जैव विविधता और पर्यावरण
राष्ट्रीय हिमनद झील विस्फोट बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण कार्यक्रम
- 24 Aug 2024
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:तवांग, दिबांग घाटी, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF), दक्षिण ल्होनक झील, उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सी-डैक), भारतीय मौसम विभाग, भूस्खलन, यारलुंग जांग्बो नदी, ग्राउंड ट्रुथिंग, थ्येनबो ग्लेशियल झील, अचानक बाढ़, अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (ICIMOD), हिंदू कुश हिमालय। मेन्स के लिये:ग्लेशियल झीलों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और उनके परिणाम। |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) ने ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (Glacial Lake Outburst Flood- GLOF) के प्रति उनकी संवेदनशीलता का पता लगाने के लिये 4500 मीटर और उससे अधिक ऊँचाई वाले ग्लेशियरों पर अभियान शुरू किया है।
- भारतीय हिमालय में लगभग 7,500 हिमनद झीलों में से NDMA ने 189 उच्च जोखिम वाली झीलों को अंतिम रूप दिया है, जिनके लिये शमन उपायों की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय हिमनद झील विस्फोट बाढ़ जोखिम शमन कार्यक्रम (NGRMP) क्या है?
- परिचय: यह GLOF द्वारा उत्पन्न जोखिमों से निपटने के लिये भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है।
- अभियान के लिये 16 टीमें गई थीं, जिनमें से 15 टीमों ने अपना अभियान पूरा कर लिया है। अन्य सात अभियान अभी चल रहे हैं।
- पूरे किये गए 15 अभियानों में से 6 सिक्किम में, 6 लद्दाख में, 1 हिमाचल प्रदेश में तथा 2 जम्मू-कश्मीर में थे।
- अभियान पर जाने वाली टीमें हिमनद झीलों की संरचनात्मक स्थिरता और संभावित उल्लंघन बिंदुओं का आकलन करती हैं, प्रासंगिक जल विज्ञान तथा भू-वैज्ञानिक नमूने एवं डेटा एकत्र करती हैं, पानी की गुणवत्ता व प्रवाह दरों को मापती हैं, जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करती हैं और निचले इलाकों के समुदायों को जागरूक करती हैं।
- अभियान के लिये 16 टीमें गई थीं, जिनमें से 15 टीमों ने अपना अभियान पूरा कर लिया है। अन्य सात अभियान अभी चल रहे हैं।
- उद्देश्य:
- खतरों का आकलन करना, स्वचालित निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ स्थापित करना, तथा हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) के जोखिम को कम करने के लिये झील-कम करने के उपायों को लागू करना।
- झील-कम करने के उपाय वे तकनीकें हैं जिनका उपयोग ग्लेशियल झील में पानी की मात्रा को कम करने के लिये किया जाता है ताकि GLOF के जोखिम को कम किया जा सके।
- NDMA चयनित 189 “उच्च जोखिम वाली” हिमनद झीलों की ग्राउंड-ट्रूथिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- ग्राउंड-ट्रूथिंग, रिमोट सेंसिंग या अन्य अप्रत्यक्ष तरीकों से एकत्रित आँकड़ों को साइट पर किये गए प्रत्यक्ष अवलोकनों के साथ तुलना करके सत्यापित करने की प्रक्रिया है।
- खतरों का आकलन करना, स्वचालित निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ स्थापित करना, तथा हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) के जोखिम को कम करने के लिये झील-कम करने के उपायों को लागू करना।
- GLOF को रोकने की कार्यप्रणाली: तीन गतिविधियों को एक साथ क्रियान्वित करने की योजना बनाई गई है।
- स्वचालित मौसम और जल स्तर निगरानी स्टेशनों तथा पूर्व चेतावनी प्रणालियों की स्थापना।
- डिजिटल उन्नयन मॉडलिंग और बैथिमेट्री।
- झील के खतरे को कम करने के सर्वोत्तम साधनों का आकलन करना, जिसमें झील को कम करना भी शामिल है।
- अध्ययन की आवश्यकता:
- ICIMOD निष्कर्ष: अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (ICIMOD) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हिंदू कुश हिमालय में तेज़ी से, अनुत्क्रमणीय परिवर्तन हो रहे हैं, जिससे बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ रहा है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण, भारत को वर्षा की अत्यधिक परिवर्तित आवृत्ति, अवधि और तीव्रता (FDI) तथा अत्यधिक गर्मी जैसे खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इससे फ्लैश फ्लड की आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है।
- GLOF की विगत घटनाएँ:
- नेपाल की घटना: हाल ही में नेपाल के खुंबू क्षेत्र के एक गाँव थामे में आकस्मिक बाढ़ आ गई, जो थ्यनबो ग्लेशियल झील से आई बाढ़ के कारण आई थी।
- सिक्किम में फ्लैश फ्लड: अक्तूबर 2023 में सिक्किम के दक्षिण ल्होनक झील में GLOF की भयावह घटना हुई।
- उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड: ऋषि गंगा घाटी में फरवरी 2021 में हिमनद-विच्छेद से प्रेरित बाढ़ के कारण 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई और जलविद्युत संयंत्रों तथा रैनी गाँव को काफी नुकसान हुआ।
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF)
- यह ऐसी बाढ़ को संदर्भित करता है जिसमें ग्लेशियर/हिमनद या मोराइन/हिमोढ़ (ग्लेशियर की सतह पर गिरी धूल और मिट्टी का जमाव) में संचित जल का अचानक आवेग के साथ बहाव होने लगता है।
- जब ग्लेशियर पिघलते हैं, तो इन हिमनद झीलों का जल बर्फ, रेत, कंकड़ और बर्फ के अवशेषों से बने प्राकृतिक रूप से बने दुर्बल 'हिमोढ़ बाँधों' के पीछे संचित हो जाता है।
- मिट्टी के बाँधों के विपरीत, मोराइन/हिमोढ़ बाँध की कमज़ोर संरचना के कारण ग्लेशियल झील के ऊपर हिमोढ़ बाँध, जिसमें जल की एक विशाल मात्रा होती है, अचानक टूट जाता है।
- बाँध के विनाशकारी रूप से टूटने से विशाल मात्रा में संचित यह जल तीव्र आवेग के साथ मिनटों में कई दिनों तक की अवधि के लिये प्रवाहित हो सकता है, जिससे नीचे के क्षेत्रों में अत्यधिक बाढ़ आ सकती है।
हाल ही में NGRMP में क्या प्रगति हुई है?
- परिचय: अरुणाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (APSDMA) अरुणाचल प्रदेश के तवांग और दिबांग घाटी ज़िलों में उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों का सर्वेक्षण करेगा।
- यह देश में सभी हिमनद झीलों का मानचित्रण करने के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के बड़े राष्ट्रीय हिमनद झील के फटने से उत्पन्न बाढ़ (GLOF) मिशन का हिस्सा है।
- अरुणाचल प्रदेश में उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों की पहचान की गई:
- कुल उच्च जोखिम वाली झीलें: अरुणाचल प्रदेश के पाँच ज़िलों में 27 उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों की पहचान की गई है।
- ये झीलें तवांग (6 झीलें), कुरुंग कुमे (1), शि योमी (1), दिबांग घाटी (16) और अंजॉ (3) में स्थित हैं।
- वर्तमान अभियान दल तवांग और दिबांग घाटी ज़िलों में से प्रत्येक में तीन उच्च जोखिम वाली झीलों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
- कुल उच्च जोखिम वाली झीलें: अरुणाचल प्रदेश के पाँच ज़िलों में 27 उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों की पहचान की गई है।
- अध्ययन के उद्देश्य: टीम GLOF के जोखिम वाली झीलों की पहुँच, स्थान, आकार, ऊँचाई, निकटवर्ती बस्तियों और भूमि उपयोग का अध्ययन करेगी।
- इससे सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग को एक स्वचालित पूर्व चेतावनी प्रणाली तथा एक स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित करने में मदद मिलेगी।
- अध्ययन का महत्त्व:
- रणनीतिक स्थिति: तवांग और दिबांग घाटी दोनों ज़िले चीन के साथ सीमा साझा करते हैं। इसकी रणनीतिक स्थिति को देखते हुए इस पर कड़ी नज़र रखी जाएगी।
- सुभेद्य हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र: हिमालयी भू-विज्ञान और नदी प्रणालियों के साथ चीन द्वारा छेड़छाड़ के कारण भूस्खलन की घटनाएँ सीमा के भारतीय हिस्से में भी हो सकती हैं।
- बाढ़ का खतरा: वर्ष 2018 में, चीन द्वारा यारलुंग ज़ांगबो नदी पर भूस्खलन की रुकावट की सूचना देने के बाद अरुणाचल और असम सरकारों ने बाढ़ की चेतावनी जारी की थी।
- भारी बुनियादी अवसंरचना: अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निकट मेडोग में यारलुंग त्सांगपो नदी पर चीन की विशाल परियोजना अरुणाचल प्रदेश से लेकर असम तक के निवासियों के लिये चिंता का विषय रही है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. हिमालय और ग्लेशियल झीलें जलवायु परिवर्तन के प्रति किस तरह से संवेदनशील होती जा रही हैं? ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) जैसे जोखिमों को कम करने के लिये क्या कदम उठाए जा रहे हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सियाचिन ग्लेशियर स्थित है: (2020) (a) अक्साई चिन के पूर्व में उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019) ग्लेशियर नदी
उपर्युक्त में से कौन-से युग्म सही सुमेलित हैं? (a) 1, 2 और 4 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशा-निर्देशों के संदर्भ में उत्तराखंड के कई स्थानों पर हाल ही में बादल फटने की घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिये अपनाए जाने वाले उपायों पर चर्चा कीजिये। (2016) |