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आंतरिक सुरक्षा

NIA की आतंकवाद-गैंगस्टर नेक्सस से लड़ाई

  • 30 Aug 2024
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण, संगठित अपराध, लश्कर-ए-तैयबा, वर्ष 2008 मुंबई हमले, प्रशासनिक सुधार आयोग

मेन्स के लिये:

संगठित अपराध और आतंकवाद, आतंक-गैंगस्टर गठजोड़, मनी लॉन्ड्रिंग/धन-शोधन, हथियारों की तस्करी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने हाल ही में पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के पुलिस अधिकारियों के साथ अपनी पहली बैठक बुलाई, ताकि आतंक-गैंगस्टर गठजोड़ की बढ़ती चिंता से निपटा जा सके।

आतंकवाद-गैंगस्टर नेक्सस/गठजोड़ पर NIA की बैठक के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • ज़बरन वसूली के लिये किये गए कॉल की मैपिंग: बैठक में गैंगस्टरों द्वारा विशेषकर आतंकी सिंडिकेट, PKE और पाकिस्तान स्थित नेटवर्क से जुड़े लोगों द्वारा की गई ज़बरन वसूली हेतु किये गए कॉल की मैपिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया। 
  • साइबर अपराध और ड्रग तस्करी: गिरफ्तारी से बचने के लिये गैंगस्टरों द्वारा साइबरस्पेस का उपयोग और मादक पदार्थ की तस्करी में उनकी संलिप्तता चर्चा के मुख्य विषय थे। 
  • केंद्र-राज्य समन्वय: बैठक में संगठित अपराध और आतंकवाद से निपटने में केंद्र-राज्य समन्वय को सुदृढ़ करने के लिये सहयोगात्मक कार्य योजनाओं एवं समान मानक प्रचालन प्रक्रियाओं (SOP) के कार्यान्वयन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया। 
  • रणनीतिक महत्त्व: बैठक केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देश के अनुरूप है, जिसमें NIA के अधिकार क्षेत्र के तहत एक आदर्श आतंकवाद विरोधी संरचना स्थापित करने का लक्ष्य है, जिसका उद्देश्य आतंक-गैंगस्टर नेक्सस/गठजोड़ से निपटने के लिये अधिक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना है।

आतंक-गैंगस्टर नेक्सस/गठजोड़ क्या है?

  • परिचय: आतंक-गैंगस्टर नेक्सस/गठजोड़ संगठित अपराध समूहों (गैंगस्टर) और आतंकवादी संगठनों के बीच सहयोग को संदर्भित करता है।
    • इस गठबंधन में प्रायः अपने-अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिये संसाधनों, नेटवर्क और संचालन रणनीति को साझा करना शामिल होता है। 
    • आतंकवाद और संगठित अपराध एक सहजीवी संबंध साझा करते हैं, जहाँ एक के संचालन से प्रायः दूसरे को लाभ होता है। 
    • इन गठजोड़ों में प्रायः अंतर्राष्ट्रीय आयाम होते हैं, जिनका संबंध उन देशों से होता है, जो आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं या इन्हें आश्रय देते हैं। 
    • गैंगस्टर प्रायः आतंकवादी समूहों को वित्तीय सहायता और रसद सहायता प्रदान करते हैं। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग/धन शोधन, मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की तस्करी शामिल हो सकती है। 
    • आतंकवादी संगठन आपराधिक गिरोहों से सदस्यों की भर्ती कर सकते हैं, हिंसा और कानून प्रवर्तन से बचने में अपने मौजूदा कौशल का लाभ उठा सकते हैं।
  • भारत में गैंगस्टर-आतंकवाद नेक्सस/गठजोड़ के प्रमुख संघर्ष क्षेत्र:
    • जम्मू और कश्मीर (J&K): लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे अन्य पाकिस्तान स्थित संगठन J&K में काम करते हैं, जिन्हें प्रायः हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग मनी के माध्यम से वित्त पोषित किया जाता है। 
      • वर्ष 1989 में रुबिया सईद का अपहरण और वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस विमान का अपहरण, आतंकवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले आपराधिक गतिविधियों को उजागर करता है।
    • पूर्वोत्तर राज्य: यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) और नगा उग्रवादियों जैसे समूहों के जुड़े लगातार उग्रवाद से हुई खराब शासन व्यवस्था के कारण अपराधी-आतंकवादी सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
      • म्याँमार एवं बांग्लादेश में आपराधिक समूहों का सहयोग समस्या को और बढ़ा देता है, जिससे इस क्षेत्र में अपराध-आतंकवाद का एक सुस्थापित गठजोड़ बन जाता है।
    • पश्चिमी भारत (महाराष्ट्र और गुजरात): दाऊद इब्राहिम के नेतृत्व वाली कुख्यात 'D-कंपनी' संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच ओवरलैप को दर्शाती है, विशेषकर वर्ष 1993 के मुंबई बम विस्फोटों और वर्ष 2008 के मुंबई हमलों में।
      • इंडियन मुजाहिदीन (IM) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) जैसे समूह अपने संचालन हेतु धन जुटाने के लिये  आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।
    • नक्सलवादी/माओवादी ('रेड कॉरिडोर'): मध्य और पूर्वी भारत के कई राज्यों में फैले नक्सलवादी आंदोलन ने संगठित अपराध के साथ भी मज़बूत संबंध प्रदर्शित किया है।
      • माओवादी समूह जबरन वसूली, अवैध हथियारों के व्यापार तथा अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में समानांतर सरकार चलाने में संलिप्त हैं। 
      • उनके कार्यों को आपराधिक गतिविधियों से वित्त पोषित किया जाता है, जो बदले में भारतीय राज्य के खिलाफ उनके विद्रोह को बढ़ावा देता है।
    • पंजाब: पंजाब में आतंकवाद का इतिहास, विशेषकर खालिस्तान आंदोलन के दौरान, मुख्य रूप से मादक पदार्थों की तस्करी से वित्त पोषित हुआ था। राज्य में आतंकवाद-मादक पदार्थों का गठजोड़ चिंता का विषय बना हुआ है।
    • हरियाणा और दिल्ली: इन क्षेत्रों में गैंगस्टर संबंधी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है तथा आतंकवादी समूहों से इनके संबंध स्पष्ट होते जा रहे हैं।
      • इन संस्थाओं द्वारा समन्वय और संचालन के लिये साइबरस्पेस का उपयोग एक बढ़ती हुई चिंता का विषय रहा है।

 राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों से जुड़े आतंकवाद के बहुमुखी खतरों से निपटने के लिये भारत सरकार ने वर्ष 2008 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की स्थापना की।
    • इसकी स्थापना वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के प्रतिक्रियास्वरूप की गई थी। इसका गठन राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम, 2008 के तहत किया गया है।
    • इसकी शुरुआत प्रशासनिक सुधार आयोग सहित विभिन्न विशेषज्ञों और समितियों की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
  • संगठनात्मक संरचना: केंद्रीय गृह मंत्रालय (मूल मंत्रालय), नई दिल्ली (मुख्यालय)।

जाँच प्रक्रिया: राज्य सरकारें केंद्र सरकार (केंद्रीय गृह मंत्रालय) के माध्यम से NIA को मामले भेज सकती हैं। NIA स्वप्रेरणा से या केंद्र सरकार के निर्देश पर भी मामले की जाँच कर सकती है।

NIA भारत के बाहर किये गए अनुसूचित अपराधों की जाँच कर सकती है, यदि वे उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

  • अधिदेश और अधिकार क्षेत्र: राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करने वाले अपराधों की जाँच तथा मुकदमा चलाना।
  • विशेष न्यायालय: संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा नामित विशेष न्यायालयों में मुकदमे चलाए जाते हैं।
  • आतंकवाद-गैंगस्टर नेक्सस से संबंधित ऑपरेशन: ऑपरेशन धवस्त।

आतंकवाद-गैंगस्टर नेक्सस से निपटने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • कानून: भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 में संगठित अपराध हेतु प्रावधान प्रस्तुत किये जाने के बावजूद इस ढाँचे को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA), 1999 जैसे मौजूदा राज्य कानूनों के साथ एकीकृत करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं, विशेष रूप से ऐसे अपराधों की अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति को देखते हुए।
  • जटिल नेटवर्क: आतंकवादी और गैंगस्टर दोनों ही समूह जटिल विकेंद्रित नेटवर्क का उपयोग करते हैं, जिससे कानून प्रवर्तन के लिये उन्हें ट्रैक करना और उन्हें विघटित करना  कठिन हो जाता है।
  • संसाधन साझा करना: ये समूह अक्सर हथियार, धन और सुरक्षित आवास जैसे संसाधनों को साझा करते हैं, जिससे उनकी परिचालन क्षमता तथा लचीलापन बढ़ता है।
  • कानूनी और न्यायिक मुद्दे: विभिन्न देशों में कानून और प्रवर्तन के स्तर अलग-अलग हैं, जिससे अंतराल उत्पन्न होता है, जिसका लाभ ये समूह उठाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अक्सर कानूनी और नौकरशाही बाधाओं से बाधित होता है।
    • महत्त्वपूर्ण जानकारी देने वाले गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • प्रौद्योगिकी उन्नति: संचार, एन्क्रिप्शन और साइबर अपराध हेतु उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग से अधिकारियों के लिये उनकी गतिविधियों को रोकना तथा निगरानी करना कठिन हो जाता है।
  • भ्रष्टाचार और घुसपैठ: कानून प्रवर्तन और सरकारी एजेंसियों के भीतर भ्रष्टाचार इन नेटवर्कों से निपटने के प्रयासों में बाधा डाल सकता है। इसके अतिरिक्त ये समूह सुरक्षा और अंदरूनी जानकारी हासिल करने के लिये राज्य संस्थानों में घुसपैठ कर सकते हैं।
  • स्थानीय समर्थन और प्रभाव: इन समूहों को अक्सर प्रभावी स्थानीय समर्थन (जैसे स्लीपर सेल) प्राप्त होता है, जो उन्हें सुरक्षा व संसाधन प्रदान कर सकता है, जिससे उन्हें समाप्त करना कठिन हो जाता है।   

आगे की राह

  • विधायी सुधार: संपूर्ण भारत में संगठित अपराध का एकरूपता से निवारण करने के लिये BNS, 2023 का प्रभावी कार्यान्वयन करने की आवश्यकता है।
    • इस कानून में आपराधिक गिरोहों और उनके सदस्यों को परिभाषित किया जाना चाहिये तथा उनसे निपटने हेतु कठोर प्रावधान निर्धारित किये जाने चाहिये, जिसमें ज़मानत प्रावधान और समय सीमा में सख्त जाँच किया जाना शामिल है।
    • आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने हेतु कानूनों और विनियमों को सुदृढ़ करना आवश्यक है, जिसमें चरमपंथी समूहों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वर्चुअल करेंसी और क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म (डार्क नेट) की निगरानी करने जैसे उपाय शामिल हैं।
    • अपराधियों का समाज में पुनर्निवेशन करने और उनकी आदतन अपराध करने की प्रवृत्ति को कम करने के लिये उनके लिये व्यापक पुनर्वास कार्यक्रम क्रियान्वित किये जाने चाहिये।
  • नेटवर्क मैपिंग: सभी ज्ञात आतंकी-गैंगस्टर नेक्सस, उनके दूसरे-पंक्ति कमांडरों और उनके ऑपरेटिव के नेटवर्क का एक व्यापक डेटाबेस विकसित किये जाने की आवश्यकता है। इन नेटवर्क का उन्मूलन करने हेतु लगातार और विस्तृत पूछताछ करने के साथ-साथ छापेमारी की जानी चाहिये।
    • इन समूहों की ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करने और उनकी रोकथाम करने के लिये उन्नत डिजिटल फोरेंसिक और ब्लॉक चेन क्षमताओं में निवेश करना चाहिये, जिसमें सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड संचार चैनलों का उपयोग शामिल है।
  • संयुक्त अभियान: अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्कों का उन्मूलन करने और अपराधियों को विधि के तहत सज़ा देने हेतु INTERPOL जैसी विदेशी विधि प्रवर्तन एजेंसियों के साथ संयुक्त अभियान की शुरुआत करना चाहिये। 
    • आतंकवादी और आपराधिक नेटवर्क का पता लगाने, महत्त्वपूर्ण सूचना इकट्ठा करने और उनकी गतिविधियों की रोकथाम करने के लिये निरंतर और परिष्कृत अंडरकवर ऑपरेशन चलाए जाने चाहिये। 
    • संगठित गिरोहों का उन्मूलन करने हेतु छोटे, स्वतंत्र, आत्मनिर्भर विशेष कार्य बल (STF) का गठन किया जाना चाहिये। इन इकाइयों को बिना किसी नौकरशाही बाधा के छापे, ज़ब्ती और पूछताछ करने का अधिकार होना चाहिए और आवश्यक रसद और उपकरणों से लैस होना चाहिये।

दृष्टि मेन्स पश्न:

प्रश्न. भारत में आतंकवाद-गैंगस्टर गठजोड़, राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव एवं विधि के प्रवर्तन में इससे उत्पन्न चुनौतियों की विवेचना कीजिये। कौन-सी रणनीतियों से इन नेटवर्कों का प्रभावी रूप से उन्मूलन किया जा सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. आतंकवाद की जटिलता और तीव्रता, इसके कारणों, संबंधों तथा अप्रिय गठजोड़ का विश्लेषण कीजिये। आतंकवाद के खतरे के उन्मूलन के लिये उठाये जाने वाले उपायों का भी सुझाव दीजिये। (2021)

प्रश्न. विश्व के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (2018)

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