना और पुनर्जीवित करना है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • पदानुक्रम का प्रस्ताव: रिपोर्ट नीली अर्थव्यवस्था की अवधारणा के भीतर विभिन्न व्याख्याओं और स्थिरता के स्तरों को वर्गीकृत करने के लिये एक पदानुक्रमित संरचना का प्रस्ताव करती है, वे हैं:
    • सागरीय/भूरी (Brown) अर्थव्यवस्था: इसका तात्पर्य समुद्र से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित सभी आर्थिक गतिविधियों से है।
      • पारंपरिक "समुद्री अर्थव्यवस्था" या "समुद्री क्षेत्रों" का पर्याय।
      • इसमें जहाज़रानी (शिपिंग), बंदरगाह, मत्स्य पालन, अपतटीय तेल/गैस आदि जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
      • आर्थिक योगदान पर केंद्रित व्यवसाय-सामान्य दृष्टिकोण का पालन करता है।
    • सतत नीली अर्थव्यवस्था: इसमें पर्यावरणीय स्थिरता और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण के सिद्धांतों को शामिल करता है। इसका दायरा केवल आर्थिक गतिविधियों से आगे बढ़ाकर इसमें शामिल किया गया है:
    • पुनर्योजी नीली अर्थव्यवस्था: RBE का लक्ष्य समुद्री स्वास्थ्य को बनाए रखने से कहीं अधिक है। इसका मुख्य उद्देश्य समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को सक्रिय रूप से व्यवस्थित करना और पुनर्जीवित करना है।    
      • यह एक आर्थिक मॉडल है जो महासागर एवं समुद्र तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के कठोर एवं प्रभावी पुनर्जनन तथा सुरक्षा को सतत, न्यून या शून्य कार्बन आर्थिक गतिविधियों को वर्तमान तथा निकट भविष्य में लोगों एवं पृथ्वी को और अधिक समृद्ध करने का प्रयास करता  है।
  • R.B.E के संस्थापक सिद्धांत:
    • सुरक्षा एवं नवीनीकरण: समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों, संसाधनों तथा प्राकृतिक पूंजी को पुनर्जीवित एवं संरक्षित करना। जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता हानि का सामना करना।
    • समावेशी आर्थिक प्रणाली: आर्थिक प्रणाली के अंतर्गत समावेश, निष्पक्षता और एकजुटता सुनिश्चित करना। स्थायी वित्तपोषण द्वारा, कल्याण, लचीलेपन और जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता की गारंटी देना।
    • समावेशी और सहभागी शासन: पारदर्शिता के साथ एक समावेशी और सहभागी शासन प्रणाली स्थापित करना। जलवायु एवं जैवविविधता पर अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में लचीले कानूनी और नियामक तंत्र को लागू करना।
    • न्यून या शून्य कार्बन गतिविधियाँ: न्यून या शून्य कार्बन गतिविधियों को प्राथमिकता दें जो समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिक तंत्र के पुनर्जनन पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं तथा स्थानीय आबादी के हितों की वृद्धि करती हैं।
    • द्वीपीय राज्यों में प्राथमिकता कार्यान्वयन: विशिष्ट आवश्यकताओं वाले द्वीपीय राज्यों में RBE को प्राथमिकता के रूप में लागू करना। तटीय आबादी, विशेषतः उस स्थान के मूल निवासियों की आवश्कताओं पर विचार करना  तथा कार्यान्वयन प्रक्रिया में उनकी परंपराओं की पहचान करना।

Overview_Blue_Economy

  • स्थायित्व का स्पेक्ट्रम:
    • IUCN नीली अर्थव्यवस्था अवधारणा के अंतर्गत विभिन्न स्थिरता स्तरों को स्वीकार करता है।
    • RBE सबसे व्यापक और पुनर्स्थापनात्मक रणनीति है; यह "हमेशा की तरह व्यवसाय" और "सतत उपयोग" से परे जाकर सक्रिय रूप से समुद्र के स्वास्थ्य को बहाल करता है।

Sustainability_Level_of_Blue_Economy

  • नीली अर्थव्यवस्था का सिद्धांत:
    • रिपोर्ट में विभिन्न संगठनों (विश्व वन्यजीव कोष, संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट, आदि) द्वारा प्रस्तावित सिद्धांतों के विभिन्न दिशानिर्देशों का विवरण है।
    • सामान्य विषय: पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य, स्थिरता, समावेशिता, सुशासन

Blue_Economy

  • नीली अर्थव्यवस्था और प्रकृति-आधारित समाधान:
    • रिपोर्ट कार्बन पृथक्करण जैसी तटीय/समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के महत्त्व पर बल देती है।
    • ब्लू कार्बन को उभरते बाज़ार अवसर और टिकाऊ अर्थव्यवस्थाओं के घटक के रूप में रेखांकित किया गया है।
      • नीली अर्थव्यवस्था जलवायु परिवर्तन/जैवविविधता के लिये प्रकृति-आधारित समाधानों के व्यापक प्रयास के साथ संरेखित है।

Cope_of_Regenerative_Blue_ Economy

  • प्रमुख क्षेत्र और विचार:
    • मछली पकड़ने और जलीय कृषि के टिकाऊ तरीकों को अपनाना चाहिये, अत्यधिक मछली पकड़ने एवं निवास स्थान के विनाश से बचना चाहिये।
      • छोटे पैमाने पर मत्स्य पालन, शेलफिश/शैवाल जैसी पर्यावरण-अनुकूल जलीय कृषि को प्राथमिकता देनी चाहिये।
    • समुद्री परिवहन के लिये निम्न/शून्य-कार्बन ईंधन और प्रौद्योगिकियों में परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
    • यह रिपोर्ट नीली अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को चक्रिय अर्थव्यवस्थाबायोइकोनॉमी और सोशल एंड सॉलिडैरिटी इकोनॉमी (SSE) के साथ संयोजित करने की आवश्यकता पर ज़ोर देती है।
      • जैव अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और उद्योग के लिये एक मॉडल है जो वस्तुओं, सेवाओं व ऊर्जा का उत्पादन करने के लिये जैविक संसाधनों का उपयोग करता है। यह एक टिकाऊ एवं चक्रिय मॉडल है जो सभी आर्थिक क्षेत्रों में जैविक संसाधनों, प्रक्रियाओं और विधियों का उपयोग करता है।
  • SSE, उन आर्थिक गतिविधियों और संबंधों को संदर्भित करता है जो लाभ से अधिक सामाजिक एवं पर्यावरणीय उद्देश्यों को प्राथमिकता देते हैं।

ब्लू कार्बन क्या है?

  • परिभाषा: ब्लू कार्बन का तात्पर्य तटीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र द्वारा संग्रहीत कार्बन से है।
  • महत्त्व: मैंग्रोव, ज्वारीय दलदल और समुद्री घास के मैदान जैसे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक हैं, जो स्थलीय वनों की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक कार्बन संग्रहीत करते हैं।
    • वे जलवायु परिवर्तन को कम करने और पेरिस समझौते के तहत देशों के उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों में योगदान करते हैं।
  • IUCN की भागीदारी: IUCN ब्लू नेचुरल कैपिटल फाइनेंसिंग फैसिलिटी (BNCFF) और ब्लू कार्बन एक्सेलेरेटर फंड (BCAF) के माध्यम से ‘ब्लू कार्बन’ पहल में संलग्न है।
    • ये पहल स्पष्ट पारिस्थितिकी तंत्र सेवा लाभों के साथ मज़बूत निवेश-आधारित परियोजनाओं के विकास का समर्थन करती हैं, जिससे निजी क्षेत्र के वित्तपोषण का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • उदाहरण: इंडोनेशिया में व्यापक झींगा पालन और मैंग्रोव संरक्षण का अध्ययन मामला ‘ब्लू कार्बन’ पहल के माध्यम से उत्पन्न संभावित राजस्व को दर्शाता है।

पुनर्योजी नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली पहल क्या हैं?

  • वैश्विक पहल:
    • IUCN नेचर 2030: यह सतत् विकास के लिये संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा और वर्ष 2020 के बाद के वैश्विक जैवविविधता ढाँचे के अनुरूप संरक्षण प्रयासों के लिये एक व्यापक योजना है।
    • ग्रेट ब्लू वॉल पहल: अफ्रीकी नेतृत्व वाली इस पहल का उद्देश्य देशों को निम्नलिखित लक्ष्यों तक पहुँचने में सहायता करना है:
      • वर्ष 2030 तक महासागर के 30% हिस्से की रक्षा करना; वर्ष 2030 तक मैंग्रोव, कोरल, समुद्री घास जैसे महत्त्वपूर्ण नीले पारिस्थितिक तंत्र से शुद्ध लाभ प्राप्त करना; पुनर्योजी नीली अर्थव्यवस्था विकसित करना और फंडिंग, प्रशिक्षण व तकनीकी सहायता के माध्यम से स्थानीय समुदायों का समर्थन करके लाखों रोज़गार उत्पन्न करना।
    • स्वच्छ समुद्र अभियान: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के नेतृत्व में संचालित यह अभियान सरकारों और व्यवसायों को एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के प्रयोग को कम करने के लिये प्रोत्साहित करके समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटता है।
    • मोरोनी घोषणा और केप टाउन घोषणापत्र: अफ्रीकी देशों की ये हालिया घोषणाएँ महाद्वीप के विकास के लिये RBE के महत्त्व पर प्रकाश डालती हैं और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन का आह्वान करती हैं।
  • भारत:

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. पुनर्योजी नीली अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों और समुद्री संरक्षण में इसकी भूमिका पर चर्चा कीजिये। RBE और पारंपरिक ब्लू इकोनॉमी मॉडल में अंतर बताइए। इसके सामाजिक-आर्थिक लाभों का आकलन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. ब्लू कार्बन क्या है? (2021)

(a) महासागरों और तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों द्वारा प्रगृहीत कार्बन
(b) वन जैव मात्रा (बायोमास) और कृषि मृदा में प्रच्छादित कार्बन
(c) पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में अंतर्विष्ट कार्बन
(d) वायुमंडल में विद्यमान कार्बन

उत्तर:(a)


प्रश्न. ‘संक्रामक (इन्वेसिव) जीव-जाति (स्पीशीज़) विशेषज्ञ समूह’ (जो वैश्विक संक्रामक जीव-जाति डेटाबेस विकसित करता है) निम्नलिखित में से किस एक संगठन से संबंधित है? (2023)

(a) अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (इंटरनैशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर)
(b) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनाइटेड नेशंस एन्वाइरनमेंट प्रोग्राम)
(c) संयुक्त राष्ट्र का पर्यावरण एवं विकास पर विश्व आयोग (यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड कमीशन फॉर एन्वाइरनमेंट ऐंड डेवेलप्मेंट)
(d) प्रकृति के लिये विश्वव्यापी निधि (वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर) 

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. “नीली क्रांति” को परिभाषित करते हुए, भारत में मत्स्यपालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018)