WTO में सीमा पार विप्रेषण लागत कम करने हेतु भारत का प्रयास | 14 Sep 2024
प्रिलिम्स के लिये:विश्व व्यापार संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, सतत् विकास लक्ष्य, G20, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, मुक्त व्यापार समझौते, कृषि पर समझौता मेन्स के लिये:सीमापार विप्रेषण, आर्थिक विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग |
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
अबू धाबी में आयोजित विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 2024 में भारत द्वारा सीमापार विप्रेषण की लागत को कम करने प्रस्ताव किया गया जिसका मोरक्को और वियतनाम जैसे देशों ने समर्थन किया।
- हालाँकि WTO के कुछ सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर असहमति जताई, जो विश्व स्तर पर इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर आम सहमति बनाने में विद्यमान चुनौतियों को दर्शाता है।
सीमा पार विप्रेषण की लागत
- विप्रेषण लागत वह शुल्क है जो किसी व्यक्ति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धन का विप्रेषण करने पर लिया जाता है। विप्रेषित राशि और प्रयुक्त विधि के आधार पर लिया जाने वाला शुल्क अलग-अलग हो सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, वर्तमान में विश्व में औसत विप्रेषण लागत भेजी गई कुल राशि का 6.25% है ।
- 200 अमेरिकी डॉलर से कम राशि के विप्रेषण हेतु लिया गया शुल्क प्रायः औसतन 10% होता है तथा प्रवास के अपेक्षाकृत छोटे कॉरिडोर में यह मूलधन का 15-20% तक हो सकता है।
नोट:
- वर्ष 2016 में G20 राष्ट्रों ने विप्रेषण लागत को 3% से नीचे लाने (जैसा कि SDG 10.c में उल्लिखित है) तथा वर्ष 2030 तक 5% से अधिक लागत वाले विप्रेषण कॉरिडोर को समाप्त करने के लक्ष्य को अपनाकर संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडे को एकीकृत किया।
- वर्ष 2021 में इस प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, G20 राष्ट्रों ने सीमा पार भुगतान बढ़ाने के लिये G20 रोडमैप के माध्यम से SDG 10.c के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया, जिसका लक्ष्य विप्रेषण की औसत लागत को 3% से कम करना था।
सीमा पार विप्रेषण की लागत के संबंध में भारत का प्रस्ताव क्या है?
- प्रस्ताव: भारत द्वारा मार्च 2024 में विश्व व्यापार संगठन के 13 वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में प्रस्तुत मसौदा प्रस्ताव का उद्देश्य विप्रेषण की वैश्विक औसत लागत को कम करना है, जो वर्तमान में सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के 3% के लक्ष्य से दोगुने से भी अधिक है।
- भारत का सुझाव है कि डिजिटल धनविप्रेषण, जिसकी औसत लागत 4.84% है, अधिक संवहनीय है और इसे बढ़ावा दिया जाना चहिये।
- भारत ने विप्रेषण लागत को कम करने के लिये सिफारिशें करने हेतु एक कार्य योजना का भी प्रस्ताव किया है।
- विप्रेषण लागत में कटौती की भारत की आवश्यकता: भारत को 2023 में विश्व स्तर पर सबसे अधिक विप्रेषण प्राप्त हुआ, जो 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- विप्रेषण लागत को कम करने से धन के अंतर्वाह में और अधिक वृद्धि हो सकती है। वर्ष 2023 में भारत ने विप्रेषण शुल्क पर लगभग 7-8 बिलियन अमरीकी डॉलर का वहन किया।
- विप्रेषण लागत में कमी के साथ अंतरण संवहनीय और त्वरित होगा तथा साथ ही हवाला पर निर्भरता भी कम हो जाएगी।
- हवाला से तात्पर्य सेवा प्रदाताओं (जिन्हें हवालादार कहा जाता है) के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक धन का अंतरण करने के एक अनौपचारिक चैनल से है, भले ही लेन-देन की प्रकृति और इसमें शामिल देश कोई भी हों।
- प्रस्ताव का समर्थन और चुनौतियाँ: मोरक्को और वियतनाम जैसे देशों ने विप्रेषण लागत को कम करने के महत्त्व को पहचानते हुए भारत के प्रस्ताव का पुरज़ोर समर्थन किया।
- अमेरिका और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया तथा उन्हें धन प्रेषण शुल्क से उनके वित्तीय संस्थानों की आय को लेकर चिंताएँ हैं।
भारत में विप्रेषण का अंतर्वाह
- वर्ष 2023 में भारत विप्रेषण अंतर्वाह सूची में शीर्ष पर रहा, उसके बाद मैक्सिको (66 बिलियन अमरीकी डॉलर), चीन (50 बिलियन अमरीकी डॉलर), फिलीपींस (39 बिलियन अमरीकी डॉलर) और पाकिस्तान (27 बिलियन अमरीकी डॉलर) का स्थान था।
- वित्त वर्ष 23-24 में, विदेश में निवास करने वाले भारतीयों ने भारत में रिकॉर्ड स्तर पर 107 बिलियन अमरीकी डॉलर की धनराशि का विप्रेषण किया, जो लगातार दूसरे वर्ष 100 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक थी।
- निवल विप्रेषण राशि इसी अवधि के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और पोर्टफोलियो निवेश से प्राप्त संयुक्त 54 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लगभग दोगुनी है।
- वित्त वर्ष 2024 में प्रवासी भारतीयों से प्राप्त निवल विप्रेषण 119 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। आय और संबंधित व्यय के प्रत्यावर्तन के बाद, निवल निजी अंतरण 107 बिलियन अमेरिकी डॉलर हुआ।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के सर्वेक्षण के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका मुख्य योगदानकर्त्ता था, जो कुल विप्रेषण का 23% था। अधिकांश विप्रेषण पारिवारिक सहायता के लिये होते हैं, जबकि कुछ जमाराशि के रूप में निवेश करने हेतु किये जाते हैं।
- विप्रेषण की मात्रा प्रवास स्तर, मूल देशों में रोज़गार की स्थिति और धन विप्रेषण की लागत से प्रभावित होती है।
विप्रेषण लागत में कटौती से क्या लाभ हैं?
- वैश्विक भारतीय प्रवासी: कम लागत से प्रेषक के परिवार को अधिक धन प्राप्त होगा तथा बिचौलियों को प्राप्त होने वाले शुल्क में कमी आएगी।
- अनिवासी भारतीयों (NRI) समुदाय और विदेशी यात्रियों के लिये भारत से धन अंतरण करना सरल और संवहनीय होगा।
- भारतीय MSME को लाभ: विदेशी मुद्रा लागत में कमी से भारतीय वस्तुएँ और सेवाएँ अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो जाएंगी, जिससे लाभ मार्जिन में वृद्धि होगी।
- विप्रेषण लागत में कमी से सीमा पार लेन-देन अधिक कुशल हो जाएगा, जो कि भारत सरकार के इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस के लक्ष्य के अनुरूप होगा।
- घरेलू अर्थव्यवस्था और UPI लेनदेन: कम लागत पर विप्रेषण अंतर्वाह में वृद्धि से घरेलू मुद्रा की स्थिति में सुधार होने की संभावना है और व्यक्तिगत उपभोग पैटर्न में सुधार हो सकता है।
- विप्रेषण लागत में कटौती वैश्विक बाज़ारों में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की पहुँच में विस्तार करने हेतु उत्प्रेरक का काम कर सकती है ।
- वित्तीय समावेशन: कम विप्रेषण लागत से वंचित आबादी के लिये वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में सुधार हो सकता है, जिससे वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहन मिलेगा।
- चूँकि वर्ष 2023 में कुल विप्रेषण अंतर्वाह का 78% निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में हुआ, इसलिये देशों के भीतर तथा उनके बीच असमानता को कम करने के लिये लेनदेन लागत को कम करना महत्त्वपूर्ण है।
- सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करना: कम विनिमय लागत यह सुनिश्चित करती है कि अधिक धनराशि जरूरतमंदों तक पहुँचे, जिससे आर्थिक असमानताओं को कम करने और इन क्षेत्रों में विकास को समर्थन देने में मदद मिलती है।
- कम लागत का अर्थ है कि प्रेषक अपना अधिक धन अपने पास रख सकेंगे, जिससे उनके मूल देशों में बचत और निवेश में वृद्धि हो सकेगी।
विश्व व्यापार संगठन के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- उत्पत्ति: वर्ष 1994 में हस्ताक्षरित मारकेश समझौते ने विश्व व्यापार संगठन की स्थापना की, जो आधिकारिक तौर पर 1 जनवरी 1995 को शुरू हुआ।
- यह टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) का अनुवर्ती था और यह अधिक व्यापक वैश्विक व्यापार संगठन की स्थापना के लिये उरुग्वे राउंड नेगोशियेशन (वर्ष 1986-94) का हिस्सा था।
- सदस्य: विश्व व्यापार संगठन के 166 सदस्य हैं, जिनमें भारत (वर्ष 1995 से तथा 1948 से GATT का सदस्य) भी शामिल हैतथा विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी लगभग 98% है।
- WTO सचिवालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित WTO सचिवालय, संगठन के कार्यों का समर्थन करता है, लेकिन स्वयं इसके पास निर्णय लेने की शक्तियाँ नहीं हैं।
- सचिवालय का नेतृत्व महानिदेशक करता है, जो इसके संचालन की देखरेख करता है
- प्रमुख विश्व व्यापार संगठन सिद्धांत:
- सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र (MFN): इसके लिये आवश्यक है कि किसी एक सदस्य के लिये लगाई गई अनुकूल व्यापारिक शर्तें अन्य सभी WTO सदस्यों पर भी लागू की जाएँ।
- राष्ट्रीय उपचार: यह सिद्धांत यह अनिवार्य करता है कि जब कोई उत्पाद, सेवा या बौद्धिक संपदा बाज़ार में प्रवेश करती है, तो उसे घरेलू उत्पादों की तुलना में गैर-भेदभावपूर्ण समाधान मिलना चाहिये।
- किसी आयात पर सीमा शुल्क लगाना राष्ट्रीय व्यवहार का उल्लंघन नहीं है।
- विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन: यह संगठन का सर्वोच्च निर्णयन निकाय है, जिसकी प्रत्येक दो वर्ष में बैठक होती है तथा बहुपक्षीय व्यापार समझौतों के अंतर्गत आने वाले मामलों पर निर्णय लेने में सभी सदस्य इस बैठक में शामिल होते हैं।
- विश्व व्यापार संगठन के महत्त्वपूर्ण समझौते:
- सेवाओं में व्यापार पर सामान्य समझौता (GATS)
- बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित समझौता (TRIPS)
- व्यापार-संबंधी निवेश उपाय (TRIMS)
- सैनिटरी एंड फाइटो सैनिटरी (SPS)
- कृषि समझौता (AoA)
आगे की राह
- विश्व व्यापार संगठन के उप महानिदेशक ने विप्रेषण लागत में कटौती हेतु व्यापक समर्थन जुटाने के लिये जागरूकता और पहुँच बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग महत्त्वपूर्ण है।
- निर्बाध सीमा पार लेनदेन की सुविधा के लिये देशों के विभिन्न डिजिटल विप्रेषण प्लेटफार्मों के बीच अंतर-संचालन को बढ़ावा देना।
- UPI जैसे डिजिटल चैनल कुछ लागत बचत प्रदान करते हैं, क्योंकि ये गैर-डिजिटल चैनलों की तुलना में सस्ते होते हैं।
- बाधाओं को कम करने और सीमा पार विप्रेषण को सुविधाजनक बनाने के लिये देशों के बीच विनियामक सामंजस्य को बढ़ावा देना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विप्रेषण लागत के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। विश्व व्यापार संगठन को भारत का प्रस्ताव इस मुद्दे को कैसे संबोधित करने का लक्ष्य रखता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. 'ऐग्रीमेंट ऑन ऐग्रीकल्चर (Agreement on Agriculture)', 'ऐग्रीमेंट ऑन दि ऐप्लीकेशन ऑफ सैनिटरी ऐंड फाइटोसैनिटरी मेजर्स (Agreement on the Application of Sanitary and Phytosanitary Measures)' और 'पीस क्लॉज़ (Peace Clause)' शब्द प्रायः समाचारों में किसके मामलों के संदर्भ में आते हैं? (2015) (a) खाद्य और कृषि संगठन उत्तर: c प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कभी-कभी समाचारों में 'ऐम्बर बॉक्स, ब्लू बॉक्स और ग्रीन बॉक्स' शब्द देखने को मिलते हैं? (2016) (a) WTO मामला उत्तर: a मेन्स:प्रश्न 1. यदि 'व्यापार युद्ध' के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू० टी० ओ०) को जिन्दा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (2018) प्रश्न 2. "विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन तथा प्रोन्नति करना है। परंतु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोन्मुखी प्रतीत होती है, जिसका कारण विकसित एवं विकासशील देशों के बीच मतभेद है।" भारतीय परिप्रेक्ष्य में, इस पर चर्चा कीजिये। (2016) |