अंतर्राष्ट्रीय संबंध
वर्ष 2030 तक भारत का लक्ष्य अफ्रीका के साथ व्यापार दोगुना करना
- 26 Aug 2024
- 23 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय उद्योग परिसंघ, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, PM गति शक्ति, अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र, विश्व व्यापार संगठन, अफ्रीकी संघ, भूमध्य सागर मेन्स के लिये:भारत-अफ्रीका व्यापार साझेदारी: उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ, अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII) द्वारा आयोजित 19वें भारत-अफ्रीका व्यापार सम्मेलन में भारत ने 2030 तक अफ्रीकी देशों को अपने निर्यात को दोगुना करके 200 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने की महत्त्वाकांक्षी योजना का अनावरण किया है।
- इस रणनीतिक प्रयास का उद्देश्य आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करना तथा पारस्परिक चुनौतियों और अवसरों का समाधान करना है।
भारत अफ्रीकी देशों को अपना निर्यात कैसे दोगुना करेगा?
- उच्च विकास वाले क्षेत्रों को लक्ष्य बनाना:
- कृषि और कृषि उत्पाद: भारतीय कंपनियाँ उन्नत बीज प्रौद्योगिकियों, कृषि प्रसंस्करण विधियों को साझा करके और इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना करके अफ्रीका की खाद्य उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद करने के लिये तैयार हैं।
- भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करके अफ्रीका की खाद्य सुरक्षा को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है, जो वर्ष 2022 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
- फार्मास्यूटिकल्स: वर्ष 2023 में अफ्रीका को फार्मास्यूटिकल निर्यात पहले से ही 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच चुका है, इसमें वृद्धि की महत्त्वपूर्ण संभावनाएँ हैं, क्योंकि भारत सस्ती दवाएँ और स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान कर सकता है।
- ऑटोमोबाइल: भारत का लक्ष्य अफ्रीका में वाहनों, विशेषकर दोपहिया और किफायती कारों की बढ़ती मांग का लाभ उठाकर अपने ऑटोमोबाइल निर्यात का विस्तार करना है।
- नवीकरणीय ऊर्जा: भारत और अफ्रीका नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी होने की अनूठी स्थिति में हैं। "एक विश्व, एक ग्रिड" की परिकल्पना का उद्देश्य भूमि और जल के ऊपर ऊर्जा ग्रिड को जोड़ना है।
- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और ऊर्जा-कुशल समाधानों में भारत की विशेषज्ञता ने अफ्रीका में संधारणीय ऊर्जा स्रोतों की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 20 से अधिक अफ्रीकी देश अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) में भाग ले रहे हैं, जो नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग के प्रति मज़बूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- कृषि और कृषि उत्पाद: भारतीय कंपनियाँ उन्नत बीज प्रौद्योगिकियों, कृषि प्रसंस्करण विधियों को साझा करके और इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना करके अफ्रीका की खाद्य उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद करने के लिये तैयार हैं।
- रसद और परिवहन: रसद और परिवहन बुनियादी ढाँचे में सुधार को भारत तथा अफ्रीकी देशों के बीच सुचारू व्यापार प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
- भारत कुशल लॉजिस्टिक्स अवसंरचना और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के विकास में सहायता के लिये अपने पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान और यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस पोर्टल (Unified Logistics Interface Portal- ULIP) को अफ्रीका के साथ साझा करने की योजना बना रहा है।
- अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (African Continental Free Trade Area- AfCFTA) ने ऑटोमोबाइल और लॉजिस्टिक्स को भारत तथा अफ्रीका के बीच सहयोग की पर्याप्त संभावना वाले क्षेत्रों के रूप में पहचाना है।
- AfCFTA एक मुक्त व्यापार समझौता है जिसे अफ्रीका के भीतर शुल्क मुक्त व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिये विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को खत्म करना है साथ ही वस्तुओं, सेवाओं तथा लोगों की मुक्त आवाजाही को बढ़ावा देना है।
- यह पहल अफ्रीका के विकास एजेंडा 2063 का हिस्सा है, जो पूरे महाद्वीप में एकीकृत आर्थिक बाज़ार की परिकल्पना करता है।
- अफ्रीका के साथ भारत के मौजूदा व्यापार में कच्चे तेल से लेकर रसायन और वस्त्र तक कई तरह के उत्पाद शामिल हैं। AfCFTA द्वारा व्यापार विविधीकरण तथा मूल्य संवर्द्धन की दिशा में उठाए गए कदम भारत के निर्यात हितों एवं निवेश रणनीतियों के साथ अच्छी तरह से सुमेलित हैं।
- विश्व व्यापार संगठन सुधारों के लिये एकीकृत दृष्टिकोण: भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) सुधारों, विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा, कृषि और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे क्षेत्रों में एकीकृत अफ्रीकी रुख का आह्वान किया है।
- वैश्विक व्यापार वातावरण में आवश्यक बदलावों को आगे बढ़ाने के लिये एक समन्वित दृष्टिकोण आवश्यक है, जो तेज़ी से संरक्षणवादी बन गया है।
- ड्यूटी-फ्री टैरिफ वरीयता और FTA: भारत ने गैर-पारस्परिक आधार पर अफ्रीका के 27 सबसे कम विकसित देशों (LDC) को ड्यूटी-फ्री टैरिफ वरीयता (DFTP) प्रदान की है।
- भारत द्वारा DFTP योजना LDC से भारत को आयात पर टैरिफ वरीयता प्रदान करती है, जो सबसे कम सामाजिक-आर्थिक संकेतकों वाले विकासशील देश हैं।
- इसके अतिरिक्त भारत व्यापार की मात्रा को बढ़ाने और वस्तुओं के आदान-प्रदान की सीमा में विविधता लाने के लिये दक्षिण अफ्रीका सहित अफ्रीकी देशों के साथ नए मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) की संभावना तलाशने का इच्छुक है।
- सामरिक सहयोग:
- अफ्रीकी संघ के लिये समर्थन: भारत ने अफ्रीकी संघ की G-20 में पूर्ण सदस्यता का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे वैश्विक मंच पर अफ्रीकी आवाज़ को बुलंद करने की उसकी प्रतिबद्धता और प्रबल हुई है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ): भारत अपने निवेशकों को अफ्रीका के विनिर्माण क्षेत्रों में स्थायी उपस्थिति बनाने के लिये प्रोत्साहित करता है और आर्थिक संबंधों को गहरा करने के साधन के रूप में SEZ का विस्तार करने पर विचार करता है।
- ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व: भारत का लक्ष्य ग्लोबल साउथ के लिये एक अग्रणी आवाज़ बनना है, जो बहुपक्षीय मंचों पर समान और समावेशी विकास का समर्थन करता है, जो अफ्रीका सहित विकासशील देशों की भू-राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के व्यापक लक्ष्य के साथ संरेखित होता है।
भारत-अफ्रीका व्यापार में वर्तमान रुझान क्या हैं?
- व्यापार के आँकड़े: वित्त वर्ष 2022-23 में भारत और अफ्रीका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 9.26% बढ़कर लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। निर्यात का मूल्य 51.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात का मूल्य 46.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- वित्त वर्ष 24 में भारत ने अफ्रीकी देशों को 38.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वस्तु निर्यात की, जिसमें नाइज़ीरिया, दक्षिण अफ्रीका और तंजानिया जैसे प्रमुख गंतव्य शामिल थे।
- प्रमुख निर्यातों में पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स, चावल और वस्त्र शामिल थे।
- अफ्रीकी संघ संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात के बाद भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- अफ्रीकी संघ के भीतर नाइज़ीरिया भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार है, जिसका व्यापार में 20.91% हिस्सा है।
- आयात संरचना: अफ्रीका से भारत के आयात में प्राथमिक उत्पादों और प्राकृतिक संसाधनों का प्रभुत्व है। शीर्ष आयातों में शामिल हैं:
- ईंधन: आयात का 61% हिस्सा, मुख्य रूप से नाइजीरिया, अंगोला और अल्जीरिया से कच्चा तेल।
- कीमती पत्थर और काँच: 20% हिस्सा, घाना, दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना से प्राप्त।
- सब्जियाँ, धातुएँ और खनिज: बेनिन, सूडान, जाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका, मोरक्को और कोटे डी आइवर सहित विभिन्न अफ्रीकी देशों से प्राप्त।
- निर्यात संरचना:
- ईंधन: 20%, जिसमें मोज़ाम्बिक, टोगो, तंज़ानिया, केन्या और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को गैर-कच्चा पेट्रोलियम तेल शामिल है।
- रसायन: 18.5%, जिसमें नाइजीरिया, मिस्र और केन्या को फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं।
- मशीनें और इलेक्ट्रिकल्स: 12.59%, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र को निर्यात किये गए।
- आर्थिक निवेश: भारत ने 43 अफ्रीकी देशों में 206 बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में 12.37 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिसका लाखों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
अफ्रीका के बारे में मुख्य तथ्य
- भूगोल: अफ्रीका भूमध्य सागर (उत्तर), लाल सागर (उत्तर-पूर्व), हिंद महासागर (पूर्व) और अटलांटिक महासागर (पश्चिम) से घिरा हुआ है, और भूमध्य रेखा द्वारा लगभग समान रूप से विभाजित है।
- इसमें सहारा, साहेल, इथियोपियाई हाइलैंड्स, सवाना, स्वाहिली तट, वर्षावन, अफ्रीकी महान झीलें और दक्षिणी अफ्रीका जैसे आठ प्रमुख भौतिक क्षेत्र हैं।
- जनसंख्या: अफ्रीका एशिया के बाद दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है।
- अर्थव्यवस्था: कृषि अफ्रीका के 65-70% श्रम बल को रोज़गार प्रदान करती है और इसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 30-40% हिस्सा कृषि से आता है। इस महाद्वीप का आर्थिक आधार विविधतापूर्ण है, जिसमें खनन और पर्यटन जैसे क्षेत्रों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- जनसांख्यिकी: अनुमान है कि वर्ष 2034 तक अफ्रीका में विश्व की सबसे अधिक कार्यशील आयु वाली जनसंख्या (1.1 बिलियन) होगी। अगले 35 वर्षों में महाद्वीप की जनसंख्या दोगुनी होकर लगभग 2.4 बिलियन लोगों तक पहुँचने का अनुमान है, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु की जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि शामिल है।
- जलवायु: अफ्रीका विश्व का सबसे गर्म महाद्वीप है। इसमें सहारा की शुष्क परिस्थितियों से लेकर हरे-भरे वर्षावनों तक की विविध जलवायु है।
- उच्चतम बिंदु: किलिमंजारो, तंज़ानिया।
- व्यापार: चीन अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है तथा चीन-अफ्रीकी व्यापार वार्षिक 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब है। अकेले अंगोला में ही बड़ी संख्या में चीनी लोग रहते हैं।
- सोना और खनिज: अफ्रीका को सबसे अधिक लाभ प्रदान करने वाले खनिज स्रोत सोना और हीरे हैं। वर्ष 2021 में अफ्रीका ने 680.3 मीट्रिक टन सोना उत्पादित किया (विटवाटरसैंड, दक्षिण अफ्रीका, एक प्रमुख सोना उत्पादक क्षेत्र है) और वैश्विक हीरा बाज़ार को नियंत्रित किया, जहाँ प्रत्येक वर्ष विश्व के लगभग 65% हीरे उत्पादित होते हैं।
- अफ्रीका के 54 देशों में से 22 देशों में पेट्रोलियम और कोयला सबसे प्रचुर मात्रा में पाये जाने वाले खनिजों में से हैं।
भारत-अफ्रीका व्यापार के लिये चुनौतियाँ क्या हैं?
- गैर-टैरिफ बाधाओं का समाधान: यूरोपीय संघ के कड़े खाद्य सुरक्षा मानकों के कारण भारत के कृषि निर्यात को महत्त्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो मिर्च, चाय, बासमती चावल और अन्य जैसे उत्पादों के निर्यात को सीमित करते हैं।
- ये विनियम न केवल यूरोपीय संघ के साथ भारत के व्यापार को प्रभावित करते हैं, बल्कि अफ्रीकी देशों, विशेषकर उन देशों के साथ भारत के व्यापार को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं जो यूरोपीय संघ के मानकों के अनुरूप हैं।
- मानकों में ढील का समर्थन करके भारत व्यापार प्रवाह को सुगम बना सकता है, अनुपालन लागत को कम कर सकता है तथा यूरोपीय और अफ्रीकी दोनों बाज़ारों में अपने कृषि निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ा सकता है।
- विकासशील देशों के लिये विश्व व्यापार संगठन सुधार: 13वें विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कृषि, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और खाद्य सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों पर आम सहमति बनाने में असमर्थता पर प्रकाश डाला गया।
- इस समझौते की कमी वैश्विक व्यापार नीतियों और वार्ताओं को प्रभावित करती है, जिसका सीधा असर अफ्रीका सहित विकासशील देशों पर पड़ता है।
- विश्व व्यापार संगठन में कृषि सब्सिडी एवं टैरिफ में सुधार करने में विफलता अफ्रीकी देशों की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने की क्षमता को बाधित करती है और निष्पक्ष व्यापार को सीमित करती है, जिससे अफ्रीका को कृषि निर्यात पर बाधाएँ उत्पन्न होने के कारण भारत एक प्रमुख व्यापार भागीदार के रूप में प्रभावित होता है।
- इसके अतिरिक्त गुणवत्ता मानकों एवं व्यापार पद्धतियों पर अनसुलझे WTO मुद्दे अफ्रीकी बाज़ारों में भारतीय उत्पादों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकते हैं, जिससे चीन की तुलना में उनकी धारणा और प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है।
- ऋण संबंधी चिंताएँ: उप-सहारा अफ्रीका में बढ़ते ऋण अनुपात पिछले दशक में लगभग दोगुना हो गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने इन चिंताओं को उजागर करते हुए कहा है कि बढ़ते ऋण के बोझ से क्षेत्र में आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हो रही है।
- अपनी ऋणग्रस्त अर्थव्यवस्था के कारण, उप-सहारा अफ्रीका के कई निम्न आय वाले राष्ट्र वर्ष 2022 तक ऋण संकट का उच्च जोखिम झेल रहे हैं या पहले ही इसका अनुभव कर चुके हैं, जिससे भारत-अफ्रीका व्यापार के लिये एक बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है।
- चीन का प्रभाव: उप-सहारा अफ्रीका के लिये सबसे बड़े एकल-देशीय व्यापारिक साझेदार के रूप में चीन की भूमिका अतिरिक्त चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।
- क्षेत्र के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा खरीदने तथा विनिर्मित वस्तुएँ और मशीनरी उपलब्ध कराने में चीन के प्रभुत्व ने महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति स्थापित कर दी है।
- हालाँकि यह संबंध ऋण जाल कूटनीति के उपयोग और सार्वजनिक ऋण दस्तावेज़ीकरण में मानकीकरण की कमी से संबंधित आलोचना से प्रभावित है।
- ये कारक भारत जैसे अन्य व्यापार साझेदारों के लिये असमान अवसर उत्पन्न करते हैं, जिससे भारत-अफ्रीका व्यापार की गतिशीलता प्रभावित होती है।
- क्षेत्र के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा खरीदने तथा विनिर्मित वस्तुएँ और मशीनरी उपलब्ध कराने में चीन के प्रभुत्व ने महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति स्थापित कर दी है।
आगे की राह
- व्यापार समझौते: भारत का अफ्रीकी देशों के साथ अधिमानी व्यापार समझौतों का इतिहास रहा है, जिसमें भारत-मॉरीशस व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौता (CECPA) शामिल है। व्यापार की मात्रा बढ़ाने के लिये ऐसे समझौतों का विस्तार और गहनता बहुत आवश्यक है।
- अफ्रीकी SME में निवेश: अफ्रीका में लगभग 80% रोज़गार लघु और मध्यम उद्यमों (SME) के पास है। कम लागत वाले कच्चे माल और इनपुट तक पहुँच प्रदान करके, भारत अफ्रीकी SME के विकास को बढ़ावा दे सकता है, जो बदले में भारतीय निर्यात के लिये नए अवसरों का सृजन करेगा।
- महत्त्वपूर्ण खनिज: भारत-अफ्रीका व्यापार अफ्रीका के महत्त्वपूर्ण खनिजों जैसे कोबाल्ट, ताँबा, लिथियम, निकल और दुर्लभ मृदा तत्त्व जैसे पृथ्वी के समृद्ध भंडार का लाभ उठा सकता है, जो भारत के हरित ऊर्जा संक्रमण के लिये आवश्यक हैं।
-
इन खनिजों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के निर्माण में किया जा सकता है, जिससे अफ्रीका भारतीय उद्योगों के लिये एक प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता बन जाएगा।
-
यह साझेदारी भारत और अफ्रीका को पारस्परिक लाभ प्राप्त करने तथा हरित ऊर्जा क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत करने में सक्षम बना सकती है।
-
- डिजिटल नवाचार: भारत की स्टार्टअप क्रांति और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, जैसे कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI), और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC), अफ्रीका में इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस तथा जीवन की गुणवत्ता के साथ-साथ भारत के साथ व्यापार को बढ़ा सकते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. वर्ष 2030 तक अफ्रीका को अपने निर्यात को दोगुना करने की भारत की योजना के संभावित लाभों और चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। यह पहल वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित कर सकती है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
मेन्सप्रश्न. भारत में एक मध्यम-वर्गीय कामकाज़ी महिला की अवस्थिति को पितृतंत्र (पेट्रिआर्की) किस प्रकार प्रभावित करता है? (2014) प्रश्न. अफ्रीका में भारत की बढ़ती हुई रूचि के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष हैं। समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये। (2015) |