भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में स्टार्टअप पारितंत्र की स्थिति
- 20 Jul 2022
- 15 min read
यह एडिटोरियल 18/07/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “Data localisation norms may need easing, but startups should compete without relying on heavy hand holding of state” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में स्टार्टअप पारितंत्र की स्थिति और डेटा स्थानीयकरण के प्रभाव के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
स्टार्टअप घातीय वृद्धि के इंजन कहे जाते हैं, जो नवाचार की शक्ति को प्रदर्शित करते हैं। आज की कई बड़ी कंपनियाँ अतीत में स्टार्टअप के रूप में ही शुरू हुई थीं जो वर्तमान में नवाचार की चमकदार मिसालें बन गई हैं।
भारत अमेरिका और चीन के बाद विश्व में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के तीसरे सबसे बड़े आधार वाला देश है। एक बढ़ती उद्यमशील संस्कृति और सहायक पारितंत्र के साथ भारत के स्टार्टअप और छोटे व्यवसायों से न केवल आर्थिक और व्यावसायिक रूपांतरण को आगे ले जाने की उम्मीद की जाती है, बल्कि भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के स्वप्न को साकार करने में एक प्रमुख विकास चालक के रूप में उन्होंने अपनी स्थिति और भूमिका को भी सबल किया है।
भारत में स्टार्टअप विकास परिदृश्य
- भारत स्टार्टअप्स के लिये ‘हॉटस्पॉट’ के रूप में उभरा है। केवल वर्ष 2021 में ही भारतीय स्टार्टअप ने 23 बिलियन डॉलर से अधिक जुटाए हैं, 1,000 से अधिक सौदों में उनकी संलग्नता है और 33 भारतीय स्टार्टअप प्रतिष्ठित ‘यूनिकॉर्न क्लब’ में प्रवेश कर चुके हैं।
- वर्ष 2022 में अब तक 13 और स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में जुड़ चुके हैं।
- ‘बैन एंड कंपनी’ द्वारा प्रकाशित ‘इंडिया वेंचर कैपिटल रिपोर्ट 2021’ के अनुसार, संचयी स्टार्टअप की संख्या वर्ष 2012 से 17% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ी है और 1,12,000 की संख्या को पार कर गई है।
भारतीय स्टार्टअप पारितंत्र के तेज़ उभार के कारण
- स्टार्टअप्स के महत्त्व को मान्यता: भारत ने अपने वृहत छात्र समुदाय में अकादमिक संस्थानों के माध्यम से नवाचार और उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देने के लिये नवाचार और ऊष्मायन केंद्र (Innovation and Incubation Centres) विकसित करने की आवश्यकता को चिह्नित किया है।
- इन्क्यूबेटरों की बढ़ती संख्या और अपने स्वयं के उद्यम शुरू करने की दिशा में युवा कार्यकारियों का सतत झुकाव भी भारत में उद्यमिता और आरंभिक चरण के स्टार्टअप पारितंत्र को बढ़ावा दे रहा है।
- अटल नवाचार मिशन (AIM) के माध्यम से अटल ऊष्मायन केंद्रों (Atal Incubation Centres-AICs) जैसे नए इन्क्यूबेशन सेंटरों की स्थापना ने भी नवोन्मेषी स्टार्ट-अप व्यवसायों को मापनीय और संवहनीय उद्यम के रूप में उभरने के उनके प्रयासों को संपोषित किया है।
- क्षमता की उपलब्धता: वर्ष 2021 में टेक स्टार्टअप पर एक अध्ययन से पता चला है कि ‘एडटेक’ संस्थापकों की एक बड़ी संख्या आईआईटी और प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेजों के युवा स्नातकों या वैश्विक परामर्श फर्मों के लिये कार्य कर चुके युवाओं की है।
- जोखिम लेने को तैयार महत्त्वाकांक्षी युवाओं के साथ ही भारतीय उद्यमियों में जुनून, विशेषज्ञता और दृष्टिकोण का सही मिश्रण एक तेज़ी से उभरते बाज़ार के अवसरों का लाभ उठा सकने में भारत के आरंभिक चरण के स्टार्टअप पारितंत्र को एक लाभप्रद स्थिति प्रदान करता है।
- स्टार्टअप विशिष्ट पहल: भारत सरकार प्रगतिशील नीतियों के कार्यान्वयन और प्रासंगिक आधारभूत संरचना के निर्माण के माध्यम से आरंभिक चरण के स्टार्टअप के विकास को सुविधाजनक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
- वर्ष 2016 में शुरू की गई ‘स्टार्टअप इंडिया पहल’ के तहत सरकार ने आरंभिक चरण के संभावित स्टार्टअप की भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु जटिल कानूनी, वित्तीय और ज्ञान आवश्यकताओं को सरल बनाने का प्रयास किया है।
- स्टार्टअप-कॉर्पोरेट सहयोग: सुस्थापित कॉर्पोरेट (जिनके पास नवाचार क्षमता एवं दक्षता की कमी हो) और दक्ष आरंभिक चरण के स्टार्टअप (जिनके पास विकास के लिये नकदी की कमी के साथ ही बाज़ार पहुँच के लिये नेटवर्क की कमी हो) ऐसे सहयोग और गुणित धन सृजन के लिये एक अद्वितीय और मापनीय मंच प्रदान करते हैं।
- विभिन्न कॉर्पोरेट-स्टार्टअप साझेदारी कार्यक्रम भारत में आरंभिक स्टार्टअप के विकास को गति प्रदान कर रहे हैं और नवाचार को गति दे रहे हैं।
- माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने 4,000 से अधिक स्टार्टअप्स को गति प्रदान की है, जबकि टाटा मोटर्स आधा दर्जन स्टार्टअप्स के साथ संलग्न है और 20 अन्य स्टार्टअप्स के साथ भागीदारी पर विचार कर रहा है।
- विभिन्न कॉर्पोरेट-स्टार्टअप साझेदारी कार्यक्रम भारत में आरंभिक स्टार्टअप के विकास को गति प्रदान कर रहे हैं और नवाचार को गति दे रहे हैं।
डेटा स्थानीयकरण—यह भारत में स्टार्टअप के विकास को कैसे प्रभावित करेगा?
- वैश्विक कवरेज के लिये एक बाधा: कई स्टार्टअप भारतीय ग्राहकों के अलावा विदेशी ग्राहक भी रखते हैं और डेटा स्थानीयकरण (Data Localization) का अधिदेश उनके लिये अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के साथ व्यापार करना कठिन बना सकता है।
- ‘थर्ड पार्टी सर्वर’ का मुद्दा: कई भारतीय स्टार्टअप उन कंपनियों की थर्ड-पार्टी सेवाओं का उपयोग करते हैं, संभव है जिनकी भारत में भौतिक उपस्थिति नहीं हो। इस प्रकार, डेटा स्थानीयकरण का अधिदेश सीमा-पार व्यापार के लिये बाधाकारी है।
- इन सेवाओं को प्रायः ग्राहकों के मूल डेटाबेस तक पहुँचने की आवश्यकता होती है। केवल स्थानीय स्टार्टअप कंपनियों ने ही नहीं, गूगल और मेटा जैसे बिग टेक ने भी प्रस्तावित डेटा स्थानीयकरण प्रावधानों पर आशंका व्यक्त की है।
- विदेशी अधिवास: वर्तमान में भारत के लगभग 30 यूनिकॉर्न देश के बाहर अधिवासित हैं। जीर्ण पड़ चुके विदेशी मुद्रा नियमों, प्रासंगिक संघीय नियमों के अप्रवर्तन, मनमाने कर और स्थानीय पूंजी प्रोत्साहन की कमी के कारण वे बाहर जाने को बाध्य हुए हैं।
- ‘डीपटेक’ (DeepTech) और हेल्थकेयर स्टार्ट-अप को अभी भी देश में विकसित होने के लिये पर्याप्त आरंभिक पूंजी नहीं मिल सकी है और वे बाहर ही कार्यरत बने रहने के लिये विवश हैं।
- डेटा सेवा निर्यात पर प्रभाव: डिजिटल सेवाओं के निर्यात में भारत के अग्रणी देश होने के पीछे के प्रमुख कारकों में सीमाओं के पार डेटा का निर्बाध प्रवाह और अनुकूल नीतियाँ शामिल हैं।
- डेटा स्थानीयकरण कंपनियों के लिये—विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिये एक नियामक अनुपालन लागत जोड़ सकता है।
- यह वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में घरेलू स्टार्टअप की भागीदारी में भी बाधा डालेगा, जिससे देश में विदेशी निवेश और नवाचार प्रभावित होगा।
डेटा स्थानीयकरण से क्या अभिप्राय है?
- डेटा स्थानीयकरण का अभिप्राय है देश की क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महत्त्वपूर्ण और गैर-महत्त्वपूर्ण डेटा (Critical data/non-critical data) का संग्रहण।
- स्थानीयकरण का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है हमारे स्वयं के डेटा पर हमारा नियंत्रण है जो देश को गोपनीयता, सूचना लीक होने, पहचान की चोरी, सुरक्षा आदि समस्याओं के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाता है।
- इसने विभिन्न देशों को अपने स्वयं के स्टार्टअप विकसित करने, स्थानीय रूप से विकसित होने और अपनी भाषा में पनपने में भी मदद की है।
- इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने व्यक्तिगत और संवेदनशील डेटा के संरक्षण पर एक विधेयक का मसौदा तैयार किया है।
- मसौदा विधेयक के तहत उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा से संलग्न संस्थाओं को भारत के भीतर ऐसे डेटा की एक प्रति संग्रहीत करने का आदेश दिया गया है और अपरिभाषित ‘क्रिटिकल’ व्यक्तिगत डेटा का निर्यात प्रतिबंधित किया गया है।
- व्यक्तिगत डेटा में ऐसी सूचना (ऑनलाइन या ऑफलाइन) शामिल है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिये किया जा सकता है और इस प्रकार उस व्यक्ति की ‘प्रोफाइलिंग’ का अवसर देता है।
- मसौदा विधेयक के तहत उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा से संलग्न संस्थाओं को भारत के भीतर ऐसे डेटा की एक प्रति संग्रहीत करने का आदेश दिया गया है और अपरिभाषित ‘क्रिटिकल’ व्यक्तिगत डेटा का निर्यात प्रतिबंधित किया गया है।
किन अन्य क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है?
- उपयुक्त वित्तपोषण का अभाव: भारतीय स्टार्टअप्स एक भारी वित्तपोषण मंदी का सामना कर रहे हैं।
- ‘PwC India’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव, टेक स्टॉक वैल्यूएशन में कमी और मुद्रास्फीति के कारण अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय स्टार्टअप्स में वित्तपोषण में 40% की गिरावट आई।
- शिक्षा और कौशल उन्नयन: मौजूदा क्षमताओं से परे संक्रमण और जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने के लिये भारतीय कार्यबल की शिक्षा, पुनःकौशल और कौशल उन्नयन महत्त्वपूर्ण है।
- यह समझने की आवश्यकता है कि घरेलू नीतिगत परिवेश के अलावा वैश्विक माहौल एवं तकनीकी उन्नति में भी बदलाव आ रहा है और इसलिये यह आवश्यक है कि भारत इस क्रांति के लिये तैयार हो।
स्टार्टअप पारितंत्र को सबल करने के लिये क्या किया जाना चाहिये?
- डेटा संरक्षण: भारत नियामक प्रभाव मूल्यांकन सहित एक ‘रेगुलेटरी सैंडबॉक्स’ दृष्टिकोण अपना सकता है।
- स्थानीय निजी कंपनियों को भारत में डेटा सुरक्षा केंद्र स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- निजता और नवाचार के बीच सतर्क संतुलन बनाने की ज़रूरत है।
- निवेशकों से समर्थन: स्टार्टअप पारितंत्र के त्वरित विकास के लिये पर्याप्त वित्त की आवश्यकता है और इसलिये उद्यम पूंजी निवेशकों एवं एंजेल निवेशकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
- उद्यम पूंजी निवेशकों के पास पोर्टफोलियो स्तर पर पर्याप्त जोखिम प्रबंधन ढाँचे की आवश्यकता है, क्योंकि यह सभी सफल उद्यम पूंजी संचालन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है।
- कॉर्पोरेट क्षेत्र का सहयोग: उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले नीति-स्तरीय निर्णयों के अलावा भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र पर भी यह ज़िम्मेदारी है कि वे उद्यमशीलता को संपोषण दें और प्रभावशाली प्रौद्योगिकी समाधान तथा संवहनीय एवं संसाधन-कुशल विकास के निर्माण के लिये तालमेल का सृजन करें।
- भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी: भौतिक एवं डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार के लिये सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के सामूहिक प्रयासों से ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी भारत की अप्रयुक्त क्षमता का ‘उद्योग 4.0’ (Industry 4.0) के लिये और उससे आगे भी उपयोग किया जा सकेगा।
- बदलती विश्व व्यवस्था के बीच अवसरों के लाभ उठाना: चीन में पूंजी अविश्वास पैदा करने वाली हालिया घटनाओं के साथ विश्व का ध्यान भारत में उपलब्ध आकर्षक तकनीकी अवसरों और सृजित किये जा सकने वाले मूल्य की ओर बढ़ रहा है।
- इसके लिये भारत को डिजिटल इंडिया पहल के अलावा निर्णायक नीतिगत उपायों की आवश्यकता है। भारत को स्टार्टअप में वैश्विक और घरेलू निवेश दोनों के लिये मज़बूत विनियमों की भी आवश्यकता है।
- पता लगाने की क्षमता (Traceability) और निर्बाध शासन सुनिश्चित करने के लिये निवेशक-केवाईसी का एक रिपॉजिटरी सृजित करना भी महत्त्वपूर्ण है।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘स्टार्टअप घातीय वृद्धि का इंजन हैं जो नवाचार की शक्ति को प्रदर्शित करते हैं।’’ भारत में स्टार्टअप पारितंत्र के संदर्भ में इस कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण करें।