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भारतीय अर्थव्यवस्था

कृषि योजनाओं का युक्तिकरण एवं ऑयल सीड मिशन

  • 07 Oct 2024
  • 15 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन - ऑयल सीड, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY), कृषोन्नति योजना (KY), कृषि वानिकी, खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूल कृषि, पोषण सुरक्षा, आत्मनिर्भर भारत, NMEO-OP (ऑयल पाम), इंटरक्रॉपिंग, जीनोम एडिटिंग, SATHI पोर्टल, FPOs, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)

मुख्य परीक्षा के लिये:

कृषि योजनाओं के युक्तिकरण का महत्त्व और तिलहनों में आत्मनिर्भरता हेतु राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन - ऑयल सीड (NMEO-ऑयल सीड) का कार्यान्वयन।

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 18 केंद्र प्रायोजित योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन - ऑयल सीड (NMEO-ऑयल सीड) को मंजूरी दी।

योजनाओं के युक्तिकरण के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • योजनाओं का वर्गीकरण: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) को दो प्रमुख योजनाओं में वर्गीकृत किया गया है, अर्थात् प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY) और कृषोन्नति योजना (KY)। 

योजना की मुख्य विशेषताएँ: 

  • PM-RKVY: इस योजना का उद्देश्य देश भर में धारणीय कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
  • PM-RKVY में निम्नलिखित योजनाएँ शामिल हैं: मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, वर्षा आधारित क्षेत्र विकास, कृषि वानिकी, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रति बूंद अधिक फसल, फसल विविधीकरण कार्यक्रम, RKVY DPR घटक, कृषि स्टार्टअप के लिये एसेलिरेटर फंड।
    • कृषोन्‍नति योजना (KY): यह खाद्य सुरक्षा और कृषि आत्‍मनिर्भरता  पर केंद्रित है।
  • व्यापक रणनीतिक दस्तावेज: राज्यों को अपने कृषि क्षेत्र के लिये एक व्यापक रणनीतिक दस्तावेज तैयार करने का अवसर दिया गया है।
    • इससे जलवायु अनुकूल कृषि पर ध्यान देते हुए फसल उत्पादन और उत्पादकता में सुधार लाने तथा कृषि उत्पादों के लिये मूल्य श्रृंखला विकसित करने को बढ़ावा मिलता है।
  • युक्तिकरण का उद्देश्य: 
    • दक्षता और एकीकरण: कृषि पहलों हेतु अधिक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा मिल सके।
    • उभरती कृषि चुनौतियाँ: पोषण सुरक्षा, स्थिरता, जलवायु अनुकूलन, मूल्य श्रृंखला विकास एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी से संबंधित कृषि की उभरती चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
    • राज्य-विशिष्ट रणनीतिक योजना: राज्यों को अपनी विशिष्ट कृषि आवश्यकताओं के अनुरूप रणनीतिक योजना तैयार करने की स्वतंत्रता मिल सके।
    • सुव्यवस्थित अनुमोदन प्रक्रिया: राज्यों की वार्षिक कार्य योजना (AAP) को व्यक्तिगत योजना-वार AAP को अनुमोदित करने के बजाय एक बार में अनुमोदित किया जा सके।

NMEO-ऑयल सीड के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: इसे खाद्य तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के क्रम में घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है।
    • यह आत्मनिर्भर भारत के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप होने के साथ देश में प्राथमिक तथा द्वितीयक तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • अवधि: इस मिशन को वर्ष 2024-25 से 2030-31 तक की सात वर्ष की अवधि हेतु शुरू किया गया है।
  • उद्देश्य: NMEO-OP (ऑयल पाम) के साथ मिलकर इस मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल उत्पादन को 25.45 मिलियन टन तक बढ़ाना है, जिससे भारत की अनुमानित घरेलू आवश्यकता का लगभग 72% पूरा हो सकेगा।
    • इसका उद्देश्य चावल और आलू की परती भूमि को लक्षित करने के साथ अंतर-फसल को बढ़ावा देने एवं फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के साथ तिलहन की खेती को अतिरिक्त 40 लाख हेक्टेयर तक विस्तारित करना है।
    • NMEO-OP (ऑयल पाम) का लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक कच्चे पाम तेल का उत्पादन 11.20 लाख टन तक बढ़ाना है।
  • प्रमुख लक्षित क्षेत्र: 
    • प्राथमिक तिलहन फसलों का उत्पादन: यह प्रमुख प्राथमिक तिलहन फसलों जैसे कि रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल उत्पादन को बढ़ाने पर केंद्रित है। 
      • इसका लक्ष्य प्राथमिक तिलहन उत्पादन को वर्ष 2022-23 के 39 मिलियन टन से बढ़ाकर वर्ष 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन तक करना है।
    • द्वितीयक स्रोतों से निष्कर्षण: इसका उद्देश्य कपास के बीज, चावल की भूसी और वृक्ष जनित तेलों जैसे द्वितीयक स्रोतों से तेल के संग्रहण एवं निष्कर्षण दक्षता को बढ़ावा देना है।
    • तकनीकी हस्तक्षेप: उच्च गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने और उत्पादकता बढ़ाने  के लिये जीनोम एडिटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करना।
  • बीज प्रबंधन के लिये SATHI पोर्टल: बीज प्रमाणीकरण, पता लगाने की क्षमता और समग्र सूची (SATHI) पोर्टल  के माध्यम से 5 वर्षीय रोलिंग बीज योजना शुरू की जाएगी।
    • इससे राज्यों को बीज उत्पादक एजेंसियों (FPOs, सहकारी समितियों और बीज निगमों) के साथ समन्वय स्थापित करने में मदद मिलेगी।
    • बीज उत्पादन के बुनियादी ढाँचे में सुधार के क्रम में सार्वजनिक क्षेत्र में 65 नए बीज केंद्रों के साथ 50 बीज भंडारण इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी।
  • मूल्य श्रृंखला क्लस्टर: 347 ज़िलों में 600 से अधिक मूल्य श्रृंखला क्लस्टर विकसित किये जाएंगे, जिससे प्रतिवर्ष 10 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र कवर होगा।
    • इन क्लस्टरों के किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, बेहतर कृषि प्रथाओं (GAP) का प्रशिक्षण तथा मौसम एवं कीट प्रबंधन से संबंधित परामर्श सेवाएँ उपलब्ध होंगी।
    • मूल्य शृंखला क्लस्टर से आशय एक विशिष्ट उद्योग के तहत परस्पर संबंधित व्यवसायों, आपूर्तिकर्त्ताओं और संस्थानों का नेटवर्क से है जो उत्पादकता, नवाचार और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करने के लिये सहयोग करते हैं।
  • फसल-उपरांत सहायता: कपास के बीज, चावल की भूसी, मक्का तेल और वृक्ष-जनित तेलों (TBO) से प्राप्ति बढ़ाने के लिये फसल-उपरांत इकाइयों की स्थापना या उन्नयन के लिये FPO, सहकारी समितियों और उद्योग के अभिकर्त्ताओं को सहायता प्रदान की जाएगी।

भारत के तिलहन उत्पादन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • तिलहन उत्पादन: भारत विश्व में चौथा सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक है। भारत में तिलहन की कृषि के अंतर्गत वैश्विक क्षेत्रफल का 20.8% भाग आता है, जिसका वैश्विक उत्पादन में योगदान 10% है।
    • वर्ष 2022-23 में उत्पादन रिकॉर्ड 413.55 लाख टन तक पहुँच गया, जो विगत वर्ष की तुलना में 33.92 लाख टन अधिक है।
    • भारत मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, नाइज़र बीज, सरसों और कुसुम सहित विभिन्न प्रकार के तिलहन का उत्पादन करता है।
  • वर्षा आधारित कृषि: भारत की लगभग 72% तिलहन कृषि वर्षा आधारित कृषि तक ही सीमित है, जो मुख्य रूप से छोटे किसानों द्वारा की जाती है, जिसके कारण उत्पादकता कम होती है।
  • प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्य: राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र वर्ष 2021-22 में अग्रणी उत्पादक थे, जिन्होंने क्रमशः 23%, 21%, 18% और 16% का योगदान दिया।
  • तिलहन निर्यात: वर्ष 2022-23 में तिलहन निर्यात 1.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर का होगा।
    • प्रमुख निर्यात गंतव्यों में इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और बाँग्लादेश शामिल हैं।
  • तिलहन आयात: भारत तिलहन के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, जो खाद्य तेलों की घरेलू मांग का 57% हिस्सा है।

तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये पहले क्या उपाय किये गए हैं?

  • राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (NMEO-OP): NMEO-OP को वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों पर विशेष ध्यान देते हुए वर्ष 2025-26 तक पाम ऑयल के क्षेत्र को 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना है।
    • इसका लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक कच्चे पाम ऑयल का उत्पादन बढ़ाकर 11.20 लाख टन करना है।
    • वर्ष 2025-26 तक 19 किलोग्राम/व्यक्ति/वर्ष का उपभोग स्तर बनाए रखने के लिये उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाना।
  • तिलहन के लिये MSP: अनिवार्य खाद्य तिलहनों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की गई है, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-ASHA) जैसी योजनाएँ यह सुनिश्चित करती हैं कि तिलहन किसानों को उचित मूल्य प्राप्त हो।
  • आयात शुल्क संरक्षण: घरेलू उत्पादकों को सस्ते आयात से बचाने और स्थानीय कृषि को प्रोत्साहित करने के लिये खाद्य तेलों पर 20% आयात शुल्क लगाया गया है।

निष्कर्ष

केंद्र प्रायोजित योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने और NMEO-तिलहन को आरंभ करने का उद्देश्य कृषि प्रयासों को सुव्यवस्थित करना, तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता को कम करना है। आधुनिक तकनीक को एकीकृत करके, कृषि का विस्तारण करके और उसके उन्मूलन के पश्चात् बुनियादी ढाँचे का समर्थन करके, ये पहल भारत के खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लक्ष्य के साथ संरेखित हैं।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO-तिलहन) भारत को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में किस प्रकार सहायक हो सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रारंभिक परीक्षा

प्रश्न: जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. भारत में 'जलवायु-स्मार्ट ग्राम (क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज)' दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम-जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा (सी० सी० ए० एफ० एस०) द्वारा संचालित परियोजना का एक भाग है।
  2. सी० सी० ए० एफ० एस० परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान हेतु परामर्शदात्री समूह (सी० जी० आइ० ए० आर०) के अधीन संचालित किया जाता है, जिसका मुख्यालय फ्राँस में है।
  3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आइ० सी० आर० आइ० एस० ए० टी०), सी० जी० आइ० ए० आर० के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:  (2020)

  1. सभी अनाजों, दालों एवं तिलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर प्रापण भारत के किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश (यू.टी.) में असीमित होता है।
  2. अनाजों एवं दालों का MSP किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में उस स्तर पर निर्धारित किया जाता है, जिस स्तर पर बाज़ार मूल्य कभी नहीं पहुँच पाते।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

उत्तर: (d)

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