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वनाग्नि के कारण उष्ण-कपासी वर्षा मेघ का विरचन

  • 09 Aug 2024
  • 5 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में हुई तीव्र वनाग्नि से उष्ण-कपासी वर्षा मेघ (पाइरो-क्यूमुलो-निम्बस बादल: pyroCbs) बन गए, जिनमें भीषण गर्जना और अधिक अग्नि प्रज्ज्वलित करने की क्षमता है।

उष्ण-कपासी वर्षा (पाइरो-क्यूमुलो-निम्बस) मेघ क्या हैं?

  • परिभाषा: पाइरो-क्यूमुलो-निम्बस बादल पृथ्वी की सतह से अत्यधिक ऊष्मा द्वारा निर्मित गर्जन वाले बादल हैं। इन्हें अग्निछाया या अग्नि मेघ भी कहा जाता है।
    • ये कपासी वर्षा मेघ (Cumulonimbus Clouds) के समान ही बनते हैं, लेकिन तीव्र ऊष्मा के परिणामस्वरूप जो प्रबल अपड्राफ्ट (मेघ का निर्माण) होता है, वह या तो भीषण वनाग्नि या ज्वालामुखी विस्फोट के कारण होता है।
  • इसके विरचन के लिये परिस्थितियाँ: 
    • उष्ण-कपासी वर्षा (पाइरो-क्यूमुलो-निम्बस) मेघ अत्यधिक ऊष्मा (जैसे वनाग्नि) के कारण बनते हैं।
      • प्रत्येक वनाग्नि से ये बादल नहीं बनते, तापमान 800 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा होना चाहिये, जैसा कि वर्ष 2019-2020 में ऑस्ट्रेलिया में लगी वनाग्नि में देखा गया था।
    • आग की तीव्र गर्मी से गर्म वायु तीव्रता से ऊपर की ओर उठती है, जिससे राख, धुआँ और जल वाष्प निकलती है, जो ठंडा होने पर पाइरोक्यूम्यलस बादलों में संघनित हो जाती है। 
    • ये बादल 50,000 फीट तक पहुँच सकते हैं और तड़ित और तीव्र वायु के साथ गरज के साथ वर्षा करते हैं। 
  • प्रभाव और विशेषताएँ: 
    • पाइरो-क्यूमुलो-निम्बस मेघ तड़ित उत्पन्न कर सकते हैं जो कई किलोमीटर दूर नई वनाग्नि को प्रज्वलित कर सकते हैं। 
    • वे आम तौर पर कम वर्षा करते हैं, जिससे वनाग्नि के शमन के बजाय फैलने में मदद मिलती है। 
    • ये बादल तेज़ वायु को ट्रिगर कर सकते हैं, जिससे वनाग्नि का प्रबंधन तेज़ और जटिल हो जाता है।

उष्ण-कपासी वर्षा मेघ घटनाओं की आवृति अधिक बार क्यों हो रही हैं?

  • बढ़ता तापमान और विस्तारित फायर सीज़न: ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ता है और शुष्क अवधि लंबी होती है, जिससे शुष्क परिस्थितियां उत्पन्न  होती हैं, जिससे वनाग्नि की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ जाती है तथा उष्ण-कपासी वर्षा मेघ निर्माण के लिये अधिक अवसर उपलब्ध होते हैं।
  • वनस्पति में वृद्धि और अनावृष्टि की स्थिति: उष्ण तापमान और बदलते वर्षा प्रतिरूप से वनस्पति में वृद्धि होती है, जो वनाग्नि के लिये ईंधन के रूप में कार्य करती है। 
    • इसके अतिरिक्त, लगातार अनावृष्टि के कारण वन और घास के मैदान सूख जाते हैं, जिससे उनमें आग लगने की संभावना बढ़ जाती है।
  • चरम मौसम पैटर्न: तीव्र और निरंतर हीट वेव के साथ-साथ परिवर्तित वायु पैटर्न के कारण वनाग्नि की घटना हो सकती है और यह तेज़ी से फैल सकती है, जिससे उष्ण-कपासी वर्षा मेघ बनने की संभावना बढ़ जाती है।
  • मानवीय गतिविधियाँ: निर्वनीकरण, भूमि उपयोग में परिवर्तन और शहरीकरण मानव-जनित आग की संभावना को बढ़ाकर तथा अप्रत्यक्ष रूप से उष्ण-कपासी वर्षा मेघ निर्माण में योगदान देकर वनाग्नि के जोखिम को बढ़ाते हैं।

और पढ़ें: वनाग्नि: एक गंभीर चिंता

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड
  2. मीथेन
  3. ओज़ोन
  4. सल्फर डाइऑक्साइड

उपरोक्त में से कौन फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वायुमंडल में उत्सर्जित होती हें?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)

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