भारत-इंडोनेशिया के बीच स्थानीय मुद्रा व्यापार | 12 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, लुक ईस्ट पॉलिसी, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, G20, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन मेन्स के लिये:भारतीय मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और समझौते। |
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंक इंडोनेशिया ने सीमा पार लेन-देन के लिये स्थानीय मुद्राओं (भारतीय रुपया (INR) और इंडोनेशियाई रुपिया (IDR) के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु एक रूपरेखा स्थापित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इससे पहले वर्ष 2023 में भारत और मलेशिया ने घोषणा की थी कि वे अन्य मुद्राओं के अलावा भारतीय रुपए में भी व्यापार का निपटारा करेंगे।
RBI और बैंक इंडोनेशिया के बीच समझौता ज्ञापन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- MoU का प्राथमिक उद्देश्य INR और INR में द्विपक्षीय लेन-देन को सुविधाजनक बनाना है, जिसमें सभी चालू खाता लेन-देन, अनुमत पूंजी खाता लेन-देन तथा दोनों देशों द्वारा पारस्परिक रूप से सहमति के अनुसार अन्य आर्थिक एवं वित्तीय लेन-देन शामिल हैं।
- यह ढाँचा निर्यातकों और आयातकों को उनकी संबंधित घरेलू मुद्राओं में चालान तथा भुगतान करने में सक्षम बनाता है, जिससे INR-IDR विदेशी मुद्रा बाज़ार के विकास को बढ़ावा मिलता है। यह दृष्टिकोण लेन-देन के लिये लागत और निपटान समय को अनुकूलित करता है।
- इससे भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलने, वित्तीय एकीकरण गहरा होने तथा दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों में वृद्धि होने की उम्मीद है।
भारत-इंडोनेशिया संबंध
- वाणिज्यिक संबंध:
- आसियान (ASEAN) क्षेत्र में इंडोनेशिया भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश बनकर उभरा है।
- द्विपक्षीय व्यापार सत्र 2005-06 में 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर सत्र 2022-23 में 38.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- आसियान (ASEAN) क्षेत्र में इंडोनेशिया भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश बनकर उभरा है।
- राजनीतिक संबंध:
- दोनों देश एशियाई और अफ्रीकी देशों की स्वतंत्रता के प्रमुख समर्थक थे, जिसके कारण वर्ष 1955 का बांडुंग सम्मेलन हुआ और वर्ष 1961 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत हुई।
- वर्ष 1991 में भारत द्वारा ‘लुक ईस्ट नीति अपनाने के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में तेज़ी से विकास हुआ है।
- दोनों देश G20, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं।
- सांस्कृतिक संबंध:
- हिंदू, बौद्ध और बाद में मुस्लिम धर्मों ने भारत के तटों से इंडोनेशिया की यात्रा की। रामायण और महाभारत के महान महाकाव्यों की कथाएँ इंडोनेशियाई लोक कला तथा नाटकों का स्रोत बनी हैं।
- इंडोनेशिया में भारतीय मूल के लगभग 100,000 लोग हैं, जो मुख्य रूप से ग्रेटर जकार्ता, मेदान, सुरबाया और बांडुंग में स्थित हैं।
रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के प्रयास क्या हैं?
- पूंजी बाज़ार का उदारीकरण:
- भारत ने रुपए की अपील को बढ़ाने के लिये रुपए-मूल्य वाले वित्तीय साधनों, जैसे बॉन्ड (मसाला बॉन्ड) और डेरिवेटिव की उपलब्धता बढ़ा दी।
- डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा:
- यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस जैसी पहल ने रुपए में डिजिटल विनिमय की सुविधा प्रदान की है।
- हाल ही में श्रीलंका और मॉरीशस ने UPI को अपनाया है।
- विशेष वोस्ट्रो रुपया खाते (SVRA):
- भारत ने 18 देशों (जैसे- रूस और मलेशिया) के अधिकृत बैंकों को बाज़ार-निर्धारित विनिमय दरों पर रुपए में भुगतान का निपटान करने के लिये विशेष वोस्ट्रो रुपया खाते खोलने की अनुमति दी।
- तंत्र का उद्देश्य कम लेन-देन लागत, अधिक मूल्य पारदर्शिता, द्रुत निपटान समय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को समग्र रूप से बढ़ावा देना है।
- मुद्रा विनिमय समझौते:
- RBI द्वारा कई देशों (जैसे- जापान, श्रीलंका एवं सार्क सदस्य) के साथ हस्ताक्षरित समझौता संबंधित केंद्रीय बैंकों के बीच रुपए तथा विदेशी मुद्रा के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है, जिससे रुपए के अंतर्राष्ट्रीय उपयोग को बढ़ावा मिलता है।
- द्विपक्षीय व्यापार समझौता:
- सरकार द्वारा अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने से सीमा पार व्यापार एवं निवेश में वृद्धि हुई है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में रुपए के उपयोग को बढ़ावा मिला है।
भुगतान संतुलन (BoP)
- भुगतान संतुलन, किसी देश के आर्थिक स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है, जो विश्व के शेष भागों के साथ उसके अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन को प्रदर्शित करता है।
- भारतीय निवासियों एवं विदेशियों अथवा अनिवासी भारतीयों (NRI) के बीच होने वाले लेन-देन को भारत के भुगतान संतुलन में दर्ज किया जाता है।
- संरचना: BoP को मुख्य रूप से दो खातों में विभाजित किया गया है:
- चालू खाता: यह खाता वस्तुओं, सेवाओं, आय एवं वर्तमान हस्तांतरण के प्रवाह को दर्शाता है।
- यह उन लेन-देन से संबंधित होता है जो विदेश में भारतीय निवासियों अथवा भारत में विदेशी निवासियों की कुल संपत्ति या देनदारियों में बदलाव नहीं करते हैं। इसमें शामिल हैं:
- वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात और आयात
- निवेश आय (ब्याज, लाभांश) तथा कर्मचारियों का मुआवज़ा
- वर्तमान हस्तांतरण (उपहार, सहायता, प्रेषण)
- यह उन लेन-देन से संबंधित होता है जो विदेश में भारतीय निवासियों अथवा भारत में विदेशी निवासियों की कुल संपत्ति या देनदारियों में बदलाव नहीं करते हैं। इसमें शामिल हैं:
- पूंजी खाता: यह खाता पूंजीगत संपत्तियों से जुड़े लेन-देन को दर्ज करता है।
- यह उन लेन-देन को दर्ज करता है जो किसी देश की विदेशी संपत्तियों एवं देनदारियों पर सीधा प्रभाव डालते हैं।
- गैर-उत्पादित गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों (भूमि, बौद्धिक संपदा) का अधिग्रहण अथवा निपटान
- इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश, विदेश में व्यवसायों में निवेश, विदेशी संस्थाओं से उधार लेना और साथ-ही-साथ NRI द्वारा भारतीय बैंकों में की गई जमा पूंजी खाता लेन-देन के उदाहरण हैं।
- चालू खाता: यह खाता वस्तुओं, सेवाओं, आय एवं वर्तमान हस्तांतरण के प्रवाह को दर्शाता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार:
- भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्राओं में RBI द्वारा रखी गई महत्त्वपूर्ण संपत्ति है।
- वे वित्तीय सहायक के रूप में कार्य करते हैं, बाह्य दायित्वों को पूर्ण करने के लिये तरलता सुनिश्चित करते हैं और साथ ही देश की मुद्रा एवं अर्थव्यवस्था को स्थिर भी करते हैं।
- भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार के घटक:
- विदेशी मुद्राएँ:
- भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर, यूरो और ब्रिटिश पाउंड जैसी विदेशी मुद्राएँ शामिल हैं। ये मुद्राएँ तरलता प्रदान करती हैं और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लेन-देन की सुविधा प्रदान करती हैं।
- आरक्षित स्वर्ण निधि:
- यह मुद्रास्फीति की स्थिति में एक आवश्यक बचाव और आर्थिक अनिश्चितताओं के दौरान एक सुरक्षा जाल के रूप में भूमिका निभाता है।
- भारत के पास 800.78 टन आरक्षित स्वर्ण निधि है।
- विशेष आहरण अधिकार (SDR):
- SDR, IMF द्वारा अनुरक्षित अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित आस्तियाँ हैं। ये सदस्य देशों के विदेशी मुद्रा भंडार के पूरक की भूमिका निभाते हैं।
- SDR अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं की एक टोकरी पर आधारित है जिसमें USD, जापानी येन, यूरो, पाउंड स्टर्लिंग और चीनी रेनमिनबी शामिल हैं।
- SDR, IMF द्वारा अनुरक्षित अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित आस्तियाँ हैं। ये सदस्य देशों के विदेशी मुद्रा भंडार के पूरक की भूमिका निभाते हैं।
- IMF में आरक्षित भाग:
- IMF में आरक्षित भाग का तात्पर्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के कोटा से है। यह इस वैश्विक वित्तीय संस्था के भीतर भारत की स्थिति और मतदान की शक्ति को दर्शाता है।
- भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को सुदृढ़ करता है।
- विदेशी मुद्राएँ:
- भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्राओं में RBI द्वारा रखी गई महत्त्वपूर्ण संपत्ति है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. रुपए की परिवर्तनीयता से क्या तात्पर्य है? (2015) (a) रुपए के नोटों के बदले सोना प्राप्त करना। उत्तर: (c) |