भारतीय रिज़र्व बैंक वित्त वर्ष 2023 में अमेरिकी डॉलर का शुद्ध विक्रेता बना | 25 May 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, रुपए का मूल्यह्रास मेन्स के लिये:रुपए के मूल्यह्रास पर RBI द्वारा डॉलर की बिक्री का प्रभाव, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी में योगदान करने वाले कारक, भारत की अर्थव्यवस्था पर यूक्रेन-रूस संघर्ष का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान अपने विदेशी मुद्रा लेन-देन में महत्त्वपूर्ण बदलाव का अनुभव किया। लगातार तीन वर्षों तक अमेरिकी डॉलर का शुद्ध खरीदार होने के बाद अब RBI एक शुद्ध विक्रेता बन गया, जिसने स्पॉट मार्केट में 25.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बिक्री की।
- स्पॉट एक्सचेंज वह जगह है जहाँ वित्तीय साधनों, जैसे कि वस्तुओं, मुद्राओं और प्रतिभूतियों का तत्काल वितरण हेतु कारोबार किया जाता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक का वित्त वर्ष 2023 में अमेरिकी डॉलर का शुद्ध विक्रेता बनने का कारण:
- रुपए का स्थिरीकरण:
- RBI का कहना है कि विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप का उसका उद्देश्य रुपए के प्रचलन को स्थिर करना है।
- RBI द्वारा डॉलर की बिक्री या खरीद उसके लाभ को प्रभावित करती है और सरकार को लाभांश भुगतान में परिलक्षित होती है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि RBI की डॉलर बिक्री के बिना रुपया और कमज़ोर हो सकता था एवं डॉलर के मुकाबले संभावित रूप से 84-85 रुपए के स्तर तक पहुँच सकता था।
- विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और मूल्यह्रास:
- वित्त वर्ष 2023 के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 606.475 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 578.449 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर की सराहना एवं उच्च अमेरिकी बॉण्ड प्रतिफल के परिणामस्वरूप होने वाले मूल्यह्रास के कारण था।
- डॉलर की बिक्री:
- RBI ने यूक्रेन-रूस संघर्ष और अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप रुपए के मूल्यह्रास का मुकाबला करने हेतु वित्तीय वर्ष 2023 में महत्त्वपूर्ण मात्रा में डॉलर बेचे।
- वित्त वर्ष 2023 के दौरान रुपए में लगभग 8% की गिरावट आई जो RBI के हस्तक्षेप के कारण अधिक कमज़ोर होने से बचा।
- 1 अप्रैल, 2022 को लगभग 76 रुपए के स्तर से गिरकर 31 मार्च, 2023 को लगभग 82 रुपए के स्तर पर आ गया था।
- प्रभाव:
- वित्तीय वर्ष 2023 में RBI द्वारा डॉलर की बिक्री के परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण लाभ हुआ। अतः सरकार को उच्च लाभांश भुगतान प्राप्त हुआ।
- RBI के केंद्रीय बोर्ड ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये सरकार को अधिशेष हस्तांतरण में 188% की वृद्धि को मंज़ूरी दी।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI):
- परिचय:
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार, यह 1 अप्रैल, 1935 को स्थापित भारतीय बैंकिंग प्रणाली का केंद्रीय बैंक और नियामक निकाय है।
- हालाँकि भारत की स्वतंत्रता के बाद 1 जनवरी, 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था।
- RBI का स्वामित्व भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के पास है और यह गवर्नर की अध्यक्षता में 21 सदस्यीय केंद्रीय निदेशक मंडल द्वारा शासित है।
- RBI मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार, यह 1 अप्रैल, 1935 को स्थापित भारतीय बैंकिंग प्रणाली का केंद्रीय बैंक और नियामक निकाय है।
- RBI के कार्य:
- मुद्रा जारी करना।
- विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन।
- मौद्रिक नीति का संचालन।
- बैंकों और वित्तीय बाज़ारों का विनियमन।
- सरकार और अन्य संस्थानों को बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करना।
- RBI की आय:
- घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की धारिता पर ब्याज।
- इसकी सेवाओं से प्राप्त शुल्क और कमीशन।
- विदेशी मुद्रा लेन-देन से लाभ।
- सहायक और सहयोगियों से रिटर्न।
- RBI का व्यय:
- करेंसी नोटों की छपाई।
- जमा और उधार पर ब्याज का भुगतान।
- कर्मचारियों का वेतन और पेंशन।
- कार्यालयों और शाखाओं का परिचालन व्यय।
- आकस्मिकताओं और मूल्यह्रास के लिये प्रावधान।
रुपए के मूल्यह्रास को रोकने में अन्य कौन से उपाय मदद कर सकते हैं?
- देश में पूंजी प्रवाह बढ़ाना, जैसे कि विदेशी निवेश को बढ़ावा देना और अनिवासी भारतीय (NRI) जमा को प्रोत्साहित करना।
- रुपए के मूल्य में अत्यधिक अस्थिरता को कम करने के लिये विदेशी मुद्रा बाज़ारों की निगरानी और हस्तक्षेप करना।
- अत्यधिक मूल्यह्रास का मुकाबला करने और स्थिरता बनाए रखने के लिये चुनिंदा विदेशी मुद्रा भंडारों के उपयोग पर विचार करना।
- एक अनुकूल कारोबारी माहौल और नीतियों को बढ़ावा देना जो आर्थिक विकास एवं निर्यात का समर्थन करते हों।
- मुद्रास्फीति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और स्थिरता बनाए रखने के लिये मौद्रिक नीति ढाँचे को मज़बूत करना।
- मुद्रा मूल्यह्रास के प्रबंधन के लिये व्यापक रणनीतियों को लागू करने हेतु अन्य प्रासंगिक सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाना।
- रुपए में व्यापार को प्रोत्साहित करना और घरेलू मुद्रा में भारत के व्यापार लेन-देन के मूल्य निर्धारण को बढ़ावा देना।
- रुपए के मूल्यह्रास पर नीतिगत उपायों के प्रभाव की लगातार निगरानी और आकलन तथा आवश्यकतानुसार समायोजन करना।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. यदि आर.बी.आई. एक प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |