भारतीय अर्थव्यवस्था
यूरोपीय संघ के CBAM एवं वनोन्मूलन मानदंडों से संबंधित भारत की चिंताएँ
- 11 Oct 2024
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प्रिलिम्स के लिये:यूरोपीय संघ, कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM), यूरोपीय संघ वनोन्मूलन विनियमन (EUDR), कार्बन शुल्क, यूरोपीय संघ उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS), व्यापार अवरोधक, ग्रीन स्टील, कार्बन उत्सर्जन, बौद्धिक संपदा अधिकार, ट्रेड सीक्रेट, विश्व व्यापार संगठन, गैर-टैरिफ बाधाएँ (NTB), भारत-व्यापार संघ FTA, स्वच्छ प्रौद्योगिकियाँ। मेन्स के लिये:यूरोपीय संघ का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBM), यूरोपीय संघ वनोन्मूलन विनियमन (EUDR) और संबंधित चिंताएँ। |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के वित्तमंत्री ने यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) तथा यूरोपीय संघ वनोन्मूलन विनियमन (EUDR) को मनमाना एवं भारतीय उद्योगों को नुकसान पहुँचाने वाले उपकरणों के रूप में संदर्भित किया है।
यूरोपीय संघ का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) क्या है?
- कार्बन सीमा समायोजन तंत्र: यूरोपीय संघ के इस उपकरण के तहत यूरोपीय संघ में प्रवेश करने वाली कार्बन सघन वस्तुओं के उत्पादन के दौरान उत्सर्जित कार्बन के आधार पर उचित कर लगाया जाता है ताकि गैर-यूरोपीय संघ देशों में स्वच्छ औद्योगिक उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके।
- आयात पर कार्बन शुल्क यूरोपीय संघ द्वारा उत्पादित वस्तुओं पर लागू कार्बन कर के अनुरूप रहता है जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा बनी रहे।
- CBAM की कार्यप्रणाली:
- पंजीकरण और प्रमाणन: CBAM द्वारा कवर की गई वस्तुओं के संदर्भ में यूरोपीय संघ के आयातकों को राष्ट्रीय प्राधिकारियों के साथ पंजीकरण कराने के साथ CBAM प्रमाण-पत्र खरीदना होता है जिसमें उनके आयात में निहित कार्बन उत्सर्जन को दर्शाया जाता है।
- वार्षिक घोषणा: आयातकों को अपनी आयातित वस्तुओं में निहित उत्सर्जन की घोषणा करनी होती है तथा उसके अनुसार प्रतिवर्ष तदनुसार संख्या में प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने होते हैं।
- कार्बन शुल्क का भुगतान: आयातकों को यह साबित करना होगा कि गैर-यूरोपीय संघ देश में उत्पादन के दौरान कार्बन शुल्क का भुगतान पहले ही किया जा चुका है, ताकि CBAM भुगतान से कटौती की गई राशि प्राप्त की जा सके।
- CBAM द्वारा कवर किये गए सामान: प्रारंभ में, CBAM उच्च जोखिम वाले कार्बन उत्सर्जन वाली वस्तुओं पर लागू होता है, जैसे सीमेंट, लोहा और इस्पात, एल्यूमीनियम, उर्वरक, बिजली और हाइड्रोजन।
- समय के साथ, CBAM यूरोपीय संघ उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) द्वारा कवर किये गए क्षेत्रों जैसे तेल रिफाइनरियों, शिपिंग आदि से होने वाले 50% से अधिक उत्सर्जन को कैप्चर कर लेगा।
यूरोपीय संघ वनोन्मूलन विनियमन (EUDR) क्या है?
- यूरोपीय संघ वनोन्मूलन विनियमन (EUDR): यूरोपीय संघ के बाज़ार में निर्दिष्ट वस्तुओं को रखने वाले या उनका निर्यात करने वाले ऑपरेटरों या व्यापारियों को यह साबित करना होगा कि उनके उत्पाद हाल ही में वनों की कटाई की गई भूमि के अंतर्गत नहीं आते हैं या वनोन्मूलन में योगदान नहीं देते हैं।
- विनियमन के उद्देश्य: प्राथमिक उद्देश्यों में शामिल हैं:
- वनोन्मूलन की रोकथाम: यह सुनिश्चित करना कि यूरोपीय संघ में सूचीबद्ध उत्पाद वनों की कटाई या वनोन्मूलन में योगदान न दें।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी: इन वस्तुओं से प्रतिवर्ष कम-से-कम 32 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने का लक्ष्य।
- वनोन्मूलन का मुकाबला करना: इन वस्तुओं से संबंधित कृषि विस्तार के कारण होने वाले वनोन्मूलन और क्षरण को संबोधित करना।
- शामिल वस्तुएँ: यह मवेशी, लकड़ी, कोको, सोया, ताड़ का तेल, कॉफी, रबर और संबंधित उत्पादों (जैसे, चमड़ा, चॉकलेट, टायर, फर्नीचर) जैसी वस्तुओं पर केंद्रित है।
- इसका उद्देश्य इन वस्तुओं से जुड़ी आपूर्ति शृंखलाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है।
यूरोपीय संघ के CBAM और EUDR से संबंधित प्रमुख चिंताएँ क्या हैं?
- व्यापार संबंधी बाधाओं के रूप में CBAM: CBAM के परिणामस्वरूप भारत से सीमेंट, एल्यूमीनियम, लोहा और इस्पात जैसी कार्बन गहन वस्तुओं के आयात पर 35% तक का टैरिफ लग सकता है, जिससे व्यापार में बाधा आ सकती है।
- यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि वर्ष 2022 में भारत द्वारा इन सामग्रियों के निर्यात का एक चौथाई से अधिक हिस्सा यूरोपीय संघ को भेजा जाएगा।
- संरक्षणवाद के एक उपकरण के रूप में CBAM: यूरोपीय संघ द्वारा कार्बन गहन इस्पात के आयात पर टैरिफ लगाया जाता है जबकि यह घरेलू स्तर पर इसी प्रकार का इस्पात उत्पादन करता है तथा CBAM से प्राप्त आय का उपयोग ग्रीन स्टील उत्पादन में परिवर्तन के लिये करता है।
- CBAM का उद्देश्य कार्बन रिसाव (इसके तहत यूरोपीय संघ आधारित कंपनियाँ अपने कार्बन-गहन उत्पादन को कम कठोर जलवायु नीतियों वाले देशों में स्थानांतरित कर देती हैं) को रोकना है।
- बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) को खतरा: CBAM के तहत निर्यातकों को उत्पादन पद्धतियों पर 1,000 तक डेटा बिंदु उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है।
- भारतीय निर्यातकों को यह आशंका है कि विस्तृत डेटा संग्रहण से न केवल उनकी प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता कम हो सकती है, बल्कि संवेदनशील ट्रेड सीक्रेट के उज़ागर होने का भी खतरा हो सकता है।
- ट्रेड सीक्रेट किसी कंपनी की कोई ऐसी प्रथा या प्रक्रिया है जो आमतौर पर कंपनी के बाहर ज्ञात नहीं होती।
- भारतीय निर्यातकों को यह आशंका है कि विस्तृत डेटा संग्रहण से न केवल उनकी प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता कम हो सकती है, बल्कि संवेदनशील ट्रेड सीक्रेट के उज़ागर होने का भी खतरा हो सकता है।
- भारत के व्यापार गतिशीलता पर प्रभाव: यूरोपीय संघ भारत के समग्र निर्यात मिश्रण का लगभग 14% प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें स्टील और एल्यूमीनियम का महत्त्वपूर्ण निर्यात शामिल है।
- यूरोपीय संघ के तीसरे सबसे बड़े व्यापार साझेदार के रूप में भारत की स्थिति और इसके अनुमानित आर्थिक विकास के अनुमानों से यह संकेत मिलता है कि CBAM प्रभावित क्षेत्रों समेत भारतीय निर्यात का आकार समय के साथ बढ़ने की संभावना है।
- असंगत प्रभाव: भारतीय उत्पादों की कार्बन तीव्रता उनके यूरोपीय समकक्षों की तुलना में अधिक होती है।
- परिणामस्वरूप, CBAM के माध्यम से लगाए गए कार्बन टैरिफ भारतीय निर्यात के लिये आनुपातिक रूप से अधिक होंगे।
- विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों का गैर-अनुपालन: भारत सरकार ने इस बात पर चिंता जताई कि क्या CBAM विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मानदंडों का अनुपालन करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के बावज़ूद यह भारत जैसे देशों के लिये अनिश्चितता और अतिरिक्त चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।
- गैर-टैरिफ बाधा के रूप में EUDR: EUDR के अनुसार मवेशी, सोया, पाम ऑयल, कॉफी और लकड़ी जैसी वस्तुओं के आयातक यह प्रमाणित करेंगे कि उनके उत्पाद हाल ही में वनोन्मूलन वाली भूमि से नहीं आते हैं या वन क्षरण में योगदान नहीं देते हैं।
- भारत इस विनियमन को संरक्षणवाद का एक अन्य रूप तथा गैर-टैरिफ बाधा (N.T.B.) मानता है।
- गैर-टैरिफ बाधा टैरिफ के अलावा एक व्यापार प्रतिबंध है। NTB में कोटा, प्रतिबंध, प्रतिबंध और लेवी शामिल हैं।
- शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य में बाधा: यूरोपीय संघ द्वारा लगाया गया CBAM भारत को वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने में बाधा उत्पन्न करेगा।
- FTA वार्ता में कमी: CBAM और EUDR जैसे स्थिरता उपाय, चल रही भारत-यूरोपीय संघ FTA वार्ता में विवादास्पद मुद्दे बन गए हैं।
- पुरानी टैरिफ संबंधी बाधाएँ: यूरोपीय संघ के स्टील टैरिफ के कारण भारत को वर्ष 2018 और वर्ष 2023 के बीच 4.41 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है।
- ये स्टील टैरिफ यूरोपीय संघ के सुरक्षा उपायों का भाग थे, जो आरंभ में जून 2023 में समाप्त होने वाले थे, लेकिन इन्हें बढ़ा दिया गया है।
- वैश्विक नीति प्रतिकृति की संभावना: CBAM के कार्यान्वयन से अन्य देश भी समान विनियमन अपनाने के लिये प्रेरित हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रमुख बाज़ारों में अतिरिक्त टैरिफ या विनियमन लागू हो सकते हैं।
- यह प्रवृत्ति भारत के व्यापारिक संबंधों को जटिल बना सकती है तथा इसके भुगतान संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
आगे की राह
- निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं का समर्थन करना: भारत को निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं का समर्थन करना चाहिये और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानूनों के तहत CBAM और EUDR की वैधता को चुनौती देने के लिये विश्व व्यापार संगठन (WTO) की चर्चाओं में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिये।
- स्वच्छ प्रौद्योगिकी में निवेश: भारत को अपने निर्यात की कार्बन तीव्रता को कम करने, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने और CBAM टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिये स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और सतत् उत्पादन विधियों में निवेश में तेजी लानी चाहिये।
- निर्यात बाज़ारों में विविधता लाना: एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में नवीन बाज़ारों की खोज से CBAM और EUDR के संभावित आर्थिक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- यूरोपीय संघ के CBAM का सामना करना: भारत ऐसे एकतरफा व्यापारिक चरणों का सामना इसी प्रकार के प्रति-उपाय लागू करके कर सकता है, जैसे यूरोपीय संघ के देशों से आने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाना आदि।
- इसके अतिरिक्त भारत को ऐसी वस्तुओं का घरेलू उत्पादन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये ताकि वह अन्य देशों के ऐसे नीतिगत आघातों से स्वयं को बचा सके।
- वैश्विक नीति प्रवृत्तियों की निगरानी: भारत को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाने के लिये CBAM जैसी वैश्विक नीतियों की निगरानी करनी चाहिये तथा उभरती बाधाओं को दूर करने और अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिये सक्रिय रूप से रणनीति विकसित करनी चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) और यूरोपीय संघ वन विनाश विनियमन (EUDR) के कार्यान्वयन के कारण भारत के उद्योगों के समक्ष आने वाली संभावित चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। |
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