भारत और उसके पड़ोसी | 03 Aug 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारत और पड़ोसी देशों के साथ इसकी सीमा, विदेश नीति, गुजराल सिद्धांत मेन्स के लिये:अपने पड़ोसियों के साथ भारत के संबंध, पड़ोसियों के साथ भारत की पहल और समझौते, ‘नेबरहुड फर्स्ट' नीति में व्याप्त चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने मालदीव के राष्ट्रपति से मुलाकात की और कहा कि भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति और मालदीव की 'इंडिया फर्स्ट' नीति विशेष साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए एक-दूसरे की पूरक है।
भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति:
- परिचय:
- अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध विकसित करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- भारत एक सक्रिय विकास भागीदार है और इन देशों में कई परियोजनाओं में शामिल है।
- भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति स्थिरता और समृद्धि के लिये पारस्परिक रूप से लाभप्रद, जन-उन्मुख, क्षेत्रीय ढाँचे के निर्माण पर केंद्रित है।
- इन देशों के साथ भारत का जुड़ाव एक परामर्शी, गैर-पारस्परिक और परिणाम-उन्मुख दृष्टिकोण पर आधारित है, जो अधिक-से-अधिक कनेक्टिविटी, बेहतर बुनियादी ढाँचे, विभिन्न क्षेत्रों में मज़बूत विकास सहयोग, सुरक्षा और व्यापक जन-समूह संपर्क जैसे लाभ प्रदान करने पर केंद्रित है।
- अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध विकसित करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- उद्देश्य:
- कनेक्टिविटी:
- भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) के सदस्यों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
- ये समझौते सीमा पार संसाधनों, ऊर्जा, माल, श्रम और सूचना के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं।
- पड़ोसियों के साथ संबंधों में सुधार:
- पड़ोसियों के साथ संबंधों में सुधार करना भारत की प्राथमिकताओं में शामिल है, क्योंकि विकास के एजेंडे को साकार करने के लिये दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग आवश्यक है।
- वार्ता:
- यह पड़ोसी देशों के साथ संबंध स्थापित कर और वार्ताओं के माध्यम से राजनीतिक संपर्क का निर्माण करके क्षेत्रीय कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करता है।
- आर्थिक सहयोग:
- यह पड़ोसियों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित है।
- भारत ने इस क्षेत्र में विकास के उद्देश्य से SAARC सम्मेलनों में भाग लिया तथा इसके सदस्य देशों की ढाँचागत परियोजनाओं में निवेश किया है।
- उदाहरण के तौर पर बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मोटर वाहन समझौते (MVA),जल शक्ति प्रबंधन और इंटर-ग्रिड कनेक्टिविटी में भारत की भागीदारी को देखा जा सकता है।
- यह पड़ोसियों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित है।
- आपदा प्रबंधन:
- यह नीति आपदा प्रतिक्रिया, संसाधन प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान और संचार पर सहयोग करने तथा सभी दक्षिण एशियाई नागरिकों के लिये आपदा प्रबंधन में क्षमताओं और विशेषज्ञता पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
- सैन्य और रक्षा सहयोग:
- भारत विभिन्न रक्षा अभ्यासों के आयोजन में भाग लेकर सैन्य सहयोग के माध्यम से क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- कनेक्टिविटी:
पड़ोसियों के साथ भारत के संबंध:
- भारत-मालदीव:
- सुरक्षा साझेदारी:
- हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने मालदीव की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट (NCPLE) का उद्घाटन किया था।.
- पुनर्सुधार केंद्र:
- ‘अड्डू रिक्लेमेशन एंड शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट’ (Addu Reclamation and Shore Protection Project) हेतु 80 मिलियन अमेंरिकी डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- अड्डू में एक ‘ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ (Drug Detoxification And Rehabilitation Centre ) का निर्माण भारत की मदद से किया गया है।
- यह सेंटर/केंद्र स्वास्थ्य, शिक्षा, मत्स्यपालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा कार्यान्वित की जा रही 20 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं में से एक है।
- आर्थिक सहयोग:
- पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। वर्तमान में मालदीव कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और कई भारतीय वहाँ रोज़गार के लिये जाते हैं।
- अगस्त 2021 में एक भारतीय कंपनी, ‘एफकॉन’ (Afcons) ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी अवसंरचना परियोजना- ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।
- सुरक्षा साझेदारी:
- भारत - भूटान:
- भारत-भूटान शांति और मित्रता संधि, 1949:
- यह संधि अन्य बातों के अलावा स्थायी शांति तथा मित्रता, मुक्त व्यापार तथा वाणिज्य और एक-दूसरे के नागरिकों को समान न्याय प्रदान करने पर ज़ोर देती है।
- इस संधि को वर्ष 2007 में संशोधित किया गया, जिसमें भारत द्वारा भूटान को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति निर्धारित करने के लिये प्रेरित किया गया।
- यह संधि अन्य बातों के अलावा स्थायी शांति तथा मित्रता, मुक्त व्यापार तथा वाणिज्य और एक-दूसरे के नागरिकों को समान न्याय प्रदान करने पर ज़ोर देती है।
- जलविद्युत सहयोग:
- यह वर्ष 2006 के जलविद्युत सहयोग समझौते के अंतर्गत आता है।
- इस समझौते के एक प्रोटोकॉल के तहत भारत ने वर्ष 2020 तक भूटान को न्यूनतम 10,000 मेगावाट जलविद्युत के विकास एवं उसी से अधिशेष बिजली आयात करने पर सहमति व्यक्त की है।
- यह वर्ष 2006 के जलविद्युत सहयोग समझौते के अंतर्गत आता है।
- आर्थिक सहायता:
- भारत, भूटान के विकास में प्रमुख भागीदार देश है।
- वर्ष 1961 में भूटान की पहली पंचवर्षीय योजना (FYP) के शुभारंभ के बाद से भारत, भूटान की FYPs के लिये वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।
- भारत ने भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना (वर्ष 2018-23) के लिये 4500 करोड़ रुपये प्रदान किये हैं।
- भारत-भूटान शांति और मित्रता संधि, 1949:
- भारत - नेपाल:
- उच्च स्तरीय दौरा:
- हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी, नेपाल का दौरा किया , जहाँ उन्होंने भारतीय सहायता से बनाए जा रहे बौद्ध विहार की नेपाली प्रधानमंत्री के साथ आधारशिला रखी।
- वर्ष 1950 की शांति और मित्रता की संधि:
- संधि दोनों देशों में निवास, संपत्ति, व्यापार और आवाज़ाही के लिये भारतीय और नेपाली नागरिकों के पारस्परिक व्यवहार के बारे में बात करती है।
- यह भारतीय और नेपाली दोनों व्यवसायों के लिये राष्ट्रीय व्यवहार भी स्थापित करता है (अर्थात्- एक बार आयात किये जाने के बाद विदेशी वस्तुओं को घरेलू सामानों से अलग नहीं माना जाएगा)।
- संधि दोनों देशों में निवास, संपत्ति, व्यापार और आवाज़ाही के लिये भारतीय और नेपाली नागरिकों के पारस्परिक व्यवहार के बारे में बात करती है।
- जल विद्युत परियोजनाएँ:
- दोनों देशों ने 490.2 मेगावाट के अरुण-4 जलविद्युत परियोजना के विकास और कार्यान्वयन के लिये सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) लिमिटेड और नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के बीच पाँच समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- नेपाल ने भारतीय कंपनियों को नेपाल में पश्चिम सेती जलविद्युत परियोजना में निवेश करने के लिये भी आमंत्रित किया।
- दोनों देशों ने 490.2 मेगावाट के अरुण-4 जलविद्युत परियोजना के विकास और कार्यान्वयन के लिये सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) लिमिटेड और नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के बीच पाँच समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- उच्च स्तरीय दौरा:
- भारत - श्रीलंका:
- हाइब्रिड पावर:
- भारत और श्रीलंका ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये, जिसने भारत को जाफना के तीन द्वीपों (नैनातिवु, डेल्फ़्ट या नेदुन्थीवु, और एनालाइटिवू) में हाइब्रिड विद्युत परियोजनाएँ स्थापित करने की सुविधा प्रदान की।
- समुद्री बचाव समन्वय केंद्र:
- भारत और श्रीलंका एक समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC) स्थापित करने पर भी सहमत हुए हैं, जो पड़ोसियों के बीच अधिक रक्षा क्षेत्र सहयोग का संकेत देता है।
- 'एकात्मक डिजिटल पहचान फ्रेमवर्क'
- भारत ने श्रीलंका को 'एकात्मक डिजिटल पहचान फ्रेमवर्क' को लागू करने के लिये अनुदान प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है, जो मुख्य तौर पर ‘आधार कार्ड’ प्रणाली पर आधारित है।
- ‘एकात्मक डिजिटल पहचान फ्रेमवर्क’ भारत की ‘आधार’ प्रणाली के समान है और इसके तहत श्रीलंका निम्नलिखित को प्रस्तुत करेगा:
- बायोमेट्रिक डेटा पर आधारित व्यक्तिगत पहचान सत्यापन उपकरण।
- डिजिटल उपकरण, जो साइबर स्पेस में व्यक्तियों की पहचान करते हों।
- ‘व्यक्तिगत पहचान’ प्रणाली, जिसे दो उपकरणों के संयोजन से डिजिटल एवं भौतिक वातावरण में सटीक रूप से सत्यापित किया जा सकता है।
- ‘एकात्मक डिजिटल पहचान फ्रेमवर्क’ भारत की ‘आधार’ प्रणाली के समान है और इसके तहत श्रीलंका निम्नलिखित को प्रस्तुत करेगा:
- भारत ने श्रीलंका को 'एकात्मक डिजिटल पहचान फ्रेमवर्क' को लागू करने के लिये अनुदान प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है, जो मुख्य तौर पर ‘आधार कार्ड’ प्रणाली पर आधारित है।
- हाइब्रिड पावर:
भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के समक्ष चुनौतियाँ :
- चीन का बढ़ता दबाव:
- यह एक सार्थक कदम उठा पाने में विफल रहा तथा बढ़ते चीनी दबाव ने देश को इस क्षेत्र में सहयोगी बनने से रोक दिया है।
- समुद्री मोर्चे पर चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।
- यह एक सार्थक कदम उठा पाने में विफल रहा तथा बढ़ते चीनी दबाव ने देश को इस क्षेत्र में सहयोगी बनने से रोक दिया है।
- घरेलू मामलों में हस्तक्षेप:
- भारत पड़ोसी देशों खासकर नेपाल के घरेलू मामलों में उनकी संप्रभुता के उल्लंघन में दखल दे रहा है।
- भारत नेपाल के भीतर और बाहर मुक्त पारगमन और मुक्त व्यापार में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है तथा लोगों और सरकार पर दबाव बनाता रहता है।
- भारत पड़ोसी देशों खासकर नेपाल के घरेलू मामलों में उनकी संप्रभुता के उल्लंघन में दखल दे रहा है।
- भारत की घरेलू राजनीति का प्रभाव:
- भारत की घरेलू नीतियाँ मुस्लिम बहुल देश बांग्लादेश में समस्याएँ पैदा कर रही हैं, यह दर्शाती है कि भारत की पड़ोस पहले की नीति बांग्लादेश जैसे मित्र क्षेत्रों में भी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है।
- पश्चिमी देशों की ओर भारत के झुकाव का प्रभाव:
- भारत विशेष रूप से क्वाड और अन्य बहुपक्षीय और लघु-पार्श्व पहलों के माध्यम से पश्चिम के करीब आता है।
- लेकिन पश्चिम के साथ श्रीलंका के संबंध अच्छी दिशा में नहीं बढ़ रहे हैं क्योंकि देश की वर्तमान सरकार को मानवाधिकारों के मुद्दों और स्वतंत्रता पर पश्चिमी राजधानियों/देशों से बढ़ती आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
- भारत विशेष रूप से क्वाड और अन्य बहुपक्षीय और लघु-पार्श्व पहलों के माध्यम से पश्चिम के करीब आता है।
आगे की राह
- भारत की पड़ोस नीति गुजराल सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिये।
- इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत के कद और ताकत को उसके पड़ोसियों के साथ उसके संबंधों की गुणवत्ता से अलग नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे क्षेत्रीय विकास संभव हो पाता है।
- भारत की क्षेत्रीय आर्थिक और विदेश नीति को एकीकृत करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- इसलिये भारत को छोटे आर्थिक हितों के लिये पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों से समझौता करने का विरोध करना चाहिये।
- क्षेत्रीय संपर्क को अधिक मज़बूती के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिये जबकि सुरक्षा चिंताओं को लागत प्रभावी, कुशल और विश्वसनीय तकनीकी उपायों के माध्यम से संबोधित किया जाता है जो दुनिया के अन्य हिस्सों में उपयोग में हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू)प्रश्न. "चीन एशिया में संभावित सैन्य शक्ति स्थिति विकसित करने के लिये अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष का उपयोग उपकरण के रूप में कर रहा है"। इस कथन के आलोक में भारत पर उसके पड़ोसी देश के रूप में इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2017) |