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डार्क नेट

  • 13 Jul 2024
  • 3 min read

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

हाल ही में, राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (UGC-NET) परीक्षा के पेपर परीक्षा से पूर्व ही डार्क वेब पर लीक हो गए, जिससे देश भर में विरोध और समस्याएँ उत्पन्न हुई।

डार्क नेट:

  • डार्क नेट इंटरनेट का एक छिपा हुआ भाग है जो नियमित सर्च इंजन की पहुँच से परे होते हैं। इसे सिर्फ टोर (द ओनियन राउटर) जैसे विशेष ब्राउज़र का उपयोग करके एक्सेस किया जा सकता है।
  • इसे आरंभ में मुख्य रूप से सरकारी और सैन्य उपयोग के लिये सुरक्षित एवं निजता संबंधी संचार की सुविधा के लिये विकसित किया गया था
  • डार्क नेट पर संचार को एन्क्रिप्टेड किया जाता है, जिससे प्रेषक और रिसीवर के बीच संचार का कोई संकेत शेष नहीं रह जाता है, जिससे यूजर के लिये उच्च निजता सुनिश्चित होती है।

भारतीय कानून के अनुसार डार्क नेट के उपयोग या पहुँच को दंडनीय नही है, क्योंकि भारत में इसका उपयोग वैध है। हालाँकि, अवैध उद्देश्यों के लिये इसका उपयोग करना कानून के तहत दंडनीय है

डार्क नेट पर मैलवेयर का खतरा:

  • मैलवेयर डार्क नेट द्वारा विकसित होता है, जहाँ कुछ प्लेटफार्मों को यह सक्रिय रूप से प्रभावित करता है, जिससे साइबर अपराधियों को साइबर आक्रमण आरंभ करने के लिये उपकरण उपलब्ध होते हैं। 
    • इसी तरह, यह डार्क नेट वेबसाइटों पर छिपा रहता है, जो वेबसाइटों यूजर को सरफेस वेब की तरह प्रभावित करता है।
  • डार्क नेट यूजर अक्सर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयरों में से कीलॉगर्स, बॉटनेट मैलवेयर, रैंसमवेयर और फिशिंग मैलवेयर का सामना करते हैं।
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