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आंतरिक सुरक्षा

जम्मू में उग्रवाद

  • 16 Jul 2024
  • 19 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

नियंत्रण रेखा (LoC), शिमला समझौता, उफा घोषणा, परवाज़ योजना, हिमायत कार्यक्रम, उड़ान पहल, नई मंज़िल कार्यक्रम, उस्ताद योजना

मुख्य परीक्षा के लिये:

कश्मीर में उग्रवाद बढ़ने के कारण

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

जम्मू-कश्मीर (J&K) के जम्मू क्षेत्र में वर्ष 2021 के मध्य से आतंकवादी हमलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें कठुआ ज़िले में सेना के वाहनों पर घात लगाकर हमला और अन्य क्षेत्रों में किये गए लक्षित हमले शामिल हैं।

  • हमले की घटनाओं में पुनः वृद्धि पूर्व के रुझानों में हुए परिवर्तन को दर्शाता है तथा सुरक्षा संबंधी सुभेद्यता  और क्षेत्रीय स्थिरता पर इसके प्रभावों को लेकर चिंता उत्पन्न करता है।

जम्मू में उग्रवाद बढ़ने के क्या कारण हैं?

  • रणनीतिक बदलाव: कश्मीर में ज़ीरो टेरर नीति के अनुसरण ने आतंकवादियों को जम्मू में हमले करने के लिये अवसर प्रदान किया।
    • वर्ष 2020 में जम्मू में कम उग्रवाद की घटनाओं में कथित कमी के कारण सेना की आवाजाही लद्दाख (गलवान दुर्घटना के बाद LAC के साथ) में हो गई, जिससे संभावित रूप से आतंकवादियों को स्थानांतरित होने का अवसर प्रदान हुआ।
  • जम्मू का सामरिक महत्त्व: जम्मू शेष भारत में एक महत्त्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है जो इसे सामान्य स्थिति को भंग करने और भय उत्पन्न करने के उद्देश्य से आतंकवादियों के लिये एक आकर्षक क्षेत्र बनाता है।
  • भू-रणनीतिक तत्त्व: जम्मू की नियंत्रण रेखा (LoC) से निकटता आतंकवादियों को पाक अधिकृत कश्मीर से आसानी से प्रवेश प्रदान करती है, जिससे घुसपैठ और रसद सहायता में सुविधा होती है।
    • हाल की घटनाएँ राजौरी, पुंछ और रियासी जैसे ज़िलों में पहाड़ी एवं वनाच्छादित क्षेत्रों में प्रभुत्व स्थापित करने के लिये किये गए प्रयासों का संकेत देती हैं।
  • आर्थिक असमानताएँ: जम्मू के दूरदराज़ और सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक अवसर और विकास की कमी आतंकवादी समूहों द्वारा स्थानीय युवाओं को अपने संगठन में शामिल करने के लिये अवसर प्रदान करती है।
  • राजनीतिक अलगाव: कुछ समुदायों के बीच राजनीतिक अलगाव की भावना, जो ऐतिहासिक असमानताओं और प्रशासनिक चुनौतियों से और बढ़ जाती है, आतंकवादी विचारधाराओं के लिये सहानुभूति या समर्थन को बढ़ावा दे सकती है।
  • ह्यूमन इंटेलिजेंस का अभाव: दशकों पहले आसूचना देने वाले स्थानीय लोग अब अपने 60 या 70 की आयु में हैं और सुरक्षा बलों ने युवा पीढ़ी के साथ संबंधों को बढ़ावा नहीं दिया है जो ह्यूमन इंटेलिजेंस को जारी रखने में आई कमी को उजागर करता है।

नोट

  • आतंकवाद: विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन अधिनियम, 2012 के तहत आतंकवाद में राजनीतिक, वैचारिक या चरमपंथी उद्देश्यों के लिये भय पैदा करने हेतु हिंसा या धमकियों का उपयोग करना शामिल है, जिसका राष्ट्रीय या वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है।
  • उग्रवाद: उग्रवाद से तात्पर्य हिंसा या लड़ाकूपन का प्रयोग करने की तत्परता से है, जिसमें सशस्त्र धार्मिक गुटों सहित विभिन्न समूह या व्यक्ति शामिल होते हैं, जिसे अक्सर आतंकवाद के साथ एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जाता है, लेकिन यह आतंकवाद की तुलना में हिंसक अभिव्यक्ति के संभावित रूप से कम चरम स्तर का संकेत देता है।

जम्मू और कश्मीर में उग्रवाद के ऐतिहासिक कारण क्या हैं?

  • राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता में गिरावट: अप्रभावी प्रशासन, भ्रष्टाचार और खराब विकासात्मक परिणामों के कारण राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता कम हो गई है।
  • बढ़ता विश्वास-घाटा: सुरक्षाकर्मियों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग की घटनाओं ने जनता के बीच अविश्वास को और गहरा कर दिया है।
  • पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से समर्थन: पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज़ इंटेलिजेंस (Inter-Services Intelligence- ISI) लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba- LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed- JeM) जैसे भारत विरोधी समूहों को वित्तीय तथा वैचारिक समर्थन प्रदान करती है।
  • वर्ष 1987 के चुनाव में धाँधली पर विवाद: मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (Muslim United Front- MUF), जो शरिया कानून को लागू करने और केंद्रीय राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध करने के उद्देश्य से कट्टरपंथी समूहों का गठबंधन था, ने दावा किया कि चुनाव में धाँधली के कारण उग्रवाद बढ़ा।
  • बेरोज़गारी: बेरोज़गारी का बढ़ता स्तर और सीमित अवसर युवाओं को उग्रवाद की ओर धकेलते हैं।
  • कट्टरपंथ: बढ़ता धार्मिक कट्टरपंथ और सांप्रदायिक प्रचार अस्थिरता को बढ़ाता है।
  • बंदूक संस्कृति की प्रशंसा: तत्काल प्रसिद्धि, पहचान और सम्मान पाने वाले उग्रवादियों की प्रशंसा उग्रवादी संस्कृति को बढ़ावा देता है। सोशल मीडिया तथा मुख्यधारा का मीडिया भी इस प्रशंसा में योगदान देता है।

उग्रवाद में वृद्धि से निपटने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • भौगोलिक स्थिति: जम्मू में 192 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा (International Border- IB) और कश्मीर में 740 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (Line of Control- LoC) संभावित घुसपैठ बिंदु हैं।
    • सुरक्षा उपायों के बावजूद, आतंकवादियों ने घुसपैठ के लिये इन सीमाओं पर दुर्गम इलाकों और जंगली क्षेत्रों का लाभ उठा सकते है। कठुआ में हुए हालिया हमले पुराने घुसपैठ मार्गों के फिर से सक्रिय होने का संकेत देते हैं।
  • सामुदायिक संबंध: सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास का निर्माण तथा उसे बनाए रखना, जो खुफिया जानकारी एकत्रित करने के लिये आवश्यक है, ऐतिहासिक शिकायतों एवं जनसांख्यिकीय विविधता के बीच एक सतत् चुनौती बनी हुई है।
    • यद्यपि उग्रवादी खतरों से निपटने के लिये ग्राम रक्षा गार्ड (Village Defence Guards- VDG) को पुनर्जीवित करने के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन VDG सदस्यों द्वारा पूर्व में किये गए अपराधों के आरोपों के कारण ये प्रयास जटिल हो गए हैं।
  • खुफिया जानकारी एकत्र करना: स्थानीय समर्थकों की उपस्थिति और आतंकवादियों द्वारा अत्याधुनिक संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग के कारण सटीक तथा समय पर खुफिया जानकारी एकत्र करना कठिन है
    • चुनौती हाई-टेक, अच्छी तरह से प्रशिक्षित आतंकवादियों का सामना करने में है, जो पुलिस और सुरक्षा बलों की पकड़ से बचने के लिये स्थानीय लोगों के फोन तथा टेलीग्राम जैसे एप का उपयोग करके अपने ट्रैक को कवर करते हैं।
  • बाह्य समर्थन: ड्रोन के माध्यम से हथियारों की आपूर्ति सहित पाकिस्तान से सीमा पार समर्थन के आरोप स्थानीय उग्रवाद की गतिशीलता को प्रभावित करने वाले बाहरी आयामों को रेखांकित करते हैं।
  • सांप्रदायिक तनाव: जम्मू की जनसांख्यिकीय विविधता, जिसमें हिंदू, मुस्लिम और अन्य समुदाय शामिल है, जो ऐतिहासिक रूप से तीव्र हिंसा के दौरान सांप्रदायिक तनाव के प्रति संवेदनशील रही है।
    • हाल की घटनाएँ, जैसे कि डांगरी गाँव में हुई हत्याएँ और विशिष्ट समुदायों पर लक्षित हमले, सांप्रदायिक भय और विभाजन को भड़काने की एक जानबूझकर बनाई गई रणनीति की ओर संकेत करते हैं।

जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद से निपटने हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम

पहल 

उद्देश्य

विशेष दर्जे का निरसन

भारत के साथ घनिष्ठ एकीकरण के लिये जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति और विशेषाधिकारों को हटा दिया गया।

शिमला समझौता (1972)

भारत-पाकिस्तान ने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की प्रतिबद्धता जताई।

विश्वास-निर्माण उपाय

बस सेवाओं और व्यापार मार्गों जैसे संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयास।

वर्ष 2015 की उफा घोषणा

भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की बहाली।

परवाज़ योजना

जम्मू-कश्मीर से खराब होने वाले वस्तुओं के हवाई माल परिवहन के लिये सब्सिडी।

हिमायत

जम्मू-कश्मीर में बेरोज़गार युवाओं के लिये प्रशिक्षण और प्लेसमेंट कार्यक्रम।

उड़ान

जम्मू-कश्मीर में युवाओं के कौशल विकास और प्रशिक्षण के लिये उद्योग पहल

नई मंज़िल

स्कूल छोड़ने वाले या मदरसा-शिक्षित युवाओं के लिये मुख्यधारा की शिक्षा और रोज़गार के लिये कार्यक्रम।

उस्ताद योजना

पारंपरिक कला और शिल्प में अल्पसंख्यक समुदायों के कौशल और प्रशिक्षण को उन्नत करना।

पंचायत-स्तरीय युवा क्लब

आतंकवाद को कम करने के लिये युवाओं को विकास और मनोरंजन में शामिल करना।

आगे की राह 

  • सीमा सुरक्षा उपाय: सीमा पार से घुसपैठ पर अंकुश लगाने के लिये नियंत्रण रेखा (LOC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) पर सीमा निगरानी बढ़ाना और संवेदनशील बिंदुओं को मज़बूत करना आवश्यक है।
    • निगरानी प्रणालियों के माध्यम से एकत्रित जानकारी की बेहतर करने और घुसपैठ प्रणाली की पहचान करने के लिये डेटा विश्लेषण सॉफ्टवेयर में निवेश करना।
  • तकनीकी प्रगति: उन्नत निगरानी तकनीकों, ड्रोन के साथ-साथ रात्रि दृष्टि उपकरणों की तैनाती से परिचालन प्रभावशीलता तथा आतंकवादी गतिविधियों की वास्तविक समय पर निगरानी में वृद्धि होती है। 
  • कानूनी और राजनीतिक ढाँचे: आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कानूनी ढाँचे को मज़बूत करना, तथा संदिग्धों पर मुकदमा चलाने के लिये मज़बूत तंत्र सुनिश्चित करना प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिये आवश्यक है
  • सामुदायिक व्यस्तता: सामाजिक-आर्थिक विकास, युवा सशक्तीकरण और अंतर-सामुदायिक संवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जाने वाली पहल, चरमपंथी विचारधाराओं के लिये स्थानीय समर्थन को कम करने के लिये आवश्यक हैं।
    • उदाहरण के लिये, सहिष्णुता को बढ़ावा देने और चरमपंथी आख्यानों का मुकाबला करने वाली शिक्षा पहलों में निवेश करना, साथ ही सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देने और चरमपंथी समूहों द्वारा शोषण की जाने वाली शिकायतों को दूर करने के लिये अंतर-धार्मिक संवाद तथा सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना।
  • कूटनीतिक पहुँच: आतंकवाद के सीमापारीय प्रभावों से निपटने के लिये कूटनीतिक प्रयास, आतंकवाद-निरोध पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ मिलकर, बाह्य सहायता नेटवर्क को बाधित करने में मदद कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये, आतंकवाद से निपटने के लिये सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने हेतु शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation - SCO) जैसे क्षेत्रीय सुरक्षा संगठनों के साथ साझेदारी का निर्माण करना।
  • नीति समीक्षा: सक्रिय सुरक्षा उपायों को बनाए रखने और नागरिक हताहतों को न्यूनतम करने के लिये सुरक्षा नीतियों की निरंतर समीक्षा तथा उभरती हुई आतंकवादी रणनीतियों के साथ अनुकूलन आवश्यक है।
    • सुरक्षा बलों और आतंकवाद-रोधी विशेषज्ञों के बीच सूचना साझाकरण तथा सर्वोत्तम अभ्यास के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, साथ ही मानकीकृत संचालन प्रक्रियाओं (standardised operating procedures - SOPs) को अपनाकर नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना, जिससे संपार्श्विक क्षति को न्यूनतम किया जा सके।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में उग्रवाद के फिर से उभरने में योगदान देने वाले कारकों की जाँच कीजिये। इस फिर से उभरने के क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा कीजिये और इन चुनौतियों से निपटने के उपाय सुझाइए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2022) 

  1. अज़रबैजान
  2.  किर्गिज़स्तान
  3.  ताजिकिस्तान
  4.  तुर्कमेनिस्तान
  5.  उज़्बेकिस्तान 

उपर्युक्त में से किन देशों की सीमाएँ अफगानिस्तान से लगती हैं? 

(a) केवल 1, 2 और 5
(b) केवल 1, 2, 3 और 4
(c) केवल 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5 

उत्तर: C  


प्रश्न. भारत में बौद्ध इतिहास, परंपरा और संस्कृति के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)

       प्रसिद्ध तीर्थ                     स्थल अवस्थान

  1. टाबो मठ और मंदिर, संकुल     : स्पीति घाटी
  2. लहोत्सव लाखांग मंदिर, नाको   : जास्कर घाटी
  3. अलची मंदिर संकुल              : लद्दाख

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जिसके साथ हाशिया नोट ‘’ जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध’’ लगा हुआ है, किस सीमा तक अस्थाई है? भारतीय राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में इस उपबंध की भावी संभावनाओं पर चर्चा कीजिये? (2016)

प्रश्न.उन परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिये जिनके कारण वर्ष 1966 में ताशकंद समझौता हुआ। समझौते की विशिष्टताओं की विवेचना कीजिये। (2013) 

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