शासन व्यवस्था
अफ्रीका की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में भारत की रुचि
- 01 Sep 2023
- 14 min read
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), नवीकरणीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा मेन्स के लिये:अफ्रीका: नवीकरणीय ऊर्जा में एक संभावित वैश्विक नेता, भारत के लिये अफ्रीका का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) ने रवांडा सरकार के सहयोग से किगाली, रवांडा में अपनी 5वीं क्षेत्रीय बैठक की मेज़बानी की। ISA ने युगांडा गणराज्य, कोमोरोस संघ और माली गणराज्य में नौ सौर ऊर्जा प्रदर्शन परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें से 4 परियोजनाएँ युगांडा में हैं तथा 2 कोमोरोस में एवं 3 माली में हैं।
- बैठक के दौरान "सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच के लिये सौर ऊर्जा का रोडमैप" नामक एक रिपोर्ट का अनावरण किया गया।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- रिपोर्ट सौर-संचालित समाधानों का उपयोग कर वैश्विक ऊर्जा पहुँच चुनौती से प्रभावी और आर्थिक रूप से निपटने के लिये एक रणनीतिक दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार करती है। इसमें केस स्टडीज़, वास्तविक जीवन के उदाहरण और नवीन नीतियाँ शामिल हैं जिनका उद्देश्य सौर मिनी-ग्रिड के कार्यान्वयन में परिवर्तनकारी बदलाव लाना है।
- रिपोर्ट के निष्कर्ष अफ्रीका, विशेषकर उप-सहारा क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण प्रासंगिकता रखते हैं। यह सौर ऊर्जा पर केंद्रित विद्युतीकरण रणनीतियों की एक शृंखला की पहचान, विशेष रूप से सौर मिनी-ग्रिड और विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- यह दृष्टिकोण विविध ऊर्जा पहुँच चुनौतियों का समाधान करने के लिये प्रभावी समाधान प्रदान करता है।
- इन समाधानों को बढ़ावा देने से स्थानीय नवाचारों और व्यापार मॉडल के उद्भव को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे देश के भीतर सौर ऊर्जा उत्पादन अपनाने को प्रोत्साहन मिलेगा।
नोट:
- एक विकेंद्रीकृत ऊर्जा प्रणाली की विशेषता ऊर्जा उत्पादन सुविधाओं को ऊर्जा खपत के स्थल के करीब स्थित करना है।
- यह नवीकरणीय ऊर्जा (RE) के साथ-साथ संयुक्त ऊष्मा और बिजली के अधिक-से-अधिक उपयोग की अनुमति देती है, जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करती है और पर्यावरण-दक्षता को बढ़ाती है।
सौर ऊर्जा परियोजनाओं का महत्त्व:
- ऐसे सौर परियोजना मॉडल का निर्माण करना जिनका सदस्य देशों द्वारा उपयोग किया जा सके:
- इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य वंचित समुदायों के कल्याण को बढ़ाना है। परियोजनाएँ केवल ऊर्जा प्रदान करने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे उन्नति के प्रेरक एवं वैश्विक सहयोग के प्रतीक के रूप में भी कार्य करती हैं।
- सतत् ऊर्जा परिवर्तन के लिये सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना:
- ISA भारत के G20 प्रेसीडेंसी के साथ साझेदारी कर रहा है और सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच प्राप्त करने और एक स्थायी ऊर्जा संक्रमण सुनिश्चित करने के साधन के रूप में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है।
- किफायती ऋण और तकनीकी विशेषज्ञता की कमी से निपटना:
- इन परियोजनाओं के पीछे मुख्य विचार सदस्य देशों में व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिये सौर प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों की पर्याप्त क्षमता को उजागर करना है।
- ISA अपने सदस्य देशों में किफायती ऋण और तकनीकी विशेषज्ञता की गंभीर कमी को संबोधित करेगा, विशेष रूप से LDC और छोटे विकासशील द्वीपीय राज्यों (Small Island Developing States- SIDS) पर ध्यान केंद्रित करेगा।
वैश्विक RE संक्रमण में अफ्रीका की क्षमता:
- अफ्रीका वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और नवाचार में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरने की क्षमता रखता है।
- विभिन्न बाधाओं का सामना करने के बावजूद यह महाद्वीप नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की एक समृद्ध शृंखला से संपन्न है, जिसमें पर्याप्त सौर क्षमता, पवन संसाधन, भू-तापीय क्षेत्र, जल ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन जैसी संभावनाएँ शामिल हैं।
- इसके अलावा अफ्रीका के पास विश्व के 40% से अधिक महत्त्वपूर्ण खनिज भंडार हैं जो नवीकरणीय और निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- इन संसाधनों का लाभ उठाने से अफ्रीका को न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने का अवसर मिलता है, बल्कि विश्व में RE उत्पादन और प्रगति में एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ता के रूप में स्वयं को स्थापित करने का भी अवसर मिलता है।
- हालाँकि पूरे महाद्वीप में सौर ऊर्जा की क्षमता को पूरी तरह से अनलॉक करने के लिये सरकारों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।
भारत के लिये अफ्रीका का महत्त्व:
- संभावित बाज़ार: इस दशक में सबसे तेज़ी से विकसित होते रवांडा, सेनेगल, तंज़ानिया आदि आधा दर्जन से अधिक देश अफ्रीका में हैं जो अफ्रीका को विश्व के विकास ध्रुवों में से एक बनाता है।
- अफ्रीकी महाद्वीप की जनसंख्या एक अरब से अधिक है और संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 2.5 ट्रिलियन डॉलर है जो इसे आर्थिक विकास, व्यापार विस्तार और रणनीतिक साझेदारी के व्यापक अवसरों के साथ एक विशाल संभावित बाज़ार बनाता है।
- संसाधन संपन्न: अफ्रीका एक संसाधन संपन्न देश है जहाँ कच्चे तेल, गैस, दालें, चमड़ा, सोना और अन्य धातुओं का विशाल भंडार है जिनकी भारत में पर्याप्त मात्रा में कमी है।
- नामीबिया और नाइजर यूरेनियम के शीर्ष दस वैश्विक उत्पादकों में से हैं।
- दक्षिण अफ्रीका विश्व में प्लैटिनम और क्रोमियम का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- भारत मध्य-पूर्व से दूर अपनी तेल आपूर्ति में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है और अफ्रीका भारत के ऊर्जा मैट्रिक्स में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- हिंद महासागर की भू-राजनीति: पूर्वी अफ्रीकी देशों की भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक संसाधन, सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और क्षेत्रीय संलग्नताएँ उन्हें सामूहिक रूप से हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की वैश्विक भू-राजनीति में प्रमुख अभिनेताओं के रूप में स्थापित करती हैं, जिसका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, सुरक्षा और कूटनीति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- सोमालिया, केन्या, तंज़ानिया और मोज़ाम्बिक जैसे पूर्वी अफ्रीकी देश रणनीतिक रूप से अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित हैं, जो हिंद महासागर की सीमा पर है।
- यह स्थान इन देशों को IOR में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों और व्यापार मार्गों तक पहुँच प्रदान करता है, जिससे वे समुद्री सुरक्षा तथा वाणिज्य में महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ता बन जाते हैं।
- व्यापार समझौता ज्ञापन: भारत ने हिंद महासागर रिम (IOR) पर सभी अफ्रीकी देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं जो अफ्रीकी देशों के साथ बढ़ती रक्षा भागीदारी का प्रमाण है।
- पैन अफ्रीकन ई-नेटवर्क प्रोजेक्ट (2009) के तहत भारत ने अफ्रीका के देशों को सैटेलाइट कनेक्टिविटी, टेली-मेडिसिन तथा टेली-एजुकेशन प्रदान करने के लिये एक फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क स्थापित किया है।
- इसके बाद के चरण, ई-विद्याभारती और ई-आरोग्यभारती (e-VBAB), 2019 में प्रस्तुत किये गए जो अफ्रीकी छात्रों को निशुल्क टेली-शिक्षा प्रदान करने तथा स्वास्थ्य पेशेवरों के लिये निरंतर चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित थे।
आगे की राह
- सौर/RE क्षमता के दोहन में भारत द्वारा अफ्रीका को सहायता:
- तकनीकी तथा वित्तीय सहायता: भारत अफ्रीकी देशों को उनके RE बुनियादी ढाँचे को विकसित करने में तकनीकी विशेषज्ञता एवं वित्तीय सहायता प्रदान कर सकता है।
- क्षमता निर्माण और सहयोग: भारत सहयोगी परियोजनाओं के माध्यम से अफ्रीकी देशों में विशिष्ट ऊर्जा चुनौतियों का समाधान कर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने वाले क्षमता निर्माण कार्यक्रमों तथा अनुसंधान साझेदारियों को सुविधाजनक बना सकता है।
- भारत द्वारा अफ्रीका की RE क्षमता का लाभ उठाना:
- निवेश के अवसर: भारत, स्थानीय आर्थिक विकास में योगदान करते हुए अफ्रीका की RE परियोजनाओं में निवेश के अवसर खोज सकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी का निर्यात: भारतीय कंपनियाँ, अफ्रीकी बाज़ारों में RE प्रौद्योगिकियों तथा उपकरणों का निर्यात कर सकती हैं। भारत की विनिर्माण क्षमताओं का लाभ उठाते हुए यह दोनों क्षेत्रों के लिये लाभकारी हो सकता है।
- RE साझेदारी: भारत अफ्रीकी देशों के साथ क्षेत्रीय ऊर्जा साझेदारी की दिशा में काम कर सकता है जिससे सीमा पार ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
- इसमें स्थिर तथा सतत् ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये RE को सीमाओं के पार कुशलतापूर्वक स्थानांतरित करने के लिये ऊर्जा गलियारों एवं ट्रांसमिशन अवसंरचना का विकास शामिल हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. उभरते प्राकृतिक संसाधन समृद्ध अफ्रीका के आर्थिक क्षेत्र में भारत अपना क्या स्थान देखता है? (2014) प्रश्न. अफ्रीका में भारत की बढ़ती रुचि के अपने सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष हैं। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2015) |