धन शोधन निवारण अधिनियम का दुरुपयोग
प्रिलिम्स के लिये:सर्वोच्च न्यायालय, मनी लॉन्ड्रिंग, धन शोधन निवारण अधिनियम, प्रवर्तन निदेशालय, प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम। मेन्स के लिये:मनी लॉन्ड्रिंग, संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ एवं महत्त्व, धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (PMLA), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय (SC) सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (PMLA) के व्यापक पैमाने पर दुरुपयोग के आरोपों की जाँच कर रहा है।
प्रमुख आरोप:
- साधारण अपराधों के लिये किया जा रहा प्रयोग:
- धन शोधन निवारण अधिनियम को ‘साधारण’ अपराधों की जाँच में भी प्रयोग किया जा रहा है और पीड़ितों की संपत्ति कुर्क की जा रही है।
PMLA को मनी लॉन्ड्रिंग के खतरे से निपटने के लिये भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता (वियना कन्वेंशन सहित) को पूरा करने हेतु अधिनियमित किया गया था। इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के बजाय अधिनियम के माध्यम से अधिकारों को ‘सीमित’ करने का प्रयास किया गया। - PMLA मनी लॉन्ड्रिंग के खतरे का मुकाबला करने के लिये एक व्यापक दंड कानून था, विशेष रूप से नशीले पदार्थों के व्यापार का मुकाबला करने हेतु।
- वर्तमान में अधिनियम की अनुसूची में शामिल अपराध अत्यधिक व्यापक हैं और कई मामलों में इसका नशीले पदार्थों या संगठित अपराध से कोई संबंध नहीं है।
- धन शोधन निवारण अधिनियम को ‘साधारण’ अपराधों की जाँच में भी प्रयोग किया जा रहा है और पीड़ितों की संपत्ति कुर्क की जा रही है।
- पारदर्शिता और स्पष्टता का अभाव:
- यहाँ तक कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) को भी एफआईआर के समकक्ष एक "आंतरिक दस्तावेज़" (आरोपी को नहीं दिया जाने वाला) माना जाता है।
- ED स्वयं को इन सिद्धांतों और प्रथाओं [आपराधिक प्रक्रिया कानून] के अपवाद के रूप में मानता है तथा स्वयं की फाइल पर ईसीआईआर (ECIR) को अपनी मर्जी से पंजीकृत करने का विकल्प चुनता है।
- ED द्वारा जाँच हेतु मामलों के चयन के बारे में भी स्पष्टता का अभाव है। ED में जाँच के दौरान किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने की क्षमता होती है।
- यहाँ तक कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) को भी एफआईआर के समकक्ष एक "आंतरिक दस्तावेज़" (आरोपी को नहीं दिया जाने वाला) माना जाता है।
धन शोधन निवारण अधिनियम:
- यह मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये भारत द्वारा स्थापित कानूनी ढाँचे का मूल है।
- इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों (RBI सहित), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
- PMLA (संशोधन) अधिमियम, 2012:
- इसमें 'रिपोर्टिंग इकाई' की अवधारणा शामिल है जिसमें एक बैंकिंग कंपनी, वित्तीय संस्थान, मध्यस्थ आदि शामिल होंगे।
- PMLA, 2002 में 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान था, लेकिन संशोधन अधिनियम में इस ऊपरी सीमा को हटा दिया गया है।
- इसमें गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति की संपत्ति की अस्थायी कुर्की और ज़ब्ती का प्रावधान किया गया है।
मनी लॉन्ड्रिंग:
- परिचय:
- मनी लॉन्ड्रिंग का अभिप्राय अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाना या बदलना है ताकि वह वैध स्रोतों से उत्पन्न प्रतीत हो। यह अक्सर मादक पदार्थों की तस्करी, डकैती या ज़बरन वसूली जैसे अन्य गंभीर अपराधों का एक घटक है।
- इस प्रकार यह मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से गलत तरीके से अर्जित लाभ को "वैध" करने के लिये धन शोधनकर्त्ताओं को प्रोत्साहित करती है।
- इससे उत्पन्न धन को 'डर्टी मनी' कहा जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग ''डर्टी मनी'' को 'वैध' धन के रूप में प्रकट करने के लिये रूपांतरण की प्रक्रिया है।
- मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया:
- मनी लॉन्ड्रिंग तीन चरणों वाली प्रक्रिया है:
- प्लेसमेंट: यह मनी लॉन्ड्रिंग का पहला चरण है, इसके तहत अपराध से संबंधित धन का औपचारिक वित्तीय प्रणाली में प्रवेश कराया जाता है।
- लेयरिंग: दूसरे चरण में मनी लॉन्ड्रिंग में प्रवेश कराए गए पैसे की ‘लेयरिंग’ की जाती है और उस पैसे के अवैध उद्गम स्रोत को छिपाने के लिये विभिन्न लेन-देन प्रक्रियाओं में शामिल किया जाता है।
- एकीकरण: तीसरे और अंतिम चरण में धन को वित्तीय प्रणाली में इस प्रकार से शामिल किया जाता है कि इसके अपराध के साथ मूल जुड़ाव को समाप्त कर धन को अपराधी द्वारा पुनः वैध तरीके से उपयोग किया जा सके।
- मनी लॉन्ड्रिंग तीन चरणों वाली प्रक्रिया है:
- मनी लॉन्ड्रिंग के कुछ सामान्य तरीके:
- बल्क कैश स्मगलिंग, कैश इंटेंसिव बिज़नेस, ट्रेड-बेस लॉन्ड्रिंग, शेल कंपनियांँ और ट्रस्ट, राउंड-ट्रिपिंग, बैंक कैप्चर, जुआ, रियल एस्टेट, ब्लैक सैलरी, काल्पनिक ऋण, हवाला, फर्जी चालान।
प्रवर्तन निदेशालय:
- प्रवर्तन निदेशालय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत एक विशेष वित्तीय जाँच एजेंसी है।
- 1 मई, 1956 को विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 के तहत विनिमय नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन के समाधान हेतु आर्थिक मामलों के विभाग में एक 'प्रवर्तन इकाई' (Enforcement Unit) का गठन किया गया था।
- वर्ष 1957 में इस इकाई का नाम परिवर्तित कर 'प्रवर्तन निदेशालय' (Enforcement Directorate) कर दिया गया।
- ED निम्नलिखित कानूनों को लागू करता है:
स्रोत: द हिंदू