अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-श्रीलंका संबंध
- 05 Mar 2024
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प्रिलिम्स के लिये:भारत-श्रीलंका संबंध, एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस, बौद्ध धर्म, नवीकरणीय ऊर्जा, हिंद महासागर। मेन्स के लिये:भारत-श्रीलंका संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में श्रीलंका सस्टेनेबल एनर्जी अथॉरिटी और भारतीय कंपनी U-सोलर क्लीन एनर्जी सॉल्यूशंस ने श्रीलंका में जाफना प्रायद्वीप के नैनातिवु, डेल्फ्ट या नेदुन्थीवु तथा एनालाइटिवू द्वीपों में "हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम" के निर्माण के लिये एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
- इस परियोजना को भारत सरकार से 11 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता के माध्यम से समर्थित किया गया है।
- श्रीलंकाई कैबिनेट ने पहले श्रीलंका में इन तीन द्वीपों में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को निष्पादित करने हेतु चीन में सिनोसोअर-एटेकविन (Sinosoar-Etechwin) संयुक्त उद्यम, चीन की एक परियोजना को स्वीकृति प्रदान की, जिसका स्थान अब भारत ने ले लिया है।
श्रीलंका की हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली परियोजना:
- परिचय:
- इसमें सौर, पवन, बैटरी पॉवर और स्टैंडबाय डीज़ल पॉवर सिस्टम समेत ऊर्जा के विभिन्न रूपों को मिलाकर हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों का निर्माण शामिल है।
- यह पहल श्रीलंका, मूलतः उत्तरी एवं पूर्वी क्षेत्रों में ऊर्जा परियोजनाओं के लिये भारत के व्यापक समर्थन का हिस्सा है।
- नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन और अदानी समूह श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों में अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में भी शामिल हैं।
- क्षमता:
- इस परियोजना का उद्देश्य तीन द्वीपों के निवासियों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना है। इसमें 530 किलोवाट पवन ऊर्जा, 1,700 किलोवाट सौर ऊर्जा और 2,400 किलोवाट बैटरी पॉवर तथा 2,500 किलोवाट स्टैंडबाय डीज़ल पॉवर सिस्टम शामिल है।
- भूराजनीतिक संदर्भ:
- यह परियोजना भू-राजनीतिक गतिशीलता को प्रदर्शित करती है, भारत इस क्षेत्र में एक चीनी समर्थित परियोजना के जवाब में अनुदान सहायता (चीन की ऋण आधारित परियोजना के बजाय) की पेशकश कर रहा है।
- यह हिंद महासागर क्षेत्र में भारत और चीन के बीच प्रभाव के लिये व्यापक प्रतिस्पर्द्धा को प्रदर्शित करता है।
- यह परियोजना न केवल ऊर्जा आवश्यकताओं को संबोधित करती है बल्कि इसके भू-राजनीतिक निहितार्थ भी हैं, जो क्षेत्र में ऊर्जा बुनियादी ढाँचे के रणनीतिक महत्त्व को प्रदर्शित करती है।
भारत और श्रीलंका के बीच संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध:
- भारत और श्रीलंका के बीच प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, धार्मिक तथा व्यापारिक संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है।
- दोनों देशों के बीच मज़बूत सांस्कृतिक संबंध हैं, बहुत से श्रीलंकाई लोग अपनी विरासत भारत से जोड़ते हैं। बौद्ध धर्म, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई, जो वर्तमान में भी श्रीलंका में भी एक महत्त्वपूर्ण धर्म है।
- भारत की ओर से वित्तीय सहायता:
- भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका को लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की, जो देश को संकट से बचाने के लिये महत्त्वपूर्ण थी।
- विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण श्रीलंका वर्ष 2022 में एक विनाशकारी वित्तीय संकट की चपेट में आ गया, जो वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आज़ादी के बाद सर्वाधिक संकटपूर्ण स्थिति थी।
- ऋण पुनर्गठन में भूमिका:
- भारत ने श्रीलंका को उसके ऋण के पुनर्गठन में मदद करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा ऋणदाताओं के साथ सहयोग करने में भूमिका निभाई है।
- भारत श्रीलंका के वित्तपोषण एवं ऋण पुनर्गठन के लिये अपना समर्थन पत्र सौंपने वाला पहला देश बन गया।
- कनेक्टिविटी के लिये संयुक्त दृष्टिकोण:
- दोनों देश एक संयुक्त दृष्टिकोण पर सहमत हुए हैं जो व्यापक कनेक्टिविटी पर ज़ोर देता है, जिसमें लोगों से लोगों की कनेक्टिविटी, नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग, लॉजिस्टिक्स, बंदरगाह कनेक्टिविटी और विद्युत आदान-प्रदान हेतु ग्रिड कनेक्टिविटी शामिल है।
- आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौता:
- दोनों देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करने के साथ ही विकास को बढ़ावा देने के लिये ETCA की संभावना तलाश रहे हैं।
- मल्टी-प्रोजेक्ट पेट्रोलियम पाइपलाइन पर समझौता:
- भारत तथा श्रीलंका दोनों भारत के दक्षिणी भाग से श्रीलंका तक एक मल्टी-प्रोजेक्ट पेट्रोलियम पाइपलाइन स्थापित करने पर सहमत हुए हैं।
- इस पाइपलाइन का उद्देश्य श्रीलंका को ऊर्जा संसाधनों की सस्ती एवं विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करना है। आर्थिक विकास तथा प्रगति में ऊर्जा की महत्त्वपूर्ण भूमिका की मान्यता के कारण पेट्रोलियम पाइपलाइन की स्थापना पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- भारत के UPI को अपनाना:
- श्रीलंका ने अब भारत की UPI सेवा को अपनाया है, जो दोनों देशों के बीच फिनटेक कनेक्टिविटी को बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- व्यापार निपटान के लिये रुपए का उपयोग श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को अधिक सहायता प्रदान कर रहा है। श्रीलंका की आर्थिक सुधार एवं वृद्धि में सहायता के लिये ठोस कदम हैं।
- आर्थिक संबंध:
- अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत श्रीलंका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। श्रीलंका के 60% से अधिक निर्यात भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते का लाभ उठाते हैं। भारत श्रीलंका में एक प्रमुख निवेशक भी है।
- वर्ष 2005 से वर्ष 2019 तक के वर्षों में भारत से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगभग 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- रक्षा सहयोग:
- भारत और श्रीलंका संयुक्त सैन्य (मित्र शक्ति) तथा नौसेना अभ्यास का संचालन करते हैं।
- समूहों में भागीदारी:
- श्रीलंका बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) एवं सार्क जैसे समूहों का भी सदस्य है जिसमें भारत अग्रणी भूमिका निभाता है।
- पर्यटन:
- वर्ष 2022 में, भारत 100,000 से अधिक पर्यटकों के साथ श्रीलंका के लिये पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत था।
भारत और श्रीलंका संबंधों का महत्त्व क्या है?
- क्षेत्रीय विकास पर ध्यान केंद्रण:
- भारत की प्रगति उसके पड़ोसी देशों के साथ सूक्ष्म रूप से जुड़ी हुई है और श्रीलंका का लक्ष्य दक्षिण एशिया में दक्षिणी अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण करके अपनी वृद्धि को बढ़ाना है।
- भौगोलिक स्थिति:
- पाक जलडमरूमध्य के पार भारत के दक्षिणी तट के निकट स्थित श्रीलंका, दोनों देशों के बीच संबंधों में महत्त्पूर्ण भूमिका रखता है।
- हिंद महासागर व्यापार और सैन्य संचालन के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण जलमार्ग है तथा प्रमुख शिपिंग लेन के चौराहे पर श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति इसे भारत के लिये नियंत्रण का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु बनाती है।
- व्यवसाय-सुगमता एवं पर्यटन:
- दोनों देशों में डिजिटल भुगतान प्रणालियों के बढ़ने से आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा और भारत-श्रीलंका के बीच व्यापारिक विनिमय सरल हो जाएगा।
- यह प्रगति न केवल व्यापार को सुव्यवस्थित करेगी बल्कि दोनों देशों के बीच पर्यटन आदान-प्रदान के लिये कनेक्टिविटी में भी सुधार करेगी।
भारत-श्रीलंका संबंधों में क्या चुनौतियाँ हैं?
- मत्स्य पालन विवाद:
- भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों में से एक पाक जलडमरूमध्य तथा मन्नार की खाड़ी में मत्स्यन के अधिकार से संबंधित है। प्रायः समुद्री सीमा पार करने और श्रीलंकाई जल-क्षेत्र में अवैध मत्स्यन के आरोप में भारतीय मछुआरों को श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया है।
- इससे तनाव उत्पन्न हो गया है और कभी-कभी दोनों देशों के मछुआरों के साथ घटनाएँ भी होती रहती हैं।
- कच्चातिवु द्वीप विवाद:
- कच्चातिवु मुद्दा भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरूमध्य में स्थित कच्चातिवु के निर्जन द्वीप के प्राधिकार एवं उपयोग के अधिकारों से संबद्ध है।
- वर्ष 1974 में, भारत और श्रीलंका के प्रधानमंत्रियों के बीच एक समझौते के तहत कच्चातिवु को श्रीलंका के अधिकार क्षेत्र के हिस्से के रूप में मान्यता दी गई, जिससे इसका प्राधिकार बदल गया।
- हालाँकि समझौते ने भारतीय मछुआरों को आसपास के जल-क्षेत्र में मत्स्यन जारी रखने, द्वीप पर अपने जाल सुखाने की अनुमति दी और भारतीय तीर्थयात्रियों को वहाँ एक कैथोलिक मंदिर की यात्रा करने की अनुमति दी।
- दोनों देशों के मछुआरों द्वारा सामंजस्य के बावजूद वर्ष 1976 में एक पूरक समझौते में समुद्री सीमाओं और विशेष आर्थिक क्षेत्रों को परिभाषित किया गया, जिसमें स्पष्ट अनुमति के बिना मत्स्यन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया।
- कच्चातिवु मुद्दा भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरूमध्य में स्थित कच्चातिवु के निर्जन द्वीप के प्राधिकार एवं उपयोग के अधिकारों से संबद्ध है।
- सीमा सुरक्षा और तस्करी:
- भारत और श्रीलंका के बीच छिद्रपूर्ण समुद्री सीमा सीमा सुरक्षा तथा नशीले पदार्थों एवं अवैध आप्रवासियों सहित सामानों की तस्करी के मामले में चिंता का विषय रही है। भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा की संवेदनशीलता ने अवैध आप्रवासन तथा उत्पादों, विशेष रूप से नशीले पदार्थों की तस्करी के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- विशिष्ट तमिल संस्कृति मुद्दा:
- श्रीलंका में जातीय संघर्ष जिसमें विशेष रूप से तमिल अल्पसंख्यकों से संबंधित संघर्ष शामिल है, भारत-श्रीलंका संबंधों में एक संवेदनशील विषय रहा है। भारत ऐतिहासिक रूप से श्रीलंका में तमिल समुदाय के कल्याण और अधिकारों के संबंध में सक्रिय रहा है।
- चीन का प्रभाव:
- भारत ने श्रीलंका पर चीन के बढ़ते आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव के संबंध में चिंता व्यक्त की है जिसमें बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं तथा हंबनटोटा बंदरगाह के विकास में चीनी निवेश शामिल है। इसे कभी-कभी क्षेत्र में भारत के अपने हितों के लिये एक चुनौती के रूप में देखा जाता है। श्रीलंका में चीन की कुछ परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं:
- वर्ष 2023 में श्रीलंका ने अपने बकाया ऋण के लगभग 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की पूर्ति करने के लिये चीन के निर्यात-आयात बैंक (EXIM) के साथ एक समझौता किया।
- चीन ने चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स के नेतृत्व में कोलंबो बंदरगाह पर दक्षिण एशिया वाणिज्यिक और लॉजिस्टिक्स हब (SACL) के रूप में निवेश किया है।
- फैक्सियन चैरिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत श्रीलंका में कमज़ोर समुदायों को खाद्य राशन वितरित करना और सहायता प्रदान करना शामिल है।
- भारत ने श्रीलंका पर चीन के बढ़ते आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव के संबंध में चिंता व्यक्त की है जिसमें बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं तथा हंबनटोटा बंदरगाह के विकास में चीनी निवेश शामिल है। इसे कभी-कभी क्षेत्र में भारत के अपने हितों के लिये एक चुनौती के रूप में देखा जाता है। श्रीलंका में चीन की कुछ परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं:
आगे की राह
- परियोजना का योजना चरण से निष्पादन तक सुचारु संचालन सुनिश्चित करना। परियोजना की प्रगति की समीक्षा करने, किसी भी मुद्दे की पहचान करने और आवश्यक समायोजन करने के लिये नियमित निगरानी तथा मूल्यांकन किया जाना चाहिये।
- परियोजना की योजना और कार्यान्वयन प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों को शामिल करना। इसमें सामुदायिक क्रय-विक्रय और समर्थन सुनिश्चित करने के लिये परामर्श, क्षमता-निर्माण कार्यक्रम तथा जागरूकता अभियान शामिल हैं।
- संपूर्ण पर्यावरणीय प्रभाव आकलन कर स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और जैवविविधता से संबंधित किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम करने के उपाय लागू कर पर्यावरणीय संधारणीयता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला एलीफेंट पास का उल्लेख निम्नलिखित में से किस मामले के संदर्भ में किया जाता है? (2009) (a) बांग्लादेश| उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. भारत-श्रीलंका के संबंधों के संदर्भ में विवेचना कीजिये कि किस प्रकार आतंरिक (देशीय) कारक विदेश नीति को प्रभावित करते हैं। (2013) प्रश्न. 'भारत श्रीलंका का बरसों पुराना मित्र है।' पूर्ववर्ती कथन के आलोक में श्रीलंका के वर्तमान संकट में भारत की भूमिका की विवेचना कीजिये। (2022) |