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भारत जल सप्ताह 2024

  • 27 Sep 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जल शक्ति मंत्रालय, 8वाँ भारत जल सप्ताह 2024, जल संसाधन प्रबंधन, विश्व जल परिषद, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, जल संरक्षण, राष्ट्रीय जल नीति, 2012, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, जल शक्ति अभियान- कैच द रेन अभियान, अटल भूजल योजना, जल जीवन मिशन (JJM), राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG)

मेन्स के लिये:

भारत में जल संसाधन प्रबंधन के लिये चुनौतियाँ और उपाय।

स्रोत: पीआईबी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति ने जल शक्ति मंत्रालय के तत्वावधान में नई दिल्ली में 8वें भारत जल सप्ताह (IWW) 2024 का उद्घाटन किया। 

  • यह प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम जल संसाधन प्रबंधन पर चर्चा और सहयोग के लिये एक प्रमुख मंच के रूप में स्थापित हो गया है।

भारत जल सप्ताह 2024 क्या है?

  • उद्देश्य:
    • इस कार्यक्रम का उद्देश्य जल प्रबंधन की महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना, नवाचार को बढ़ावा देना एवं स्थायी जल कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देना था।
      • वर्ष 2012 में अपनी शुरुआत के बाद से, भारत जल सप्ताह वैश्विक जल कूटनीति के संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम बन गया है। यह कार्यक्रम संवाद, नवाचार और ज्ञान साझा करने के लिये एक मंच प्रदान करता है। 
  • थीम: 
    • भारत जल सप्ताह 2024 की थीम "समावेशी जल विकास एवं प्रबंधन के लिये भागीदारी और सहयोग" है। इस विषय ने 21वीं सदी की बढ़ती जल चुनौतियों से निपटने के लिये विभिन्न क्षेत्रों और देशों के सहयोगात्मक प्रयासों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
    • इसमें जल संरक्षण, कुशल प्रबंधन और जल संसाधनों के न्यायसंगत वितरण के लिये  एकीकृत एवं समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया गया।
    • थीम में सतत् जल विकास सुनिश्चित करने तथा वैश्विक जल सुरक्षा चिंताओं के समाधान में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बहु-हितधारक साझेदारी के महत्त्व को भी रेखांकित किया गया।
  • प्रतिभागी:
    • डेनमार्क, इज़राइल, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों ने अपने जल-संबंधी नवाचारों और अनुभवों को प्रस्तुत किया।
      • चीन और बांग्लादेश ने भारत में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय जल सप्ताह कार्यक्रमों में भाग नहीं लिया।
    • विश्व जल परिषद, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

  • अंतर्राष्ट्रीय वॉश सम्मेलन:
    • परिचय:
      • जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (DDWS) द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य (WASH) सम्मेलन IWW 2024 का मुख्य आकर्षण था। 
      • इस सम्मेलन में जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य (WASH) में वैश्विक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका उद्देश्य स्वच्छता संबंधी चुनौतियों का समाधान करना और स्वच्छता मानकों को बढ़ावा देना था।
    • उद्देश्य:
      • सम्मेलन में महत्त्वपूर्ण स्वच्छता चुनौतियों से निपटने और स्वच्छता मानकों को बढ़ावा देने के लिये WASH में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • थीम:
    • ‘ग्रामीण जल आपूर्ति को बनाए रखना’ थीम पर केंद्रित इस तीन दिवसीय सम्मेलन ने ज्ञान के आदान-प्रदान, नवाचारों को प्रदर्शित करने और वैश्विक वॉश चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने के लिये एक मंच प्रदान किया, जिसमें सतत् विकास लक्ष्य 6 (SDG) को प्राप्त करने पर विशेष ध्यान दिया गया।
  • परिणाम: 
    • सम्मेलन के महत्त्वपूर्ण परिणाम सामने आए, जिसमें जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन जैसी पहलों के माध्यम से ग्रामीण जल प्रबंधन में भारत की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
    • इसमें भविष्य की जल एवं स्वच्छता चुनौतियों से निपटने के लिये वैश्विक साझेदारी, समुदाय-संचालित समाधान और प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचारों के महत्त्व पर बल दिया गया।
  • प्रमुख पहल:
    • कैच द रेन अभियान (2021) ने चल रहे जल संकट का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी, जन-केंद्रित आंदोलन का समर्थन किया।
    • राष्ट्रीय सुरक्षित जल संवाद ने ‘जल जीवन मिशन (JJM)के प्रभाव को प्रदर्शित किया, जिसमें जल कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकियों को बड़े पैमाने पर लागू करने से जुड़ी सीख, सामुदायिक जुड़ाव और जल जीवन मिशन के प्रभाव आकलन जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।

भारत में जल की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • जल की कमी: वर्ष 2024 तक, भारत में विश्व की 18% जनसंख्या निवास करती है, लेकिन उसके पास मीठे जल के केवल 4% संसाधन हैं , जिससे यह विश्व स्तर पर सबसे अधिक जल-तनावग्रस्त देशों में से एक बन गया है।
  • भूजल का ह्रास: भूजल 80% पेयजल और दो-तिहाई सिंचाई आवश्यकताओं के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
    • हालाँकि, अत्यधिक दोहन से, विशेष रूप से पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्यों में, भूजल स्तर में भारी गिरावट आ रही है।
  • जल प्रदूषण: भारत का लगभग 70% जल दूषित है तथा देश की लगभग आधी नदियाँ पीने या सिंचाई के लिये असुरक्षित हैं। 
    • इससे वैश्विक जल गुणवत्ता सूचकांक 2024 में भारत 122 देशों में से 120वें स्थान पर आ गया।
  • ग्रामीण जल पहुँच: लगभग 163 मिलियन भारतीयों के पास सुरक्षित पेयजल तक पहुँच नहीं है और 600 मिलियन लोग अत्यधिक जल संकट का सामना कर रहे हैं। कई ग्रामीण क्षेत्र अभी भी असुरक्षित स्रोतों पर निर्भर हैं।
  • जलवायु भेद्यता: जलवायु परिवर्तन ने भारत में अनावृष्‍टि एवं बाढ़ की समस्या को और बढ़ा दिया है, जिससे जल की उपलब्धता पर भी असर पड़ रहा है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत की जल आपूर्ति इसकी मांग का केवल आधा हिस्सा ही पूरा कर पाएगी।

भारत में जल संकट से संबंधित कारक क्या हैं?

  • तीव्र जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण: बढ़ती जनसंख्या और तीव्र शहरीकरण के कारण जल की मांग बढ़ गई है, जिससे मौजूदा जल संसाधनों और बुनियादी ढाँचे पर भारी दबाव पड़ रहा है।
  • भूजल भंडार में कमी: विशेष रूप से कृषि प्रयोजनों के लिये भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में भूजल की कमी की दर चिंताजनक हो गई है।
  • अकुशल कृषि पद्धतियाँ: कृषि, जो भारत के लगभग 80% ताजे या मीठे जल का उपयोग करती है, अत्यधिक जल-प्रधान फसलों और अकुशल सिंचाई तकनीकों पर निर्भर है, जिसके कारण जल का असंवहनीय उपयोग होता है।
  • जल निकायों का प्रदूषण: औद्योगिक अपशिष्ट, अनुपचारित सीवेज और कृषि अपवाह ने नदियों, झीलों तथा भूजल को गंभीर रूप से प्रदूषित कर दिया है , जिससे सुरक्षित एवं पीने योग्य जल की उपलब्धता और कम हो गई है।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण अनियमित वर्षा प्रारूप, अनावृष्‍टि की बढ़ती आवृत्ति तथा बदलते मानसून चक्र ने जल उपलब्धता को बाधित कर दिया है , जिससे सूखाग्रस्त और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में संकट बढ़ गया है।
  • असमान वितरण और पहुँच: जल उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन के कारण, कुछ क्षेत्रों में संसाधनों की भारी कमी है, जबकि अन्य में संसाधनों की प्रचुरता है, जिसके परिणामस्वरूप असमान पहुँच हुई है, विशेष रूप से ग्रामीण और हाशिये पर स्थित समुदायों में।
  • पुराना बुनियादी ढाँचा और खराब जल प्रबंधन: आधुनिक जल प्रबंधन प्रणालियों की कमी तथा जल भंडारण, वितरण व उपचार के लिये पुराना एवं अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे के कारण अकुशलता और बर्बादी हुई है।
  • मानसून पर अत्यधिक निर्भरता: जल पुनःपूर्ति के लिये भारत की मानसूनी वर्षा पर अत्यधिक निर्भरता, देश को मानसून परिवर्तनशीलता के प्रति संवेदनशील बनाती है, जिसका प्रभाव कृषि उत्पादन और जल उपलब्धता दोनों पर पड़ता है।
  • कमज़ोर शासन और नीति कार्यान्वयन: असंगत एवं खंडित जल नीतियों, खराब शासन और विनियमों के कमज़ोर प्रवर्तन ने प्रभावी जल प्रबंधन तथा संरक्षण प्रयासों में बाधा उत्पन्न की है।

आगे की राह

  • एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM): विभिन्न क्षेत्रों और क्षेत्रों में जल संसाधनों के प्रबंधन के लिये एक समग्र एवं समन्वित ढाँचा आवश्यक है। इसमें सतही और भूजल का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के साथ-साथ जल निकायों की पारिस्थितिक अखंडता को बनाए रखना शामिल होगा।
  • जल-कुशल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना: जल-कुशल फसलों की ओर रुख करने, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों को बढ़ावा देने तथा सतत् कृषि पद्धतियों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने से कृषि में जल की खपत कम होगी।
  • भूजल विनियमन और पुनर्भरण तंत्र को मज़बूत बनाना: भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिये नियामक ढाँचे को मज़बूत करना, साथ ही भूजल पुनर्भरण, वर्षा जल संचयन और वाटरशेड प्रबंधन के लिये समुदाय के नेतृत्त्व वाली पहल को बढ़ाना , भूजल की कमी को रोकने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • जल निकायों का पुनरोद्धार: तालाबों, झीलों और आर्द्रभूमि जैसे पारंपरिक जल निकायों को बहाल करने और उनका कायाकल्प करने से जल प्रतिधारण, बाढ़ नियंत्रण एवं भूजल पुनर्भरण में सहायता मिलेगी। नदियों और जलभृतों के प्रदूषण को रोकने के लिये कड़े उपाय करके इसे पूरक बनाया जाना चाहिये।
  • जलवायु-लचीला बुनियादी ढाँचा और योजना: जलवायु-लचीला जल बुनियादी ढाँचा विकसित करना जो अनावृष्‍टि और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाओं का सामना कर सके, साथ ही शहरी और ग्रामीण विकास में जल संसाधन नियोजन को शामिल करना, बदलती जलवायु परिस्थितियों में जल चुनौतियों का प्रबंधन करने की भारत की क्षमता को मज़बूत करेगा।
  • प्रभावी नीति कार्यान्वयन और संस्थागत सुदृढ़ीकरण: संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय, समय पर नीतिगत हस्तक्षेप एवं मज़बूत नियामक ढाँचे के माध्यम से राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शासन को मज़बूत करना आवश्यक है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: कई जल निकायों की सीमापारीय प्रकृति को देखते हुए, भारत को साझा जल संसाधनों पर क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिये। 

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: जल संसाधन प्रबंधन में वैश्विक सहयोग के लिये एक मंच के रूप में अंतर्राष्ट्रीय जल सप्ताह के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। ऐसे अंतर्राष्ट्रीय आयोजन जल संबंधी चुनौतियों के समाधान में किस प्रकार प्रभावी हो सकते हैं?

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

मेन्स:

प्रश्न. जल तनाव (Water Stress) क्या है? भारत में क्षेत्रीय स्तर पर यह कैसे और क्यों भिन्न है? (2019)

प्रश्न. रिक्तीकरण परिदृश्य में विवेकी जल उपयोग के लिये जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपायों को सुझाइये। (2020)

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