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स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना

  • 22 Apr 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार द्वारा स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (Startup India Seed Fund Scheme- SISFS) शुरू की गई है।

  • इस योजना की शुरुआत स्टार्टअप इंडिया पहल (Startup India initiative) के 5 वर्ष पूर्ण  होने के उपलक्ष्य में आयोजित 'प्रारंभ: स्टार्टअप इंडिया इंटरनेशनल समिट' (Prarambh: Startup India International Summit) में की गई थी।

प्रमुख बिंदु:  

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (SISFS) के बारे में:

  • उद्देश्य: योजना का उद्देश्य स्टार्टअप्स के प्रोटोटाइप का विकास, प्रूफ ऑफ कांसेप्ट, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • 945 करोड़ रूपए लागत की इस योजना को ‘उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) द्वारा लॉन्च किया गया है 
  • पात्रता हेतु आवश्यक शर्तें: 
    • DPIIT द्वारा केवल उसी स्टार्टअप, को मान्यता प्रदान की जाएगी जिसे आवेदन की अवधि से 2 वर्ष से अधिक का समय न हुआ हो।
    • स्टार्टअप द्वारा केंद्र या राज्य सरकार की किसी भी योजना के तहत 10 लाख से अधिक की वित्तीय सहायता प्राप्त न की जा रही हो। 
  • विशेषताएँ:
    • अगले 4 वर्षों में 300 इन्क्यूबेटर्स (Incubators) के माध्यम से लगभग 3,600 उद्यमियों का समर्थन किया जाएगा।
    • DPIIT द्वारा गठित एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (Experts Advisory Committee- EAC) योजना के समग्र निष्पादन और निगरानी हेतु  ज़िम्मेदार होगी।
    • समिति द्वारा चयनित पात्र इन्क्यूबेटरों को 5 करोड़ रुपए तक की अनुदान राशि प्रदान की जाएगी।
    • चयनित इनक्यूबेटर्स को स्टार्टअप्स के प्रोटोटाइप का विकास, प्रूफ ऑफ  कांसेप्ट, उत्पाद परीक्षण हेतु 20 लाख रूपए तक की अनुदान राशि प्रदान की जाएगी। 
    • स्टार्टअप्स को बाजार में प्रवेश, व्यवसायीकरण या परिवर्तनीय डिबेंचर या ऋण से जुड़े उपकरणों हेतु 50 लाख रुपए तक का निवेश प्रदान किया जाएगा।  
  • अपेक्षित लाभ:
    • यह टियर 2 और टियर 3 क्षेत्रों में एक मज़बूत स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करने में मददगार साबित होगा, क्योंकि भारत में छोटे शहरों को अक्सर उपयुक्त धन मुहैया नहीं कराया जाता है।

स्टार्टअप इंडिया इनिशिएटिव के बारे में:

  • इसे 2016 में लॉन्च किया गया था यह देश में नवाचार के पोषण और नवोदित उद्यमियों को अवसर प्रदान करने हेतु एक मज़बूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की परिकल्पना प्रस्तुत करता है। 
  • यह निम्नलिखित तीन क्षेत्रों पर केंद्रित है:
    • सरलीकरण और हैंडहोल्डिंग।
    • वित्तपोषण सहायता और प्रोत्साहन।
    • उद्योग-अकादमी भागीदारी और इन्क्यूबेशन।

संबंधित सरकारी पहलें: 

  • स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज: यह किसी भी स्टार्टअप के लिये अपने नेटवर्किंग और फंड जुटाने के प्रयासों का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है।
  • नेशनल स्टार्टअप अवार्ड्स: यह उत्कृष्ट स्टार्टअप्स (Outstanding Startups) और इकोसिस्टम एनाब्लर्स (Ecosystem Enablers) की पहचान करने और उन्हें  पुरस्कृत करने से संबंधित है जो नवाचार और इंजेक्शनिंग प्रतियोगिता के माध्यम से आर्थिक गतिशीलता में योगदान दे रहे हैं।
  • स्टार्टअप इकोसिस्टम के आधार पर राज्यों की रैंकिंग: यह एक विकसित मूल्यांकन उपकरण है जिसका उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अपना पूर्ण सहयोग देकर उन्हें स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र के रूप में विकसित करना है।
  • SCO स्टार्टअप फोरम:  अक्तूबर 2020 में सामूहिक पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने और उसमें सुधार हेतु पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) स्टार्टअप फोरम  को शुरू किया गया था।
  • प्रारंभ: प्रारंभ ’शिखर सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक स्टार्टअप और युवा विचारों एवं आविष्कारों को  एक  साथ एक मंच प्रदान करना है।

सीड फंडिंग 

  • सीड फंडिंग का उपयोग किसी उद्यम या व्यवसाय के प्रारंभिक दौर में किया जाता है।
  • यह एक कंपनी को उसके शुरुआती दौर में  वित्त सहायता प्रदान करने में मदद करती है, जिसमें बाज़ार अनुसंधान और उत्पाद विकास जैसी पहलें शामिल होती हैं।
  • सीड फंडिंग कई संभावित निवेशकों द्वारा की जा सकती है जिसमें संस्थापक, दोस्त, परिवार, इनक्यूबेटर, उद्यम पूंजी कंपनियांँ (Venture Capital Companies) आदि शामिल होती हैं। एंजेल निवेशक (Angel Investor) सीड फंडिंग में भाग लेने वाले सबसे सामान्य निवेशकों में से एक हैं।
    • एंजेल निवेशक जोखिम भरे उपक्रमों में निवेश करते हैं और निवेश के बदले कंपनी में इक्विटी हिस्सेदारी प्राप्त करते हैं।

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग:

  • उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने हेतु  इस विभाग को पहले औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग कहा जाता था। जनवरी 2019 में इसका नाम बदलकर DPIIT कर दिया गया।
  • यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है। 
  • वर्ष 2018 में ई-कॉमर्स से संबंधित मामलों को DPIIT विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया तथा वर्ष 2019 में आंतरिक व्यापार, व्यापारियों के कल्याण और उनके कर्मचारियों और स्टार्टअप से संबंधित मामलों का  प्रभार भी विभाग को सौप दिया गया।
  • DPIIT की भूमिका नई और आगामी प्रौद्योगिकी, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) और उद्योगों के संतुलित विकास हेतु निवेश में सहायता प्रदान कर देश के औद्योगिक विकास को बढ़ावा/गति प्रदान करना है।
  • DPIIT की प्रमुख  सहभागिता: 

स्रोत: पी.आई.बी 

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